लहराता चाँद
लता तेजेश्वर 'रेणुका'
8
- साहिल .. साहिल..."
अनन्या ने जाते हुए साहिल को पीछे से आवाज़ लगाई। ऑफिस की गेट की तरफ जाते हुए साहिल, अनन्या की आवाज़ से पीछे मुड़कर देखा। अनन्या को देखकर वह हक्का-बक्का रह गया। वह गुलाबी रंग का लहंगा पहनी हुई थी। गुलाबी रंग की लहंगे पर आकाशी नीले रंग के धागे से सुंदर फूल पत्तियों से एम्ब्रॉयडरी की गई है। पीले रंग की चोली फिर गुलाब रंग के चुनरी अनन्या पर बहुत फब रही थी। जैसे कोई गुलाबी परी गुलाबों की बगिया से सज-धज कर निकली हो। गोरे -गोरे चेहरे के पर हल्के लाल रंग की लिपस्टिक और घुँघुराले बाल हवा के साथ उड़कर उसके गालों को चूम रही थी। अनन्या को सामने देखकर वह देर तक देखता ही रह गया।
- हेय क्या देख रहे हो?" उसकी चेहरे पर चुटकी बजाते पूछा।
- वो ... वो, नहीं कुछ नहीं।" अनन्या के चेहरे से नज़र हटा नहीं पा रहा था साहिल। अपने सिर पर हाथ फिराते हुए सफाई देने के लिए रास्ता ढूँढने लगा।
- बोलो-बोलो क्या बात है? ऐसे हकला क्यों रहे हो?" मुस्कुराते हुए बोली।
- वो ..वो .. बाल, चेहरे पर .. तुम्हारे " ऊँगली उसके चहरे की तरफ दिखाते हुए कहा।
- अच्छा वो.. अभी ठीक करती हूँ ।"
- रुको... अनन्या।" कहकर जोर से आवाज़ दिया।
- क्या हुआ ?" अनन्या ने आँखों के इशारे से पूछा।
- नहीं कुछ नहीं मैं ..मैं .!एक मिनट।" कहकर अपने हाथ को आगे बढ़या। अनन्या के गुलाबी गालों और काजल लगी बड़े-बड़े आँखों को देख सुंदरता से लिपटी परी की कहानी याद आ गई। साहिल ने अचानक पूछा, "बचपन की परी की कहानी याद है तुम्हें? जो दादी हमेशा सुनाती थी।"
- कौन सी?"
- वही लंबे बालों वाली परी की कहानी।"
- उसे अब क्यों याद किया जा रहा है?" बड़ी-बड़ी आँखों को घुमाते हुए पूछी अनन्या। अनन्या साहिल क्लासमेट रह चुके हैं। साहिल का उस के करीब आकर बात करना अनन्या को अच्छा लगता था। चाहे साहिल ने कभी प्यार का इजहार न किया हो लेकिन उसके आँखों में उसके लिए प्यार बखूबी नज़र आ रहा था। दो इंसान अगर एक दूसरे को दिल से चाहते हो तो जरूरी नहीं कि मुँह से प्यार का इजहार किया जाए। प्यार की तरंग खुद व खुद उस इंसान तक पहुँच ही जाती है जो दिल के करीब हो।
- तुम्हारे बालों को देख .... " अनन्या के बालों को पीछे हटाते हुए कहा।
अनन्या ने बिल्कुल ध्यान न देते हुए पूछा, "अच्छा, ये बताओ तुम कैसे हो ?"
- बिल्कुल ठीक हूँ और तुम सुनाओ तुम कैसी हो? "
- बहुत बढ़िया और तुम्हें बहुत-बहुत मुबारक, तुम्हारी नौकरी में तरक्की के लिए। अनन्या ने साहिल को मुबारक बाद देते हुए कहा।
- धन्यबाद और तुम्हें भी बधाई।
- मुझे ... मुझे क्यों? मेरी तो कोई तरक्की नहीं हुई है? आश्चर्य से बोली अनन्या।
- इतने घने सुंदर काले बालों के लिए। हँसते हुए कहा साहिल।
- ओह! मज़ाक ? अनन्या भी मुस्कुरा कर बोली।
- नहीं सच है, बहुत सुंदर लग रही हो। उसे टकटकी देखते हुए कहा।
- हेय ये कैसे देख रहे हो? कहीं प्यार-व्यार करने का इरादा तो नहीं?
- हो भी सकता है' तो क्या?
- हेय सोचना भी मत, ठीक है। मुझे प्यार-व्यार में कोई इंटरेस्ट नहीं है।
- ऐसा क्यों! यही तो उम्र है प्यार में जीने मरने की कसम खाने की, उसके बाद किसने देखा है?
- साहिल.. तुम्हें तो मैं मार डालूंगी। शरमाते हुए ऊँगली दिखा कर बड़ी-बड़ी आँखों से गुस्सा दर्शाते हुए बोली।
- क्यों तुम अरेंज्ड मैरिज करने वाली हो?
