Sajna sath nibhana - 7 - last part in Hindi Love Stories by Saroj Verma books and stories PDF | सजना साथ निभाना--(अंतिम भाग)

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सजना साथ निभाना--(अंतिम भाग)

मधुसुदन,अब एक -दो दिन में यामिनी का चेकअप करने आ ही जाता, यामिनी तो बस बहाना थी,वो तो बस विभावरी को एक नजर देखने आता था, ऐसा नहीं है कि विभावरी भी मधुसुदन के आने का इंतजार नहीं करती थीं, उसे भी लगता था कि मधुसुदन सिर्फ एक बार ये कह दे कि चलो घर लौट चलो क्योंकि उस घर से मैं अपनी मर्जी से नहीं आई थी मुझे तो वहां से निकाला गया था।।
मधुसुदन ये खुशखबरी बताने श्रद्धा के पास उसके कालेज पहुचा__
सच!मामाजी, मामी मिल गई,क्या मैं उनसे मिल सकती हूं,श्रद्धा ने पूछा।।
हां... हां...क्यो नही, मधुसुदन बोला।।
श्रद्धा बोली, ठीक है मैं आज ही घर में नानी और मां से कह दूंगी की मैं कुछ दिनों के लिए आपके पास आ रही हूं।।
ठीक है तो शाम वाली बस से हम निकल चलेंगे,तुम तैयार रहना, मधुसुदन बोला।।
ठीक है मामा जी,श्रद्धा बोली।।
और शाम को श्रद्धा ने सबकुछ घर में बता दिया और तैयार होकर बस स्टैंड आ गई, दोनों निकल पड़े ।।
श्रद्धा दूसरे ही दिन विभावरी से मिलने पहुंच गई,मामी..मामी करते हुए गले से लग गई,विभावरी भी श्रद्धा को देखकर खुश हुई और पर ये चक्कर मंगला देवी को समझ नहीं आया तब मजबूरीवश यामिनी को सब कुछ बताना पड़ा कि डाक्टर साहब विभावरी के पति हैं फिर विभावरी ने शुरू से सारी बातें मंगला देवी से बताई,विभावरी बोली।।
मैं उस घर से खुद भाग गई थी अपनी शादी के ही दिन उसके साथ जिससे मैं प्यार करती थीं इसलिए वापस घर ना जा सकी और विभावरी को मेरी जगह डाक्टर साहब के साथ फेरे लेने पड़े फिर उसे ससुराल से निकाल दिया गया, हमारी खुद की जन्म देने वाली मां ने भी विभावरी को घर के अंदर नहीं आने दिया उसे दोनों घरों में ही सहारा नहीं मिला इसलिए वो घर नहीं जाना चाहती।।
मंगला देवी बोली,अच्छा तो ये बात है ऐसा करो श्रद्धा को कुछ दिनों के लिए यही हमारे पास रहने दो,आखिर अब वो हमारी मेहमान हुई।।
दोनों बहनें भी अब खुश थी, मधुसुदन को भी लगा अगर श्रद्धा को विभावरी के पास रहने दिया तो शायद श्रद्धा विभावरी को मना ले और वो वापस लौट आए।।
अब मंगला देवी, डाक्टर साहब से एक घर के सदस्य जैसा व्यवहार करने लगी, उसने डाक्टर साहब से बात की कि अगर आप विभावरी से एक बार आपके साथ घर चलने को कहें तो शायद वो तैयार हो जाए और फिर उसके साथ हुआ भी तो बहुत ही बुरा था,एक ही रात में बेचारी की जिंदगी ने कैसी करवट ले ली।।
डाक्टर साहब बोले,वो तो मैं कह दूं , अपने साथ चलने के लिए लेकिन मुझे ये नहीं पता कि वो मुझसे प्रेम करती है और शादी भी जिन हालातों में हुई थी,वो हालात विभावरी के प्रतिकूल थे,जब तक विभावरी की आंखों में मेरे लिए प्रेम दिखाई नहीं देगा, मैं उसे साथ चलने के लिए नहीं कह सकता।।
मंगला देवी बोली,आप का कहना भी बिल्कुल ठीक है और विभावरी के यहां रहने से भला मुझे क्या आपत्ति हो सकती है,मेरा घर तो भर गया,दो दो बेटियां दे दी भगवान ने और आप जैसा दामाद और क्या चाहिए?
