पहली माचिस की तीली
अध्याय 7
सुबह के 10:00 बजे।
कोर्ट जाने के लिए सरवन पेरूमाल तैयार हो रहे थे। जजमेंट कॉपी ब्रीफकेस में रखकर लॉक किया, कमरे के बाहर एक छाया को देखकर उन्होंने सिर ऊपर किया।
उनका लड़का किशोर खड़ा था।
6 फीट ऊंचा मदमस्त शरीर पर चेहरा उसका कसा हुआ था। उसने पूछा।
"कोर्ट के लिए तैयार हो गए अप्पा?"
"हां..."
रुपयों में बिके फैसले को आज पढ़ने वाले हो ऐसा लगता है.....
"अम्मा ने बोल दिया क्या?"
"आप ऐसे कैसे बदल गए....?"
सरवन पेरूमाल हंसे। "मनुष्य हमेशा एक तरह से नहीं रह सकता....? समय और जरूरत के अनुसार उसे बदलना पड़ता है...."
"अपने पास रुपए नहीं है क्या ?"
"अपने भविष्य के लिए हमारे पास जो रुपए हैं वह पूरे नहीं हैं.... हमारे जरूरत के हिसाब से कम है ।"
"उसके लिए इंसाफ को गिरवी रखकर पैसा लेना चाहिए....?"
सरवन पेरूमाल हंसे। "अरे किशोर ! इंसाफ तो मनुष्य का बनाया हुआ कानून है। वह कोई पवित्र शब्द नहीं है। कानून के बारे में और इंसाफ के बारे में मुझे पता है। वह किसके दबाव में है और किस का मालिक है किस को देख कर वह डरेगा और किसे देख कर धमकायेगा - इन सब प्रश्नों का मुझे जवाब मालूम है...."
किशोर नफरत से उन्हें देखा।
"अप्पा ! आप जो बोल रहे हैं एक-एक शब्द वह कान में एसिड डाले जैसे लग रहा है.... एक न्यायाधिपति होकर आप कानून के विरोध में फैसला देंगे तो उसका असर आने वाले समय में बहुत ही भयंकर होगा..."
"किशोर ! तुम डर रहे हो ऐसा कोई भी भयंकर नतीजा नहीं होगा। अपने देश को स्वतंत्रता मिले 50 वर्ष हो गए हैं। इन 50 वर्षों में कोई भी राजनीतिक नेता या प्रधानमंत्री उनके दोष के लिए उसे कोर्ट ने कभी दंडित किया है क्या....? नहीं किया। क्यों...? कानून को उन्हें छूने में डर लगता है। आज पूरे इंडिया में सभी प्रदेशों में मुख्यमंत्री और मंत्री कई लोग क्रिमिनल हैं। भ्रष्टाचारी, हवाला कांड, आय से ज्यादा प्रॉपर्टी जमा किया है, कुछ अपने लोगों को रखा है जिनसे अपने दुश्मनों को खत्म करवाते हैं। यानी हत्या करवाते हैं। पद के लिए दूसरे दल में शामिल होकर विश्वासघात करते हैं - ऐसे कई अनैतिक कामों को करने के बाद भी वे कानून के हाथों में नहीं फंसते... क्योंकि कानून उनके लिए कुत्ते के बच्चे जैसे हैं जो उनके पैरों पर पड़ा है..."
"अप्पा...! राजनीतिक लोगों और मंत्रियों को अयोग्य होने दो। आप क्यों उस लिस्ट में जाकर शामिल हो रहे हो...?"
"मैं उनकी लिस्ट में शामिल नहीं हो रहा। यह दूसरा लिस्ट है...."
"अप्पा...! एक कॉलेज की छात्रा के साथ बलात्कार कर हत्या कर देना और उसे टुकड़े-टुकड़े कर जला देना उन जहरीले नागों को आपने छुड़वा दिया.... वह दूसरों को नहीं उकसायेगा....?"
"जब उकसायेगा तब देखेंगे।"
"अप्पा...."
सरवन पेरुमाल अपने हाथ की घड़ी को देखा।
"तुमसे बेकार की बात करने के लिए मेरे पास समय नहीं है। मुझे 11:00 बजे कोर्ट जाना है...."
कमरे से वे बाहर आए।
हॉल के एक तरफ मौन खड़ी अमृतम और अजंता को एक नजर से देखते हुए पोर्टिको मैं खड़ी गाड़ी के पास गए।
ड्राइवर कृष्णन ने विश करके कार के दरवाजे को खोला और ब्रीफकेस को लेकर सरवन पेरुमाल अंदर गए।
कार के रवाना होते ही - कमरे से गुस्से में बाहर आये किशोर के सामने अमृतम और अजंता आए।
अमृतम ने पूछा "तुम्हारे अप्पा ने क्या कहा...?"
"जो भी वे कर रहे हैं उसे न्याय बता कर उस पर पूरा लेक्चर देकर चले गए।"
ऐसे कैसे बदल गए रे...?"
"रुपए... अम्मा रुपए...! लाखों रुपयों को देखकर.... तुम्हारे पतिदेव की बुद्धि भ्रष्ट हो गई...."
"इनको हम कैसे सुधारेंगे?" अजंता के बोलते ही किशोर ने उसे घूर कर देखा।
"सुधारना तो पड़ेगा...! नहीं तो यह हमारे अप्पा नहीं होंगे...."
