Ulajjn - 11 in Hindi Moral Stories by Amita Dubey books and stories PDF | उलझन - 11

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उलझन - 11

उलझन

डॉ. अमिता दुबे

ग्यारह

अंशिका की दोस्त भूमि आजकल खूब खुश है। उसकी खुशी फूटी पड़ रही है क्योंकि उसके पापा का ट्रांसफर हो गया था वे चले गये थे, लेकिन बोर्ड परीक्षा होने के कारण उसे शिफ्ट करना वे ठीक नहीं समझते इसलिए मम्मी और वह इक्जाम्स तक यहीं रहने वाली हैं। भूमि खुश इसलिए है कि पापा के सामने वह बन्धन महसूस करती है। पापा टोका-टाकी भी करते हैं और जरूरत पड़ने पर डाँटते भी हैं। भूमि भरसक जवाब देती है लेकिन एक लिमिट तक क्योंकि उसे डर है कि कहीं बात-बात की बहस बढ़ गयी तो पापा उसकी पिटाई भी कर सकते हैं। इसलिए वह इसकी नौबत नहीं आने देती। ऐसा वह बड़ी शान से दोस्तों के बीच बताती है।

अंशिका को अच्छा नहीं लगता जब भूमि कहती है मेरी मम्मी तो ‘ओल्ड फैशन’ की हैं। जानती हो उन्हें टी0वी0 के चैनल बदलना नहीं आता। मोबाइल में मैसिज टाइप करना नहीं आता यहाँ तक कि किसी का नम्बर आ जाये तो उसे ‘सेव’ करना नहीं आता, तो हैं न ओल्ड फैशन की।

अंशिका सोचती है जो लड़की अपनी मम्मी-पापा के बारे में ऐसी बातें करती है वह खुद कितनी भी मार्डन बनने की कोशिश करे उसकी छोटी सोच साफ दिख जाती है। उसकी इन बातों से किसी को उसके प्रति सहानुभूति नहीं होती बल्कि उसकी लच्छेदार बातें सुनकर लोगों को चटपटी बातें बनाने का मौका मिलता है।

स्कूल में हाफ डे होना था। एक दिन पहले ही प्रोग्राम बन गया था कि सब सहेलियाँ मिलकर भूमि के घर जायेंगी और शाम तक अपने-अपने घर वापस आ जायेंगी। अंशी ने मम्मी से पूछा तो उन्होंने इजाजत दे दी लेकिन इतना जरूर कहा कि यदि कालोनी में रहने वाली कोई लड़की जा रही हो तब ही जाओ। अंशिका ने आश्वस्त कर दिया था कि कालोनी में रहने वाली दीप्ति दीदी भी जायेंगी और वह उन्हीं के साथ लौट आयेगी। वैसे भूमि की गाड़ी उन्हें घर तक पहुँचाने वाली थी।

अंशिका का बहुत मन नहीं है भूमि के घर जाने का लेकिन सारी सहेलियाँ उसे लेकर बातें न बनायें इसलिए उसने जाने का मन बनाया है। मोबाइल वाली बात के बाद से वह भूमि से कुछ खिंची-खिंची रहती थी तो सब सहेलियों ने उसका खूब मजाक बनाया था उसे खूब चिढ़ाया भी था कि भूमि की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाकर वह इसलिए पीछे हट गयी क्योंकि वह भूमि की ‘चार्मिंग परसनेलिटी’ से डर गयी। रुचि ने तो यहाँ तक कह दिया कि भूमि कैंटीन में हम सबको इतना खिलाती-पिलाती है इसलिए अंशिका डरती है कि कहीं उसे भी कभी भूमि की तरह पैसे न खर्च करने पड़ें।’

अंशिका के पास इन बेतुकी बातों को उत्तर तो था लेकिन वह कुछ कहना नहीं चाहती थी क्योंकि भूमि बैग में मोबाइल लेकर आती है यह बात वह अपने मुँह से नहीं कहना चाहती थी। बेचारी अंशिका नहीं जानती थी कि भूमि ने अपने ग्रुप की सभी लड़कियों को ‘किसी को न बताना’ कहते हुए मोबाइल लाने की बातें सभी को बता रखी थीं और ज्यादातर लड़कियाँ उसके मोबाइल में फीड चुटकलों वाले कुछ मैसिज पढ़ भी चुकी थीं।

हाफ डे के बाद सभी लड़कियाँ भूमि की कार में बैठकर उसके घर चल गयीं। वहाँ भूमि की मम्मी पहले से ही बरामदे में खड़ी उन सबकी प्रतीक्षा कर रही थीं। अंशिका को तो ग्रीन सूट में वह बहुत प्यारी लगीं। उन्होंने मैचिंग चूड़ियाँ पहन रखी थीं। हल्के से मेकअप में वे ग्रेसफुल लेडी लग रही थीं। भूमि ने जैसे उन्हें ओल्ड फैशन वाली लेडी कहा था उससे तो उनकी छवि कहीं मैच नहीं कर रही थी।

