भाग 1 . इस कहानी में यह दिखाने का प्रयास किया गया है कि दो सच्चे प्रेमियों के बीच उम्र का फासला कोई खास मायने नहीं रखता है ….
कहानी - ना उम्र की सीमा हो 1
सतीश बी टेक केमिकल इंजीनियरिंग से कर बंगाल के हल्दिया स्थित टाटा केमिकल में इंजीनियर था .उसके पिता तो बचपन में ही गुजर गए थे . अपनी माँ के साथ हल्दिया में कंपनी के क्वार्टर में रहता था .नौकरी लगते ही लड़की वाले उसकी माँ के पास शादी का प्रस्ताव ले कर आने लगे थे .सतीश ने सब कुछ माँ की पसंद पर छोड़ दिया था , बस इतना कहा था कि लड़की पढ़ी लिखी हो .
सतीश की माँ कमला तो खुद मैट्रिक फेल थीं , पर कुशल गृहिणी थीं .एक लड़की गरिमा की फोटो उन्होंने पसंद की .गरिमा ने आंध्रा प्रदेश के डोनेशन वाले कॉलेज से कंप्यूटर इंजीनियर की पढ़ाई की थी .इत्तफाक से वह भी टाटा केमिकल के ऑटोमेशन विभाग में काम कर रही थी .वह एक बड़े बिजनेसमैन की एकलौती बेटी थी .माँ ने इस रिश्ते को पसंद किया तो सतीश को कोई एतराज नहीं था .एक शुभ मुहूर्त देख कर जल्दी शादी भी हो गयी .
गरिमा के पिता ने बेटी को विदा करते समय महँगी कार के साथ ब्रांडेड टी वी , ए सी , फ्रिज , माइक्रोवेव आदि सभी चीजें दीं थीं .हालांकि सतीश की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं थी .सतीश को अंदर से ससुर की दौलत का रोब अच्छा नहीं लगा था .उसकी नाराजगी पर गरिमा ने कहा " पापा ने तो स्वेच्छा से हम दोनों के आराम के लिए दिया है .इससे तुम्हें कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए ."
सतीश अपने स्कूटर से प्लांट जाता था और गरिमा कार से जाती थी .गरिमा अपनी सास कमला के प्रति
उदासीन रहती थी .उनकी सीधे उपेक्षा तो नहीं करती थी , पर सतीश को उसके व्यवहार से अपेक्षित ख़ुशी
नहीं थी .फिर भी उसने कभी गरिमा से कोई शिकायत नहीं की .
कुल मिला कर दोनों का वैवाहिक जीवन एक साल तक ठीक ठाक चल रहा था .उसके बाद अचानक एक दिन गरिमा ने सतीश से कहा " इस गंदे शहर और दमघोंटू प्लांट में मैं अब और काम नहीं कर सकती .मैं अमेरिका में एम एस करने जाऊंगी और फिर वहीँ जॉब करूंगी ."
" पर इसके लिए लाखों रूपये चाहिए .अभी तो हमने नौकरी शुरू ही किया है ."
" सिर्फ नौकरी से कभी कोई आगे बढ़ सका है क्या ? पापा के पास जो भी है मेरा ही है .मेरा मतलब हम दोनों का ही है .वे हम दोनों की अमेरिका में पढ़ाई का खर्च आसानी से उठा सकते हैं .और फिर हम दोनों ने जी आर ई टेस्ट भी दे रखी है .बस एक सिंपल अंग्रेजी का टेस्ट टोएफल देना होगा ."
" फिर भी अभी कुछ वर्षों तक हम ऐसा सोच भी नहीं सकते हैं .आखिर बूढ़ी माँ को किसके सहारे छोड़ देंगे ."
" उन्हें किसी ओल्ड एज होम में रख देंगे ."
" फिर कभी मेरी माँ के बारे में ऐसा नहीं सोचना ." पहली बार उसने ऊंची आवाज में गरिमा को डाँटा था .
