Niyati - 3 in Hindi Women Focused by Apoorva Singh books and stories PDF | नियति... - 3

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नियति... - 3

मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी।सो मैंने इसे दिल पर नहीं लिया और जाने दिया।और अपनी किताबों के साथ समय व्यतीत करने लगी।
कुछ ही दिनों में कोलेज का पहला दिन था और मुझे कोलेज जाना था।तैयार होकर मै कॉलेज के लिए निकल गई।सलवार सूट पहने हुए मैंने कोलेज में एंट्री ली।और चारो और एक नजर दौड़ा दी।कोलेज के कुछ छात्र मेरी वेशभूषा देख देख कर दबे होठो से हंसी हंस रहे थे।वहीं कुछ अपना मुंह फेर हंस रहे थे।खैर मै इग्नोर कर आगे बढ़ने लगी।जैसा कि पहले हर नए छात्र छात्राओं के साथ होता था कोलेज के प्रथम दिन जाने पर रैगिंग नाम के कीड़े को काटना ही होता था।वही मेरे कॉलेज पहुंचने पर मेरे साथ हुआ।

मै दरवाजे से आगे पहुंची कि तभी एक जोरदार आवाज आई। ए लड़की..कहां बच कर निकली जा रही हो।

आवाज़ सुनकर मै वहीं रुक गई और चुपचाप खड़ी हो गई।
तुम वहां खड़ी हो गई यहां आओ।
मै आवाज़ कि तरफ गई।और जाकर खड़ी हो गई।

आवाज़ देने वाला बंदा चिल्लाने वाले अंदाज में कहता है क्यूं खिसकी चली जा रही थी ये सोच कर कि कोई नहीं देख रहा है सभी औरो के साथ व्यस्त है मै निकल लेती हूं।है न।

मै ने घबरा कर न में गरदन हिला दी।
सुन लड़की ये रैगिंग तो कोलेज का नियम है ही।और बिन रैगिंग के तुम्हे यहां से जाने नहीं दिया जाएगा।तुम्हारे हाव भाव देख कर तो लग रहा है ज्यादा कठिन टास्क तुम्हे दिया तो यहीं आंसुओ की नदिया बहा दोगी।तो तुम एक काम करो यहीं खड़े होकर एक अच्छा सा गाना सुनाओ और हमसे छुटकारा पाओ।

ये सुनकर मेरी तो हवा निकल गई।मै न करते हुए चुप हो गई।
मेरी न सुन वो कहने लगा। ए यहां न कहने का कोई प्रश्न ही नहीं है।ये हम सीनियर का अधिकार है और तुम जूनियर इस के लिए मना नहीं कर सकते।उसकी बात सुन मुझे गुस्सा आ रहा होता है।

न जाने क्यों जब भी कोई मेरे सामने अधिकार,हक की बात करता है तो गुस्सा आने लगता था मुझे।शायद इसका कारण एक ये भी हो मेरे घर का वातावरण।जहां अधिकार और हक दिए तो जाते थे लेकिन हम लड़कियों को नहीं...

उसकी बात सुन मै उससे कहती हूं,देखिए ये हक अधिकार की बात कहां से आ गई इसमें।गाना वाना गाना मेरे वश का नहीं।और अगर मै अपनी बेसुरी आवाज़ में शुरू हो गई तो फिर एक लाइन पूरा किए बिना रुका नहीं जाएगा।और उस एक लाइन में तो आप लोगो का क्या हाल होगा. ...

न जाने कैसे मुझमें इतनी हिम्मत आ गई कि पहले ही दिन सीनियर को जवाब दे दिया।इसका कारण शायद घर से बाहर होना था।क्यूंकि एक अपनो के सामने रहने में और अपनो से दूर रहने में इंसान के स्वभाव में परिवर्तन आ ही जाता है।

ए ज्यादा चटर पटर तो करो मति।जितना कहा है उतना करो।

उसकी बात सुन मैंने जानबूझ कर बेसुरी आवाज़ में गाना शुरू कर दिया..

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम....हो ...श्याम तेरी बंसी...बस बस बस कर लड़की कितना बुरा गाती हो..बस आज के बाद तुम कभी गाना नहीं गाना..सही कह रही थी तुम एक ही लाइन में कान पक गए..पूरा सुन लेते तो बेहोश ही हो जाते।।तुम जाओ यहां से...

उस दिन इस वाक्ए से मेरी हिम्मत और बढ़ गई।खुद पर आत्मविश्वास बढ़ गया। मै वहां से आगे बढ़ गई।अपनी क्लास के बारे में पता कर जाकर वहीं बैठ गई
इतिहास मेरा पसंदीदा विषय हमेशा से रहा है।इतिहास के लेक्चरर आते है और पहले दिन केवल इंट्रो होता है।

लेक्चरर सभी का इंट्रो लेते है।मेरी बारी आती है तो मै खड़े होकर अपना इंट्रो देती हूं।क्यूंकि स्कूलिंग में इसी तरीके से इंट्रो दिया जाता था।

मै - नमस्ते!! मेरा नाम नियति, नियति कपूर।।पिताजी का नाम श्री विजित कपूर।।आगरा से कुछ किलोमीटर दूर एक ग्राम से यहां स्नातक के लिए आईं हूं।

नियति नाम सुन लेक्चरर कहते है तो रोल नम्बर ----३६७ तुम ही हो।जिसने एंट्रेस में टॉप किया है।
जी सर। कह मै चुप हो जाती हूं।

गुड।।चलो फिर आज कुछ सवाल जवाब हो जाए।।तुमसे..

अब ऐसा लेक्चरर ने क्यूं कहा ये मुझे उस समय समझ नहीं आया लेकिन जब आज खुद को देखती हूं और पहले की नियति से कम्पेयर करती हूं तब कारण स्पष्ट नजर आता है।

लेक्चरर - तो मिस नियति आप ये बताइए प्रवासी भारतीय दिवस किस कारण से भारत में मनाया जाता है??

मै - सर ९ जनवरी १९१५ में मोहन दास करमचंद गांधी जी के एक बैरिस्टर के रूप में अफ्रीका से भारत में आने के कारण।

लेक्चरर - गुड।

दूसरा प्रश्न - अंग्रेजो को भारत में व्यापार करने की अनुमति किस शासक ने दी।

मै - सर,मुगल शासक जहांगीर ने।।

अगला प्रश्न - पानीपत के अब तक कितने युद्ध हो चुके है किस किस के साथ और कहां पर ?

मै - सर पानीपत में तीन ऐतिहासिक लड़ाइयां हुई।
प्रथम युद्ध जो है वो २१ अप्रैल १५२६ को बाबर और इब्राहिम लोधी के मध्य हुआ।जिसमें बाबर विजय हुआ।

दूसरा युद्ध जो है वो ५नवंबर १५५६ बैरम खान(अकबर का सेनापति) और हेमू (आदिलशाह सूर का सेनापति) के बीच हुआ जिसमें अकबर विजयी हुआ।

और तीसरा युद्ध मराठा सेनापति सदाशिव राव भाऊ और अहमद शाह अब्दाली के बीच १४ जनवरी १७६१ को हुआ।जिसमें अहमद शाह अब्दाली विजय रहा।

इसी तरह लेक्चरर को प्रश्न करने में आनंद आने लगा और मुझे उत्तर देने में।बाकी छात्र छात्राएं तो बस बैठ कर हम दोनों की तरफ देखने में ही रहे।

ये मेरे जीवन का पहला बहुत बहुत अच्छा अनुभव रहा।इसी क्लास में अमर अक्षत आशीष और सुचिता भी थे। जो आपस में न जाने किस बात पर खुसर फुसर कर रहे थे।

क्लास कब का ख़तम हो गई थी और बीस मिनट एक्स्ट्रा भी हो चुके थे लेकिन इसका एहसास वहां किसी को नहीं हुआ।शायद सभी को मेरे इतिहास वर्णन के तरीके ने बांध रखा था।

जब लेक्चरर स्टाफ रूम में नहीं पहुंचे तो दूसरे विषय के लेक्चरर वहां आए दरवाजे पर खड़े होकर कुछ कहने ही वाले थे कि तभी उन्हें पहले वाले लेक्चरर का प्रश्न सुनाई दिया!!

tell me something about the Harappan civilization?

