What is the name for this way? - 7 in Hindi Fiction Stories by Kalpana Sahoo books and stories PDF | इस रिस्ते को क्या नाम दुँ ? - 7

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इस रिस्ते को क्या नाम दुँ ? - 7



अबतक आप पढे हैं की स्रुती को अपनी प्यार से जुदा होनी पडी जबकी उसकी दिल कुछ और केह रही थी । तब वो अकेली पड गयी थी, बहत् अकेली । यही बता रही थी दिपक् को ।

( कितनी अजीब बात है ना, जिसके लिये सबकुछ करना पडे और बादमें उसे ही खोना पडे तो बहत दर्द होती है दिलमें सच् । मालुम नहीं जो प्यार में लोग खुसी कम् और गम क्युं ज्यादा लेते हैं ? )

स्रुती की बाते सुनकर दिपक् भी थोडा दुःखी हो गेया । थोडी देर खामोश् रेहने के बाद फिर पुछा.....

दिपक् :- क्या तुम दोनो उसके बाद कभी मिले नहीं ?

स्रुती :- हाँ मिले थे पर वो अकेला नहीं था साथ में उसकी बीबी थी ।

दिपक् :- oooo sorry.

स्रुती :- अब sorry से दर्द नहीं मिटती है यार, बहत् अकेलापन मेहसुस् होती है । दम घुटती है मेरा । ना जी सकती हुं नाही मर पाती हुं । हाँ बहत् बार Try की है, लेकिन कभी भी कामीयाब नहीं हुई । अगर में किसी भी तरहा मर जाती सायद मेरी गम थोडी तो दुर हो जाती । पर नहीं, में इतनी बदनसीब् हुं की वो भी मुझे नसीब नहीं हुई ।

दिपक् :- चुप् पगली ! येसी बात कोन करता है रे ?

स्रुती :- मुझसे अब नेहीं होती है यार, ये झूठ-मुट का मुसकान् । में रोना चाहती हुं बहत् जोर् से ।

दिपक् :- में समझ सकती हुं तेरी दर्द, पर उस सक्स को जाते हुये करीब् 8-9 साल हो गेया है । तु आज भी उसे याद करके रो रही
है ।

स्रुती :- में एकबार नहीं दो-दो बार उसी गलती को दोहरायी ।

दिपक् :- तुझे फिर से किसीसे प्यार हो गेया था क्या ?

स्रुती :- हाँ ! यैसा ही कुछ । में गलत आदमी से दिल लगा बैठी । पर ये मुझे तब पता चली जब वो मुझे छोडके चलागया ।

दिपक् :- क्या हुआ था बतायेगी ?

स्रुती :- कुछ नहीं बस् में प्यार कर रही थी और वो Timepass.

दिपक् :- फिर् वो भी छोडके चलागया तुझे ?

स्रुती :- नहीं में छोडदी ।

दिपक् :- क्युं ?

स्रुती :- वो मुझे दुसरी लेडकी के जरीये बात करवायी और मुझे उसको छोडने केलिए कहा । मैंने उस लेडके को call करके पुछी तो उसने मुझे बताया की क्या तुम नहीं जान पाते हो ? में समझगयी उसे क्या चाहीये । उसको बोली आजसे ना तुम मुझे call/sms करोगे ना में । तुम्हे जीसके साथ रेहना है रहो, पर खुस रहो ।

अच्छा बनने को बडा सोक् है ना महान बन गयी । उसकी खुसी केलिए छोडदी मैंने उसको । वो भी कमाल का था एकबार भी मुडके नहीं देखा । पता नहीं क्या कमी रेह गयी मेरी प्यार में ?

दिपक् :- कमी तेरी प्यार में नहीं पगली उसकी आखं में था, जो तेरी प्यार को ठुकराके चलागया । पर समझ आयेगा उसे एक दिन........

स्रुती :- हाँ समझ आया था उसे एक दिन, बोल रहा था | पर कुछ दिनो केलिए । फिर सब खतम् । फिरसे वही बात । वही drama.

पता है जब दुबारा बात की मुझसे वो कीतना अच्छा बात कीया था । उसने माना भी गलती उसकी थी, पर बाद में मुझे बताया की ये उसका भुल् था की उसने मुझे बापस् उसकी जीन्देगी में लाया ।

तुम सोचो कीतना दर्द हुआ होगा मुझे ? जो मुझे प्यार करता है यही बताने केलिए कितना कुछ करता था, वही इनसान एक दिन मुझे क्या बोला मालुम् है ? में बकबाज् करती हुं, में फाल्तु लडकी हुं और भी बहत सारे गालीयां दी मुझे । फिर भी मैंने उसको समझाने की बहत कोसीस की, पर वो मुझे छोड दिया ।

एकबार भी नहीं सोचा मेरा क्या होगा ? में बहत रोई, गिडगिडायी फिर भी वो मेरी पास नहीं रहा । उलटा मुझे दोस्तों से call करबाके गालीयां दी ।

दिपक् :- कितना गिरा हुआ इनसान है
रे ? तु यैसा लेडका से कैसे प्यार कर बैठी ? जिसको बात करने की तमीज तक मालुम् नहीं है ।

स्रुती :- पता नहीं कैसे ? पर में इनसान नहीं पेहचान् पायी ।

दिपक् :- छोड्, उसके बाद से आजतक कोई ........?

स्रुती :- नहीं ! अब कीसीसे बात करने केलिए भी डर लगती है, कहीं फिर से धोखा खा नाजाऊँ ?

दिपक् :- तो मेरे साथ कैसे बात कर रही हो ?

स्रुती :- क्युं ! क्या तुम भी वैसा करोगे ?

दिपक् :- इसका मतलब तु मुझे पसन्द करती है ?

स्रुती कुछ जबाब नहीं देती है ।






TO BE CONTINUE........