भाग - 08
" दुश्मन ही तो है, इस लड़की ने न जाने आप दोनो पर क्या जादू कर दिया है, आप ये तक भूल गये कि ये हमारे शॉप की नौकरानी है और आप चाहते हैं कि हम इसे अपने घर की महारानी बना ले "
अब कमला मिस्टर अग्रवाल पर भी बरसने लगी।
" वो सब मेरे लिये कोई मायने नही रखता, मै तो बस इतना जानता हूँ ये हमारे बेटे की पसंद है और अच्छा होगा कि तुम भी आराधना को स्वीकार कर लो "
" दुनिया वाले क्या कहेंगे, जिसके न जात का पता न खानदान का उसे हमने घर मे बिठा दिया, मै नही चाहती कि कोई ऐसी लड़की मेरी बहु बने जो हमारे ही टुकड़ो पर पलती हो "
" पापा आप समझने की कोशिश कीजिए, इस लड़की ने न जाने और कितने लड़कों को फँसाया होगा, भैया तो इसके चक्कर मे आ ही गये है और अब आप भी..."
" शीतल ये क्या बोल रही हो तुम, आराधना मेरी जान है "
मिस्टर अग्रवाल, कमला और शीतल के बीच बहस बढ़ने लगी, मनीष आराधना का हाथ पड़कर खड़ा रहा उसे समझ ही नही आ रहा था आखिर ये हो क्या रहा है ?
एक तरफ वो और उसके पापा जो आराधना को दिल से अपना चुके है और दूसरी ओर उसकी मम्मी और शीतल
जो अपने मन मे नफरतों का सैलाब लिये उसके सामने खड़े थे।
" बस... रहने दीजिए मनीष जी, शायद आंटी और शीतल ठीक ही तो कह रहे हैं मै ही आपके काबिल नही हूँ, और आपको भी इनकी बात लेनी चाहिए। मै बुरा नही मानूँगी, लेकिन शीतल आप मेरे कैरेक्टर पर डाउट मत कीजिए प्लीज, मै गरीब और बेसहारा जरूर हूँ, पर वैसी लड़की नही..."
ऐसा कहते हुए अराधना का गला भर आया।
" नही आराधना ! ऐसा नही होगा, मै शादी करूँगा सिर्फ तुम्ही से वरना कुँवारा मर जाऊँगा, आई लव यू सो मच "
मनीष ने आराधना को गले से लगा लिया।
" मनीष ये क्या कर रहे हो ? अगर ये अनाथ लड़की मेरे घर की बहू बनेगी तो मै इस घर से चली जाउँगी "
कमला की आँखों मे ज्वाला भड़क रही थी उसने चिल्लाते हुए कहा।
" देख लो भैया ! आपको ये मिडल क्लास लड़की चाहिये या फिर मम्मी "
शीतल ने भी मुँह बनाते हुए कहा।
" उसकी जरूरत नही होगी, मनीष जी अपना परिवार ही चुनेंगे मै यहाँ से बहुत दूर चली जाउँगी "
" लेकिन आराधना तुम्हे मै कैसे...."
" मै जा रही हूँ मनीष जी, मेरी वजह से आपका परिवार ही आपके खिलाफ हो मै नही सह सकती "
" नही मेरी आरु मत जाओ, पापा आप रोको न इसे "
" रुक जाओ बेटी आराधना, मत जाओ मनीष को छोड़कर "
" नही अंकल !, शायद ये मेरा सबसे बड़ा कसूर है कि मै अनाथ हूँ । प्लीज मनीष जी, मुझे अपने हाल पर छोड़ दीजिए "
" नही आराधना.. आराधना....
आराधना....
...............................
" आरधना.. आराधना...