सर का प्रश्न सुन के मै चुप हो गई??फिर धीरे से कहने लगी सर हिंदी में पूछिए? मुझे अंग्रेजी नहीं आती है।।

लेक्चरर - ओके!! हड़प्पा सभ्यता के बारे में कुछ विशेष बाते बताइए??

मै - सर इस सभ्यता को सिंधु सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्यूंकि ये अधिकांश सिंधु नदी के किनारे फैली हुई थी।ये विश्व की प्राचीनतम नदी घाटी सभ्यता में से एक है।यह मुख्यत दक्षिण एशिया के उत्तर पश्चिमी क्षेत्रो मे उत्तर पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम ,और उत्तर भारत में फैली हुई है।हड़प्पा,मोहनजोदड़ो(पाकिस्तान) कालीबंगा,लोथल धोलाविरा राखीगढ़ी आदि इसके प्रमुख केन्द्र थे।सन १९२१ में दयाराम साहनी द्वारा इसका उत्खनन किया गया जिस कारण इन्हें इसका खोजकर्ता माना गया।प्रथम बार कांसे का उपयोग इसी सभ्यता मै किया गया।कृषि,पशुपालन,मिट्टी के बर्तन आदि बनाने में कुशल थे।मनके बनाने में भी महारत हासिल थी।

सभी मेरे जवाब से प्रसन्न होते हैं और मेरे लिए तालियां बजाते है।जिन्हें सुन मुझे खुशी का अनुभव होता है और मै सभी को धन्यवाद कहते हुए अपनी सीट पर बैठ जाती हूं।

दूसरे लेक्चरर आते हैं और कहते है सच ही कहा है किसी ने किसी किताब को उसके कवर से जज नहीं करना चाहिए।।बल्कि उसके अंदर लिखे ज्ञान की बातो से उसका निरीक्षण करना चाहिए।

खैर आपकी क्लास ओवर हुए आधा घंटा हो चुका है।आज प्रथम दिन है और आपने तो पहले ही दिन क्लास लगा दी।
खैर आज मै क्लास नहीं ले रहा तो तुम लोगो की आज कि छुट्टी।ओके। एन्जॉय स्टूडेंट।
थैंक यू सर कह सभी छात्र वहां से चले जाते हैं।

मै भी अपना बेग उठा लाइब्रेरी की तरफ चल देती हूं अब भला बहनजी टाइप से कोन बात करना पसंद करेगा यही सोच किसी से पूछे बगैर ही चल दी।

मिस नियति...जरा सुनिए ..पीछे से किसी ने आवाज़ देकर कहा।मैंने पीछे मुड़कर आवाज़ की दिशा में देखा तो अमर और उसके फ्रेंड्स खड़े हुए थे।मै वहीं खड़ी हो गई।

अमर - हाई नियति।मै अमर।हम दोनों एक ही क्लास के स्टूडेंट हैं।

मै - अच्छी बात है।
अमर - ये मेरा दोस्त अक्षत ये आशीष,ये सुचिता है।सभी से परिचय कराते हुए कहता है।

मै - ठीक है।कहते हुए आगे बढ़ गई।जिसे देख आशीष कहता है यार बड़े निराले अंदाज है इसके।

अमर - अब निराले अंदाज़ होना तो बनता है न मिस टॉपर जो हैं।

तो मिस टॉपर है।इसका मतलब तो ये नहीं की इतनी रूडी हो।खैर हम लोग चलते है लाइब्रेरी में।अब नया नया सेसन है तो बुक्स के लिए मगजमारी करनी पड़ेगी।इतने सारे स्टूडेंट्स जो है इस कॉलेज के।

हां सो तो है आशीष।।चलो चलते हैं।
मै वहां पहले पहुंच जाती हूं और गर्ल्स लाइन में लग अपनी बारी का इंतजार करने लगती हूं।क्यूंकि ज्यादातर हॉस्टल के छात्र लाइब्रेरी से किताबे इश्यू करा कर ही पढ़ते हैं।मै चुपचाप अपनी लाइन में खड़ी होती हूं कि तभी वो चारो भी पहुंच जाते है और मुझसे कुछ छात्र पीछे लाइन में खड़े हो जाते हैं।

अमर मुझे खड़ा हुआ देख छात्रों को आगे पीछे कर मेरे पास चला आता है।मै आगे देखने में लगी होती हूं।

अमर - नियति आप भी यहीं लाइब्रेरी की लाइन में खड़ी है क्यों?

मै - आप यहां क्यूं खड़े हैं।
अमर - किताबे लेने के लिए!!

मै - ये लाइन भी शायद इसीलिए लगवाई गई है।
अमर - हां शायद इसीलिए।।

मुझे न जाने क्यूं उस आवाज़ में एक खिंचाव सा महसूस हो रहा था। उसे दूर करने के लिए ही मै इस तरह रूडली बात कर रही थी।लेकिन वो तो न जाने क्या लेता था खाने में जो कितनी भी मिर्च लगने से तीखी बात कर लो असर ही नहीं हो रहा उस पर।

मै - जब आपको पता ही नहीं है क्यों है ये लाइन तो क्यों खड़े हो यहां।उसका जवाब जब तक आता मै तब तक काउंटर के पास पहुंच गई और अपनी किताबे इश्यू करा वहां से चलती बनी।

और खाली पड़ी सीट पर आकर बैठ गई।चार लोगो की सीट थी अभी भी तीन व्यक्ति वहां आकर बैठ सकते थे।सो अमर अक्षत सुचिता और आशीष ये चारो भी आकर जानबूझ कर वहीं बैठ गए।और मुझे सुनाकर जोर शोर से बाते करने लगे।

मै (थोड़ा रुडली)- क्या आप थोड़ा धीरे से बात नहीं कर सकते।आपकी बातो से मुझे डिस्टर्बेंस हो रहा है।

आशीष - तो,इसमें हम क्या करे?? हम तो ऐसे ही बात करेंगे तुम्हे डिस्टर्ब हो रहा है तो तुम या तो यहां से चली जाओ,या फिर कानों में अंगुली डालकर पढ़ लो।

अमर - क्या आशीष ये क्या तरीका है किसी से बात करने का।मिस टॉपर है ये।इसी तरह पढ़ाई में जुटी होगी तभी तो टॉप किया होगा न।तो हम लोगो को मिस टॉपर को डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए चलो चलते है यहां से।अमर सभी को वहां से बुला ले जाता है।

अमर की बात सुन मुझे ये समझ ही नहीं आता है कि वो मेरी तारीफ करके गया या फिर मज़ाक बना कर गया.।

खैर मै उसकी बातो को इग्नोर कर देती हूं और वहां से किताबे उठा हॉस्टल में चली आती हूं।किताबे साइड में खिड़की के पास रखी टेबल पर रख देती हूं।और कुछ देर खिड़की पर खड़ी हो बाहर आने जाने वालों को देखने लगती हूं।इतनी ज्यादा भीड़भाड़ तो वहां होती नहीं है बस कभी कभी एक दो एक दो वाहन गुजर जाते है वहां से।कुछ देर बाद वाहन से उठ फ्रेश होने वॉशरूम में चली जाती हूं।

