BHUT - PRET in Hindi Moral Stories by HARIYASH RAI books and stories PDF | भूत-प्रेत

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भूत-प्रेत

भूत-प्रेत

कहते हैं कि ऐसा सदियों पहले होता था पर ऐसा होता आज भी है.
राजस्थान का एक गांव .ऐसा गांव सब जगह है . इस गांव की छोटी झोंपड़ी , छोटे आँगन. रामानंद अपनी बीबी नाथी के साथ रहता था. खेत पर उसकी नाथी भी उसके साथ मेहनत मजदूरी करती थी .

पर एक दिन बिना बादल गरजे गांव का पंडित गरज उठा. सुबह सुबह आ गया रामानंद की टूटी झोपड़ी पर और कहने लगा,’ निकाल बाहर नाथी को यह चुड़ैल है. खां जायेगी तुझे.

कोई तेज तूफान रामानंद की पैरों में लिपट गया. हाथ जोड़ दिए , ‘ महाराज दया करों. वह तो भली चंगी है. कल मेरे साथ खेत में काम कर रहीं थी.

‘ तुझे पता नहीं . डायन है वह..... डायन..... वह कल शाम को मेरी गाय के सामने से गुजरी तो आज सुबह गाय ने दूध देना बंद कर दिया .ऐसी औरत को गांव में नहीं रहने देंगे निकाल इसे .’ पंडित गरजता रहा .

रामानंद ने हाथ जोड़ दिए .पंडित के पाँवों में गिर पड़ा . महाराज ऐसा ने करों कोई उपाय तो होगा .

‘ हां है उपाय . इसकी बलि दे दें तो बच जायेगा.’ पंडित ने गरजते हुए कहा .

‘ बलि .............. कई सारे विषधारी रामानंद के पैरों में लिपट गए.

यह पंडित पहले भी कई औरतों की बलि ले चुका है .

‘हां. बलि...... बाद में फिर ब्याह कर लेना. पंडित गरजता रहा

न .. अपनी बीबी की बलि तो नहीं दे सकता वह . हाथ जोड़ते हुए गिड़गिड़ाते हुए कहा . ‘ ‘ ‘ दया करों महाराज, आप कहों तो रोज आपके मंदिर की सफाई करुंगा. आपकी सेवा करुंगा कोई दूसरा उपाय बताइए महाराज .’

‘ हूं ......... पंडित ने हुंकार भरी तो दान दक्षिणा देनी होगी .’

दूंगा महाराज आप जों कहेंगे सरकार दान दक्षिणा सब दूंगा.’

तो सुन चला जा. मैदान वाले हनुमान जी का मंदिर. वह मेरा भाई है गुंजाली बाबा. उसके पास जा वह नाथी के सर से डायन का साया निकाल देंगे. जा देर मत कर आज ही चला जा.

‘ कल ले जाउं आज इसे बुखार है.’ रामानंद ने हाथ जोड़ दिए

न आज और अभी . पंडित कहते हुए वापस मुड गया .

अगले दिन पहुँच गया नाथी हनुमान जी के मंदिर .बस से उतरते ही एक आदमी आया कहने लगा ‘ ब्राह्मण हूं हनुमान जी के दर्शन जल्दी करा दूंगा .

‘ न इसके सर पर डायन का साया है वह उतारना है . रामानंद ने कहा
‘वह भी हो जायेगा. आओ मेरी मोटरसायकिल पर बैठ जाओं .’

रामानंद खुश हो गया .

‘ जब बैठने लगा मोटर साइकिल पर. तो उस आदमी ने कहा .

‘ पाँच सौ रुपये देने होंगे.’

‘ इतने तो नहीं हैं मेरे पास .

तो भाग यहां से क्‍यों आया है यहाँ . कहकर वह आदमी बस से उतरनें वाले दूसरे के पास चला गया .

‘ रामानंद पड़ गया सोच में .क्या करें? कहां जाये ? रास्ता पूछते पूछते पहुँच गया हनुमान जी के मंदिर. बहुत बड़ा मंदिर था . चार मंजिल वाला .रामानंद लगा मंदिर को देखने .

‘ क्या काम है......... एक पंडित ने पूछा

गुंजाली बाबा कहां है रामानंद ने पूछा .
‘ उपर वाली मंजिल में रहते है गुंजाली बाबा

‘भूत प्रेत कहां उतारे जाते हैं.