और दोनों मुस्करा उठे।।
तभी मधुसुदन बोला,प्रेमा जीजी की चिट्ठी आई है उन्होंने श्रद्धा को बुलवा भेजा है, उसे लेने आया हूं अब कभी फिर से आप सबसे मिलवाने ले आऊंगा लेकिन अभी उसका जाना जरूरी है।।
मंगला देवी बोली, हां.. हां ले जाइए और जब भी उसका मन करें यहां आ सकती है, हमें भी उसके आने से अच्छा लगा।।
मधुसुदन,श्रद्धा को साथ लेकर चला गया।।
फिर एक दिन एक चिट्ठी आई मंगला देवी के पास आई कि उनके दोनो भतीजे उनके पास रहने के लिए आ रहे हैं।।
मंगला देवी दोनों बहनों से बोली कि मेरी शादी के बाद जब तक मां बाप जिंदा थे तो कभी कभार मायके हो आती थी लेकिन मां-बाप के गुजर जाने के बाद तो भाई भाभी भूल ही गए कि उनकी कोई बहन भी है फिर जब से मैं बेटों से अलग हो गई तो उन्होंने तो जैसे मुझसे रिश्ता ही तोड लिया, कहने लगे ऐसा कोई करता है भला ,बेटे चाहे जैसे भी हो लेकिन मां को कभी भी उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए,कहने लगे अपना सबकुछ देदो और उन लोगों के पास लौट जाओ, मैंने कहा इन लोगों ने मुझे छोड़ा था मैंने नहीं, मैंने उन लोगों की बात नहीं मानी तो उन्होंने मुझसे बात करना ही बंद कर दिया भाई भाभी ने तो जैसे रिश्ता तोड़ दिया लेकिन मेरे भतीजे जो कि अभी भी मुझसे पहले जैसा ही प्यार करते हैं, अपने मां बाप से बिना बताए वो मुझसे मिलने आ जाते हैं,उन लोगों के यहां आने पर मुझे भी अच्छा लगता है, ऐसा लगता है कि चलो कोई तो अभी भी अपना है, पता है जब तक तुम लोग मेरी जिंदगी में नहीं आईं थीं तो मुझे अपने भतीजों और शर्मा जी का ही सहारा था, अपने खून ने तो मुह मोड़ लिया था लेकिन इन लोगों ने मुझे कभी नहीं छोड़ा।।
खैर,एक-दो दिन में वो लोग पहुंच ही जाएंगे तब तुम लोग मिल लेना।।
दरवाजे पर लगी घंटी बज उठी___
मंगला देवी ने ही दरवाजा खोला, दरवाजा खोलते ही दोनों भतीजे ने मंगला देवी के पैर छुए और गले लग गए।
मंगला देवी ने दोनों भतीजों को गले लगाते ही विभावरी और यामिनी को आवाज दी____
विभावरी...... यामिनी.....विभावरी.... यामिनी...देखो तो कौन आया है?
दोनों बहनें अपने कमरे से निकल कर बाहर आई, तभी विभावरी ने पूछा,क्या हुआ ताई जी?
मंगला देवी बोली,देखो तो दोनों आ गए ,बताया था ना मैंने,ये हैं मेरे दोनो भतीजे__राहुल और नवलकिशोर..
अब चारों एक-दूसरे के आमने-सामने थे, एक-दूसरे से परिचित होते हुए भी, किसी ने यह नहीं जताया कि वे आपस में पहले से ही परिचित हैं।।
सबके मन में एक अजीब सा ही अन्तर्द्वन्द चल रहा था कि आखिर किससे क्या बात करें, जैसे-तैसे सबने साथ में खाना तो खा लिया लेकिन बातें नहीं की।।
उधर विभावरी ने यामिनी से कहा___
दीदी, राहुल भइया और नवल ने हम लोगों को यहां देख लिया है ऐसा ना हो ये लोग वहां जाकर सबसे कह दे कि हम लोग यहां है।।
यामिनी बोली, हां यही तो मैं भी सोच रही हूं कि अगर मेरे बारे में ये पता चल कि मैं यहां हूं और मैं जिसके साथ भागी थी वो धोखा देकर भाग गया है ‌तो......