तभी रश्मि वहां आती है और चुपचाप बेड पर बैठ जाती है।कुछ ही देर में मै वापस आती हूं और उसे उदास देख उससे कहती हूं अगर गलत लडको पर भरोसा करोगी तो इसी तरह झगड़ा भी होगा और मूड ऑफ भी।

मेरी बात सुन रश्मि हैरानी और परेशानी मिश्रित भाव से मेरी ओर देखती है।जिसे देख मै कहती हूं हैरान मत हो अभी खिड़की से खड़े होकर मैंने दब देखा अपनी आंखो से।किस तरह तुम एक लड़के से झगड़ रही थी और रोते हुए अंदर चली आई।वहीं वो लड़का होस्टल की ही दूसरी लड़की से बात करने की कोशिश करने लगा।

मेरी बात सुनकर रश्मि भावुक होकर मेरे गले लग जाती हूं।उसे सांत्वना देते हुए मै उससे कहती हूं रश्मि,इस जहां में अच्छे और बुरे दोनों तरह के लोग होते हैं।ये हम पर निर्भर करता है कि हम उन्हें समय रहते पहचान पाते है या नहीं।इसीलिए किसी पर भी भरोसा करने से पहले एक बार सोचना अवश्य चाहिए।

रश्मि मेरी बात समझ जाती है और थैंक यूं कहते हुए मेरे गले से अलग होती है।इस तरह वो मेरी कोलेज की पहली फ्रेंड बन जाती है।

दिन निकल जाता है।अगले दिन से हम दोनों अच्छी सहेलियों की तरह कोलेज साथ साथ जाते हैं।और पूरे समय लगभग साथ ही साथ रहते हैं। बस उसका क्लास अलग होता है और मेरा अलग।

मै अपने लेक्चर रूम में चली जाती हूं जहां अमर अक्षत आशीष सभी किसी बात को लेकर बातचीत कर रहे थे मेरे जाते ही एकदम खामोश हो जाते हैं।जिससे मै समझ जाती हूं हो न हो बात तो मेरे ही विषय में कर रहे होते हैं।

मै जाकर खाली पड़ी सीट पर बैठ जाती हूं और किताबे पढ़ने लगती हूं।तभी वहां दो गर्ल्स और आती है जो आपस में संगीत विषय पर बातचीत कर रही होती है।मै भी वहीं बैठ उनकी बातचीत का हिस्सा बन सुनने लगती हूं।

पहली लड़की - यार मुझे तो डांसिंग पसंद है वो भी क्लासिकल।सो मै सोच रही थी कि क्यूं न इसी कॉलेज से क्लासिकल डांसिंग का डिप्लोमा कर लूं।

दूसरी - अच्छी बात है तो तुमने मैनेजमेंट में बात की इस विषय में।

पहली लड़की - नहीं न लेकिन आज कर लूंगी जाकर जैसे ही लेक्चर ख़तम होगा तब।

दूसरी लड़की - चल फिर तो ठीक है।तब तक लेक्चरर आ जाते है क्लास में।और सभी बाते बन्द कर पढ़ने में लग जाते है।हालांकि अब तक मुझमें आत्मविश्वास काफी आ गया था। इन कुछ दिनों में।क्यूंकि यहां मेरे बोलने पर कोई रोकने वाला जो नहीं था।सो मैंने भी मैनेजमेंट में इस विषय पर बात करने का निर्णय लिया।
क्लास ओवर होते ही रश्मि को साथ लेकर मै मैनेजमेट की तरफ चल दी और वहां की एक मैडम से इस विषय में बात की। बहुत अनुनय विनय करने पर वो इस बात के लिए मान गई मैंने तुरंत ही फार्म फिल कर दिया और थोड़ी फीस पे कर तथा थोड़ी कल पे करने का बोल वहां से कोलेज गार्डन में चले आते है और वहां बैठ कर बाते करने लगते हैं।

रश्मि - यार तुम्हे देख कर लगता तो नहीं है कि तुम्हे इस सब में भी रुचि होगी।क्यूंकि तुम जैसे रहती हो उस तरह से एक ही बात का अंदाज़ा लग सकता है कि तुम ठीक ठाक एक नॉर्मल,संस्कारी लड़की हो।जो सीधी सादी है।

मै रश्मि कि बात सुन कहती हूं अच्छा ऐसा क्यूं??अब मेरा रहन सहन है ही ऐसा तो क्या कर सकते है इसमें।

रश्मि - बदल सकती हो खुद को थोड़ा सा।तुम्हे पता है यहां के ज्यादातर छात्र तुम्हारा मज़ाक बनाते है तुम्हारी वेशभूषा के कारण।सामने कुछ नहीं कहते है।

ओह हो रश्मि कहने दो जो कहना है मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता।हम दोनों बाते कर ही रहे होते है तभी अमर आते हुए हाई कहता है।

ओह हो जितना इससे दूर भागुं मै उतना ही पीछे ही
चला आ रहा है।मै खुद से ही बुदबुदाती हुई कहती हूं।

अमर - क्या हुआ मिस टॉपर।।जवाब नहीं दिया।
मै - क्यों कोई जरूरी तो है नहीं हाई हेलो का रिप्लाइ करना।कोई काम की बात हो तो कहो।ये बेकार के हाई हेल्लो के लिए मेरे पास टाइम नहीं है।

अमर - नहीं कोई काम तो है नहीं और मैंने ऐसा तो कुछ कहा नहीं जिससे तुम ऐसे कह रही हो।बहनजी
कहते हुए अमर गुसे से पैर पटकते हुए वहां से चला जाता है।

और अपने दोस्तो के पास जाकर बड़बड़ाते हुए कहता है खुद को समझती क्या है मैंने तो बस नॉर्मली हाई हेल्लो कहा और वो फुल ऐटिट्यूड में कहती है मेरे पास हाई हेल्लो के लिए टाइम नहीं है।

अक्षत - क्या हुआ किसकी बात कर रहा है किसने क्या कह दिया तुझे

अमर - और कौन वहीं बहनजी।।नकचढ़ी।।कहीं की

आशीष - क्या बात है तुम कुछ ज्यादा ही उसके बारे में सोच रहे हो।
अब तू तो रहने ही उसके बारे में सोचना मतलब पत्थर पर सर पटकना।बहुत ऐटिट्यूड है उसमे।

अक्षत - तू शांत हो जा।और जाने दे उसे चल कहीं बाहर चलते है ठंडा पीते है तब तेरा मूड सही होगा वैसे भी क्लास है नहीं अब।

अक्षत अमर को वहां से ले जाता है।और सभी बाहर पास ही में बने एक फूड कॉर्नर पर जाते हैं जहां तीनों छक कर कोल्ड ड्रिंक और समौसे का सेवन करते हैं।वहीं मै कॉलेज में रश्मि के साथ पढ़ाई करती हूं।

कुछ ही देर बाद ये लोग भी वापस आ जाते हैं।और मेरे ही सामने पड़ी सीट पर आकर बैठ जाते हैं।लेकिन अब इनके व्यवहार में बदलाव आ गया होता है। चारो अब अपने काम से काम रखते हैं।ये देख कर मुझे भी मन ही मन बेहद खुशी होती है।फाइनली मेरा रूडी होना काम तो आया।मै और रश्मि बुक्स लेकर हॉस्टल निकल जाते हैं।जहां रश्मि मुझे अपनी क्लास के किस्से सुनाती है।जिन्हें सुन सन कर मुझे बहुत हंसी आती है।

खैर दिन इसी तरह निकलते जाते है एक महीना हो जाता है।अमर अक्षत में से किसी ने भी मुझसे बात करने की कोशिश तक नहीं की।