‘ मंदिर के पिछवाड़े में. बहुत गुणी ओझा है गुंजाली बाबा . उनके प्रताप से भूत प्रेत चुड़ैल सब भाग जाते है .

‘ यह मेरी बीबी है नाथी . गांव के पंडित कहते है इस पर डायन का साया है.’

तो ठीक ही कहते है पंडित .पहले प्रसाद ले लो और फिर लाइन में खड़े हो जाओ जल्दी करो. ओझा जी के सोने का टाइम हो जायेगा तो तुम्हारा काम नहीं होगा . ‘

उसने रामानंद के हाथ में कुछ फूल रख दिये और कहा, ’ लाओं एक सौ एक रुपये दे दों .

‘ पर वो तो नहीं मेरे पास. रामानंद ने कहा .

उस आदमी ने फौरन रामानंद के हाथ से फूल ले लिए और डाँटते हुए कहा,’ भाग यहां से जा के लाइन में खड़ा हो जा .’

घबरा गया रामानंद और चुपचाप जा कर लाइन में खड़ा हो गया .

लाइन में ढेर सारे लोग थे

‘ कब तक नंबर आयेगा.’ रामानंद ने अपने आगे खड़े एक आदमी से पूछा .

‘ ऐसे ही चलता रहा तो आज शाम तक आ जायेगा नंबर . अभी एक घंटे में पंडितों के सोने का टाइम हो जायेगा और कर देंगे मंदिर को बंद.’

रामानंद हो गया परेशान हो. धूप में खड़े खड़े नाथी हो गई हैरान .

‘सब चोर और ठग इकठठे हो गये है मंदिर में. लाइन में खड़े एक आदमी ने कहा .

‘ खुद तो अंदर मेवा खा रहे है और हमें लाइन में खड़ा किया हुआ है.’ दूसरे ने कहा .

एक आदमी कार से उतरा तो एक पंडित सीधा उसे मंदिर के अंदर ले गया .

‘ लो इस सेठ को अब क्या चाहिए. क्या आया है हनुमान जी से मांगने.’ किसी ने कहा

‘ इसे ही तो सब कुछ चाहिए . कुबेर का खजाना इसे चाहिए इसका पेट इतना बड़ा है कि भरता ही नहीं .’

सारी दुकानें इन पंडितों की . सारी धर्मशालाएँ इन महंतों की .इस मंदिर के पंडित के तो कई कालेज हैं जयपुर और दिल्ली में .

नाथी ने देखा एक आदमी साइकिल पर जोर जोर से कह रहा था.’ सारे पंडित चोर .इनके बहकावे में मत आना. मंदिर में रोज दारू पीते है.’

एक पंडित उसे भगाने लगा तो वह और जोर से बोला

मंदिर तूने हथिया लिया . दुकानें तूने हथिया लीं . अब यह सड़क तेरी नहीं है तू मुझे सड़क पर चलने से नहीं रोक सकता .

कहता हुआ वह आदमी तेज तेज साइकिल चलाता हुआ चला गया .

हैरान रह गए रामानंद और नाथी यह सुनकर. गांव के पंडित ने कहां भेज दिया उसे. यहां तो सारे ठग है.

नाथी की हॉलत बिगड रही थी. बुखार और तेज हो गया था . खड़े खड़े उसे चक्कर आने लगा वह वही सर पकड़ कर बैठ गई तो गार्ड ने पूछा,’ क्या हुआ इसे .

‘ गांव के पंडित ने कहा है इसके सर पर डायन का साया है वह उतरवाना है.’

‘ तो लाइन‍ में क्‍यों खड़ा है आ मेरे साथ तुझे ओझा जी के पास ले चलता हूं . वही उतारेंगे इसके सर से डायन का भूत.’

वह गार्ड रामानंद और नाथी को मंदिर के पीछे बड़े से अहाते में ले गया . उस अहाते में हवन हो रहा था. हवन का धुआँ पूरे अहाते में मंडरा रहा था .नाथी की आँखों में धुआं भर गया .आंखों से पानी बहने लगा .

इनके पैर छुओ सारे कष्ट दूर हो जायेंगे . उस गार्ड ने एक पंडित के आगे रामानंद और नाथी को खड़ा करते हुए कहा .

