fate in Hindi Adventure Stories by Saroj Prajapati books and stories PDF | किस्मत

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किस्मत

हरिया जैसे ही अपने पिता को अस्पताल से दवाई दिला कर शाम को घर लौटा, तभी पड़ोस के मनु ने आकर उसे आवाज लगाई।
"क्यों एक सास में चिल्लाए जा रहा है क्या आफत आ गयी!"
हरिया बोला।
"आफत क्या आई है, सुबह से तेरे भाई का शहर से कई बार किशोर बाबू के यहां फोन आ चुका। तुझसे बात करना चाह रहा है। जल्दी चल।"
हरिया जल्दी से किशोर बाबू के यहां पहुंचे और इजाजत ले अपने भाई को फोन मिलाया। दूसरी तरफ से उसके भाई ने फोन उठाते ही कहा
"कहां था! सुबह से तुझे फोन मिला रहा हूं!"
"बापू की तबीयत खराब थी। उसे दवाई दिलाने अस्पताल ले गया था। तू बता क्या जरूरी बात थी!"
"क्या बताऊं हरिया फैक्ट्री में काम ज्यादा होने की वजह से मैं 1 सप्ताह से घर नहीं आया और आज आकर जैसे ही कोठरी का ताला खोला, तेरी नौकरी की चिट्ठी पड़ी देखी।
कल आखिरी दिन है नौकरी पर चढ़ने का इसलिए मैं तुझे सुबह से फोन कर रहा था। अब तो यहां के लिए कोई ट्रेन या बस भी ना मिलेगी तुझे। तेरी मेहनत पर तो पानी फिर गया रे! क्यों ना मैं एक बार बीच में आया। सब मेरी ही गलती है माफ कर दे अपने भाई को तू!"
"तू अपने को दोष मत दे। मैं देखता हूं कुछ हो सकेगा तो अपनी किस्मत को ऐसी दगाबाजी नहीं करने दूंगा।" कहकर हरिया ने फोन रख दिया।
किशोर बाबू सारी बात समझ गए थे। "हरिया तू हिम्मत मत हार और घबरा भी मत। भगवान पर भरोसा रख।"
"किशोर बाबू पर करूं क्या! सपना था यह मेरा!"
"अच्छा तू 2 मिनट सोचने दे।"
कुछ देर बाद किशोर बाबू बोले । "आज ट्रैक्टर से गेहूं मंडी जाएंगे। तू मंडी तक चला जा। तुझे तो पता है, मंडी में कई ट्रक लगे होते हैं। जो अलग-अलग शहरों तक रात को माल लेकर जाते हैं। बस तू किसी से भी बात कर लेना। कोई तो तेरी परेशानी समझेगा ।अब भगवान का नाम ले और जल्दी से निकल जा।"
हरिया ने घर आ जरूरी कागजात लिए और एक ट्रैक्टर पर बैठ मंडी तक पहुंच गया। उसने वहां से अलग अलग शहर जाने वाले ट्रकों के बारे में पता‌ किया तो एक ट्रक मिल गया जो उसी शहर जा रहा था। हरिया ने ड्राइवर को अपनी सारी परेशानी बताई तो वह मुस्कुराते हुए बोला
"बरखुरदार तू घबरा नहीं, हमारा ट्रक सुबह 5:00 बजे मंडी जाकर लग जाएगा। चल बैठ!" कह सरदार जी ने ट्रक स्टार्ट किया।
ट्रक चलते हैं हरिया ने राहत की सांस ली। अभी हरिया को एक झपकी आई ही थी कि ट्रक अचानक रुक गया। उसने सोचा शहर आ गया।
"सरदार जी हम पहुंच गए शहर!"
" अरे नहीं । ट्रक में कुछ खराबी आ गई है!" कह वह और उसका साथी इंजन चेक करने लगे लेकिन कुछ समझ नहीं आया।
हरिया की सांसे ऊपर नीचे हो रही थी । यह किस्मत मुझसे कैसे खेल खेल रही है। उसकी आंखों में आंसू आ गए।
सरदार जी ने जब उसकी ओर देखा तो उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला
"पुत्तर तू परेशान मत हो। मैं तुझे पहुंचा दूंगा!"
"पर कैसे सरदार जी! ट्रक तो सही नहीं हुआ।"
"ओए खोते तुम आजकल के लड़कों की यही तो परेशानी है कि छोटी-छोटी बातों पर घबरा जाते हो! रुक!"
कह सरदार जी ने हाईवे पर जा रहे 2 तीन ट्रकों को रुकवा कर बात की। उनमें से एक ट्रकवाला मान गया। सरदार जी ने हरिया को उस ट्रक में चढ़ा दिया और बोला
"रब तेरी मुराद पूरी करें।"
हरिया ने दोनों हाथ जोड़ सरदार जी का शुक्रिया किया।
सुबह मुहअंधेरे वह शहर पहुंच गया। ‌ ट्रक वाले को धन्यवाद कर उसने अपने भाई के घर के लिए बस ली।
सुबह-सुबह हरिया को अपने घर के दरवाजे पर देख उसका भाई हैरान रह गया।
"हरिया तू यहां तक कैसे.....!"
"यह कहानी लंबी है भाई। आपकी और अपनी बरसों की मेहनत पर मैं किस्मत को यूं सस्ती सौदेबाजी तो नहीं करने दे सकता था। बस कुछ अच्छे लोगों का साथ मिला और बड़ों का आशीर्वाद! अब मेरे साथ दफ्तर चलने की तैयारी करो।"
सरोज ✍️