Ankaha Ahsaas - 8 in Hindi Love Stories by Bhupendra Kuldeep books and stories PDF | अनकहा अहसास - अध्याय - 8

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अनकहा अहसास - अध्याय - 8

अध्याय - 8

रमा पैदल चलते हुए अपने सोसाईटी पहुँच गई।
आज उसका मन एकदम अस्थिर था। उसने सोचा इस तरह तो रोज चिकचिक होगी। इसलिए बेहतर होगा कि मैं इस्तीफा ही दे दूँ।
वो बैठकर इस्तीफा लिखने लगी फिर उलट-पलट कर सोने की कोशिश करने लगी। पर उसकी नींद तो गायब हो गयी थी। वो सोच रही थी कि अनुज उसके जीवन में अचानक वापस कैसे आ गया। ये इत्तेफाक तो नहीं हो सकता और अगर उसकी शादी हो गई तो फिर मुझसे क्यों टकराव करने की कोशिश कर रहा है। मैं उसे चाहती हूँ यहाँ तक तो ठीक है पर क्या वो अपनी शादी के बाद भी मुझे चाहता है। ये तो ठीक नहीं लगता। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। बेहतर है कि मैं उसके जीवन से चली जाऊँ। उससे दूर जाने ही के लिए तो यहाँ दूसरे शहर आई थी परंतु ये कहाँ से आ गया। चलो कोई बात नहीं कल ही इस्तीफा दे दूँगी। यह सोचते-सोचते कब उसकी आँख लग गई पता ही नहीं चला।
घर की घंटी बजी तो उसकी आँखें खुली, देखा तो सात बज बए थे। उसने जाकर दरवाजा खोला देखा कुक थी।
देख आज कुछ खाने का मन नहीं कर रहा है बस चाय पिला दे। रमा ने कहा।
भूखे रहना ठीक नहीं दीदी मैं कुछ बना देती हूँ।
देख ले पर मेरा मन नहींहो रहा है।
ठीक है खाने का आप देख लेना। मैं कुछ बनाकर छोड़ दिए रहूँगी।
ठीक है कहकर रमा नहाने चली गई।
वो बाथरूम से निकलकर जब बेडरूम में आई तो देखा कि पिंक साड़ी बेड के ऊपर पड़ी हुई थी। उसे देखते ही फिर सारी घटना याद आ गई। उसने उसे फोल्ड करके एक बैग में रख दिया और आलमारी के एक कोने मे डाल दिया।
फिर तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल पड़ी।
कॉलेज पहुंचकर उसने काऊँटर पर बैठी मालती को इस्तीफा सौंपते हुए कहा
ये मेरा इस्तीफा है चेयरमैन या सेक्रेटरी महोदय जब आयें तो उनको दे देना।
रमा मैडम ये मैं नहीं रख सकती। वो लोग जब आएँ तो मैं आपको खबर भिजवा दूँगी। आप खुद ही दे दीजिएगा।क्या है कि ये थोड़ा सेंसीटिव मैटर है। इसलिए मैं नहीं रख पाऊँगी। मालती ने कहा।
रख ले ना यार प्लीज। मैं उनसे नहीं मिलना चाहती। रमा ने कहा।
सॉरी मैडम, और किसी बात का आवेदन होता तो मैं रख भी लेती परंतु ये तो इस्तीफा है इसे आपको खुद ही देना होगा।
चलो ठीक है फिर मैं स्टाफ रूम में हूँ। जैसे इन दोनों मे से कोई आए मुझे बता देना।
ठीक है मैडम मैं आपको खबर करती हूँ।
रमा स्टाफ रूम में बैठी ही थी कि अचानक ऑफिस से फोन आया कि सचिव महोदय आ गए है और आपका इंतजार कर रहे हैं।
रमा उठी और स्टाफ रूम से निकलकर ऑफिस की ओर चल दी।
मे आई कम इन सर ? रमा ने पूछा।
हाँ जी अंदर आईये। शेखर ने कहा।
थैंक्यू सर।
बैठ जाईये। आप ही का नाम मिस रमा है ?
जी सर।
तो आप इस्तीफा क्यों देना चाहती हैं क्या नया मैनेजमेंट आपको पसंद नहीं ?
ऐसी बात नहीं है सर।
तो फिर क्या बात है। मैंने आपकी प्रोफाईल देखी है आप तो काफी काबिल लड़की हैं। हमारे साथ काम करिए। आपको शिकायत का मौका नहीं देंगे।
नहीं सर। वो बात नहीं है। मुझे कुछ अच्छे ऑफर मिल रहे हैं जिन्हें मैं छोड़ना नहीं चाहती।
ओह !! तो मुझे बताइये। मैं बॉस से आपके इन्क्रीमेंट के लिए बात करूँगा।
किसके इंक्रीमेंट की बात हो रही है शेखर। अनुज अचानक अंदर आते हुए पूछा।
मिस रमा का अनुज। देखो ना ये इस्तीफा लेकर आई हैं।
शायद हमारे साथ काम नहीं करना चाहती।
अनुज ने एक नजर रमा की ओर देखा, और तेजी से शेखर के हाथ से इस्तीफा लेकर फाड़ डाला।
रमा और शेखर हतप्रभ होकर देखते रह गए।
ये क्या किया सर आपने। रमा चिल्लाई।
चिल्लाइये मत मिस रमा। अनुज बोला।
आपने मेरा इस्तीफा फाड़ा क्यूँ ?
लगता है आपको याद दिलाना पड़ेगा कि आपने यहाँ तीन साल का बॉन्ड भरा है मिस रमा। वो अब भी मेरे आलमारी में पड़ा हुआ है। आप चाहें तो मैं लीगल एक्शन ले सकता हूँ।
रमा को याद आया कि उसने सचमुच तीन साल का बॉन्ड भरा था।
अब आप चुपचाप यहाँ से जाइए मिस रमा। मेरी मर्जी के बगैर आप यहाँ से हिल भी नहीं सकती।
रमा की आँखे भर गयी वो पीछे मुड़कर चुपचाप निकल गई।
अरे यार तूने उसे रूला क्यूँ दिया। आराम से बात नहीं कर सकता था। बोलते हुए शेखर रमा के पीछे भागा।
एक मिनट मिस रमा। शेखर ने आवाज देकर रमा को रोका जी सर । रमा ऑफिस के बाहर ही रूक गई।
फ्रेन्ड्स !! कहकर शेखर ने रमा की ओर हाथ बढ़ा दिया। रमा ने आश्चर्य से देखा फिर बोली ओके।
चलो फिर कैन्टिन चलते हैं। तुमको मैं अच्छी वाली चाय पिलाता हूँ उससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा। शेखर बोला।
ऑफिस से लगकर ही पीछे कैंटिन था। वो दोनों वहाँ जाकर एक टेबल में बैठ गए।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।