पहली माचिस की तीली
अध्याय 8
कोर्ट के बाहर हमेशा की अपेक्षा बहुत भीड़ थी। राजनीतिक दल के लोग, पत्रकार, तमाशा देखने आए जनसमूह.....
सरवन पेरूमाल ठीक 11:00 बजे न्यायाधीश के कुर्सी पर आकर बैठ गए।
जोर-जोर से बात करने वाले लोग शांत हो गए।
सरवन पेरूमाल सब पर एक नजर डाल कर जजमेंट के कॉपी को उठाकर धीमी आवाज में पढ़ना शुरू किया।
वादी-प्रतिवादी के बारे में 4-5 पैराग्राफ पढ़ने के बाद फैसले की तरफ आए।
"सुरेश, की आयु 20 साल, कमल कुमार, की उम्र 23 साल, एल्बोस की उम्र 24 साल। इन तीनों ने दमयंती नाम के कॉलेज की छात्रा के साथ बलात्कार कर फिर उसकी हत्या की | उन्हें दोषी मानकर उन्हें न्याय देवी के सामने खड़ा किया हैं । इस हत्या के संबंध में प्रॉसीक्यूशन की तरफ से बहुत सारे सबूत इकट्ठा कर उनसे पूछताछ किया। पर कोई एक बात नहीं बोला। सबसे बड़ी बात तो उन्हें करते हुए देखने वाला कोई भी आईविटनेस नहीं था । यह बात दोषी के पक्ष में है। बलात्कार हुआ है डॉक्टर की रिपोर्ट भी साफ नहीं है।
कोर्ट में एकदम पिन ड्रॉप साइलेंस था - सरवन पेरूमाल आगे कहने लगे।
"इस कारण दोषी ठहराए गए सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस तीनो लोग दमयंती नाम की छात्रा के साथ बलात्कार कर हत्या की पुलिस ने जो इल्जाम लगाया है वह कमजोर दिखता है। इसी को कारण मान कर दोषी तीनों युवाओं को छोड़ने का यह कोर्ट फैसला सुनाती है।"
फैसला सुना कर सरवन पेरुमाल उठ कर जाते ही राजनीतिक पक्ष के लोगों ने तालियां बजाई। 5-6 जने भाग कर जा कर उन तीनों युवाओं को माला पहना कर उठा लिया।
घोषणा करने लगे।
"सही फैसला न्यायाधीश जिंदाबाद!"
"जिंदाबाद...!
"धर्म की...
"जीत हुई..."
"कानून..."
"बच गया..."
सरवन पेरुमाल अपने कोर्ट के निजी कमरे में जाकर कुर्सी पर आराम से बैठे तब -
टेलीफोन बजा।
रिसीवर को उठाया। दूसरी तरफ से पंढरीनाथ बात कर रहे थे।
"धन्यवाद जज सर..."
सरवन पेरूमाल हंसे।
"इन सब के लिए कोई धन्यवाद देना है क्या...?" जीवन आरंभ करने के आयु में वे तीनों युवा थे। प्रॉसीक्यूशन की तरफ से भी ठीक से दोष को साबित नहीं कर पाए। कोई आईविटनेस भी नहीं था। इस केस को मैं नहीं देखता कोई भी जज देखते तो यही फैसला देता...."
"एस. जी. ने आपको अलग तरीके से धन्यवाद देने को बोला.... मैं आज फिर से शाम को आपके घर पर आकर ... मिलूंगा...."
"घर पर मत आओ पंढरीनाथ...."
"क्यों..
"मैंने यह जो फैसला दिया है उसमें वे लोग तृप्त नहीं हुए। उन लोगों की थोड़ी सी नाराजगी हैं..."
"ऐसा है तो नहीं। आप ही एस.जी के घर आ जाइएगा....?"
"कब आऊं....?"
"आज रात को 7:00 बजे के बाद आइएगा। हाथों हाथ बाकी रकम भी ले लीजिएगा।"
"कोई देख ले तो...?"
"कौन देखेगा...?