कॉलेज में डांस कोंप्टिशन होने का नोटिस बोर्ड लग जाता है।एकल,ग्रुप, कपल सभी तरह कि विधाओं को शामिल किया गया है।क्यूंकि मै क्लासिकल नृत्य से डिप्लोमा कर रही थी और टीचर्स की उम्मीद में शामिल थी ती मुझे पार्टिसिपेट करना ही था।अब ये मेरे लिए दुविधा वाली बात हो गई।क्यूंकि अगर मैंने प्रतियोगिता में भाग लिया और ये खबर मेरे घर पहुंच गई तो न जाने क्या कहर आयेगा इसका अनुमान लगाना मुश्किल था।वहीं टीचर्स ने कह रखा था कोई बहाना नहीं चलेगा।भाग तो तुम्हे लेना ही पड़ेगा।

मै हॉस्टल के कमरे में यही सोच विचार करने में लगी हुई होती हूं कि तभी रश्मि बाहर से आ जाती है मुझे सोच में डूबा हुआ देख कहती है ज्यादा न सोचो नहीं तो दिमाग की नसे फट जायेगी।

मै बस उसकी बात सुनकर मुस्कुरा देती हूं।और उसके हाल चाल लेती हूं।

रश्मि - हाथ पैर धो पोंछ कर मेरे पास बैठते हुए कहती है मै बिल्कुल बढ़िया हूं।और मेरी टेंशन न लो अब किसी पर इतनी जल्दी भरोसा नहीं करूंगी।अभी तुम अपने हाल सुनाओ।।किन ख्यालातों में खोई हुई थी तुम।।

मै रश्मि को अपनी प्रॉब्लम बताती हूं।यार अब तुम ही कोई आइडिया बताओ।

रश्मि - सच में यार तुम्हारे घरवाले।।कितनी पाबन्दियां लगा रखी है।गाना नहीं गा सकती,नृत्य नहीं कर सकती,किसी लड़के से बात नहीं कर सकती,और हंस कर तो बिल्कुल ही नहीं कुछ कह सकती।बस ये रूडी सा चेहरा लेकर बात करो।यार अब जमाना बदल रहा है जहां लड़के और लड़कियां हर क्षेत्र में साथ मिल कर कार्य कर रहे है।और एक तुम्हारी बंदिशे।।कैसे बर्दाश्त कर रही हो,कहां से आती है इतनी हिम्मत तुममें।।

मै - यार इन सब को छोड़ कोई रास्ता दिख रहा हो तो बता।कोई ऐसा रास्ता जहां लेक्चरर की बातो का सम्मान भी रह जाए और मेरे पेरेंट्स का मान भी।

अभी तो कोई रास्ता नहीं दिख रहा।चल दोनों मिल कर सोचते है तो कुछ न कुछ तिकड़म अवश्य लगा लेंगे।रश्मि की बात सुन कर मुझे हंसी आ जाती है और उससे कहती हूं क्या यार अब बैठ कर सोचेंगे। और ये बैठ कर सोचते कैसे है जरा बताना मुझे।।

रश्मि - बस इसीलिए मैंने कहा ये ।।ताकि तुम सब भूल थोड़ा मुस्कुरा दो।चल आइडिया तो मैंने सोच लिया है और वो ये है कि तुम इस प्रतियोगिता में भाग लो लेकिन बिन अपनी पहचान सामने लाए।जिससे तुम दोनों परिस्थितियों से साफ बाहर निकल आओगी।

रश्मि की बात सुन मै पास ही में पड़ा पिलो उसे मारते हुए कहती हूं हद है।आइडिया दिया भी तक कैसा मरवाने वाला।अरे अब नकली पहचान कैसे लाऊंगी।सब लोग जानते है मुझे मेरे इस चेहरे से।तुम भी न कैसे कैसे कामचोर वाले आइडिया देती हो।

ओह हो मेरी भोली डेस्टिनी।।ये तो मै भी जानती हूं तेरे इस चेहरे को सब जानते हैं।पूरी बात तो सुन ले पहले..अपने लेक्चरर से बात करते है इस परेशानी के विषय में।और मुझे लगता है वो समझेंगे तेरी प्रॉब्लम।।तो तुम उनसे रिक्वेस्ट करना कि वो तुम्हे नाम बदल कर परफॉर्म करने की इजाज़त दे।और साथ में चेहरे पर थोड़ा डिफरेंट मेक अप रखना।अब तुमने अब तक तो कभी आंखो मै काजल तक नहीं रखा और सोचो जब तुम मेकअप कर सबके सामने जाओगी तो देख लेना कोई भी तुम्हे इस चेहरे के साथ भी पहचान नहीं पाएगा।

रश्मि की बात मेरे समझ में आ जाती है।और मै उसे गले लगा कर थैंक यूं कहती हूं।
रश्मि - your welcom dear.

अगले दिन हम दोनों ने जो तय किया था उसके अनुसार कोलेज जा कर सबसे पहले लेक्चरर से मिलते है और फिर उन्हें मै अपनी परेशानी बताती हूं।लेक्चरर अन्य स्टाफ से बात करती है और मुझे परमिशन मिल जाती है।ये जान कर मै बहुत ही खुश होती हूं।मै और रश्मि टीचर्स को धन्यवाद कह वहां से खुशी बाहर आते हैं।

इस प्रतियोगिता मै दूसरे कोलेज के छात्र भी पार्टिसिपेट करने आने वाले हैं ये जान कर मै जी जान से तैयारियों में जुट जाती हूं।मेरे लिए ये एक सुनहरा मौका होता है खुद को साबित करने का। कि हां मै भी अपने सपनों को साकार कर सकती हूं।मेरे अंदर भी प्रतिभा है।

सोलो और ग्रुप दोनों में मेरा नाम लिख दिया जाता है।और उस समय के लिए मै नियति से निया हो जाती हूं।मेरी सारी रिहर्सल बिल्कुल अलग होती है।क्यूंकि मुझे अपनी पहचान जाहिर जो नहीं होने देना है।
वहीं टीचर्स मुझसे कपल फार्म के लिए भी कहते है।तो मै उन्हें अपनी असमर्थता जाहिर कर कारण बताती हूं।

मेरी बात सुन टीचर्स कहते है इसकी टेंशन तुम न लो।तुम बहुत अच्छी डांसर् हो और तुम आसानी से सारे स्टेप कर लोगी।और स्टेप प्रेक्टिस तुम रश्मि के साथ कर लेना।वो तो रिहर्सल में प्रेजेंट रह ही सकती है।
लेक्चरर की बात सुन मै निरुत्तर हो जाती हूं और मुस्कुराते हुए ठीक है कहती हूं।तथा लेक्चरर की परमिशन ले रश्मि के साथ वहां से निकल आती हूं।

धीरे धीरे दिन व्यतीत होते जाते है।रश्मि के साथ मेरी अच्छी प्रेक्टिस हो जाती है।साथ ही अच्छी बॉन्डिंग भी।प्रतियोगिता का दिन भी आ जाता है।

कॉलेज ऑडिटोरियम को बलूंस और फ्लॉवर से डेकोरेट किया गया था।आगे एक परदा पड़ा हुआ था।और उसके पीछे साइड से एक कक्ष होता है जिसमें सभी प्रतिभागी अपनी अपनी प्रस्तुति के लिए तैयार होते हैं।

