माहीं के कालेज की छुट्टी होते ही हलकी बून्दा बांदी शुरू हो गई थीं..
ओ हो बारिश शुरू हो गई तेज होने के पहले घर पहूचना होगा इसी रास्ते से में जाती हु जल्दी पहुंच जाऊँगी...यही सोचते हुए माहीं थोड़ा तेजी से चलने लगी... तभी उस पीछे से कोई जानी पहचानी आवाज़ लगीं।
अरे तुम भी इसी रास्ते से घर जाती हो!
माहीं ने पलट कर देखा तो सिर्फ आवाज ही नहीं वो शख्स भी जाना पहचाना ही था...
उसे देखते ही माहीं का दिल जोरो से धङकने लगा हाँ ये वही था...
क्या हुआ?
उसे चुप देख कर उसने हल्की सी मुस्कराहट के साथ कहा...
हा ये उसका दूसरा वार था जो सीधे माहीं के दिल पे जा लगा... आज उसे सही मायनों में समझ आ रहा था के बोलती बन्द होना किसे कहते है....
इस ख्याल से के कही जवाब ना देने पर वो चला ना जाएं माहीं ने जल्दी से हाँ में जवाब दिया...
बारिश तेज होनी शुरू हो गयी...
अरे बारिश तो तेज हो गयी जल्दी से वहां चलो वरना हमारे बैंग भीग जाएंगे...
उसने थोड़ी दूर पर सामने बस स्टेन्ड की तरफ इशारा किया था... माहीं के किसी जवाब का इंतिजार किये बगैर उसने माहीं का हाथ पकड़ा और भागते हुए वहां पहुँच गया...
करीब 5 मिनट तक वहां सिर्फ बारिश का ही शोर रहा...
आब तुम चाहो तो मेरा हाथ छोड़ सकती हो...
उसने पूरे 5 मिनट बात हल्की सी मुस्कराहट के साथ कहां।
तब माहीं को एहसास हुआ के उसने शायद अभी तक उसका हाथ पकड़ा हुआ है उसकी रंगत शर्म से लाल पड़ गयी
माहीं ने जल्दी से हाथ छोड़ना चाहा लेकिन इस बार माहीं ने नहीं उसने माहीं का हाथ पकड़ा हुआ था।
माहीं के दिल की धङकने तेज होने लगी माहीं ने बहुत मुश्किल से उसकी तरफ सिर उठा कर देखा वो माहीं को ही देख रहा था...
आपने मेरा हाथ पकड़ा हुआ है.
माहीं ने धीमें से बोल.
हाँ तो चोर का हाथ पकड़ कर ही रखते हैं वरना भाग नहीं जाऐ. उसने पहले की तरह धीमें से मुस्कुरा के कहाँ।
चोर? मतलब. माहीं को कुछ समझ नहीं आया।
नहीं समझी में समझाता हु।
उसने थोड़ा करीब आते हुए कहा. लेकिन उसने माहीं का हाथ नहीं छोड़ा बारिश भी बराबर हो रही थीं.
मतलब के जो चोर दो सालों से चुपचाप हर जगह हर रास्ते हर गलियों मेरा पीछा कर रहा है उसे आज पकड़ लिया है मैंने .
माहीं को समझ आ गया था के वो उसके बारे में ही बात कर रहा है आखिर उसकी चोरी पकड़ी गई थी आज उसे समझ ही नही आ रहा था के वो क्या कहें..
क्या वो बता दे के उससे किस हद तक मुहब्बत है उससे उसकी एक झलक पाने के लिये वो हर रास्ते हर मोड़ हर गलियों मे उसका पीछा करती रही लेकिन कभी कह ना सकीं
वो में माहीं... ने थोड़ी हिम्मत करके बोलना शुरू किया..