विभावरी बोली, दीदी ऐसा कुछ मत सोचो, बहुत दिनों बाद तो अब तुम्हारी सेहद में सुधार आया है, मैं उन लोगों से कैसे भी करके बात करूंगी और विनती कर लूंगी कि किसी से भी तुम्हारे बारे में कुछ ना कहें।।
उधर दोनों भाई भी बड़ी उलझन में थे, राहुल ने नवल से कहा
बात कुछ पल्ले नहीं पड़ रही है अगर उस दिन यामिनी का ब्याह हुआ था तो यामिनी की मांग तो सूनी है लेकिन सिंदूर विभावरी की मांग में कैसे और दोनों बहनें बुआ के घर में क्या कर रही है?
हां, भइया यहीं बात तो मैं भी समझने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे भी कुछ समझ नहीं आया, मैंने आंटी जी से पूछा भी था,बारात के विदा होने के बाद कि विभावरी कहां है? तो उन्होंने कहा कि सुरेखा बुआ के साथ भेज दिया है लेकिन वो तो यहां है, नवलकिशोर ने कहा।।
दोनों भाइयों को मंगला देवी के घर में रहते हुए दो-तीन बीत चुके थे फिर भी अभी तक दोनों की विभावरी और यामिनी से कोई बातें नहीं हुई थी।।
फिर एक रोज दोनों भाई मंगला देवी के साथ उनके कुटीर उद्योग गए, वहां राहुल को मौका मिल गया सारी बात पूछने का,
बुआ,ये बताओ ये दोनों लड़कियां कौन हैं जो आपके घर में रहतीं हैं,जब हमलोग पिछली बार आए थे तब तो ये दोनों यहां नहीं थी।।
तब मंगला देवी ने बताया कि ब्याह वाले रोज क्या हुआ था दोनों बहनों के साथ__
बड़ी बहन यामिनी, अपने प्रेमी के साथ घर छोड़ कर भाग गई उसकी जगह विभावरी को बैठा दिया गया, बेचारी विभावरी को दोनों ही घरों में जगह ना मिली, अपने मायके से लौटते हुए मेरी मोटर से जा टकराई तब इसे मैं घर ले आई और कुछ दिनों बाद यामिनी बीमारी की हालत में मंदिर में विभावरी को मिल गई तब से दोनों मेरे घर में हैं।।
राहुल बोला, अच्छा तो ये बात है।।
अब राहुल और नवल के मन से सारी शंकाएं दूर हो चुकी थीं।।
नवल ने मंगला से कहा कि तब तो विभावरी का ये रिश्ता तो ना के बराबर है और फिर भी मांग में सिंदूर......
मंगला बोली, तुम नहीं समझोगे,पुरूष हो ना,हम स्त्रियों का मन तुम लोग कभी नहीं बांच सकते, हमारे जैसा उदार और बड़ा दिल नहीं होता तुम पुरूषों के पास क्योंकि उस पर अहम की परत चढ़ी होती है अगर वो परत हट जाएगी तो शायद तुम लोगों का पुरूषत्व कम हो जाएगा।।
हम भारतीय स्त्रियां एक बार जिसके साथ अग्नि के सात फेरे ले ले लेती है उसे सातों जनम के लिए अपना बना लेती है फिर चाहे वो मां बाप की पसंद हो या अपनी खुद की पसंद।।
तभी राहुल बोला लेकिन विभावरी का पति उसने कैसे उसे घर से बाहर निकाल दिया।।
मंगला देवी बोली,वो उस वक्त घर पर मौजूद नहीं था किसी मरीज को देखने गया था।।
राहुल बोला, और यामिनी का अब क्या होगा?
मंगला देवी बोली,रामजाने क्या होगा?
