do baalti paani - 33 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 33

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दो बाल्टी पानी - 33

सुनील ने झुंझलाते हुये कहा “ अरे और कौन करेगा??? अईसा कोई है गांव मे जो हमारे कान काट सके, और तुम्हे ...तुम्हे का , जो तुम बनी दरोगा घूम रही हो, का हुआ, कईसे हुया, कब हुया, हमारा दिमाग ना चाटो और जाओ यहां से, अरे अईसी अम्मा तो दुश्मन को दे भगवान, कईसे हिम्मत करके जुगाड लगा के घर से भाग के पिंकी से मिलने गये थे, वो भी इस दरोगा अम्मा को पता लग गया और बाल बनवा दिये हमारे, वो सोचत है कि हमें चुडैल ने धर लिया है, चलो...तुम ...तुम बताओ, का हम पागल दिख रहे हैं, का हमने तुमको मारा, गाली दी, अरे हम सही सलामत हैं और हमे कोई चुडैल नही धरे है, अरी बोल.....बोल ना....भैंस, ....यहां हमारी लंका लगी है और तू अईसे खडी, बहरा गई का.....बोल ना....बोल नही तो कनपटी सुजा देंगे” |

ये सब बातें सुनकर स्वीटी को बहुत गुस्सा आ रहा था और वो ये भी समझ गयी थी कि सुनील बिल्कुल सही है लेकिन फिर भी उसने तसल्ली से कहा “ बिल्कुल धरे है, तुम्हारी बोली से साफ पता चल रहा है, और सबसे बडी चुडैल तो वो पिंकिया है” |

ये सुनकर सुनील ने ना जाने क्या क्या स्वीटी को सुना दिया और स्वीटी भी समझ गयी कि यहां उसकी दाल गलने वाले नहीं क्युं के सुनील तो उस कमीनी पिंकी के प्यार में बांवरा हो गया है, अरे जब उसने अपनी अम्मा को नही समझा तो हमे का खाक समझेगा, यही सब सोचकर स्वीटी वहां से चली गयी |

धीरे धीरे अब गांव में लोगों ने चुडैल को गांव से निकालने की ठान ली, क्युं कि अगर ऐसा चलता रहा तो गांव की सारी औरतें तो मुंडी हो जायेंगी और पानी भरने उस नल पर भी कोई नही जा पायेगा लेकिन शुक्र ये था कि गांव वालों ने फिर भी उस नल से मजबूरी मे एक आधी बाल्टे पानी भरना शुरु कर दिया, लेकिन अचम्भे की बात ये थी कि चुडैल हर किसी को नही सताती थी और यही एक अच्छी बात थी |

एक रात ....

” अम्मा.....अम्मा......” नींद भरी आवाज में गोपी ने वर्माइन से कहा |

वर्माइन चिढते हुये बोलीं “ का है, दिन भर ये दूत दुखी करता है, और रात मे भी चैन नही, का है रे, काहे अम्मा अम्मा कर रहा है, और हजार बार कहा है मम्मी बोला कर” |

गोपी आंखें बन्द किये हुये ही बोला “ टट्टी लगी” |

ये सुनते ही वर्माइन बन्दूक के जैसी गोपी पर दग पडीं “ अरे दिन भर ठूंसेगा तो टट्टी का हमे लगेगी, जा मर जाके, हम नाही उठ रहे, पूरे दिन नौकरानी जईसी लगी रहो और रात को ये चांडाल दुखी करे, एक ये चौधरी हैं सो गये तो फिर दीन दुनिया से कोई मतलब नाहीं” |

गोपी ने कराहते हुये कहा “ अम्मा निकल रही.....” |

ये सुनते ही वर्माइन ने उसका हांथ पकडा और संडास मे ले जाकर गोपी को आराम से बिठा दिया, और खुद देहरी पे बैठ कर उंघाने लगी तभी गोपी ने आवाज दी “ अम्मा पानी ...” |

वर्माइन चौंकते हुये उठी और पानी की बाल्टी उठाई तो बाल्टी पूरी खाली थी, जिसे देखकर वर्माइन की नींद उड गई | उसने और बर्तन देखे तो सब खाली थे, पानी की एक बूंद तक नही थी | वो चिल्लाते हुये बोली “ अरे सनीचर, अब इत्ती रात में पानी कहां से लाउं, कोई एक गिलास पानी तक नही देगा, अब मर संडास मे बैठा रह” |

गोपी रोता हुया बाहर निकल आया तो वर्माइन को याद आया कि बारिश से पास वाला तालाब तो भर गया था, वही से एक बाल्टी पानी ले आती हूं, इसे सौंचने के लिये भी हो जायेगा और दूसरे कई काम हो जायेंगे |