- मुझे तो शादी ही नहीं करनी।
- ऐसा क्यों? आश्चर्य हो कर पूछा।
- बस मुझे नहीं करनी, मुझे मेरे डैड और और बहन ही सब कुछ है। उन्हें छोड़कर कहीं कभी नहीं जाउँगी।
- खैर शादी जब होगी तब होगी लेकिन सच तो यह है कि आज तुम बहुत सुंदर दिख रही हो। अनन्या ने साहिल की ओर घूरते हुए गुस्से से देखा।
- अरे, मैं सच कह रहा हूँ। तुम आज बहुत सुंदर दिख रही हो।"
- कॉम ऑन साहिल .. तुम भी न। आज क्या हो गया तुम्हें। नकली गुस्सा प्रदर्शित करते हुए कहा।
साहिल को अनन्या बचपन से अच्छी लगती है, लेकिन उसे प्यार जाहिर करने के लिए सही समय का इंतज़ार है और अनन्या के मन में क्या है कौन जाने? अगर उसे पता चलेगा कि वह दोस्ती से आगे उससे प्यार करता है तो कहीं अनन्या उससे दूरी न बना लें। अगर अनन्या उससे दूर चली गई तो .. इस ख्याल से ही उसका मन काँप उठता था।
अनन्या ने विषय को बदलते हुए कहा, "ठीक है छोड़ो। ये बताओ कि तुम भिवंडी बाजार गए थे? क्या हुआ वहाँ?"
- कुछ नहीं हुआ। हम गए तो थे पर कुछ ख़ास खबर नहीं मिली बहुत देर इंतज़ार के बाद हमें बिना कोई न्यूज़ कवरेज के ही वापस आना पड़ा।"
- कुछ तो पूछ ताछ किया होगा, कुछ तो खबर मिली होगी। आंखें बड़ी करके साहिल की नज़र में नज़र मिलाते हुए सवाल किया।
साहिल, अनन्या की बड़ी-बड़ी आँखों को देखता रह गया। उन आँखों मे कई सवाल थे। मगर वह देख रहा था उसकी काज़ल भरी आँखों में झलकती बिजली को। जैसे कि एक छुअन में लाखों वाल्ट के करेंट दौड़ पड़ेंगे उसके शरीर में। माथे पर अनसुनी लटों ने उसके चेहरे पर आँखमिचौली खेल रही थी। हल्की लाल रंग की लिपस्टिक के बीच सफेद दाँत मोती से चमक रहे थे। गोरे बदन पर गुलाबी चुनरी अपनी मनमानी करते हुए हवा से ताल दे कर नाच रही थी। ठंडी हवा के झोंके से साहिल के बदन में हल्की सी सिहरन खिल गई और वह जैसे स्वर्ग लोक से जमीन पर उतर आया।
अनन्या प्रश्नार्थक नज़र से साहिल की हरकतों को देख रही थी। सफेद शर्ट पर नीले रंग की टाय, हल्के भूरे रंग की पतलून पहन रखी थी। हाथ में इम्पोर्टेड घड़ी। चेहरे पर छोटी-छोटी मूछें और हल्की सी दाढ़ी चेहरे को स्टाइलिश लुक दे रही थी। उसकी आँखें बहुत कुछ कह रही थी। उसकी आँखों में आँखें मिलते ही एक घबराहट अनन्या के चेहरे पर साफ साफ दिखने लगी। तुरंत ही उसने साहिल की नज़रों से अपनी नज़रें हटाकर नार्मल होने को कोशिश करते हुए पूछा - "हाँ मैं कह रही थी कि.. वहाँ के रहने वालों की क्या राय है, उनसे पूछ ताछ की ?"
- " हाँ उनमें से कुछ लोग कहने के लिए आगे आए पर बाकी डर के मारे कोई कुछ नहीं बताया। बहुत मुश्किल से कुछ ही बयान रिकार्ड कर पाया पर उसमें कोई ख़ास जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई।"
- अच्छा ठीक है, कोई बात नहीं, कुछ न होने से बेहतर कुछ तो है। उसी में से हम बहुत कुछ निकाल ही लेंगे। यही तो हमारी खासियत है।"
साहिल अनन्या को देखता रह गया। अनन्या की बड़ी-बड़ी आँखे और उन आँखों को घूमाते बात करने की आदत साहिल को बहुत अच्छी लगती थी। उसके पॉजिटिव ऐटिट्यूड, प्यारी सी मुस्कराहट जो चेहरे से कभी ओझल नहीं होती और सभी से हँसते हुए बात करने का ढंग दूसरों से काफी अलग है। चेहरे पर आत्मविश्वास और किसी भी मुश्किल को अनायास सुलझा देने की उसकी खासियत पर साहिल फ़िदा था।