" ठीक है , तुम श्रवण कुमार बन कर रहो , मैं तो अमेरिका जाऊँगी ."
एक साल के अंदर ही गरिमा अमेरिका चली गयी .सतीश और कमला ने काफी समझाया था पर वह न मानी .कमला ने तो सतीश को भी जाने की इजाजत देते हुए कहा " मैं अब कितने दिन जिऊंगी .तुम दोनों अपनी जिंदगी क्यों ख़राब कर रहे हो ."
पर सतीश ने कहा " मुझे कहीं नहीं जाना है . "
गरिमा के जाने के बाद घर में सूनापन छा गया .कुछ भी हो उसकी उपस्थिति से कम से कम सतीश को अकेलापन नहीं महसूस होता था .गरिमा से फोन पर बात या चैटिंग होती , पर हफ्ते दो हफ्ते में एक बार.
अब जब सतीश प्लांट से आता घर में चुपचाप लैप टॉप ले कर बैठ जाता था .फेस बुक पर उसकी दोस्ती एक लड़की से हुई .दोनों देर तक चैटिंग भी करते . .सतीश को फोटो से लड़की काफी आकर्षक लगी , बातचीत की भाषा भी मेच्योरेड थी .उसने अपनी उम्र नहीं बतायी और न ही सतीश को पूछने की हिम्मत हुई .सुकन्या नाम था उसका और वह गुजरात की रहने वाली थी , बस इतना पता था सतीश को .दोनों कभी मौका देख कर मिलने की सोच रहे थे , पर दोनों देश के दो छोर पर थे
इस बीच एक बार सतीश भी दो महीने के लिए अमेरिका गया .गरिमा ने ही टिकट भेजी थी और कहा था एक बार आ कर अमेरिका का लाइफ देख ले .सतीश ने भी साफ़ बता दिया था कि उसका अमेरिका में बसने का कोई इरादा नहीं था .गरिमा ने पूछा भी था " तब हमारे रिश्ते का क्या होगा ? मैं तो यहीं सैटल करूंगी ."
" तुम जो चाहो वही होगा ."
" तब बेहतर है कि हम अलग हो जाएँ , मैं तो अब इंडिया नहीं लौटने वाली हूँ ." उसने बड़े सहज तरीके कहा
गरिमा ने अमेरिका में ही तलाक फाइल किया .वहां की उदार और लचीली नीति के चलते उसे तलाक मिलने में
कोई कठिनाई नहीं हुई .इस बीच गरिमा अमेरिका में मेक्सिकन मूल के एक अमरीकी नागरिक के काफी नजदीक आ चुकी थी .तलाक के बाद उसने उसी से शादी भी कर ली .इससे गरिमा के ग्रीन कार्ड मिलने का रास्ता आसान हो गया था .
इधर सतीश को प्रमोशन के साथ टाटा कंपनी ने अपने गुजरात स्थित द्वारका के पास मीठापुर प्लांट में ट्रांसफर कर दिया .इस खबर से सतीश और सुकन्या दोनों बहुत खुश हुए .अब उनके मिलने का रास्ता आसान हो गया था .सतीश अपनी माँ के साथ गुजरात चला गया .वहां भी उसे कंपनी की ओर से एक अच्छा सा क्वार्टर मिला था .
गुजरात आने के पहले सुकन्या ने बताया था कि वह द्वारका में रहती है जो सतीश के प्लांट से महज 40 किलोमीटर दूर है और ओखा में उसका बिजनेस है .ओखा तक तो अक्सर उसका आना जाना होता है और ओखा टाटा केमिकल से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर है .
कमला ने सतीश बेटे से कहा " अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए .जब गरिमा लड़की होकर अपनी मर्जी से दूसरी शादी कर सकती है तो फिर तुम क्यों नहीं कर सकते ? "
" शादी करूंगा माँ .इस बार अपनी पसंद से करूंगा ,पर तुम्हारी पसंद का पूरा ख्याल रखते हुए ."
