Aapki Aaradhana - 7 in Hindi Moral Stories by Pushpendra Kumar Patel books and stories PDF | आपकी आराधना - 7

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आपकी आराधना - 7






भाग - 07

मनीष ने अपना मोबाइल देखा, अरे! मम्मी के 7 मिस्ड कॉल्स, ऐसी क्या बात हो गयी ?

" आराधना अब हमे चलना चाहिए, शायद घर पर सभी वेट कर रहे हैं "
मनीष ने मिस्ड कॉल्स दिखाते हुए आरधना से कहा।

एक बार फिर मोबाइल का रिंगटोन बजने लगा, इस बार कॉल पर मिस्टर अग्रवाल थे।

" Hello Manish, कहाँ हो बेटा "

" Hello papa,
मम्मी गुस्सा तो नही है ना, हम बस पहुँचने ही वाले हैं "
इतना कहकर ही मनीष ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।

" चलो मैडम अग्रवाल हॉउस मे सब तुम्हारी राह देख रहे होंगे "
कार मे बैठते हुए मनीष ने आरधना से कहा।

कुछ देर बाद वे अग्रवाल हाऊस पहुँच गये। 3 मंजिलों वाली बिल्डिंग, पास मे छोटा सा गार्डन और गेट पर लगा अग्रवाल हाउस का नेमप्लेट जो इतने बड़े अक्षरों मे लिखा था कोई भी दूर से ही पढ़ सकता था।पता नही क्यों आज आराधना के कदम लड़खड़ाने लगे थे।

" come on Aaru, मै तो साथ हुँ न डरो मत "
मनीष ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा।

सामने से मिस्टर अग्रवाल आते हुए दिखाई दिये।
" बड़ी जल्दी आये बरखुरदार, तुम्हारी मम्मी तो पागल हुई जा रही है, बड़ी ही बेकरार है आराधना से मिलने को "
उन्होंने मुस्कुराते हुए मनीष से कहा।

" पापा वो मंदिर मे थोड़ा "

" चलो कोई बात नही बेटा "

" good morning sir "

" good morning आराधना बेटा, सर नहीं अंकल कहो। अभी शॉप मे नहीं है न हम "

" कमला.... कमला... देखो मनीष आ गया, आरधना के साथ।
शीतल बेटा .. भैया आ गये "
मिस्टर अग्रवाल ने अपनी पत्नी कमला और बेटी शीतल को आवाज दिया।

कमला और शीतल एक साथ सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे आये। नीले रंग की डिजाइनर साड़ी, बालों पर जुड़ा बंधा हुआ, होंठो पर हल्की सी लिपस्टिक और रंग एकदम गोरा मिसेज कमला अग्रवाल।सोसायटी मे उनकी अलग पहचान थी, अग्रवाल महिला समिति की अध्यक्ष भी तो उन्हे ही चुना गया था। मनीष की जिन्दगी के अहम फैसले वो ही तो लेती थी और समझो अग्रवाल हाउस की बागडोर उसने ही तो सँभाल रखी थी।
ब्रॉउन कलर की टॉप, ब्लू जीन्स पहने हुए, खुले बाल, होंठो पर गहरी लिपस्टिक और गोरे रंग वाली शीतल इस बार एम. कॉम की स्टूडेंट थी, हमेशा सजने सवरने मे आगे और घूमना फिरना ये शीतल के शौक थे।
माँ और बेटी बस एक ही ख्वाहिश रखते थे कि हमेशा उनकी गिनती सोसायटी के टॉप मे हो।

" नमस्ते आंटी, नमस्ते शीतल जी "
आराधना ने उनका अभिवादन किया।

" नमस्ते , अच्छा तो तुम हो आराधना "
शीतल ने मुँह बनाते हुए कहा।

" तुम काफी एडवांस हो आराधना, सबको जल्दी अपना बना लेती हो "
कमला ने भी मजाकिया अंदाज मे आराधना से कहा।

" ऐसी बात नही आंटी "

" अरे भाई बाद मे बातें करते रहना, चलो पहले ब्रेकफास्ट तो हो जाये "
बीच मे टोकते हुए मिस्टर अग्रवाल ने सभी को टेबल की ओर इशारा करते हुए कहा,और फिर वे सभी ब्रेकफास्ट के लिए बैठने लगे, पर आराधना खड़ी ही रही।