कॉलेज में मेरी छवि केवल पढ़ाकू वाली ही थी।वहां किसी को इस बात से कोई सरोकार नहीं था कि तुम पढ़ाई से इतर कोई और एक्टिविटी भी करते हो या नहीं।सो इस बात का लाभ मुझे ही मिला।अपना लुक चेंज करने के लिए मै रश्मि की मदद से तैयार हो गई।और अपनी बारी के आने की प्रतीक्षा करने लगी।मै बाकी पार्टिसिपेंट्स के साथ रूम मै बैठी हुई थी कि तभी मेरी नज़र सामने बैठे हुए अमर पर पड़ती है।जो अपने गेट अप में तैयार हुआ बैठा होता है।उसे देख मै शॉक्ड हो जाती हूं। और बरबस ही मुंह से निकल पड़ता है हे अंबे मां।।ये महाशय भी है प्रतियोगिता में।खैर मुझे इससे क्या कौन सा मुझे इसके साथ परफॉर्म करना है।
तभी प्रतियोगिता शुरू होने की घोषणा होती है सरस्वती पूजन के साथ दीप प्रज्वलन किया जाता है और गेस्ट वेलकम करने के लिए जिन छात्राओं ने तैयारी कि थी वो आती है और परफॉर्म करती है।तथा वापस चली जाती है।अगली परफॉर्मेंस लडको की सोलो परफोरेंस होती है जिसमें शामिल होने वाले कॉलेजों से एक एक प्रतियोगी शामिल होता है।
सभी प्रतियोगी स्टेज पर आ जाते है और एक गाना प्ले कर दिया जाता है।एक एक कर कुछ प्रतियोगी रुक जाते है या स्टेप भूल जाते है तो नियमानुसार आउट हो जाते है।लास्ट में केवल दो ही प्रतियोगी बचते है एक हमारे कॉलेज का और एक दूसरे आरबीएस कॉलेज से।अंत में गाना ख़तम हो जाता है और मुकाबला टाई हो जाता है।मै रश्मि से कहती हूं ये देखो शेर पर सवा शेर।।ये अपने कोलेज से तो अमर है और दूसरे कॉलेज से कौन है..

रश्मि - पता नहीं यार कौन है?? खैर अभी पता चल ही जाएगा।।क्यूंकि मुकाबला टाई हो चुका है तो जाहिर है दोनों ही अगले राउंड में पहुंचेंगे और अभी नाम अनाउंस होता है तब सुनते है..

एंकर रिजल्ट घोषित करते हुए कहता है क्यूंकि ये मुकाबला टाई रहा तो एक मुकाबला और होगा अमर और राघव के बीच लेकिन सबसे अंत में।उसमे जो भी विजेता होगा वहीं ब्वॉयज में सोलो विनर रहेगा।

मै - ओह तो ये राघव है। मैं रश्मि से कहती हूं।लड़कियों के लिए प्रतियोगिता का अनाउंस हो जाता है सब के साथ मुझे भी परफॉर्म करना होता है।गाना प्ले होता है और अंत तक केवल मै ही खड़ी होकर परफॉर्म कर थी होती हम तो विनर भी बन जाती हूं।

मै जाकर कॉमन रूम में चली जाती हूं जहां बाकी के कोलेज के स्टूडेंट भी होते है।वहीं मौजूद होता है राघव।मुझे देख मेरे पास आता है और कहता है
mis Niya nice performance..

मै बस थैंक्स कहती हूं और जाकर एक तरफ़ बैठ जाती हूं।अमर जो है वो काफी देर से मेरी तरफ देख रहा होता है शायद पहचानने की कोशिश कर रहा होता है। जैसे ही मेरी नज़र उस पर पड़ती हे वो मुंह फेर लेता है और अनजान बन बैठ जाता है।

फिर कुछ सोच कर मेरे पास आता है और कहता है आप बहुत अच्छा नृत्य करती है।

मै - शुक्रिया।।
अमर - वैसे आप इसी कोलेज से है और मैंने आपको इस कोलेज में अभी तक देखा नहीं है।

मै (मन ही मन) ओह गॉड कहां फंस गई मै।अब अगर रफली बात करे तो प्रॉब्लम न करे तो परेशानी। अब यहां सबके लिए निया हूं मै।नियति की तरह बात करूंगी तो पकड़ी जाऊंगी।अब चेंजेस तो खुद में लाने ही होंगे।वो कहावत है न आगे कुआं पीछे खाई।इस समय बिल्कुल सटीक बैठ रहा है मुझ पर।

खैर अब जवाब तो देना ही पड़ेगा सोच मै कहती हूं वो इसीलिए क्यूंकि हम प्राइवेट स्टूडेंट है।रेगुलर में नहीं शामिल है न प्रतियोगिता के बारे में पता चला तो भाग लेने के लिए आ गई।

अमर - चलिए बहुत अच्छी बात है।all the best

मै - थैंक यू।।
अमर - अच्छा सोलो के अतिरिक्त भी आपकी और परफॉर्मेंस होगी।

मै (बेमन से) - जी है।अब इससे पहले वो कुछ और बारे बना पूछता मैंने खुद से बता दिया सोलो तो हो गई,अब कपल परफॉर्मेंस होनी है उसके बाद ग्रुप कपल।।

अमर - हां सो तो है।कपल परफॉर्मेंस में न जाने किसके साथ डांस करने के लिए कहे।कितना मुश्किल है ने किसी अजनबी के साथ ताल से ताल मिला रिदम पकड़ना।लेकिन प्रतियोगिता है करना तो होगा ही।

मै - हमम ये तो है प्रतियोगिता है तो करना ही पड़ेगा।
जवाब तो देती जा रही होती थी लेकिन मन ही मन कह रही थी कितना बोलता है जी कर रहा है अभी इससे सख्ती से चुप होने के लिए कह दूं...लेकिन नहीं कह पाई।और होठों पर मुस्कुराहट लिए बैठी रही और उसकी बातो का जवाब देती रही..

मैं ऊपर से खुशी जताती हूँ वहीं अंदर से मन ही मन कुढ़ रही होती हूं।वहीं अमर अपनी बातों में लगा हुआ होता है।

अमर - अब मेरी प्रस्तुति का समय आ गया तुम देखना और मुझे बताना कैसा किया मैंने।

मैं - हां हां बिल्कुल।जज जो हूँ मै इसी काम के लिए तो यहां बैठी हुई मैं।चिपकू कहीं का।मन ही मन सौ बाते सुना जाती हूँ और ऊपरी ऊपर ही ही ही 🙂🙂 कर ऑल द बेस्ट कहती हूँ।अमर चला जाता है उसकी प्रस्तुति शुरू होने वाली होती है जो कपल फॉर्म होता है।अमर स्टेज पर जाकर बाकी प्रतियोगी के साथ खड़ा होता है और अपने डांस पार्टनर का इंतज़ार करने लगता है। तभी डांस पार्टनर के नाम की घोषणा होने लगती है।जिनमे मेरा नाम अमर के डांस पार्टनर के रूप में घोषित किया जाता है।ये सुन कर और मेरी बैंड बज जाती है।मैं मन ही मन माता रानी से कहती हूँ ये करना जरूरी था क्या। ये क्या कम शॉकिंग था कि वो चिपकू भाग ले रहा है उस पर ये मेरा ही डांस पार्टनर बनाना अब और भी कुछ बाकी रह गया है तो वो भी कर दो।कहते हुए बुरा सा फेस बना मैं स्टेज पर पहुंचती हूँ।मुझे देख उसके चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कुराहट आ जाती है।जिसे देख मैं और कुढ़ जाती हूँ।खैर गाना शुरू होता है ..
साथ ही साथ हमारा डांस परफॉर्मन्स भी। जिसे करते हुए मैं और अमर दोनों ही खो जाते हैं।मैं सब कुछ भूल केवल प्रतियोगिता है ये याद रखती हूं और एक परफेक्ट कपल की तरह ताल से ताल मिला कर पूरे मन से उस गाने पर परफॉर्म करती हूं।उस गाने को करते हुए हम दोनों ही एक दूजे की आंखों में देखने लगते है और देखते ही देखते गाने में डूब जाते हैं।सभी प्रतियोगी धीरे धीरे रुक जाते है और साइड से खड़े होकर हमारी परफॉर्मन्स देखने लगते है।मेरे लिए ये पहली बार होता है जब मैं किसी के साथ इस तरह सबके सामने डांस प्रतियोगिता में भाग लेती हूं।गाना खत्म हो जाता है जिसके साथ ही शुरू होती है तालियों की गड़गड़ाहट की मन मोहक आवाज़।