रामानंद और नाथी ने पंडित के पैर छुए.

मोटे थुलथुल पेट वाले पंडित ने कहा ,’ लगता है भूतनी का साया है इस पर
‘ हां महाराज गांव का पंडित ने कहा. हाथ जोड़ दिए रामानंद ने .

‘ठीक कहा है. पर चिंता की कोई बात नहीं .यहां आकर सबके भूत भग जाते है.भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे

‘ जा इसे फर्श पर लिटा दे. उस पंडित ने रामानंद को आदेश दिया .

रामानंद ने नाथी को फर्श पर लिटा दिया . एक दम गर्म फर्श‍ था तवे जैसा गर्म . नाथी तड़प गई. उस पंडित ने उसके मुंह के आगे धुएं का गुब्‍बार सा रख दिया .धुआँ उसकी आंखों में समा गया . उस पंडित ने नाथी की आंखों पर एक काली सी पट्टी बाँध दी . और उसके सिर पर तेल डाल दिया और झाडू उसके सर पर मारते हुए जोर जोर से चिल्‍लाने लगा भाग........ भाग........... भाग........... नाथी अधमरी सी हो गई .

‘ जा अब इसे गुंजाली बाबा के पास ले जा . उस पंडित ने गरजते हुए कहा.

गुंजाली बाबा उपरी मंजिल पर थे . उन्होंने गेरूए कपड़े पहने हुए थे . कंधों तक झूलते बड़े बड़े बाल थे माथे पर काले रंग का टीका . रामानंद नाथी को उनके पास ले गया .उसे देखते ही गुंजाली बाबा ने कहा इस औरत को हनुमान जी की मूर्ति के सामने बिठा दो .

गुंजाली बाबा ने नाथी के सर पर काला रंग छिड़क दिया और कहा अब इसे दो घंटे तक दीवार की तरफ मुंह करके खड़ा कर दो. इसकी नाक दीवार पर लगी रहनी चाहिए तभी डायन इसे छोड़कर जायेगी.’

रामानंद ने वैसा ही किया .और वही खड़ा हो गया .

कुछ देर बाद एक लड़का रामानंद के पास आया और कहा,’ पंडित जी तुम्हें बुलाते है.

वह लड़का रामानंद को एक पंडित के पास ले गया उस पंडित ने रामानंद से कहा,’ एक हजार रुपये दो.’
‘ वो किस बात के. रामानंद घबरा गया .

‘तुम्‍हारी बीबी पर डायन का साया था उसे उतारने के.’

‘ पर इतने पैसे नहीं है मेरे पास.’

‘रुपए तो देने पडेंगे.’
‘ पर मेरे पास तो है नहीं.’

‘ तो कितने है.’
‘ दौ सो है.’

‘अच्‍छा चल दौ सौ दो.’

‘पर मैने वापस गांव भी जाना है. बस का भाड़ा भी देना है.’

‘ अच्‍छा बस का किराया रख कर बाकी दे दे.’

रामानंद ने पचास रुपए अपने पास रखकर बाकी के पैसे उसे दे दिए .

‘ पैसे लेते हुए उस पंडित ने कहा जा अगली बार पूरे पैसे लेकर आना .बजरंग बलि तेरा भला करेंगे.’

पैसे देकर रामानंद भागा भागा नाथी के पास आया . नाथी की हालत और भी खराब हो गई थी .उसके बालों से तेल टपक रहा था. बदन तप रहा था. दीवार पर नाक रखने से नाम एकदम लाल हो गई थी. बुखार से शरीर तपने लगा था .

पता नहीं रामानंद को क्या हुआ उसने फौरन नाथी से कहा . छोड़ ये सब चल वापस ये पंडित क्या भूत प्रेत उतारेगें यह तो खुद भूत प्रेत है.’

रामानंद ने अपने अँगोछे से नाथी के माथे से काला तिलक मिटाया . माथे से टपकता हुआ तेल पोंछा. उसका अँगोछा काला और गंदा हो गया . उसने वह अँगोछा वहीं हनुमान जी मूर्ति के सामन फेंक दिया और कहा हे,’ बजरंग बली किन भूत प्रेतों को अपने यहां बिठा रखा है.

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