" बैठो बेटा अब तो संकोच मत करो "
मिस्टर अग्रवाल ने आरधना की ओर देखते हुए कहा।

" हाँ हाँ बैठ जाओ न, वैसे भी हम लगभग सभी वर्कर्स को घर बुला चुके हैं ब्रेकफास्ट के लिये " शीतल ने बीच मे ही टोककर कहा।

इतने बड़े घर मे आराधना खुद को असहज महसूस कर रही थी, लेकिन मनीष का प्यार ही था जो उसे अपनेपन का एहसास दे रहा था। कमला और शीतल ने कहा कि वो आराधना से कुछ बातें करना चाहती हैं इसलिए वो उसे गार्डन मे ले जाने लगे।

" कैसा लगा आरधना हमारा घर
सुना है तुम अनाथालय मे रहती थी "
शीतल ने आराधना से कहा।

" जी । बहुत अच्छा है आपका अग्रवाल हाउस
मैने इतना बड़ा घर तो पहली बार देखा है "
आराधना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

कमला भी सवाल- जवाब करने लगी, उनके पूछने का अंदाज कुछ अलग ही था जैसे वो उसे नीचा दिखाने के लिए हो, कमला ने बताया कि उसने मनीष के लिये लड़की पसंद कर ली है। और वो चाहती है कि वही उसके घर की बहु बने।

" लेकिन आंटी, मनीष जी ने वादा किया है कि वो तो आपको मना ही लेंगे "

" ऐसा कैसे कह सकती हो तुम, कितने सपने देखे है मैने अपने लाडले की शादी के लिए और वैसे भी मनीष तो इतना दयालु है कि हर किसी पे रहम कर देता है तो क्या सबको अपने घर की बहु बना लूँ "

" मम्मी ठीक कह रही है आराधना, अच्छा होता कि तुम कोई और लड़का ढूंढ लेती अपने लिए, मेरे भैया ही मिले थे क्या "

" लेकिन मै आपको कैसे समझाऊँ आंटी, और शीतल आपके भैया ने ही तो मुझे ..."

" चुप...बिल्कुल चुप लड़की, मै अच्छे से जानती हूँ तुम जैसों को .. गरीब हो ,अनाथ और बेसहारा हो इसका मतलब ये नही कि तुम मेरे बेटे की अच्छाई का फायदा उठाओ "

कमला और शीतल ने आराधना को खरी खोटी सुनाने मे कोई कसर नही छोड़ी, अब खामोशियों आराधना की आवाज छीन ली। वो तो बस आँखे नीचे करके खड़ी रह गयी।

" मम्मी ये क्या तमाशा है, आप ऐसे कैसे बात कर सकती हो आराधना से, और शीतल तुम.."
मनीष पीछे से चिल्लाते हुए आया।

" क्या गलत कह दिया भैया मम्मी ने, कितनी लड़कियाँ है जो आप पर जान छिड़कती है पर आपने ये अनाथ लड़की ही क्यों पसंद की "
शीतल की बातों मे अब कर्कशता झलकने लगी।

" shut up शीतल, she's my life और मै इसके बिना जी नही सकता, मम्मी आप तो समझने की कोशिश करो, मैने promise किया है आराधना से शादी करूँगा तो बस इसी से "
मनीष ने आराधना का हाथ पकड़ते हुए कहा और उसे वहाँ से दूर ले जाने लगा।

" क्या हुआ बेटे, बातें तो हो गयी न तुम आराधना को लेकर कहाँ जा रहे "
मिस्टर अग्रवाल ने रास्ता रोकते हुए कहा।

" पापा देखो न, मम्मी और शीतल तो आराधना से ऐसे बर्ताव कर रहे जैसे ये उनकी दुश्मन हो "

" दुश्मन ही तो है, इस लड़की ने न जाने आप दोनो पर क्या जादू कर दिया है। आप ये तक भूल गये कि ये हमारे शॉप की नौकरानी है और आप चाहते हैं कि हम इसे अपने घर की रानी बना ले "
अब कमला मिस्टर अग्रवाल पर भी बरसने लगी।

क्रमशः...