Horrible peepal tree's terrible secret - 2 last part in Hindi Horror Stories by Vaibhav Surolia books and stories PDF | डरावने पीपल के पेड़ का भयानक रहस्य - 2

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डरावने पीपल के पेड़ का भयानक रहस्य - 2

एक बार तो हद ही हो गई, मैं स्कूल में अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ था, तभी आचानक से वो बुढ़िया मेरे सपने आ गई, मैंने उसे अनदेखा कर दिया, इसके बाद वो गायब हो गई, फिर कुछ देर के बाद वो एक बड़ी सी तलवार लेकर मेरे पास आई और बोली आज मैं तुझे मार डालूंगी, मैं चिल्लाते हुए अपने स्कूल ने भागता हुआ अपने घर आ गया और बेहोश हो गया. मेरे घर से स्कूल चार किलोमीटर की दुरी पर था, मैं वहां से दौड़ता हुआ घर आया था, मुझे अस्पताल लेजाया गया, लेकिन वहां मेरा कुछ न हुआ, अंत में बाबा ने ही मुझे ठीक किया और बोला कि तुम एक बार और उस खंडहर में जाना और एक मटके में पानी भर कर उस पीपल के पेड़ के पास रख देना.


मुझे बहुत डर लग रहा था, लेकिन रखन भी जरुरी था. मैंने वैसा ही किया जैसा बाबा ने मुझसे कहा था. अब सब कुछ ठीक है, मैं अब कही भी घुमने नहीं जाता. सिर्फ अपने पापा का व्यापार संभालता हूँ.
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कई साल पहले तक जो भी मुझे देखता था वो यही कहता था कि इसके उपर किसी बुरी आत्मा का वास है, लेकिन मेरे घर वाले इस बात को मानने के लिए राजी नही थे. घर वालों ने मुझे बहुत सारे डॉक्टरों को भी दिखाया, लेकिन मुझे आराम नहीं मिल रहा था. अंत में मुझे पागल खाने भेजे जाने की तैयारी शुरू कर दी गई. तभी मेरे शहर में एक बहुत बड़े बाबा आये हुए थे, सभी लोगों ने मुझे एक बार वहां दिखाने के लिए बोला तब जा कर मेरे घर वाले राजी हुए.

जैसे ही मुझे उस बाबा ने देखा तो वैसे ही बोल दिया इस पर तो एक बुरी आत्मा का वास है. उन्होंने दो दिन के अंदर मुझे पहले जैसा कर दिया था. लेकिन किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये हुआ कैसे. दरअसल, छुट्टियों में मैं अपने रिश्तेदारों के घर पर गया हुआ था. वहां एक बहुत पुराना खंडहर था, वहां कोई भी नहीं जाता था, लेकिन मैं वहां चला गया, अंदर आजीब सा नजारा था, बहुत ज्यादा डरावना एक पीपल का पेड़ लगा हुआ था, उसके नीचे एक बुढ़िया बैठी हुई थी. उसने मुझे पीने के लिए पानी माँगा, मेरे पास होते हुए भी मैंने उसे पानी नहीं दिया था. और वहां से भाग आया था.
इसके बाद मुझे मेरे सपने में वहीं बुढ़िया दिखाई देने लगी. जो बेहद खतरनाक थी, उसके लंबे- लंबे हाँथ, ऊँची सी गर्दन, छोटे छोटे पैर बड़ी-बड़ी लाल-लाल आंखे बेहद डरावनी दिख्न रही थीं. वो रोज मेरे सपनों में आती और मेरी पिटाई करती, मैं ये सब जब अपने पापा को बताता तो वो बोलते ज्यादा टीवी मत देखा करो, पढाई किया करो, कुछ दिन के बाद वो बुढ़िया मुझे अब हकीकत में दिखाई देने लगी, मैं डरने लगा और पागलों की तरह हरकते करने लगा. वो बुढ़िया मुझे हर जगह दिखाई देती थी और मुझे मारने के लिए दौड़ती थी. मैं भागता हुआ अपनी जान बचाता. जब मैं बच जाता तो वो बेहद डरावनी हंसी के साथ हंसा करती थी. ताजुब की बात ये थी कि वो बुढ़िया सिर्फ मुझे ही दिखाई देती थी, और सब को लगता कि मैं पागल हो चूका हूँ.