उठो .. गुड मॉर्निंग, सुबह हो गयी है। वंश को लेकर स्कूल नही जाना क्या ? "
आराधना के कंधे पर नर्म हाथों का स्पर्श हुआ, अतीत की यादों मे खोये हुए कल रात कैसे उसकी आँख लग गयी थी कुछ पता ही न चला। उसके सिराहने पर अमित बैठा हुआ था।
" अरे 7 बज गये, वंश उठ गया क्या "
उसने आंखों को मलते हुए कहा।
" हाँ बाबा, चलो अब तुम भी तैयार हो जाओ, कल के बारे मे अभी तक सोंच रही हो क्या "
उसका हाथ पकड़ते हुए अमित ने कहा।
" नही ऐसी कोई बात नही, पर मेरा मन नही आज वंश के स्कूल जाने का आप चले जाइये न "
" मन कैसे नही होगा, कोशिश तो करो। हर बार तो पेरेंट्स टीचर मीटिंग मे तुम ही जाती हो न, इस बार भी चली जाओ मै शॉप का काम देख लूँगा "
अमित ने आराधना को हिम्मत देते हुए कहा।
थोड़ी देर बाद तैयार होकर आराधना वंश को लेकर कार मे बैठी।
" आराम से जाना दीनू ! भाभी और वंश का ख्याल रखना "
अमित ने ड्राइवर से कहा।
कोरबा शहर का बेबी लैंड प्ले स्कूल जहाँ सभी पेरेंट्स अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आये हुए थे। आराधना वंश को लेकर क्लासरूम मे जाने लगी तभी उसे सुनीता दिखाई दी जो मिनी का हाथ पकड़कर इसी ओर आ रही थी।
दोनो ने एक दूसरे को हेलो बस कहा फिर अंदर चले गये।
अब दोपहर के 2 बज गये मीटिंग खत्म होने के बाद बाहर भीड़ जमा हो रही थी।
सुनीता और आराधना स्कूल के गार्डन मे ही बैठ गए।
" कैसी हो आराधना , कल अचानक से आप चली गयी मै तो घबरा ही गई थी "
" आई एम फाइन सुनीता, ऐसी कोई बात नही "
" मै कुछ हेल्प कर सकती हुँ क्या आपकी "
आराधना सोंच मे पड़ गयी। कैसे वह कमला आंटी के बारे मे पूछे, अमित ने बार-बार कहा है पुरानी बातों को किसी से शेयर मत करना। पर उन सवालों का क्या जो कल से उसे घेरे जा रहा है, जिस कमला आंटी ने उसे अनाथ, बेसहारा कहकर दुत्कारा था आज उनकी ऐसी हालत। वो तो अब जानकर ही रहेगी आखिर क्या बात है।
" सुनीता ! मुझे अपनी कामवाली कमला आंटी के बारे मे बताओ वो यहाँ कैसे आ गयी "
" आप जानती हो क्या उन्हे, और कल अचानक से उसको देखकर आप डर गयी। क्या बात है मुझे बताओ "
आराधना कुछ देर के लिए खामोश हो गयी। सुनीता को क्या बताये वह, सच भी नही बता सकती, अगर नही बताया तो फिर कमला आंटी के बारे कैसे जान पायेगी।
" सुनीता ! बात दरसल ये है कि कमला आंटी मेरी एक फ्रेंड की होने वाली सास थी, पर किसी वजह से उनका रिश्ता टूट गया, उसी ने मुझे उनके बारे मे बताया था "
आराधना ने सच को दूसरे अंदाज मे पेश किया।
" अच्छा ये बात है "
" हाँ, अब बताओ न वो भिलाई से यहाँ कैसे पहुँची "
" बहुत ही दुःख की बात है आराधना! इस उमर मे बेचारी ये सब सह रही, आप तो जानती ही होंगी न कितने बड़े घर की मालकिन थी वो "
" हाँ .. वो तो है पर उनकी इस हालत का जिम्मेदार कौन है "
" किस्मत.. वो बता रही थी कि भिलाई मे उनका अच्छा खासा बिजनेस था। सबकुछ अच्छा था पर उनके हसबैंड और बेटे की डेथ हो जाने पर पूरा चौपट हो गया "
" क्या..... हसबैंड और बेटे की डेथ .. वो कैसे "
" हाँ, कैसे हुआ ये तो नही बताया मुझे। एक बेटी है जो शादी के बाद कनाडा मे शिफ्ट हो गयी, वो अपनी माँ को फोन तक नही करती। बस इस तरह से बेचारी काम की तलाश मे कोरबा आ गयी "
क्रमशः....