रात का घना अंधेरा छाया हुआ था UP के किसी रास्तें पर फुल्ल स्पीड से बाईक भागे जा रही थी वो बाईक एक शानदार घर के सामने खड़ी रही
बाईक लॉक कर के वो लड़का उतारा घर के भीतर जाते वक़्त उसके दिल मै बस एक ही ख्याल था
उसने अब तक खाना नहीं खाया होगा बोलता हूं मुझे देर होगी पर रात के 12 बजे हो फिर भी दरवाज़े में मेरी राह देखते खड़ी रहती है पागल
उसने दरवाज़े पर दस्तक दी..ये क्या ये खुला क्यों है..? 😤
कितनी बार कहता हूं आशु दरवाजा बंद कर के अंदर बैठी रहो पर नहीं सुनना ही नहीं है इसे मेरा 😡
आशु आशु...वो लड़का घर खोल कर अन्दर जाते जाते आवाज देता है..
घर में लाईट जल रही थी.... दादी दादी बाहर ही बैठे थे
पर उसकी नजर कुछ और धुंड रही थी
आशु आशु कहा है...?... गाड़ी की चाबी रखते रखते उसने पूछा
दोनों (दादा दादी) सोफे पर चुपचाप बैठे रहे
दादी कहा गई ये लड़की (आशु)...वो लड़का
क्या हुआ अक्षत..? तु उसे के बारे में क्यों पूछ रहा है..?
क्यों क्या दादी हर रोज वही तो रुकती है अब तक तो उसने खाना तक नहीं खाया होगा..?
आप रुकिए मै उसे बुला कर लाता हूं... अक्षत बोलता है और सीढ़ियों पे जाने लगा
रुको अक्षत.. दादा जी
हां दादा जी... अक्षत वही रुका मुड़कर बोलता है
तुम कब कहोगे उसे की तुम उससे प्यार करते हो..? दादी जी दादा जी के हाथ पर हाथ रखकर बोलती है
दादा दादी जी हम दोनों बस दोस्त है.... अक्षत
हां दोस्त हो इसलिए उसने तुम एक बार भी तुम कहकर नहीं बुलाया हमेशा अक्षत जी कहकर पुकारती है...जब तक तुम खाना नहीं खाते वो भूकी रहती है....आज भी बुखार से जल रही थी फिर भी यही दरवाज़े पर रुकी थी अब तक..(दरवाज़े उंगली कर के) अब तक खाना नहीं खाया उसने... रात के 12 बजने को है..इतना सब क्यों अक्षत..? क्यों..? दादा जी
दादाजी हम सिर्फ दोस्त है.. कुछ देर रुक कर और वो किसी और की अमानत है दादाजी...(उसे अबीर के याद आ ही गई आखिर कर दोस्त था वो अक्षत का)
में उसे खाना खिला कर दवाई से दूंगा.. आप दोनों आराम करिए...इतना बोल कर वो उसके कमरे की ओर निकल पड़ता है
कुछ देर बार
आशु उठो चल खाना खा लो.. अक्षत उसे रूम में जाते जाते बोलता
आपने खाया..? वो बेड पर उठकर बैठते हुए बोलती है
नहीं सोचा तुम्हे कंपनी दू.. अक्षत
अच्छा..आशु
हां.. अक्षत
दोनों चुपचाप से खाना खाते है अक्षत प्लेट उठकर निकलता है
आशु...
अक्षत जी...
दोनों एकसाथ आवाज देते है
आप बोलिए..आशु
नहीं तुम बोलो तुम भूल जाती हूं फिर... अक्षत
आप ठीक है ना..? आशु
हां मै ठीक हूं और मै भी यही पूछने वाला था... अक्षत
में भी ठीक हु... आशु
वो जाने के लिए मुड़ता है तभी वो फिर आवाज देती है
अक्षत जी...
हां आशु
ध्यान रखिए अपना... आशु
तुम भी...इतना कहकर वो किचन की और बड़ता है
कब समझेगा इन दोनों के ये एक दूसरे से कितनी मोहब्ब्त करते है.. दादी
तुम परेशान मत हो वसुधा सब ठीक होगा... दादा जी
End...💞