"पत्रकार देख ले तो बड़ी बात हो जाएगी पंढरीनाथ....! इन पत्रकारों से फंस जाएं तो मान-सम्मान चला जाएगा.... दो साल पहले जज श्याम मूर्ति की एक केस में फंसकर क्या दुर्गति हुई थी आपको याद नहीं....?"
"अच्छी तरह याद है...."
"फिर....?"
"ठीक है.... कल सुबह अर्ली मॉर्निंग आप वाकिंग जाते हो तब कार में आकर एस.जी. साहब आपसे मिलेंगे।"
"कौन सी जगह....?"
"न्यू पार्क रोड..."
"ठीक...."
सरवन पेरूमाल रिसीवर को रखते ही उनका कार ड्राइवर कृष्णन अंदर आया।
"साहब....!"
"क्या बात है कृष्णन....?"
"अपनी कार के आगे के सीट में यह लिफाफा था....?"
"लिफाफा...?
"हां साहब...."
सरवन पेरूमाल उस लिफाफे को लेकर खोला।
जज स.पे. उनके लिए,
आपके पूरे नाम को लिखना मेरे पेन को पसंद नहीं आया। पैसे के लिए न्याय देवी से चोरी इस भारत देश में ही होता है ।
मुझे यह फैसला पसंद नहीं। इसीलिए आपका जिंदा रहना मुझे पसंद नहीं।
जल्दी ही आपकी फोटो एक गुलाब की माला से अलंकृत होगी।
आपका ही
अन्यायों को जलाने की कोशिश करने वाले
पहली माचिस की तीली।
सरवन पेरूमाल परेशान हो गर्दन को ऊंची कर आवाज दी।
"सार्जेंट"
बाहर चौकीदारी के लिए खड़े एक सार्जेंट चाकू को खोसे हुए बंदूक के साथ भाग कर आए।
"साहेब...."
"मुझे देखने के लिए कोई आए तो उसे अंदर मत आने दो...."
"ठीक है साहब...."
"कृष्णन ! तुम जाकर कार के पास रहो। मैं आधे घंटे में आ जाऊंगा....
वह सिर हिला कर गया - सरवन पेरूमाल टेलीफोन के द्वारा कमिश्नर से बात की।
"मिस्टर कमिश्नर...! आज मैंने जो जजमेंट का फैसला दिया उसके विरोध में मुझे मार डालने की धमकी..... दे रहें है.. आपको एक्शन लेना पड़ेगा।"
"धमकी कैसे फोन के द्वारा.... या चिट्टी की द्वारा?"
"लेटर...."
"अभी आप कहां से बात कर रहे हैं?"
"कोर्ट में जो मेरा कमरा है उससे।"
"आप... वही रहिए..... मैं 10 मिनट में आ जाऊंगा।"
"प्लीज..."
सरवन पेरुमाल ने रिसीवर को रख दिया।
चंदन के तेल के गोडाउन में आधी रात को लगी आग सुबह सूरज उगने तक जल रहा था।
शहर की जनता चारों तरफ खड़े होकर विभिन्न प्रकार की बातें कर रहे थे | जैसे कोई पानी को उस राख हुए पर डाल रहे हो।
कलेक्टर, बड़े पुलिस अधिकारी, चेयरमैन कृष्णकांत - एक तरफ खड़े होकर फ़िक्र से बात कर रहे थे।
कलेक्टर बोले "वॉचमैन बोल रहा है तो लगता है मेन स्विच बोर्ड में कुछ लीकेज के कारण ब्लास्ट हुआ होगा...."
"हां.… सर..." कृष्णकांत ने सिर हिलाया।
"चंदन का तेल बहुत ही कास्टली आइटम है। करोड़ों रुपए का होगा। ऐसे सामान को रखकर रक्षा करने के लिए अक्सर बिजली के उपकरणों को देखकर ठीक करवाते रहना चाहिए.... मिस्टर कृष्णकांत....?"
"हर एक महीना चेक करता हूं सर।"
"फिर कैसे...?"