दोनों भाई अब मंगला देवी के साथ घर पहुंचे__
शाम की चाय का समय था, मधुसुदन भी यामिनी के चेकअप के बहाने मंगला देवी के घर आया, उसने यामिनी का चेकअप किया और बोला अब आप बिल्कुल ठीक है बस समय पर ठीक से खाते पीते रहे।।
तभी मंगला देवी बोली,आइए डाक्टर साहब चाय पी लीजिए,
मधुसुदन ने चाय पी और बोला विभावरी कहां है?दिखी नहीं आज, हां और अब तो मैंने घर भी अलग ले लिया और गृहस्थी का सामान भी जुटा लिया है।।
तभी मंगला देवी बोली, होगी यही कहीं ,तो देर किस बात की है? आप विभावरी से पूछ क्यो नही लेते साथ चलने के लिए।।
मधुसुदन बोला, हां पूछता हूं, लगता है मुझे ही पहल करनी पड़ेगी।।
हां,वो एक लड़की है, अभी भी उसमें लाज और शील बाक़ी है वो अपने मुंह से कैसे कह सकती है कि उसे आपके साथ चलना है।।
मधुसुदन बोला,आप भी ये ठीक कह रही है लेकिन अभी दो दिन के लिए मुझे किसी काम से बाहर जाना है तो मैं दो दिन के बाद आता हूं,तब विभावरी के लिए लाल साड़ी,लाल चूड़ियां, सिंदूर और मंगलसूत्र हाथों में देकर कहूंगा, अपने साथ चलने के लिए, मुझे पक्का यकीन है तब वो मेरे साथ जरूर चलेगी।।
तभी मंगला देवी बोली,अरे हां मैं आपको अपने भतीजों से मिलवाना तो भूल ही गई, तभी मंगला देवी ने दोनों को आवाज दी और दोनों से डाक्टर साहब का परिचय हुआ लेकिन दोनों ही डाक्टर साहब को देखकर हैरत में पड़ गये कि ये तो वहीं है जो दूल्हा बनकर उस रोज यामिनी से ब्याह करने आए थे,उन दोनों ने तो उसे पहचान लिया लेकिन मधुसुदन तो उन्हें नहीं पहचानता था।।
डाक्टर साहब के जाने के बाद, मंगला देवी बोली ये ही है विभावरी के दूल्हे!!
तभी नवल बोल पड़ा तो ये विभावरी को साथ क्यो नही ले जाते या कि उसे ना पहचानने का नाटक कर रहे हैं।।
मंगला देवी बोली,ऐसी बात नहीं है,वो खुद उलझन में हैं क्योंकि विभावरी भी कोई उत्सुकता नहीं दिखा रही हैं उनके साथ जाने के लिए तो उनकी हिम्मत ही नहीं हो रही है कुछ भी कहने की।।
नवल बोला, अच्छा तो ये बात है!!
तभी नवल ने सोचा, आखिर विभावरी के मन में क्या है?ये पता लगाना होगा, कहीं वो अभी भी मुझे तो पसंद नहीं करती लेकिन अब उसे समझना होगा कि वो अब डाक्टर साहब की ब्याहता हैं मेरे और उसके बीच जो आकर्षण था अगर वो उसे प्यार समझ रही है तो महज वो एक कच्ची उम्र का आकर्षण था जो कि इस उम्र में हो जाया करता है और फिर मुश्किल से पच्चीस दिन का प्यार उसे प्यार नहीं कह सकते, जहां हमने ना कोई इजहार किया,ना जीने मरने की कसमें खाई,ना ही कोई वादा किया एक-दूसरे से तो ये कोई प्यार नहीं उस उम्र की नादान सी गलतियां हैं जो अक्सर उस उम्र में हो जाया करती है और इसे प्यार समझकर लोग बहुत बड़ी बड़ी भूल कर बैठते हैं जिसका खामियाजा परिवार के सदस्यों को भुगतना पड़ता है जो कि यामिनी ने किया और भुगत रही है विभावरी।।
लेकिन अब जो गया उसे बदल नहीं सकते लेकिन सुधार जरूर सकते हैं इसलिए विभावरी को डाक्टर साहब के साथ जाना चाहिए।।
ऐसे ही राहुल भी यामिनी से कुछ बात करना चाहता था लेकिन उसे मौका नहीं मिल पा रहा था।।
शाम के समय यामिनी बगीचे में टहल रही थी, उसने हल्की गुलाबी रंग की सिफोन की साड़ी पहन रखी थी और बालों को खुला छोड़ रखा था,हवा से उसके बाल उड़कर उसके चेहरे पर आ रहे थे, सुंदर तो वो पहले से थी लेकिन आज और भी सुंदर लग रही थी,
तभी राहुल ने आकर पूछा,क्या मैं तुम्हारे साथ टहल सकता हूं।।
यामिनी बोली, हां मुझे कोई परेशानी नहीं है।।
लेकिन मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी, राहुल बोला।।
हां कहो, यामिनी बोली।।
राहुल ने बोलना शुरू किया, पता है यामिनी, मैंने दीपक से दोस्ती पता है किसलिए की थीं,
हां! किसलिए की थीं, यामिनी ने पूछा।।
तुम्हारे लिए, राहुल ने जवाब दिया,
यामिनी राहुल का चेहरा देखकर रह गई!!
