कहीं संवेदनाएं जुड़ी. कुछ महसूस हुआ. अंदर जजबातों का धुआं घुमड़ने लगा.फिर जजबात इस कदर मचले कि एक गुबार सा फूटा.जजबात छिटके,बिखरे ,फिर जुड़ते चले गए. बनने लगी कोई दांस्ता और खुद व खुद अल्फाजों की लयबद्ध पंक्तियां कागज पर उतरती चली गईं. जब रूकीं तो एक मुक्म्मल दांस्ता सामने. यही है ,बस मेरे लिखने का मर्म.
लेकिन, जब कोई किसी निश्चित पर कुछ अद्भुत सा लिखने को बोले, तब कितनी मशक्कत होती है.मशीन की तरह काम करना. जबरदस्ती की परिस्थितियां क्रियेट करो.फिर उससे जुड़ने की कोशिश करो. शब्दों को पंक्तियों में पिरोओ.फिर कागज रंगने बैठो.कितना अननेचुरल सा होता है. जजबात जुड़ते ही नहीं. कहते हैं न दिल से लिखो ,वही दिल से होकर गुजरता है. हां,लिखना तो कुछ ऐसा ही है, जो दिल से होकर गुजरे.आग लगा दे जजबातों में-ऐसा मेरी दोस्त ऐनी का हुकुम है.हां,उसी ने कहा कोई अद्भुत प्रेम कथा लिखो. जो पर्दे को फाड़कर रख दे.आग लगा दे दर्शकों के दिल में.मुझे ऐसी ही लव स्टोरी चाहिए-यह ऐनी का अनुरोध नहीं ,आदेश था.ऐनी का आदेश में टाल भी नहीं सकता. पहले तो वह मेरी अच्छी दोस्त है. मैं उसे पंसद भी करता हूँ. उस पर उसके मेरे ऊपर एहसान. उसे न कहने का तो सबाल ही नहीं उठता. जब-जब मैं उलझा.मेरी कलम को जंग लगी.आकर सुना दिया फरमान-अब ऐसा लिखो,अब बैसा लिखो.
इस बार भी उसे मेरी खामोशी हजम नहीं हुई. फरमान सुना गई-एक अद्भुत प्रेम कथा का.अब बस एक ही शब्द मेरे दिलोदिमाग को बश में किए है-अद्भुत प्रेम कथा.
वैसे प्रेम तो अद्भुत ही होता है.या होता ही नहीं. यदि हो जाये किसी से तो कहां उसे दरकार है ,उसकी सूरत से,उसके ओहदे से या उसकी दोलत से.बस,दीदार हुआ. उतरी कोई तसवीर आँखों में और बस उतरती चली गई दिल में.समोया जो किसी का प्यार दिल में.फिर कहां उसका नशा उतरा. सारी कायनात एक तरफ.मेहबूब की मोहब्बत एक तरफ.
एक ऐसी मौहब्बत, जिसपर जमाना रश्क करे.
ऐनी तुम्हें प्रेम कथाओं का ही शौक क्यों है. और भी कितने ज्वलंत मुद्दे हैं-बूढ़ी आँखों के चिराग का बुझना, उम् के आखिरी पायदान पर सिर से खिसकती छत,भरी जवानी में टूटते सपने, नौकरी पेशा मां-बाप के वक्त को तरसते बच्चे. पल-पल रिसती औरत,बेरोजगारी से तंग आत्महत्या करता युवा-कितने खास मुद्दे हैं, यह समाज के. सब हमारे आसपास ही घटित हो रहे हैं. जो हर पल महसूसे जातें हैं. लिखने बैठो तो कलम रूकती ही नहीं. वैसे भी इन मुद्दों पर लिखा जाना लाजमी है. लेकिन, ऐनी को तो बस प्यार का नशा है.वह भी अछूता प्यार. जंगली बूटी का.या पहाड़ की बांदियों में मचलती खूबसूरती का. ऐनी तुम प्यार को किस कदर जीती हो.मैं महसूस कर सकता हूँ. लेकिन, तुम्हें खुद प्यार करने की फुरसत नहीं. कहां देख पाती हो तुम-कोई तुम्हारे लिए कितना बैचेन है. लेकिन, तुम्हें तो अपने काम में ही मोहब्बत जीने में मजा आता है. अपनी मोहब्बत के लिए समय ही नहीं. मैं ही हूँ जो तुम्हारे अपने प्यार की तलाश में कहां -कहां से तुम्हारी खुशियों के मोती चुनकर लाता हूँ. जंगली बूटी हो या पहाड़ की बांदियों की खूबसूरती ,जाना मुझे अकेले ही है. बहाना है तुम्हारा-मुझे इधर काम देखना है. तुम ही जाओ. घूमों-फिरो, महसूसोंऔर रंग भर दो अनछुई मोहब्बत में.
इस बार तो समय की भी पांबदी. कहानी जल्दी मुक्म्मल करनी है. बादलों से घिरे पहाड़. पहाड़ पर अपने आप को संभालते से पेड़.खूबसूरत बांदियां. पहाड़ों से झरते झरने .मेरे जेहन में समाने लगे.
मैंने बैग मे अपना जरूरी सामान रखा.डायरी, पेन,कैमरा, लेपटॉप ,सबसे पहले रखा. थर्मस में चाय भरी, कुछ नाश्ता साथ रखा.पानी की कुछ बोतलें कार में डालीं और कार स्टार्ट कर दी.
क्रमशः
ःःःः
Abha yadav
7088729321