Lahrata Chand - 13 in Hindi Moral Stories by Lata Tejeswar renuka books and stories PDF | लहराता चाँद - 13

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लहराता चाँद - 13

लहराता चाँद

लता तेजेश्वर 'रेणुका'

  • 13
  • अगले दिन जब अनन्या ऑफिस पहुँचकर बैग टेबल के ऊपर रखी, देखा गौरव आँख में पानी लिए अपने कमरे से बाहर निकल रहा है। उसकी हालात काफी मज़ाकिया लग रही थी। जीभ को बाहर निकाल कर मुँह के अजीब भंगिमा देखने लायक था।
  • - अरे क्या हुआ गौरव रो क्यों रहे हो ? " अनन्या आश्चर्य होकर हँसी को होंठों के बीच छिपाकर पूछी।
  • गौरव मुँह पिचकाकर आँख में बड़े-बड़े आँसू से अनन्या की ओर देखा। जीभ को बाहर निकालकर अपने सीट पर जा बैठा। अनन्या ने उसकी अजीब सा ढंग देख कुछ और पूछती इतने मैं साहिल वहाँ आ पहुँचा। उसका मुँह भी करीबन गौरव के चेहरे की भंगिमा सा दिख रहा था। उसे देखने के बाद अनन्या ने ऑफिस में सबकी ओर ध्यान से देखा। सब के चेहरे पर 12 बजे हुए थे। सभी के चेहरे पर एक ही नजारा साफ़-साफ़ दिख रहा था। वह कुछ पूछती उससे पहले क्षमा वहाँ आ पहुँची क्षमा आंध्रप्रदेश के हैदराबाद शहर की है। मगर सालों से मुंबई में रह रही है। लेकिन उसकी संस्कृति नहीं भूली। वह आज भी परम्परागत हर रस्म निभाती है। सुंदर-सी साड़ी और गहने पहनकर बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी।
  • - अनु तुम आ गई, लो ये जरा चख के बताओ कैसे बनी है, कहकर एक छोटी-सी कटोरी में कुछ तरल पदार्थ ड़ालकर उसकी तरफ बढ़ाई। अनन्या सब के चेहरे की तरफ देखते हुए पूछा, ये क्या है? उसे अंदाजा हो गया उसकी मुँह भी कुछ समय में इनके जैसे बिगड़ने वाली है।
  • - अरे सवाल मतकर बस एक साँस में पी जा, कहकर कटोरी को आगे बढ़ाया।
  • - क्षमा! दोस्त मैं अभी अभी नाश्ता करके ही आई हूँ इसलिए अभी नहीं पी सकती, प्लीज।" गौरव और बाकी सब स्टाफ की ओर देखते हुए क्षमा की जिद्द को टालने की कोशिश की। मगर क्षमा मानने वाली नहीं थी। उसने तो कसम खा रखी थी कि किसी भी हालात में सबको पिलाना है। अनन्या के लाख अनुरोध के बाद भी वह नहीं सुनी।
  • - "क्षमा मुझे छोड़ दो। अभी नहीं थोड़ी देर बाद पिऊँगी।" वह गौरव की ओर देख इशारे से पूछा - ये क्या है?
  • गौरव ने कहा - कोई नहीं, पी जाओ अनु, बहुत टेस्टी है।"
  • अनन्या ने पूछा, "क्या टेस्ट है इसका?"
  • - जवाब में गौरव अपने रुमाल से अधरों को साफ़ कर मुस्कुरा दिया। साहिल ने भी जोर दे कर कहा, "क्षमा ने हमें भी बहुत पिलाया है। हम सब ने चखकर देखा है सच मे बहुत टेस्टी है, तुम भी एक गटक में पीकर देखो।" मुस्काते हुए कहा।
  • अनन्या के पास बैठी सुहाना कटोरी के अंदर झाँककर कहा - "बस अनु के लिए इतनी सी कटोरी, भरकर पिलाओ। हमने तो खूब पीए हैं।" कहकर कुछ और सूप जैसी चीज़ को उसकी कटोरी में उँड़ेल दी। अनन्या डर के मारे सब को देखते हुए कटोरी को हाथ में लिया। पूरा कटोरी खत्म होने तक सभी उसके मुँह की भंगिमा को ध्यान से देख रहे थे। अनन्या जीभ से होंठों को साफ़ किया फिर रुमाल से पोंछा।
  • - हूँ, टेस्टी है? क्या है ये? पूछते हुए कुर्सी पर बैठ गई। बहुत मुश्किल से अपनी चेहरे को नॉर्मल रखने की कोशिश कर रही थी ताकि बाकी सब को मज़ाक बनाने का मौका न मिले। गौरव और साहिल ने ताली बजाकर अनन्या को बधाई दी। सबने अनन्या की तरफ हँसकर देखे फिर कहा - अच्छा तो टेस्टी है।
  • - अच्छा ये बता ये अजीब सी चीज़ क्या था? गौरव ने क्षमा को पूछा।
  • - बताती हूँ, बताती हूँ। कहते हुए क्षमा जाकर इत्मीनान से अपनी सीट पर बैठी फिर उसकी खासियत बताते हुए कहा, "इसे आंध्र में 'उगादी पचडी' कहते हैं। ये जूस जैसा पदार्थ औषधिक गुण रखता है। नीम के फूल, इमली, कैरी, गुड़, मिर्ची और नमक छह स्वादों को मिलाकर इसे बनाया जाता है। ये आंध्रप्रदेश में खासकर नए साल के मौके पर बनाया जाता है। नये साल में नई इमली के साथ कैरी और नीम के फूल के इस मिश्रण के साथ गुड़, मिर्ची और नमक जैसी गुणकारी स्वादों को मिलाकर ये रस बनाया जाता है। इसे बड़े चाव से पिया जाता है। इसमें नीम के फूल गुड़ होने से ये सेहत के लिए बहुत ही लाभ दायक है और इसलिए ये आप सब के लिए भी ले आई।
  • - आज के ही दिन में इसकी क्या ख़ासियत है?" रोहन ने पूछा।
  • - आज साल का पहला दिन, यानी नया साल मनाया जाता है। इसलिए जिंदगी में आने वाले हर छोटे-बड़े एहसासों को शरीर के छह स्वादों सी जिंदगी की ख़ुशी, दुःख, विजय, संतोष, प्यार, गुस्सा जो मानव के जन्मजात भावनाओं के मिश्रण को दर्शाते हैं। जीवन में भावनाओं का संतुलन बनाए रहे, इसलिए साल के पहले दिन यह संतुलित पेय बनाया जाता है, चूँकि यह पाचनकार्य में बहुत ही लाभदायक है इसलिए इसे सेवन करते हैं। नये कपड़े और नई वस्तुओं से घर सज़ाकर इस त्योहार को मानाया जाता है।
  • अनन्या - अरे वाह बहुत अच्छी बात है क्षमा, आज तुम्हारी वजह से हमें आंध्रप्रदेश के एक त्योहार के बारे में अच्छी जानकारी मिली। अनन्या ने क्षमा के हाथ में कैन की ओर दिखाते हुए कहा, "उसमें थोड़ी और बची हो तो मुझे देना मैं अपनी बहन अवन्तिका के लिए ले जाऊँगी।"
  • - हाँ, क्यों नहीं अनु ये मेरे तरफ से उसे पिला देना।" कहकर क्षमा कैन को अनु की तरफ बढ़ाया।
  • तब गौरव ने पूछा, "अनु तुम्हें तो कल दिल्ली जाना है न? सारी तैयारियाँ हो गई की नहीं?"
  • - हाँ सारी तैयारियाँ हो गई है बस कुछ आखरी पैकिंग करना बाकी है। जरुरी कागज़ात चाहिए थे प्रेजेंटेशन के लिए वही लेने आई हूँ और आप सब से बिदा भी लेना है।"
  • - बहुत बहुत बधाई अनन्या, हमें तुम पर बहुत गर्व है।" सभी ने एक साथ अनन्या को बधाई दिए। क्षमा ने अनन्या के गले लगकर कहा, "यार ख़ुशी-ख़ुशी जा और हम सब के नाम रोशन करके आ।"
  • अनन्या सब से विदा ले कर दुर्योधन के कमरे की ओर जा ही रही थी कि सुहाना पीछे से आवाज़ लागई "अनन्या अभी सर नहीं आये हैं।"