हां, यामिनी तुम्हारे लिए लेकिन तुम ये मत समझना कि मैं तुम्हारा फायदा उठाने की कोशिश कर रहा हूं, मैं तुम्हें बहुत पहले से ही बहुत चाहता था लेकिन तुमने कभी मुझे नजर भरकर देखा ही नहीं, मैं तुमसे हमेशा बात करनी चाही लेकिन तुम ,तुमने कभी मेरी तरफ गौर ही नहीं किया फिर तुम्हारी शादी तय हो गई तब मैंने तुम्हारी तरफ ध्यान देना बंद कर दिया, मैं तुम्हें भूलने का मन बना चुका था लेकिन चाहकर भी कभी भूल नहीं पाया, मैं तुमसे पहले भी प्यार करता था अब करता हूं और हमेशा करता रहूंगा।।
और राहुल ने बगीचे से फौरन एक गुलाब का फूल तोड़ा और घुटनों के बल जमीन में बैठकर पूछा कि क्या तुम मुझसे शादी करोगी।।
यामिनी की आंखें छलछला आई और उसने गुलाब लेकर कहा हां....
और ये सब यामिनी को बगीचे में ढूंढती हुई विभावरी ने भी देख लिया और वो भी बहुत खुश हुई और दोनों बहनें गले मिली और ये बात मंगला देवी और नवल तक भी पहुंच गई।।
नवल बोला,वाह... भइया ...वाह.... तुम तो छुपे रुस्तम निकले और सब हंसने लगे।।
तभी मंगला देवी बोली तो तुम सब एक-दूसरे को आपस में जानते हो।।
और सब आज बहुत खुश थे लेकिन अभी भी नवलकिशोर के मस्तिष्क में बहुत बड़ी उलझन थी वो थी विभावरी के लिए कि विभावरी मन से डाक्टर साहब को स्वीकार करके अपनी गृहस्थी बसा ले।।
इसी तरह दो दिन और निकल गये, डाक्टर साहब आज बहुत खुश थे उन्होंने श्रद्धा को भी बुला लिया था, दोनों ने मिलकर विभावरी के लिए लाल साड़ी,लाल चूड़ियां, सिंदूर और मंगलसूत्र खरीदा, मधुसुदन बोला,चल श्रद्धा तेरी मामी की विदा करा कर लाते हैं।।
मैं तो कबसे तैयार हूं मामाजी,श्रद्धा बोली,
और दोनों निकल पड़े मंगला देवी के बंगले की ओर विभावरी को विदा कराने।।
मधुसुदन हाथों में सारा सामान लेकर विभावरी को ढूंढने लगा, तभी मंगला देवी बोली,आप जिसे ढूंढ रहे हैं वो तो शायद बगीचे में टहल रही है।।
डाक्टर साहब जैसे ही बगीचे में पहुंचे उधर नवल किशोर,विभावरी से कह रहा था कि माना कि हम एक-दूसरे को तुम्हारी शादी से पहले पसंद करते थे, डाक्टर साहब ने इतना सुना तो उनके हाथों से सारा सामान छूट कर नीचे गिर पड़ा,जिसकी आवाज़ से नवल और विभावरी उस ओर आए,सारा सामान उठाकर विभावरी बोली लगता है हमारी बातें किसी ने सुन ली है और जैसे ही भाग कर आए उन्होंने डाक्टर साहब को पीछे से जाते हुए देखा।।
मंगला देवी ने मधुसुदन को आवाज भी दी___
डाक्टर साहब.... डाक्टर साहब.... सुनिए, लेकिन मधुसुदन बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
दोनों ने मंगला देवी से सारी बात बताई,उधर यामिनी और श्रद्धा भी आवाज सुनकर कमरे से बाहर निकल आए__
अब सबकुछ साफ हो चुका था कि डाक्टर साहब ने सिर्फ इतना ही सुना था कि विभावरी की शादी के पहले नवल और विभावरी एक दूसरे को पसंद करते थे और उन्हें गलतफहमी हो गई थी कि इसलिए विभावरी उन्हें पसंद नहीं करती और उनके साथ नहीं आना चाहती।।
तभी मंगला देवी बोली, ड्राइवरों से कहो कि दोनों मोटर निकाले ताकि हम जल्द से जल्द डाक्टर साहब के पास पहुंच जाए हमें उनकी गलतफहमी कैसे भी करके दूर करनी होगी।
सब डाक्टर साहब के घर पहुंचे लेकिन डाक्टर साहब वहां नहीं मिले,श्रद्धा बोली, मुझे पता है कि मामा जी कहां हो सकते हैं?
