Raghuvan's stories - fall from the sky in Hindi Short Stories by Sandeep Shrivastava books and stories PDF | रघुवन की कहानियां - आसमान से गिरे

Featured Books
Categories
Share

रघुवन की कहानियां - आसमान से गिरे

रघुवन में पक्षियों के झुण्ड आसमान में कलरव करते हुए उड़ान भरते रहते थे| एक दूसरे को देखऐसे उड़ते जैसे कि कोई प्रतियोगिता चल रही हो| अलग अलग प्रजाति के पक्षी एक दूसरे को देख कर ऊँची ऊँची उड़ाने भरते रहते थे|


चमेली चील और गुड्डी गिद्ध का यद्यपि कोई अपना झुण्ड तो नहीं था लेकिन दोनों की उड़ान बाकि सब से बहुत ऊँची थी| दोनों जब आसमान में उड़तीं तो सारे पक्षियों से अधिक ऊंचाई पर पहुंचतीं| ऐसे ही एक दिन आसमान में उड़ते उड़ते दोनों में एक प्रतियोगिता शुरू हो गई कि कौन कितना ऊपर पहुँच सकता है| दोनों ही एक के बाद एक ऊंचाई पर पहुँचती जा रहीं थीं | किसी पल गुड्डी ऊंचाई पर होती तो अगले पल चमेली और फिर अगले पल गुड्डी| प्रतियोगिता ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी| सारे पक्षी और जीव धरती से बस उन्हें ही देखे जा रहे थे|


चमेली अपना पूरा प्रयास कर रही थी और गुड्डी को पूरी टक्कर दे रही थी| पर अब वो थकने लगी थी, उसके पंख दुखने लगे थे और सांस भरने लगी थी| लेकिन वो हार नहीं मानना चाह रही थी| गुड्डी अभी भी ऊंचाई पर ऊंचाई छू रही थी और उसमें अभी भी बहुत शक्ति बची हुई थी| चमेली को अब उड़ना कठिन हो गया था| उसने गुड्डी को ऊपर जाता देखा| फिर उसने एक लम्बी सांस भर कर और पंखों को जोर से हिला कर ऊंचाई भरने का प्रयास किया| पर वो अपने होश खो बैठी और तेजी से नीचे धरती की ओर गिरने लगी|


धरती पर सारे प्राणियों ने चमेली को नीचे आते हुए देखा| सब चिंतित हो गए| इतनी जल्दी उसे बचाने का क्या उपाय किया जाए यह किसी की समझ नहीं आ रहा था| चमेली अब धरती के समीप आ गई थी| वो बस धरती पर गिरने ही वाली थी कि पक्षीराज गुट्टू गरूड़ उड़ते हुए आए और उसे धरती छूने के पहले ही अपने पंजों में पकड़ कर ले गए| गुट्टू ने चमेली को ले जाकर एक टीले पर रख दिया| बाकि सारे रघुवन वासी भी उधर पहुँच गए| गुड्डू भी उधर पहुँच गया था, वो भी चिंतित था|


कुछ देर में चमेली को होश आया| उसे पानी पिलाया गया| फिर गुड्डू बोला “ चमेली, मुझे ईश्वर ने सबसे ऊँचा उड़ने की शक्ति दी है, इससे मुझे दूर दूर तक देख कर अपना भोजन ढूंढ़ने में सुविधा रहती है| इसका प्रयोग में कभी भी किसी को नीचा दिखाने के लिए नहीं करता हूँ|”


गुट्टू ने उसे समझाया “बिना किसी अर्थ के अपनी शक्ति का प्रदर्शन व्यर्थ है| तुम दोनों को ही उतना उड़ना चाहिए जितने की आवश्यकता हो| हर प्राणी की अपनी अपनी क्षमता होती है| उसे अपने सारे काम अपनी सीमा में ही करना चाहिए| अपनी क्षमता से ज्यादा उड़ोगे तो हो सकता है कि वो तुम्हारी आखिरी उड़ान हो| अगर ज्यादा ऊँचा उड़ना हो तो पहले अपनी क्षमता बढ़ाओ और फिर उड़ो|”


चमेली को भी बात समझ आई| गुड्डू ने भी अपने अनावश्यक ऊँचे उड़ने के लिए क्षमा मांगी| चमेली की जान बच गई थी, इसलिए सब बहुत खुश थे|

फिर सबने मिलकर पार्टी करी|