30 Shades of Bela - 25 in Hindi Moral Stories by Jayanti Ranganathan books and stories PDF | 30 शेड्स ऑफ बेला - 25

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30 शेड्स ऑफ बेला - 25

30 शेड्स ऑफ बेला

(30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास)

Episode 25 by Tushar तुषार

और फिर एक दिन…

बेला बैंक से बाहर निकल आई, दोनों हाथों से कस कर उसने एक पैकेट पकड़ रखा था, आंखों में अजीब सा सवाल। एक और नई बात?

किससे कहें? मां, पापा, पद्मा? क्रिष? शायद वह इस सवाल का जवाब दे पाए। क्रिष का मोबाइल अभी भी स्विच्ड ऑफ आ रहा था। बेला थोड़ा खीझ गई—वो है कहां? एक सप्ताह से उसका कोई अता-पता नहीं है। वह इतना गैरजिम्मेदार कैसे हो सकता है?

बेला ने समीर को फोन लगाया। कॉल उसके वॉइस मेल पर गया, हाई, समीर बोल रहा हूं, एक मीटिंग में हूं। आप कृप्या अपना मैसेज छोड़ दें।

बेला ने लंबी सांस ले कर मैसेज छोड़ा कि उसे मीटिंग से निकल कर फोन कर लें। चलते-चलते वह कैफे कॉफी डे तक पहुंच गई। अपने लिए लात्ते ऑर्डर किया और एक कोने की टेबल पर जा कर बैठ गई। अब भी अंदर तूफान सा मचा था। क्या पद्मा को पता था उसके पिता माइक उसके लिए क्या छोड़ कर जा रहे हैं? बेला ने लिफाफा खोल कर एक बार फिर माईक का पत्र पढ़ा। लंबी सांस ले कर उसने लिफाफा बंद कर दिया।

लग रहा था कि उसे तुरंत वापस मुंबई लौट जाना चाहिए। नियति मां को भी साथ ले जाएगी। कॉफी खत्म करके वह टैक्सी से ले कर घर आ गई। दरवाजे पर आशा मिल गई। बेला को देख कर उत्साह से कहा, ‘तेरा ही इंतजार कर रहे थे, मैं और दीदी। खाना लगा दूं?’

‘पापा कहां हैं?’

‘किसी काम से निकले हैं। आज जाएंगे शाम तक।’

बेला ने कुछ थकी सी आवाज में कहा, ‘मुझे भूख नहीं है। आप दोनों खा लीजिए। मैं अपने कमरे में जा रही हूं।’

आशा इससे पहले कुछ कहती, बेला ने पलट कर कहा, ‘मैं आज शाम को ही दिल्ली लौट जाऊंगी। आप नियति मां से कह दीजिए। उन्हें साथ ले कर जाऊंगी।’

कमरे में आ कर बेला सीधे बिस्तर पर पड़ गई। ऐसा लग रहा था मानो शरीर में शक्ति बची ही नहीं। सांस भी रुक-रुक कर आ रही थी। बाल खोल कर वह पेट के बल लेट गई। पता ही नहीं चला, कब उसकी सांसें आंसुओं में बदल गई है। ऐसी जिंदगी तो नहीं चाही थी उसने। बचपन से आज तक, बस मन में यही चाह थी कि दूसरों की तरह उसका परिवार भी सामान्य हो। मम्मा-पापा, दादी सब साथ रहें, हंसी-खुशी। ऐसा नहीं हुआ। मां छोड़ कर चली गईं। वह किशोरावस्था में कदम रख रही थी। अचानक लगा, जैसे जिंदगी ठहर गई हो। पापा के चेहरे पर हमेशा एक उदासी रहती। दादी थीं, जो उसके साथ साए की तरह रहती। दादी गुजरीं, तब भी लगा था कि जिंदगी अब पहले की तरह नहीं रहेगी। क्रिश से प्यार हुआ, तो कई दिनों तक अंदर-बाहर से भीगी-भीगी रही। वह भी उसे नहीं मिला।

कदम-कदम पर इतनी चुनौतियां। अब बस। समीर और रिया के साथ वह सुकून की जिंदगी जीना चाहती है। पर चुनौतियां अभी खत्म कहां हुई है? नियति मां का वापस आना जितना अच्छा लग रहा है, यह नया खुलासा उसे चौंका रहा है और खिझा भी रहा है…

कमरे में दस्तक हुई। नियति और आशा थे। नियति संभली हुई लग रही थीं। आशा उसके पास आ कर बिस्तर पर बैठ गई। नियति उसके सिराहने खड़ी हो गई, ‘बेटी, खाना खाने चलो। हमने भी नहीं खाया है।’

बेला बहुत मुश्किल से उठी। उसका चेहरा देख कर नियति समझ गई, ‘कोई बात हो गई बेला? कुछ छिपा रही हो ना हमसे?’