मंगला देवी ने पूछा,कि कहां?
श्रद्धा बोली, मंदिर में,
सब मंदिर पहुंचे, देखा तो मधुसुदन रोनी सी सूरत बनाकर तालाब की सीढ़ियों में तालाब के पानी में पैर लटका कर बैठा था।।
विभावरी ने फ़ौरन जाकर मधुसुदन के पैर छू लिए___
मधुसुदन ने देखा और बोला, यहां क्या कर रही हो?
आपको ढूंढते ढूंढते आ पहुंची,आपके पास,विभावरी बोली।।
लेकिन क्यो? मधुसुदन ने विभावरी की ओर बिना देखे तालाब में एक पत्थर फेंकते हुए पूछा।।
क्योंकि आपने मुझसे ब्याह जो किया है,विभावरी मुस्कुराते हुए बोली।।
मधुसुदन बोला, लेकिन वो जो तुम्हारे और नवल के बीच जो बातें हो रही थी,
तभी मंगला देवी बोली, डाक्टर साहब आप सिर्फ आधी बात सुन कर ही वहां से चले आए,वो तो शादी से सिर्फ पच्चीस दिन पहले की बातें हैं,ना उसमें कोई इजहार,ना कोई कस्मे वादें,वो तो बस नई उम्र का एक आकर्षण था जो सभी को ना चाहते हुए भी हो ही जाता है और फिर ऐसा कुछ होता तो नवल किशोर जिस दिन मेरे घर में पहली बार विभावरी से मिला था तभी विभावरी,नवल से सब कह सकती थी लेकिन उसके मन में तब तक कुछ बचा ही नहीं था,वो तो सिर्फ आपको ही अपना मानने लगी थीं, मैंने देखी है डाक्टर साहब उसकी आंखों में आपके लिए प्यार और इज्ज़त इसलिए उसे अब ज्यादा इंतजार ना करवाइए और मेरे घर चलिए हम बेटी वहीं से विदा करेंगे।।
विभावरी को मधुसुदन के लाए गए उपहार से सजाकर लाया गया,तब मंगला देवी ने कहा ये रहा सिंदूर और मंगलसूत्र___
मधुसुदन ने विभावरी की मांग में सिंदूर भरकर गले में मंगलसूत्र डाला,विभावरी ने डाक्टर साहब के पैर छुए, डाक्टर साहब बोले_बस ..बस...
और मंगला देवी बोली आज श्रद्धा हमारे घर रहेगी और ड्राइवर मोटर से दोनों लोगों को छोड़ आएगा।।
अब इधर नवल और श्रद्धा के बीच बातें होने लगी।।
राहुल ने सारी बातें दीपक को बता दी और कहा कि वो यामिनी को अपनाने के लिए तैयार हैं,दीपक ने भी घरवालों को राहुल और यामिनी के ब्याह के लिए मना लिया और दोनों का ब्याह भी मंदिर में हो गया ‌।।
यामिनी और विभावरी ने मंगला देवी से कहा कि वो अपने बेटों के पास ना रहे लेकिन उन्हें माफ कर दे और मंगला देवी ने अपने बेटों को माफ कर दिया।।
इधर नवल और श्रद्धा भी एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे।।

समाप्त____
सरोज वर्मा___