जिसे सुन कर मेरा रोम रोम खिल उठता है।हमारी परफॉर्मन्स को पूरे के पूरे मार्क्स मिलते है और कपल परफॉर्मर का विनर घोषित कर दिया जाता है।

उस दिन पहली बार अमर को लेकर मेरे मन मे कुछ अच्छे विचार आते है और मैं उसे थैंक्स कहती हूँ।जिसे सुन अमर कहता अरे मिस निया थैंक्स काहे आप अकेली थोड़े ही जीती हो।साथ मे मैं भी जीत गया हूँ।

मैं - हम वो तो है।मैं और अमर स्टेज से नीचे आ जाते हैं।मैं रूम में चली जाती हूँ जहां रश्मि मुझे धीरे से कांग्रेचुलेशन नियति कहती है जिसे केवल मैं ही सुन पाती हूँ।

रश्मि - यार नियति अगर बुरा न माने तो एक बात कहूँ मैं।

मैं - नियति नही निया किसी ने सुन लिया तो प्रॉब्लम हो जानी है।

रश्मि - हम्म सॉरी सॉरी।।निया।।मुझे ये कहना है कि तुम डांसर कमाल की हो।कितनी खूबसूरती से कपल डांस की प्रस्तुति दी रिदम और ताल सब कमाल के पकड़े।तुम दोनों को देखकर ऐसा लगा ही नही कि तुम दोनों अजनबी हो और तुम्हे उससे किसी तरह की कोई प्रॉब्लम हो।एक दम परफेक्ट कपल की तरह डांस कर रहे थे खोये खोये रहकर।

तू बस ज्यादा कुछ न सोच अपने दिमाग मे।जो होना था सो हो गया है न।अब अगली प्रस्तुति पर ध्यान देते है जो है सोलो लेकिन होगी कपल की तरह जिसमे पार्टनर चेंजेस होते रहेंगे।अंत मे जो व्यक्ति बिन रिदम खोये ताल पकड़े रखेगा वही तो जीतेगा।बॉयज और गर्ल्स दोनों में अलग अलग।

हम्म वो तो है यार।ये तो अब तक की सबसे टफ विधि है।लेकिन मुझे यकीन है तुम कर लोगी।वो भी सबसे अच्छे से।

मैं - थैंक यू रश्मि।बड़ी हिम्मत मिली तुम्हारी बातो से।खैर अभी अगला टास्क शुरू होने में समय था तो मैं अपनी रिहर्सल वही खड़े होकर करने लगी।मुझे रिहर्सल करते हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई अनजानी नज़रे मेरा पीछा कर रही हो।मैंने चारो ओर सरसरी निगाहों से देखा लेकिन मुझे ऐसा कोई नज़र नही आया। मैं फिर से अपनी प्रैक्टिस करने लगी।न जाने क्यों रह रहकर ये ख्याल मेरे मन मे आ रहा था कि कोई तो है यहां जो चुपके से देख रहा हो लेकिन है कौन वो ये नही नज़र आ रहा था।मैंने रश्मि से कहा कि मुझे उससे कुछ बात करनी है जरा साइड से चले।रश्मि के साथ मै एक कोने में चली जाती हूँ और वहां से चारो ओर एक सरसरी निगाह डालती हूँ ये देख रश्मि मेरी चिकोटी काटते हुए कहती है क्या हुआ कहाँ खोई हुई हुई हूं मैं।उसकी आवाज़ सुन कर मैं उसे चुप रहने का इशारा करती हूं और खिड़की तरफ देखने के लिए कहती हूँ जहां राघव खड़े खड़े चोर नज़रो से देख रहा होता है ये देख मुझे थोड़ा गुस्सा आ जाता है और खुद से ही बड़बड़ाते हुए कहती हूँ अम्बे मैया एक कम था क्या जो आपने दूसरे के सामने ला खड़ा कर दिया।मैं उससे कुछ नही कहती लेकिन वही कोने में ही डेरा जमाकर रश्मि के साथ वहीं बैठ जाती हूँ।रश्मि समझ कर कहती है डोंट वरी ही इज अ नाइस गाइ!! i know him. राघव वहां से अपने स्कूल के छात्रों के पास चला जाता है।

मैं उसकी बातों से हैरान हो पूछती हूं तुम उसे जानती हो।लेकिन कैसे?बताओ तो..

रश्मि अरे मैं इसे नही जानती हूं बस इसका स्वभाव देख कह दिया।

मैं - ना रश्मि।सिर्फ स्वभाव देख कर तो तुम नही कहोगी यू नो हिम।अब बताना चाहो तो बता दो नही तो रहने दो तुम्हारी मर्ज़ी।।

ओह गॉड तुम्हारा ये इमोशनल अत्याचार।बहुत बदल गयी हो तुम।रंग गयी हो आगरा के रंग ढंग में।

उसकी बात सुन मैं उसे झिड़कते हुए कहती हूँ हां हां लेकिन इतनी भी नही,चल कोई नही, नही बताना तो कोई बात नही।अब प्रस्तुति शुरू होने वाली है चलो देखते है कितना और समय लगेगा।

मैं और रश्मि दोनों ही कमरे के दरवाजे पर आ जाते हैं।तभी घोषणा हो जाती है।आखिरी विधा के सभी प्रतियोगीयो को स्टेज पर बुलाया जाता है।मैं अमर,राघव,सुचिता सभी स्टेज पर पहुंच जाते है।जहां एक बार फिर से मुझे अपना बेस्ट देना होता है।
सांग शुरू हो जाता है...जो राम लीला फ़िल्म का ढोल बाजे सांग होता है।

इस गाने पर डांस करते हुए सभी को कुछ ही स्टेप्स में अपना पार्टनर बदलना होता था और बिना रिदम गवांए बीट पकड़नी होती थी।तथा जो एक बार भी रुक गया उसे बाहर हो जाना था धीरे धीरे सिर्फ चार ही कंटेस्टंट रह गए।सभी बाहर हो गए।और गाने के कुछ अंतिम बोल ही शेष रह गए।

तभी एक और लड़की जो हम चारो में होती है वो गाने के धुन के हिसाब से घूमते हुए जैसे ही स्टेप्स करती है न जाने कैसे अपने ही कपड़ो में उलझ जाती है और सम्हलने के लिए खड़ी हो जाती है।और प्रतियोगिता से बाहर हो जाती है।वही अब मैं अमर और राघव ये तीनों रह जाते हैं।मैं अपने स्टेप्स पूरे मन से कर रही होती हूँ।वहीं राघव और अमर भी जीतने के लिए अपने दिल दिमाग को एकत्रित कर पूर्ण रूप से लगे हुए होते है।अमर अच्छा कर रहा होता है कि तभी उसका ध्यान भटक जाता है और वो स्टेप भूल जाता है तथा बाहर हो जाता है।प्रतियोगिता खत्म हो जाती है राघव और मैं विनर घोषित हो जाते हैं।

प्रतियोगिता समाप्त हो जाती है।सभी प्रथम द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले को पुरुस्कार प्रदान किया जाता है।वहीं अमर को न जाने क्यों राघव से एक असुरक्षा का एहसास होता है।वो इस परिणाम से प्रसन्न नही होता है।लेकिन टीचर्स का सम्मान करते हुए पुरुस्कार ग्रहण कर लेता है।और बाहर आकर आशीष को पुरुस्कार पकड़ा देता है तथा खुद गुस्से से इधर से उधर राउंड लगाने लगता है।

अक्षत अमर से कहता है गुस्सा करने से क्या लाभ है यार जो हो गया उसे जाने दो। राघव से तुम्हे हारने से दुख क्यों हो रहा है।तुम्हे शायद पता नही है डांस उसका पैशन है।और डांसिंग में उसे शायद ही कोई बीट कर पाए।