बेला के चेहरे पर फीकी सी हंसी आई, ‘मेरे पास छिपाने के लिए क्या है मां? मैं तो विक्टिम हूं। पता नहीं और क्या-क्या राज खुलने जा रहा है। अब तो डर लगने लगा है मां।’ बेला ने अपना चेहरा नियति के आंचल में छिपा लिया।

नियति उसके सिर पर हाथ फेरते हुए बोली, ‘इसे राज मत कहो बेला। ये कुछ ऐसे सच हैं, जिनका वास्ता हमसे नहीं पड़ा।’

आशा बेला के पास आ गई, ‘बताओ तो बेला, क्या हो गया?’

बेला ने सिर उठाया, ‘क्या क्रिश और पद्मा की शादी हुई थी?’

आशा ने अचकचा कर उसकी तरफ देखा।

‘ये रिचर्ड कौन है?’

आशा के चेहरे का रंग बदलने लगा, ‘रिचर्ड? तुम्हें उसके बारे में…’

बेला ने अपना बैग खोला, ‘आपको याद है, जब आप मुंबई में थी, आपने मुझे पद्मा को एक लिफाफा देने को कहा था? उसमें एक लॉकर की चाबी थी और कुछ पेपर्स। पद्मा चाहती थी कि मैं लॉकर से सामान ले कर आऊं। देखिए, लॉकर से मुझे क्या मिला?’

बेला ने एक वेस्टर्न शादी का गाउन और एक पत्र उनके सामने रख दिया। आशा ने धीरे से पत्र उठाया। माइक की लिखावट थी—पैट्रीशिया, प्लीज मैरी क्रिश, युअर मैरिज टु रिचर्ड डसन्ट मैटर। आइ एम सॉरी, आई फोर्स्ड यू।

‘आप इस लेटर के बारे में जानती थीं?’

आशा ने हां में सिर हिलाया और सिर पकड़ कर बैठ गई। नियति ने आशा का हाथ थाम कर दबाया।

आशा ने भरे गले से कहा, ‘माइक बहुत चाहता था पैट्रीशिया को। उसे लगता था कि अगर वह किसी आस्ट्रेलियन से शादी करेगी, तो उसका भटकना बंद हो जाएगा। माइक को भी अंदाज था कि पद्मा ड्रग्स लेने लगी है और उसका प्रेमी भी ड्रग एडिक्ट …’

आशा की आंखों से आंसू बह निकले। नियति ने उसके हाथ में पानी का गिलास थमाया।

आशा ने पानी पीने के बाद लंबी सांस ले कर कहा, ‘माइक ने मुझे खुल कर कभी कुछ नहीं बताया। पर मुझे अंदेशा था। वह पद्मा को ले कर एक दिन अपनी मां से मिलने चला गया। बाद में पता चला कि उसने रिचर्ड से पद्मा की शादी कर दी है।’

‘पद्मा तैयार हो गई थी?’ बेला ने पूछा।

‘पद्मा हमेशा से कमजोर रही है, मानसिक स्तर पर। अपने लिए निर्णय नहीं ले पाती थी। फिर वह डरती भी थी माइक से। पता नहीं कैसे माइक ने उसे मना लिया। दबाव था या… शादी के दो दिन बाद पद्मा ने मुझे फोन किया था। उसकी आवाज सुन कर मैं डर गई थी। वह कह रही थी कि वह आस्ट्रेलिया से भाग कर इंडिया आ रही है अपने प्रेमी के साथ और उससे बनारस में शादी कर रही है। उसने यह भी कहा था कि सॉरी, मैं पापा को धोखा दे रही हूं। उनसे कहना, रिचर्ड सही आदमी नहीं है। उसने शादी की पहली रात को मुझ पर हाथ उठाया। मुझे गालियां दी, पापा को भी भला-बुरा कहा। मैं डर गई हूं सबसे, मुझे जाने दो। अपनी जिंदगी जीने दो। हो सकता है मैं गलत हूं। पर मैं खुश होऊंगी कि यह निर्णय मेरा था।’

