पहली माचिस की तीली
अध्याय 12
दरवाजा खोलने की आवाज सुन, अंधेरे कमरे के अंदर लेटे सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस हाथ पैरों को बांधे हुए लोहे के जंजीर में ताले लगे हुए के साथ मुश्किल से उठ कर बैठे।
दरवाजे के पास टॉर्च की रोशनी में एक जना खड़ा हुआ था। उसने आवाज भी दी।
"तीनों जने उठ जाओ...."
बड़ी मुश्किल से किसी तरह तीनों उठ खड़े हुए।
"मेरे पीछे आओ...."
लोहे की रॉड और शांखल जमीन से रगड़ खाती हुई तीनों उसके पीछे चलने लगे।
बहुत पुराने जीर्ण-शीर्ण खंडहर वह जगह थी। अंधेरे में चमगादड़ इधर-उधर उड़ रहे थे।
"हां ...जल्दी... आओ..."
हाथ में टॉर्च लिए हुए आदमी एक आवाज देते हुए ही एक बड़े दरवाजे को पार कर बाहर आए।
गुप्त अंधेरा।
सुनसान जगह।
ठंडी हवा तेज चल रही थी। ऊपर देखा तो आकाश पर बहुत से नक्षत्र, एक छोटा चांद का टुकड़ा नजर आया।
चारों तरफ कोई रोशनी नहीं। हवा में ठंडक बहुत थी।
कुछ दूर जाने पर टॉर्च वाला आदमी खड़ा हो गया। तीनों लोगों को मुड़ कर देख कर आवाज दी।
"ऐसे ही बैठ जाओ...."
सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस तीनों लोग अंधेरे में एक दूसरे को देखते हुए बैठ गए। उनके चेहरे पर एक डर व्याप्त था।
चारों ओर अंधेरे में आंखों को आदत हो गई, उनके पास में कुछ लोग बैठे हुए दिखाई दिए।
'कौन है यह लोग?'
यह सोच रहे थे तभी -
हाथ में टॉर्च को लिया हुआ आदमी तीनों के सामने आकर खड़ा होकर बोलने लगा।
"सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस ! तुम तीनों का यहां पर पूछताछ होगी। हमारी भाषा में कहें तो खुला हुआ न्याय मंडल है। उस कोर्ट में जज सरवन पेरूमाल पैसा लेकर तुम्हें छोड़ दिया। परंतु यह खुला न्याय मंडल जज अपने अंतरात्मा को साक्षी मानकर फैसला देंगे। और थोड़ी देर में सामने मिट्टी का जो टीला है उस पर बैठकर न्यायाधीश पूछताछ शुरू करेंगे।"
टॉर्च के बंद कर होने से - सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस तीनों जने अंधेरे में दिखाई दे रहे मिट्टी के टीले को देखा।
रेतीला जगह ऊंचा-नीचा और उबड़-खाबड़ था।
पाँच मिनिट्स होते ही एक आकृति उस टीले पर जाकर आलथी-पालथी लगाकर बैठी।
"केस की पूछताछ शुरू करें" सीधे हाथ को ऊंचा कर उस आकृति ने चिल्लाया तो - पास में खड़े लंबे एक व्यक्ति उठे। चेहरा नहीं दिखा। हवा में काला गाउन उड़ने लगा।
"यूवर ऑनर....! आपके सामने बैठे सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस यह तीनों लोग तमिलनाडु के तीन राजनीतिक लोगों के वारिस हैं। यह लोग कॉलेज के छात्र कहलाए तो भी यह पढ़ने के लिए कभी कॉलेज नहीं गए। कॉलेज में पढ़ने वाली लड़कियों का मजाक उड़ाना, उनसे छेड़छाड़ करने के लिए ही कॉलेज में कदम रखते थे। सभी गलत आदतों के आदी हैं। पिछले साल सहाय मैरी कॉलेज की छात्रा दमयंती नाम की 18 साल की लड़की को इन तीनों ने कार में किडनैप करके लेकर उसके साथ बलात्कार करके - कहीं वह सच बात बता देगी इस डर से दमयंती का इन्होंने टुकड़े-टुकड़े कर लाश को नदी में फेंक दिया। पुलिस इस हत्याकांड को छुपाने का प्रयत्न कर रही थी - तमिलनाडु के सभी कॉलेजों के छात्र-छात्राएं बीच में कूदने से पुलिस झुकी। इन तीन जनों को कैद कर लिया। कोर्ट में केस चला गया। जज सरवन पेरूमाल को इस केस के पूछताछ के लिए नियुक्त किया। इन तीनों को छोड़ने के लिए कीमत तय किया। पांच लाख में सरवन पेरुमाल बिके। फैसला इन तीनों के पक्ष में दिया। इनके छूटने पर एक राजनीतिक पार्टी के लोगों ने मिलकर पटाखे छोड़े उसे दिवाली जैसे जस्न मनाया। एक लड़की के अस्मिता से खेल कर उसे मार कर वे दुष्ट छूट गए। परंतु यह 'खुले आकाश वाले अंधेरे कोर्ट' में इन्हें दंड देना चाहिए अर्थात मौत की सजा मिलनी चाहिए।"
रेत के टीले के ऊपर आलथी-पालथी लगा कर बैठे आदमी ने अब मुंह खोला।
"सुरेश ! कमल कुमार ! एल्बोस....! आप तीनो लोग पर जो आरोप लगे है उसके बारे में क्या जवाब देने वाले हो....?"
सुरेश परेशान होकर उठकर फटी आवाज में बोला।
"हम निरापराधी हैं......"
"इसका मतलब आप लोगों ने कॉलेज की छात्रा दमयंती को कार में किडनैप भी नहीं किया बलात्कार भी नहीं किया। हत्या भी नहीं की।"
"हां जी...."
"फिर इस अपराध को किसने किया?"
"हमें नहीं मालूम किसने किया?"
"हमें मालूम है...."
"जज सरवन पेरूमाल पांच लाख में बिके...?"
"ऐसा कुछ नहीं है। उन्होंने सही न्याय संगत फैसला किया। सभी गवाहों से जिरह करने के बाद दमयंती की हत्या के हम लोग कारण नहीं हैं यह मालूम करके ही उन्होंने हमारी रिहाई की।"
आकृति जोर से हंसी।
"जज सरवन पेरूमाल को हो सकता है आप तीनों के अप्पा ने उन्हें धमकी दी होगी?"
"ऐसा कुछ नहीं है...."
"उन को धमकी दी यह तो सच है.... मुझे कैसे पता सोच रहे हो क्या....?"
कहते हुए -
रेत के टीले के ऊपर बैठी हुई आकृति धीरे से खड़ी हुई धीरे से चलकर तीनों के पास आने लगी।
"देवा....! तुम्हारे हाथ में जो टॉर्च है उसकी रोशनी मेरे चेहरे पर डालो ।"
उनके कहते ही -
सरवन पेरूमाल मुस्कुराए।
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