तुम बोल तो ऐसे रहे हो जैसे उसे बहुत अच्छे से जानते हो।

अक्षत - हां जानता ही तो हूं।आखिर स्कूलिंग को साथ कि है हमने।वो तो कॉलेज सेम नही मिल पाया नही तो दोनों कॉलेज भी साथ ही करते।

अच्छी बात है यार।तुम और तुम्हारा दोस्त।खैर मैं अब घर जा रहा हूँ।कल मिलते है।कहते हुए अमर वहां से निकल जाता है और अक्षत राघव के पास चला जाता है।

राघव जो अपने कॉलेज के छात्रों के साथ बातचीत में व्यस्त होता है।अक्षत राघव के पास पहुंच जाता है और हेल्लो कह उसका ध्यान अपनी ओर खींचता है।
अपने प्रिय दोस्त की आवाज़ सुन राघव मुड़कर देखता है अक्षत को देख उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कुराहट आ जाती है और वो सबके बीच से निकल अक्षत के पास आकर उसके गले लगता है।और कहता है अक्षत मेरे भाई।क्या हाल चाल!! आखिर याद आ ही गई दोस्त की☺️☺️। कह तो तुम ऐसे रहे हो जैसे तुम्हे भूल ही गया था।अरे उस समय प्रतियोगिता चल रही थी न।अगर आकर मिलता और कोई देख लेता तो लिए समझता कि इसी ने चुगली कि है हमारे कोलेज की ...☺️ समझा कर यार।।अक्षत राघव के कंधे से होकर गले में बांह डालते हुए कहता है।

राघव - अच्छा।।सच में!! रियली।।मैंने तो ऐसे सोचा ही नहीं।चल मान ली तेरी बात।और बता क्या चल रहा है।
अक्षत - वहीं सब रूटीन।। कॉलेज,कोचिंग,और घर।।दोस्त।।खैर तू बता ऐसे कहां व्यस्त हो गया
तू तो अब मेरी गली में आना ही भूल गया। मां याद किया करती है तुझे!!बोलती है बहुत दिन हो गए राघव घर नहीं आया क्या बात है सब बढ़िया तो है!!
अब मां को कौन समझाए अपना राघव तो बहुत व्यस्त हो गया है!!

नहीं रे ऐसा कुछ नहीं है बस लाईफ है तो व्यस्तता तो रहती ही है।खैर आंटी से कहना जल्द ही आऊंगा।
अच्छा ये बता तुम मिस निया को जानते हो वो ही जो सोलो में गर्ल्स में विनर है।अच्छी डांसर है वो।राघव ने पूछा।

अक्षत - नहीं यार मै तो नहीं जानता।न जाने कहां से अचानक प्रकट हो गई।।और जीत भी गई।अमर की बातचीत हुई है उससे वो शायद जानता होगा।

राघव - चल ठीक है।अच्छा अब मै चलता हूं।शाम को मिलते हैं वहीं अपने अड्डे पर। डोंट बी लेट!! माय डियर।

या।। व्हाई नॉट!! कह दोनों हंस देते है और राघव वहां से अपने कॉलेज कि बस में सबके साथ निकल जाता है।

मै रश्मि और मैडम जी के साथ स्टाफ रूम में जाती हूं और वहां पर सब लीपापोती जो कि गई थी चेहरे पर हटाती हूं और चेंज कर लेती हूं।रश्मि बाहर गेट पर खड़े होकर देखती है मैदान साफ है तो मुझे बाहर आने को कहती है हम दोनों अपना बेग पकड़े बाहर सबके पास आ जाती हैं और मैडम जी को धन्यवाद कह हॉस्टल के लिए निकल जाती है।हम दोनों ही इस बात से अनजान होती है कि हमारी चोरी पकड़ी गई है और पकड़ने वाला कोई और नहीं अमर ही होता है।

हॉस्टल में ---

वार्डन - तुम दोनों इतना देर से क्यों आ रही हो!! तुम्हारी तो परफॉर्मेंस नहीं थी न।आज तो तुम्हारे खाने का समय भी निकल गया।।ये भी याद नहीं रहा।।अब रहना पड़ेगा पूरे दिन भूखे!!

वार्डन की बात सुन कर पहले तो मै और रश्मि आपस में देख स्माइल करते है बाद में सीरियस होकर कहती हैं ओह गॉड यानी अब हमें खाना अगले दिन ही मिलेगा।। हे माता रानी अब तो चूहे कूदेंगे पेट में सारी रात।।और इनकी वजह से हम दोनों ही चैन से से नहीं पाएंगे।उपर ही उपर तो ये ड्रामा कर रही होती हैं और दोनों एक दूजे की आंखो में देख मुस्कुरा लेती है।

वार्डन हम दोनों की नौटंकी देख कहती है तुम दोनों फिर से ड्रामा शुरू कर दी।कोई असर ही नहीं होता मेरी डांट का तुम पर।

वार्डन की बात सुन मै मस्ती छोड़ उनसे कहती हूं मुझे पता है आंटीजी आप हम सब के भले के लिए ही कह रही हो।आप चिंता न कीजिए हम दोनों ने खाना खा लिया है।और देरी के लिए माफी चाहते है हम बस कोलेज के फंक्शन में व्यस्त थे इसीलिए देर हो गई।अब इतने दिनों में भला कभी लेट हुए है हम।

चलो ठीक है तुम जाओ अंदर वार्डन भी मुस्कुराते हुए हम दोनों से कहती है।और हम दोनों ही अंदर अपने कमरे में चली जाती हैं।वहां जाकर मै पुरस्कार अलमारी में रख देती हूं और हाथ मुंह धो कर फ्रेश हो जाती हूं।
अगले दिन हम दोनों ही कॉलेज जाते है। कॉलेज में अमर अक्षत आशीष और सुचिता चारो गेट पर ही बैठे हुए होते है।जैसे ही मै दरवाजे से निकलती हूं अमर अक्षत से कहता है यार कल जो लड़की जीती थी न प्रतियोगिता! क्या कमाल का डांस कर रही थी।वैसे मुझे देख कर यकीन नहीं हुआ कि ये वही सीधी साधी बंदी थी जो कॉलेज में लडको से दूर भागती है।बात करनी तो दूर देखती तलक नहीं है।क्या, अरे अक्षत क्या नाम था उसका नाम स्लिप हो गया टंग से..वो क्या.....नाम था ... हां निया और पूरा नाम मिस नियति कपूर...!

उसके मुंह से अपना नाम सुनकर मै वहीं की वहीं रुक जाती हूं और मुड़कर अमर की तरफ देखने लगती हूं
अमर की बात सुन सभी दोस्त हैरान रह जाते है और मेरी तरफ देखने लगते हैं..