सभी लड़कियाँ ड्राइंगरूम में बैठ गयीं। आण्टी पहले से तैयार नाश्ते की टेª लेकर तुरन्त आ गयीं जिसमें स्नैक्स के साथ कोल्ड ड्रिंग्स थे। सभी ने एक-एक गिलास उठा लिया भूमि ने बड़ी बदतमीजी से कहा- ‘ममा, अब आप किचन में जाओ हमारे सिर पर क्यों खड़ी हो हम ढाई बजे लंच लेंगे। मीनू मैंने पहले ही बता दिया है। अभी एक बजा है डेढ़ घण्टे तक इस कमरे में तुम मत आना। हम फ्रैण्ड्स कुछ पर्सनल बातें करेंगे।’

अंशिका ने देखा एक पल के लिए आण्टी का चेहरा धूमिल पड़ गया। दूसरे ही पल वे कमरे से बाहर निकल गयीं। रुचि ने टोका ‘भूमि! तुमने आण्टी को कमरे से बाहर क्यों भेज दिया।’

‘अरे यार! उन्हें तो सिर पर खड़े रहने की आदत है। अगर मैं नहीं कहती तो वे यहीं जम जातीं तो हमारा यहाँ आना ही बेकार चला जाता। ठहरो पहले कमरे का दरवाजा दोनों ओर से बंद कर लूँ फिर तुम सबको अपनी एस0एम0एस0 डायरी दिखाती हूँ बड़े मस्त-मस्त मैसिज हैं इसमें।’ कहते हुए भूमि ने आँख मारी।

सभी लड़कियाँ सेण्टर टेबिल किनारे कर फर्श पर बिछे कालीन पर पसर गयीं कुछ ने सोफे का टेक लगाया और कुछ ने कुशन जमीन पर खींच लिये। आराम से बैठने के बाद भूमि ने एस0एम0एस0 डायरी खोली और मैसिज पढ़ने शुरू किये भूमि ने पहला मैसेज पढ़ा-

खिड़की के सलाखों से जब झाँक कर देखा!

तो नीचे कमल और ऊपर चाँद नजर आया!!

किसी ने कीचड़ में कमल और किसी ने चाँद में दाग देखा

मैंने तो एक चेहरा आफताब पाया।

सभी लड़कियाँ वाह-वाह करने लगीं। एक मजेदार मैसिज था-

‘डाॅग ने कैट को किया प्रपोज

और दिया रेड रोज

दोनों हो गये शादी को तैयार

पर घर वालों को था इनकार

बोले ये शादी नहीं होने वाली

क्योंकि लड़की नहीं चलेगी मूँछों वाली।’

एक और मैसेज भूमि ने पढ़ा-

‘आई मिस यू!!

डू यू मिस मी?

!!

नो ?

वाई नाॅट ?

ओ के फाइन

पैसे दो इस एस एम एस के

अभी ... इसी वक्त!’

मदर्स डे से सम्बन्धित एक मैसेज था -

‘लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,

बस एक माँ है जो कभी खफा नहीं होती।

हैपी मदर्स डे।’

कुछ सीरियस होने का नाटक करते हुए एक मैसिज भूमि ने सुनाया-

हनुमान जी के इन छः नाम को 12 लोगों को भेजो-

(1) अंजनिसुत (2) पवनपुत्र (3) महाबली (4) रामदूत (5) बजरंग बली (6) विनाशक। इस शनिवार तक एक अच्छी खबर मिलेगी। नाॅट जोक।

‘तो क्या तुमने, यह मैसेज 12 लोगों को किया।’ अंशिका ने पूछा।

‘हाँ किया था।’ भूमि ने कहा

‘तो सैटरडे तक अच्छी खबर मिली।’

‘क्या अच्छी खबर मिली।’ सभी लड़कियाँ एक साथ चिल्लायीं।

‘मेरे पापा का ट्रांसफर हो गया।’ भूमि खिलखिलायी।

‘ध्ज्ञत्, यह कोई अच्छी खबर है।’ अनन्ता ने टोका

‘नहीं तो क्या बुरी खबर है। मेरे लिए तो इससे अच्छी खबर फिलहाल और कोई नहीं हो सकती।’ भूमि ने ढिठाई से कहा।

सारी लड़कियाँ एकदम शान्त हो गयीं। सबके मन में अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ थीं।