" और वो लड़की कैसी है जिससे तुम कंप्यूटर पर बातें करते रहते हो .एक बार तो मैंने भी उसकी फोटो देखी थी .अच्छी लगती है ."
" फोटो में तो गरिमा भी बहुत अच्छी लगती थी तुम्हें और झटपट शादी का मुहूर्त भी निकलवा दिया था . वैसे अभी हमारे बीच सिर्फ दोस्ती है ."
" फिर भी उसका मन टटोलने की कोशिश तो कर सकते हो ."
सतीश और सुकन्या दोनों ने छुट्टी के दिन मिलने का प्रोग्राम बनाया .दोनों ने अपने फोटो फेसबुक पर शेयर तो किये थे , पर फिर भी उन्हें डर था कि कहीं पहचानने में दिक्कत हो .इसलिए दोनों ने अपने अपने ड्रेस बताये जिसे पहन कर उन्हें जाना था .तय हुआ कि रविवार को ओखा के सी बीच पर मिला जाए .सुकन्या ने बता रखा था कि बीच पर एक हट है जिसमें छोटा सा रेस्टोरेंट है , वह उसे वहीँ मिलेगी .
शनिवार शाम से ही सतीश घड़ियाँ गिनने लगा था .रात भर सुकन्या के ख्यालों में सोता जागता रहा .सारी रात सुकन्या के सपने देखता रहा .
सुबह जल्दी ही नाश्ता पानी कर चलने को तैयार हुआ .उसे नौ बजे तक बीच पहुंचना था .चलते समय एक दोस्त आ गया .किसी तरह जल्दी से चाय पिला कर सतीश ने उसे विदा किया .
माँ ने फिर सतीश को याद दिलाया " अब जब मिलने जा ही रहा है तो दोस्ती के आगे की बात कर देख तो
सही कि उसके मन में क्या है ."
पर बीच पहुँचते पहुँचते आधा घंटा विलम्ब हो गया . सतीश को उस हट में सुकन्या नहीं मिली हालांकि घर से निकलने समय उसे फोन कर दिया था की उसे कुछ देर हो सकती है .
सतीश वहीँ एक टेबल पर बैठा कॉफी पीने लगा .कुछ पल बाद उसने देखा कि पानी में से एक लड़की निकली .वह उसी रंग के स्विमिंग सूट और स्विमिंग ग्लासेज में थी जो सुकन्या ने बताया था , पर बीच से वह काफी दूर था तो ठीक से पहचान नहीं सका .उस लड़की ने बालू पर से अपने स्लिपर्स और टॉवेल उठाये .टॉवेल को कंधे पर डाला और आगे बढ़ी .
जिज्ञासा वश सतीश भी उठ खड़ा हुआ .अभी तक वह निश्चित नहीं था कि दिखने वाली लड़की सुकन्या ही थी .पर शायद सतीश के कपड़े का रंग देख कर उसे आभास हो गया हो और वह अपने दोनों हाथ हिला कर इशारा करने लगी , टॉवेल उसके कंधे से नीचे जा गिरा .सतीश ने भी प्रत्युत्तर में अपने दोनों हाथ लहराए .
सुकन्या ने टॉवेल उठा कर हट की तरफ जोर से दौड़ना शुरू किया .वह जैसे जैसे करीब आती सतीश की निगाहें उसके खूबसूरत बदन के अंगों पर फिसल रही थीं .जब वह उसके ठीक सामने खड़ी हुई तब भी उसके वक्ष दोलायमान हो रहे थे और वह हांफ रही थी .सतीश की नजरें भी वहीँ टिकीं थीं .ऐसा देख कर सुकन्या ने टॉवेल से तुरंत अपने शरीर को ढका .
सतीश बोला " इतनी तेज साँसें चल रही हैं , दौड़ने की जल्दी क्या थी ."