    - "ओह! फिर ठीक है मैं चलती हूँ।" आगे बढ़ती हुई अनन्या रुककर ऑफिस से बाहर निकल गई। स्कूटी स्टार्ट कर रही थी कि साहिल उसके पास आ खड़ा हुआ। "बहुत-बहुत मुबारक अनु! तुम दिल्ली जा रही हो, सफलतापूर्वक लौटना।"

    "थैंक यू साहिल।"

    उसने धीरे से शर्ट जेब से एक पीला गुलाब निकाल कर अनन्या की ओर बढ़ाया। अनन्या आश्चर्य होकर उसकी ओर देखा। उसकी आँखें जैसे कह रही थी कि 'जल्दी वापस आना अनु हमें तुम्हारा इंतज़ार रहेगा।' जो होंठ नहीं बोल पा रहे थे वह आँखें कह गई। आँखें दिल की आईना होती है, जो दिल न कह सका वह अक्सर आँखे कह जातीं हैं। अनन्या ने सकुचाते हुए उस गुलाब को ले लिया।

    उसके होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी। उसने दो कदम आगे जाकर पीछे मुड़कर देखा साहिल वहीं खड़े उसके जाने की ओर देख रहा था। साहिल का ऐसा रवैया अनन्या के लिए बिल्कुल नया था। अनन्या की आँखों में अनजानी सी एक चमक दिखी। एक अलग एहसास जो पहले कभी नहीं था। फिर वह अपनी स्कूटी लिए वहाँ से चली गई। 👍👍👍👍👍