👉 *माँ तो माँ होती है*
*आज फिर से साहब का दिमाग उचट गया था ऑफिस में! बाहर बारिश हो रही थी,* मन किया कि पास वाले ढाबे पर चलकर कुछ खाया जाए! सो ऑफिस का काम फटाफट निपटा कर पहुँच गए साहब ढाबे में!
*रामू दौड़ता हुआ आया, हाथ में पानी का गिलास मेज पर रखते हुए साहब को नमस्ते की और बोला "क्या बात है साहब काफी दिनों बाद आये हैं आज आप ?"*
"हाँ रामू , मैं शहर से बाहर गया था!" साहब ने जबाब दिया!
"आप बैठो साहब, मैं आपके लिए कुछ खाने को लाता हूँ!"
*वो एक साधारण सा ढाबा था, मगर पता नहीं इतने बड़े साहब को वंहा आना बड़ा ही अच्छा लगता था!* साहब को कुछ भी आर्डर देने की जरुरत नहीं पड़ती थी, बल्कि उनका मनपसंद भोजन अपने आप ही रामू ले आता था! स्वाद भी बहुत भाता था साहब को यहां के खाने का! पता नहीं रामू को कैसे पता लग जाता था की साहब को कब क्या अच्छा लगेगा! और पैसे भी काफी कम लगते थे यहां पर!
*साहब बैठे सोच ही रहे थे की चिर-परिचित पकोड़ों की खुशबु से साहब हर्षित हो गए!*
"अरे रामू, तू बड़ा जादूगर है रे! इस मौसम में इससे अच्छा और कुछ हो ही नहीं सकता है!" साहब पकोड़े खाते हुए बोले!
*"अरे साहब, पैट भर के खाईयेगा, इसके बाद अदरक वाली चाय भी लाता हूँ!" रामू बोला!*
साहब का मूड एकदम फ्रेश हो गया था!
*"देखो आज मैं तुम्हारे ढाबे के कुक से मिलकर ही जाऊँगा, बड़ा ही अच्छा खाना बनाता है वो!" साहब ने फिर से अपनी पुरानी जिद्द दोहरा दी!*
हर बार रामू टाल देता था, मगर आज साहब ने भी जिद्द पकड़ ली थी कि रसोइये से मिलकर ही रहूँगा, उसका शुक्रिया अदा करूँगा!
साहब जबरदस्ती रसोई में घुस गए! *आज रामू की एक ना चल पायी!*
*अंदर का नजारा साहब ने देखा की एक बूढी सी औरत चाय बना रही थी, वो बहुत खुश थी!*
"माँ" साहब के मुंह से निकला,
*"मैने तो आपको वृद्धाश्रम में डाल दिया था.....!"*
"हाँ बेटा, मगर जो सुख मेरे को यहाँ तुझे खाना खिला कर मिलता है वो वहां नहीं है!"
*आज साहब को पता लग गया कि रामू को उसकी पसंद की डिशेज कैसे पता है और वहां पर पैसे कम क्यों लगते हैं!*
🌹
આમ વિચારીયે તો છૂટાછેડા લઇએ તો સામે વાલા ને પૈસા આપવા પડે અને જે માતાપિતા એ જન્મ આપ્યો હોય તે માતાપિતા ને કાઢીમૂકીને તેનું ઘર લયી લેવા માં આવે, ઘણીવાર તો તેરની બધી સંપત્તિ તેના નામ પર કરી લે, આ માટે નો છૂટાછેડા જેવો નિયમ હોવો જોઈએ તમે કઈ માનતા હોય તો નીચે કૉમેન્ટબીક્સ માં લખો, પણ અલનને આપણા માટે જ time એટલે કે સમય નથી, જેને કાનો માત્ર ના હોય એટલે કે શરમ પણ ના આવે. અને નિર્યણ તરત જ લયી લેવામાં આવે. કાના માત્ર વગર ના બધાજ શબ્દો કઈંક શીખવાડે છે અને ઝઘડો પણ કરાવે છે જેવી રીતે શરમ, તરત, સમય, નમન, લગન, ગરજ, ગમન, અમન, ગગન, પરખ ચેક કરી જુઓ.
સાચું કહું તો આ બધાં માંથી બહાર નીકળવા લોકો દારૂ અને દવા નો ઉપયોગ કરે છે પણ પોતાની સાથે ગહન થયી ને મનન કરે તી બધી વિટંબણાઓ નો અંત આવે. વિચારો....
આશિષ shah
#MADwAJS
9825219458