अमर ऐसे हैरानी से मत देखो नियति जी..कल जब मिस निया रश्मि के साथ स्टाफ रूम में गई थी और निकल कर रश्मि के साथ नियति आई तब मुझे पता चला कि वो तुम हो।और तुम्हारा सीक्रेट भी।

ये बात सुन मेरे पसीने छूट जाते है और मै खड़े खड़े कांपने लगती हूं।जिसे देख अमर कहता है अरे अरे मिस नियति डरो नहीं मै ये सीक्रेट किसी को नहीं बताऊंगा और न ही मेरे दोस्तो में से कोई कुछ बोलेगा।बस एक शर्त है मेरी जिसे अगर तुम मान लो तो।
ये सुन कर तो और ही बुरा हाल ही गया मेरा न जाने क्या बोलेगा करने को न जाने क्या मांग ले शर्त में.. हे अंबे मां, अब तो आप ही का सहारा है मन ही मन माता रानी को मनाते हुए मै धीरे से पूछती हूं ..जी आपकी वो शर्त है क्या..।बताइए अगर मानने वाली होगी तो जरूर मानूंगी।

अमर ये सुन हंस पड़ता है और कहता है लो चाबी मेरे हाथ में है फिर भी गुड़िया अपने मन से चलना चाहती है।मिस नियति मानने से क्या तात्पर्य है आपका,अब आपको कोई आग पर चलने को थोड़े ही कहूंगा बस यही कहना है कि तुम भी हमारे फ्रेंड ग्रुप में शामिल हो जाओ बस।तुम्हारा स्वभाव मुझे अच्छा लगता है तो बस तुमसे दोस्ती करना चाहता हूं पहले ही दिन से।। लेकिन तुमने दोस्ती तो दूर बात तक नहीं की ढंग से तो अब मुझसे दोस्ती कर मेरी अच्छी वाली फ्रेंड बन जाओ न।वो कहते है न बेस्टी।।बस वही।अमर की बाते मेरी कुछ तो समझ में आ रही थी लेकिन ये बेस्टी का क्या माजरा है ये समझ नहीं आया तो मै रश्मि से पूछती हूं इस बारे में।

रश्मि कहती है बेस्टी मतलब सबसे अच्छी लड़की दोस्त।ओह फिर मै धीरे से अमर से कहती हूं ठीक है लेकिन एक बात मेरी भी माननी पड़ेगी..और वो ये कि मै कॉलेज में बस नॉर्मली हाई हेल्लो ही कर पाऊंगी उससे ज्यादा नहीं।बस यूं समझ लो लड़के दोस्त बनाना मुझे अलाउ नहीं है।
एक लाइन में मै अपनी सारी बात कह देती हूं लेकिन अमर फिर भी इस बात को एक्सेप्ट कर लेता है और इस तरह हमारी दोस्ती की शुरुआत हो जाती है।
अमर इसी खुशी में हाथ आगे बढ़ाते हुए फिल्मी अंदाज़ में कहता है हाई मै अमर प्रताप सिंह, आगरा कॉलेज से इतिहास विषय का छात्र इसी वर्ष एडमिशन लिया है मैंने और आप..

अमर की इस हरकत से मुझे हंसी तो बहुत आ रही होती है लेकिन हंसी को कंट्रोल कर अपने दोनों हाथ जोड़ कहती हूं !.. जी नमस्ते।।मेरा नाम नियति कपूर।सेम कॉलेज से इतिहास विषय की ही छात्रा।।

जिसे देख अमर मुस्कुरा देता है और हाथ पीछे कर दोनों हाथ जोड़ नमस्ते करता है।मै उसे बोल वहां से चली जाती हूं।

अक्षत - खुश अब तो दोस्ती हो गई न उससे।बस ध्यान रखना कि उसे कोई प्रॉब्लम न हो।क्यूंकि ये लड़की दूसरो के जैसी नहीं है, चतुर चंट चालाक।।ये तो सीधी सादी और सिम्पल है।यानी सादा जीवन उच्च विचार सिद्धांत को अपनाने वाली।तो बस इसके दिल से मत खेलना मेरे भाई।नहीं तो मै तुझे माफ नहीं करूंगा।

जस्ट चिल यार।।मै जानता हूं ये कैसी लड़की है।।इतना तो एक्सपीरिएंस हो है गया है मुझे।और डोंट वरी इसे देख कर मन में एक अलग ही फीलिंग आती है।

अक्षत - चल ठीक है बाकी मै तो हूं ही तुझ पर नजर रखने के लिए।।वैसे पारो का क्या हुआ।।उससे पीछा छुड़ा लिया न।।(पारो अमर की एक्स गर्लफ्रेंड जिससे अमर ब्रेक अप चाहता था लेकिन पारो नहीं)

हां यार लगभग।बस थोड़ा टाइम और फिर ये पारो नाम की चिपकन निकल जाएगी।कितना चिपकती है यार।। जानू जानू कह कर।

चल कोई नहीं अब सुधर जा बहुत एन्जॉय कर लिया लाईफ में अब किसी एक अच्छी बंदी को चुन थोड़ा एक दूसरे को समझो डेट वेट करो,और सेटल हो जाओ। एक महीने से देख रहा हूं तुम्हे..अक्षत अमर को समझाते हुए कहता है।

अमर - बस कर मेरे भाई।।अब मान लूंगा तेरी बात।चले अब क्लास में नहीं तो तुम्हारे लेक्चर के चक्कर में प्रोफेसर का लेक्चर मिस हो जाएगा। हमम कहते हुए सभी क्लास में चले जाते हैं।दिन व्यतीत होते जाते है और इन बीते दिनों में हमने बहुत कम बाते की होती है बस नॉर्मली हाई हेल्लो।हाऊ आर यू.. बस।क्यूंकि एक डर हमेशा मेरे मन में रहता था ज्यादा बात करूंगी तो मुस्कुरा दूंगी और पिताजी के हिसाब से किसी लड़के से हंस कर बात करी भी तो कॉलेज बन्द करा देंगे।और उन्होंने साफ साफ कह ही रखा है मेरे जानने वाले है इस कोलेज में।तुम्हारे हर पल की खबर रहेगी मेरे पास।कुछ भी उल्टा सीधा सुनने में आया तो खैर नहीं।

एक दिन रश्मि हॉस्टल में मुझे अपना मोबाइल फोन देते हुए कहती है।निया ये लो मेरा पुराना विंडो फोन अब तुम इसे इस्तेमाल कर लिया करो।मुझे पापा ने नया दिलवा दिया है।ये देखो कहते हुए रश्मि एक चमचमाती हुई स्क्रीन वाला फोन मुझे दिखाती है।

मै उसे मना कर देती हूं।क्यूंकि मुझे उपयोग करना ही नहीं आता।और मुझे आवश्यकता भी नहीं है यार।घर पता चल गया तो बहुत प्रॉब्लम हो जानी है।

रश्मि मुझे डांटते हुए कहती है कितना डरती हो आधुनिक हो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना सीखो और कोई चोरी तो नहीं कर रही हो तुम। हर चीज का उपयोग अच्छा और बुरा दोनों तरह से किया जाता है।ये हमारे उपर है हम कौन सा रास्ता चुनते हैं।

बात ये नहीं है बात ये है कि मैंने आज तक कोई ऐसा कार्य नहीं किया जिसे घर वालो से छुपाना पड़े।फिर क्यों मै ये कार्य करूं।और गलत गलत ही होता है इसीलिए नहीं यार मै नहीं ले सकती सॉरी।

रश्मि - ठीक है ये रखा है फोन।अगर मन करे तो चलाना सीख लेना।मै सिखा दूंगी तुम्हे।

और तुम घर कब जा रही हो।बोल रही थी तुम घर जाने के लिए कि कुछ एक दिन में तुम्हे घर जाना होगा काफी समय हो गया है घर से आए हुए तो घर जाना चाहती हो तुम...काश !! घर जाकर ऐसा चमत्कार हो जाए कि तुम्हारे पापाजी खुद तुम्हे एक मोबाइल फोन गिफ्ट कर दे !☺️ रश्मि एक लम्बी सांस छोड़ते हुए कहती है।

मै - हां यार।।आज शाम को ही चार बजे से।पापाजी का ड्राइवर आ जाएगा तभी जाऊंगी।और कल सुबह क्लास के टाइम पर आ भी जाऊंगी।और ये चमत्कार मेरे साथ नहीं होना मुझे अच्छे से पता है अपनी फैमिली के बारे में।

ओके कह रश्मि फोन रख अपने कार्य में लग जाती है और मै अध्ययन में।शाम हो जाती है ड्राइवर आ जाता है और मै रश्मि को ध्यान रखने का कह उसे बाय बोल घर के लिए निकल जाती हूं।

क्रमशः...