नियति और बेला के आसपास खामोशी तैर गई। बेला का दिल भर आया। पद्मा का संघर्ष उससे कहीं ज्यादा है। तकलीफों भरा।

देर तक तीनों चुप रहे। नियति ने ही चुप्पी तोड़ते हुए कहा, ‘तीन बजने को हैं। चलो, खाना खा लो।’

तीनों भारी कदमों से चलते हुए बाहर आ गए। डाइनिंग टेबल पर पुलाव, रायता, सलाद और चटनी थी। बेला बस दो चम्मच खा पाई। आशा से तो वो भी खाया नहीं गया। बेला ने ही खाने के बाद टेबल साफ किया। दोनों बहने बरामदे में आ बैठीं। बेला सबके लिए अदरक की मसाले वाली चाय बना कर ले आईं। चुपचाप सबने कप उठा लिया।

बेला ने चाय पीने के बाद उठते हुए कहा, ‘मैं घर जाना चाहती हूं, मां, आप साथ चलेंगी ना?’

नियति की आंखें बंद थी, पता नहीं वो क्या सोच रही थीं। आंखें हल्का सा खोल, इशारे से बेला को अपने पास बुलाया, ‘तुम क्या चाहती हो बेटा?’

बेला ने धीमी आवाज में कहा, ‘मैं क्या चाहती हूं, इसका कोई मतलब नहीं रहा। मेरे चाहने से क्या होता है?’

‘माइक की भी तो एक लास्ट विश थी। क्या उसे हमें पूरा नहीं करना चाहिए?’

बेला ने चौंक कर नियति की तरफ देखा।

नियति के चेहरे पर शांति थी।

आशा ने धीरे से कहा, ‘माइक हमेशा पद्मा को खुश देखना चाहता था… वह अपनी बेटी के लिए पजेसिव था, पर…’

‘बेला, मैंने जब उस सफेद गाउन पर हाथ फेरा, तो लगा, वहां पहले कई आंसू बरस चुके हैं। मैं माइक का दर्द समझ सकती हूं। मैं भी तुम्हारे लिए कुछ ऐसा ही महसूस करती हूं।’

आशा ने कहा, ‘क्रिश और पद्मा की शादी हमने घर पर की थी। पुष्पेंद्र ने एक पंडित बुला लिया था और उनके बनारस के दोस्त इंद्रपाल…’

बेला का हाथ थाम कर नियति बोली, ‘यह काम तुम्हें करना होगा बेला। अगर माइक अपनी बेटी को सफेद गाउन में देखना चाहता था, तो हमें उसकी यह इच्छा जरूर पूरी करनी चाहिए।’

बेला के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था, अंतत: क्रिश और पद्मा की शादी उसके हाथों होनी है! उसने सिर झटक दिया। अजीब सा अहसास था। उसका प्रेमी, उसकी बहन। उसका परिवार। सबके केंद्र में थी पद्मा। वह कहां है? बेला के बारे में कोई क्यों नहीं सोच रहा?

चाय पी कर बेला लंबे वॉक के लिए निकल गई। चलते-चलते दिमाग में ऑक्सीजन भरने लगा, सड़क किनारे एक पुलिए पर बैठ कर सोचने लगी—आखिर इसमें गलत क्या है? उसके पास समीर है, रिया है। पद्मा को भी तो एक मोहर चाहिए अपने रिश्ते पर, अब तो और भी जब वह क्रिश के बच्चे को जन्म देने वाली है।

दो घंटे बाद वह घर लौटी। शाम ढल चुकी थी। मौसम बदल रहा था। ठंडी हवा चलने लगी थी। बेला घर आई, बरामदे में आशा, नियति और पुष्पेंद्र खड़े मिल गए।

आशा जोश में लगभग उससे लिपटते हुए बोली, ‘बेला सबसे बात हो गई है। समीर, पद्मा और रिया को ले कर कल दिल्ली आ रहा है। क्रिश को भी मैसेज भेज दिया है। वो दुबई में है। वो भी कल शाम तक यहां आ जाएगा। देखो, सब ठीक हो गया ना बेला?’

बेला के चेहरे पर हलकी सी मुस्कराहट आ गई। नियति पापा से कुछ कह रही थीं, वे हंस रहे थे। अचानक बेला मन ही मन बुदबुदाई—अब और कुछ नहीं। गॉड, इस पल को यहीं फ्रीज कर दो। बहुत हुआ।