" स्लिपर्स पहन कर बालू पर तेज चल नहीं पाती और नंगे पाँव तपते बालू से पैर जल रहे थे . तुमने इतनी देर क्यों कर दी ? "
" खैर वह सब छोड़ो और कॉफ़ी पिओ ." और उसने कॉफ़ी का आर्डर दिया
" मैंने अपने ड्रेस पीछे वाले रूम में रखे हैं .मैं चेंज कर के आती हूँ ." और वह हट के पीछे बने चेंज रूम में चली गयी .
दस मिनट बाद दोनों बैठे कॉफ़ी पी रहे थे .
" लंच में क्या लोगी ? आर्डर कर देता हूँ , यहाँ एक घंटा लग जायेगा रेडी करने में ." सारीश ने पुछा
" मुझे घर का खाना ज्यादा पसंद है .चलो मेरे घर , वहीँ खाएंगे .ज्यादा दूर नहीं है यहाँ से .वहीँ आराम से बातें होगी ."
" तुम स्विमिंग सूट में बहुत खूबसूरत लग रही थी .
" अब तो मैंने चेंज कर लिया है .अगले रविवार को फिर देख सकते हो अगर चाहो तो ." बोलकर सुकन्या खिलखिला कर हँस पड़ी .
" घर में और कौन है ? "
" बस एक आदमी रहता है मेरे साथ ."
" मैंने पहले भी कई बार पूछा था पर तुमने कभी साफ़ साफ़ बताया नहीं कि तुम किसी के साथ रहती हो . "
" आज चल कर खुद देख लेना ."
कुछ देर बाद दोनों अपनी अपनी कार से चल पड़े और आधा घंटा बाद सतीश द्वारका के पास सुकन्या के घर में था .घर क्या एक आलीशान बंगला था .दो दो महंगी गाड़ियां और पूर्णतः सुसज्जित घर , एशो आराम के सभी साधन मौजूद थे .
सुकन्या ने आवाज लगाई " मीरा बेन , महाराज से बोलो दो प्लेट लगा दे डाइनिंग टेबल पर ."
" यह घर का काम , सफाई आदि देखती है .रात में यहीं बाहर वाले कमरे में सो जाती है ."
तब तक एक आदमी आया , उसे दिखाते हुए बोली " यही वह आदमी है जो दिन भर मेरा ख्याल रखता है
सतीश उस बुजुर्ग को आश्चर्य से देख रहा था तभी वह बोली " मेहता अंकल आप हम दोनों का खाना लगा दें ."
सतीश के चेहरे को देख कर कोई भी कह सकता था कि उसे शांति मिली हो .
" मैं दस मिनट में नहा कर आती हूँ तब तक खाना लग जायेगा ." बोल कर वह ऊपर अपने बेड रूम में चली
गयी .
थोड़ी देर में दोनों ने भोजन किया .फिर मेहता बंगले के आउट हाउस में चला गया और मीरा अपने कमरे में .
" तुम्हें इतने बड़े घर में अकेले डर नहीं लगता है . "
" नहीं , यहाँ ऐसे वैसे वारदात सुनने को विरले ही मिलते हैं . गैरों से नहीं , पर अपनों से जरूर डर लगता है ."
" क्या मतलब ? "
" मुझे शादी के दो साल बाद ही दो हादसों का सामना करना पड़ा था ."
" तुम्हारी शादी भी हो चुकी है ? "
" है, नहीं थी , करीब बारह साल पहले .उस समय मैं उन्नीस वर्ष की थी और बी .ए .में पढ़ रही थी . शादी के एक साल बाद मैंने अपना ग्रेजुएशन पूरा किया था . "
" मगर तुम्हें देख कर कोई भी तुम्हारी उम्र का अंदाजा नहीं लगा सकता है और आसानी से धोखा खा सकता है ."
" जैसे तुम खा गए और मुझ पर लाइन मारने लगे ." और वह बड़े इत्मीनान से हँस पड़ी थी .
अभी तो वह मुसीबतों की बात कर रहीं थी और पल भर में हँसने भी लगी .तेरी इसी अदा पर मैं फ़िदा हूँ , सतीश सोच रहा था .
" अभी तुम मुसीबतों की बात कर रही थी .क्या हुआ था ? "