"सर करंट कभी भी अचानक शॉर्ट होकर ब्लास्ट होने के चांसेस हैं.... हम कितना भी प्रिकॉशनरी स्टेप्स लें एक्सीडेंटली इस तरह के घटना हो जाती है।"
"जब यह घटना घटी तो उस समय गोडाउन में सिर्फ वॉचमैन काली मुथु ही था ...ना..?"
"हां सर।"
"वह कितने साल से यहां सर्विस में है?"
"करीब-करीब 11 साल से है सर...."
"कैसा आदमी है....?"
"वेरी लॉयल सर...."
"संघ विरोधी काम के लिए बाहर गया होगा..?"
"ऐसे सब नहीं होगा सर...."
"ऐसे कैसे.... पक्का बोल रहे हो...?"
"एक विश्वास ही है सर।"
"यह देखिए । मिस्टर कृष्णकांत ! चंदन के तेल के बारे में आपको अच्छी तरह मालूम है। उसमें इतने जल्दी आराम से और तेल जैसे आग नहीं लगता है। स्विच बोर्ड शार्ट होकर आग लगने की संभावना नहीं है। किसी ने आग लगाई है ऐसा मुझे लगता है ..."
कृष्णकांत के पसीना आ गया।
एक पुलिस अधिकारी बोलने लगे। "वॉचमैन काली मुथु को लॉकप में ले जाकर कस्टडी में रखकर पूछें तो सब सच सामने आ जाएगा सर.."
"ट्राई करके देखो..."
कलेक्टर के सिर हिलाते ही वह पुलिस अधिकारी वॉचमैन की तरफ गया।
कृष्णकांत इस बात से परेशान होने से उनका शरीर कांपने लगा - उनके परेशानी को समझ कर कलेक्टर ने पूछा।
"अंदर कुल कितने लीटर चंदन का तेल था.....?"
"25 हजार लीटर सर...."
"एक बैरल को भी स्पाट से बचा नहीं सके....?"
"बाहर वॉचमैन ने बहुत कोशिश की सर.... गोडाउन से कोई भी चीज को बचा न सके...."
कृष्णकांत के बोलते समय ही समाचार पत्र से पत्रकार चार-पांच लोग कलेक्टर के चारों तरफ जमा होकर प्रश्न पूछने लगे।
"सर.... यह जानबूझकर किया हुआ काम है?"
"अभी कुछ नहीं कह सकते।"
"निश्चित तौर से यह जानबूझकर किया हुआ ही काम है लोग बात कर रहे हैं?"
"हो सकता है। किसी भी बात को पूछताछ के बाद ही पक्का कह सकते हैं...."
कलेक्टर से प्रश्न पूछ रहे थे तभी कृष्णकांत को पीछे से किसी ने थपथपाया।
उन्होंने मुड़कर देखा।
एक युवा खड़ा था। उसकी उम्र 30 के अंदर होगी। अच्छी तरह जमा कर कंघा किया हुआ था। पतली मूछें। साफ-सुथरी पैंट शर्ट पहने हुए था जो भव्य दिख रहा था।
कृष्णकांत उसे न जानने के कारण माथे पर बल डाला।
"क्या बात है.…?"
"आपसे 5 मिनट अलग से बात करना है सर..." आवाज को धीमी कर धीरे से बोला।
"क्या बात करनी है....?"
"यहां बात नहीं कर सकते सर..... वहां एक तरफ आओगे....?
उसकी आवाज में हल्का सा आदेश भी था इस बात को महसूस कर कृष्णकांत धीरे से उसके पीछे गए।
"क्या...?"
"मेरा नाम सुंदरपंडियन है सर।"
"ठीक है बात बताओ...."
"आपका चंदन के तेल फैक्ट्री काम करने वाले मुकुट पति कल रात को बन्नारी जाने वाले रास्ते में जो पेट्रोल पंप है उसमें देखा था। 10 लीटर के चार कैन लाकर भरकर ले गए.... आज सुबह देखा तो चंदन तेल गोडाउन राख हो गया.... दोनों में कुछ संबंध है ऐसा नहीं लगता है क्या सर....?"
कृष्णाकांत उसे देखते रहे।
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