तभी पिछले दरवाजे पर दस्तक के साथ ‘बेबी खाना तैयार है’ की आवाज आयी। सबकी निगाह एक साथ घड़ी की ओर उठी उसमें ठीक ढाई बजे थे।

भूमि के कहने पर सब डाइनिंग हाॅल में पहुँच गयीं। कुछ लड़कियों ने साबुन से हाथ ध्ज्ञोये कुछ ने केवल पानी से भूमि और तृप्ति तो बिना हाथ धोये ऐसे ही खाने बैठ गयीं। अंशिका का मन हुआ उन्हें टोक दे लेकिन वह चुप रही क्योंकि जो लड़की अपनी मम्मी से बुरा बर्ताव कर सकती है वह अपनी सहेली को कैसे छोड़ेगी ?

सबने मिलकर खाना खाया। खाना खूब स्वादिष्ट बना था छोले, भटूरे, मंचूरियन, पुलाव, रायता और सलाद। बाद में स्वीट डिश के रूप में रसमलाई। सभी लड़कियों ने खाने की खूब तारीफ की भूमि की मम्मी वहीं बैठी रहीं सबके कहने पर भी उन्होंने खाना नहीं खाया। अंशी ने नोट किया कि भूमि ने आण्टी से एक बार भी खाने का अनुरोध नहीं किया। एक पल को अंशिका के मन में आया कि कहीं ये भूमि की सौतेली माँ तो नहीं हैं। कोई भी लड़की अपनी सगी माँ से इस तरह का खराब व्यवहार नहीं कर सकती लेकिन भूमि से पूछे कौन? वैसे अगर भूमि की मम्मी सौतेली होतीं तो वह अब तक बता चुकी होती। उसे कोई बात छुपाने की आदत तो है नहीं और न ही उसके पेट में कोई बात हजम ही हो सकती है।

‘क्या सोच रही हो अंशिका ?’ चारू के टोकने पर ‘कुछ नहीं’ कहते हुए अंशिका सबकी बातों में सम्मिलित होने का प्रयास करने लगी।

खाना खाने के बाद सभी लड़कियाँ भूमि के साथ उसके कमरे में आ गयीं जहाँ कम्प्यूटर रखा हुआ था। भूमि ने कम्प्यूटर आॅन कर उस पर हाॅलीवुड की मूवी लगा दी। सभी उसमें मगन हो गयीं। लगभग आधा-पौन घण्टे बाद दरवाजे पर फिर दस्तक हुई। भूमि ने दरवाजे पर ही टेª ले ली जिसमें आइसक्रीम से भरी प्यालियाँ थीं। पिक्चर देखते-देखते आइसक्रीम खायी गयी।

साढ़े चार बजने वाले थे। अंशिका को चिन्ता हुई अगर अभी नहीं निकले तो ट्यूशन छूट जायेगी। सर तो कम डाँटेंगे सौमित्र की अच्छी खासी डाँट खानी पड़ेगी साथ में दादी भी लापरवाही पर टोके बिना नहीं रहेंगी। सोमू को उसका भूमि के घर जाना वैसे ही बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। लेकिन मम्मी की परमीशन मिलने के कारण वह कुछ ज्यादा बोला तो नहीं लेकिन चेतावनी देते हुए इतना जरूर कहा- ‘देख लेना अंशिका, भूमि से तुम्हारी दोस्त तुम्हें मुसीबत में डालेगी। तुम अभी नहीं मानोगी लेकिन तुम्हें बाद में पछताना पड़ेगा।

भूमि के घर से लौटते समय सबने अगली छुट्टी के दिन शाॅपिंग माॅल जाने का प्रोग्राम बनाया। फिल्म देखने का विचार तो जूही ने यह कहकर टाल दिया कि सबके घर में कम्प्यूटर, डी0वी0डी0 हैं जब चाहो पिक्चर देखो। इससे अच्छा है कि मैक डी में कुछ खाया पिया जाय और शाॅपिंग माॅल में विंडो शाॅपिंग की जाय।

‘विंडो शाॅपिंग क्या होती है ?’ अंशिका ने अनाड़ियों की तरह पूछा।

‘अभी से क्या पूछ रही हो जब करेंगे तब देखना।’ भूमि ने छेड़ा।

तय यह हुआ कि दशहरे की छुट्टी तक कौन इंतजार करे अगले फ्राइडे को जो छुट्टी है उसी में घूमा जाय। सभी को अंशिका के घर इक्ट्ठा होना था जहाँ से भूमि अपनी कार से उन्हें आगे ले जाने वाली थी।

‘बाय-बाय’, ‘सी-यू’, ‘टा-टा’ के शोर के बीच सभी लड़कियाँ ठस-ठसा कर कार में बैठ गयीं।