"भाई साहब...! हम कुछ करने जाएं और सोसाइटी में अप्पा का नाम खराब हो जाए तो....?"
"इस बात को बाहर ना आने देकर उन्हें सुधारने की कोशिश करने वाला हूं..."
"कैसे...?"
"मेरा पहली कोशिश क्या है पता है....?"
किशोर ने बोलना शुरू किया।
रात के 2:00 बजे। चंदन के तेल गोडाउन के सामने अपने वैन को खड़ा करके मुकुट पति बिना आवाज लगाये ही नीचे उतरे ।
"वॉचमैन..."
वॉचमैन अंदर से भाग कर आया।
"सर..."
"गोडाउन में कोई आया था क्या?"
"नहीं... सर..."
"ठीक है वेन के अंदर पेट्रोल के चार कैन हैं.... उसे अंदर ले जाकर रखो...."
वह सिर हिलाते हुए वेन के साइड के दरवाजे को खोल एक-एक पेट्रोल कैन को निकाल कर अंदर ले गया।
"मुकुट पति नीचे उतर चारों तरफ देख उसके छाती के तरफ रखा हुआ सेल फोन को निकाल कर डायल किया।
दूसरी तरफ से रिसीवर को उठाया गया।
"हेलो.... मैं मुकुट पति...."
"बोलिए...."
"पेट्रोल लेकर आ गया..."
"कुल कितने लीटर हैं...?"
"40..."
"हो जाएगा...?"
"हो जाएगा सर... पहले से ही यह तेल का गोडाउन है। पेट्रोल को थोड़ा इधर उधर छिटके तो ही हो जाएगा। सब जगह जलकर राख हो जाएगा। अग्निशमन विभाग को कोई तुरंत फोन ना कर दे इसे देखना पड़ेगा।"
"इस रात्रि के समय कौन इसके जलने को देख रहा होगा? वॉचमैन को कह दिया।?"
"कह दिया। वही तो इस बात का बड़ा साक्षी है...."
"और एक बार उसे कल पुलिस में पूछताछ होगी तो कैसे बताना है बता देना कहीं कुछ बक ना दे...."
"मैं देख लूंगा सर...."
"मुकुट पति संभल कर! किसी भी बात पर लापरवाही नहीं.... नहीं तो फंसकर अंदर जाना पड़ेगा...."
"मुझे नहीं मालूम क्या सर...? एक गलत काम करते समय अक्ल ज्यादा ही काम करता है।"
"काम को पूरा करके मुझे फोन कर देना...."
"ठीक... सर...."
मुकुट पति ने फोन को बंद कर गोडाउन के अंदर गया। वॉचमैन पेट्रोल कैनों को एक तरफ रखकर खड़ा हो गया।
"कालीमुथु ... "
"साहब...!"
"काम शुरू कर दो..... पेट्रोल को सभी तरफ एक सा बिखेर दो। एक ही समय में सभी तरह आग फैल जाना चाहिए। एक भी सामान बचना नहीं चाहिए...."
"ठीक है साहब...."
"मैंने जो बोला सब याद है?"
"याद है...."
"बोलो देखें...."
गोडाउन में आग लगते ही... मुझे यहां से 1 किलोमीटर दूर सैंडिलवुड फैक्ट्री को जाकर वहां के वॉचमैन को खबर कर उसके बाद अग्निशमन ऑफिस को फोन करना है। ऑयल गोडाउन से ही फोन क्यों नहीं किया पूछे तो यहां का फोन खराब है बोलना है...."
"पुलिस एंक्वायरी के आए तो क्या बोलना है.... काली मुथु...? "
"मेन स्विच बोर्ड में अचानक एक धमाका हुआ फिर आग निकलने लगी। क्या हुआ जाकर देखने तक पूरे तेल के गोडाउन में आग फैल गई। आग को बुझाने के यंत्र को निकालने तक आग बहुत बुरी तरह फैल गई... अग्निशमन को फोन करने के लिए टेलीफोन को उठाया। वह बंद पड़ा था। उसके बाद ऑफिस में दौड़कर जाकर मैंने समाचार दिया।"
मुकुट पति मुस्कुराए।
"स्टेटमेंट क्लियर है। कल कोई भी अधिकारी आकर पूछे स्टेटमेंट को बदलकर मत बोलना एक ही जैसे बोलना।"
"फिकर मत करो साहब.... तोते जैसे यही बोलूंगा..."
"चलो... काम शुरू करो..."
काली मुथु एक-एक पेट्रोल के केन को लेकर गोडाउन के मुख्य जगहों पर छिड़कने लगा।
15 मिनट के अंदर पेट्रोल के छिड़कने से हवा में खुशबू आने लगी।
"काली मुथु ....! अब मैं रवाना होता हूं। मेरे जाते ही ऑयल डिपो को जला दो।"
"ठीक है साहब..."
मुकुट पति अपने मेटाडोर वेन को चालू करके रवाना हो गया।
वेन के पीछे के लाल बत्ती को काली मुथु देखता रहा फिर माचिस को सुलगा दिया।
पेट्रोल को पीए हुए बोरियों के ऊपर जो पेट्रोल से भीगी थी उसके ऊपर डालते ही आग चारों तरफ फैल गई। आग की लपटें उठने लगी और उसने गोडाउन पर कब्जा कर लिया।
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