उसकी बात मुकम्मल होने से पहले ही अरहम ने अपनी उगली उसके होंठों पर रख दी ।
सफाई नही बस इतना बताओ के इतनी इतनी मुहब्बत क्यों करती हो..उसने पुछा और उसके थोड़ा और करीब हो गया।
माहीं ने बोलने के लिए जितनी हिम्मत जमा की थी सारी अचानक से हवा हो गयी उसने अरहम को अपने इतने करीब पहली बार देखा था।
अचानक जोरदार आवाज़ हुई और तेज बारिश शुरू हो गयी कही शायद कही कोई ट्रान्सफार्मर फटा था माहीं डर की वजह से अरहम के सीने से लग गयी। लेकिन पाँच सेकेंड बाद ही वो उससे अलग हो गयी और शर्म की वजह से अपने दोनो हाथो से अपना मुँह छुपा कर खड़ी हो गयी।
कुछ भी कर लो जनाब लेकिन आज मुझे मेरे सवालों के जवाब चाहिए उसने माहीं का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खीचते हुए कहाँ...
मुहब्बत क्यों करती हो मुझसे इतनी? उसने माहीं की आँखो मे झाँकने की कोशिश करते हुए कहां.
किसने कहाँ के में आप से मुहब्बत करती हु?
लेकिन माही ने शर्म से आँखे नीचे करते हुए कहां।
क्या तुम्हें लगता है के मुहब्बत कहने और सुनने की मोहताज होती है माहीं यहां मेरी आंखो मे देखो और जवाब दो उसने दोनों हाथों से माहीं का चेहरा उपर उठाते हुए कहा.
"नही" मुहब्बत तो वो खुशबू है अरहम जिसे हम मिलों दूर से भी महसूस कर सकते हैं.
उसकी आँखो मे देखते हुए माहीं ने जवाब दिया.
तो तुमने कैसे सोचा के मे तुम्हारी बेपनाह मुहब्बत से अनजान हु मे जानता हु माहीं के तुम्हारी हर साँसों पर सिर्फ मेरा नाम है मे जानता हु के सिर्फ मेरा नाम लेने से ही तुम्हारी धड़कने कितनी तेज हो जाती है और मे ये भी जानता हु के ये सब तुम मुझसे कभी बयां नही कर पाओगी मे वो सब जानता हु माहीं जो तुम कभी नही कह सकतीं, मुहब्बत एक ऐसा रोग है माहीं जो बहुत ही जल्दी असर करता है
लेकिन शायद तुम ये नहीं जानतीं माहीं के तुम्हारा ये रोग मुझे भी लग गया और इसकी दवा सिर्फ तुम हो अगर तुम नही मिलीं ना माहीं तो ये मर्ज मेरी जान ले लेगा मे ये तो नही जानता माहीं के तुम जितनी मुहब्बत मुझसे करती हो में भी उतनी मुहब्बत कर पाऊंगा या नही मगर मे आज अपने खुदा से यह दुआ करता हु के अगर मेरे दिल से कभी भी तुम्हारी मुहब्बत थोड़ी सी कम हुई तो ऐ खुदा मुझे उसी पल उठा लेना।
अरहम के दिल मे अपने लिए इतनी मुहब्बत देख कर माहीं की आँखो मे खुशी के आँसु आ गये।
वैसे तुमने ये नही बताया के मेरा पीछा करने की सजा क्या दू तुम्हें, अरहम ने उसके आँसु पोंछे और उसे बाहों मे ले कर मुस्कुराते हुए पूछा.
"उम्रकैद" माहीं ने पुर इत्मीनान से अरहम के सीने पर सिर टिकाते हुए कहाँ था।
अच्छा जान जी उसके लिये आपको और हमे आपने अम्मी अब्बू से बात करनी होगी और ये तो तब होगा ना जब हम घर चलेंगे।
तो फिर चलिये माहीं ने शरमाते हुऐ कहा और अरहम का हाथ पकड़ कर अपने रब का शुक्रिया करते नये सफर की शुरुआत के लिए चल दी क्योकिं ये रहमतो वाली बारिश काफी लम्बे इंतिजार के बाद उसके रब ने उसकी जिंदगी मे की थी।