पहली माचिस की तीली
अध्याय 4
मेन रोड से एक किलोमीटर दूर अंदर की तरह जाकर पोर्टिय ट्री के बीच वह चंदन के तेल का गोडाउन था। एक पुरानी बिल्डिंग को थोड़ा सा सुधार कर नया कर चारों तरफ उसके कांटों का बाउंड्री वॉल जैसे बना दिया था। हवा में हल्की चंदन की खुशबू आ रही थी।
एक पुराने जंग लगे गेट के सामने जीप आकर खड़ी हुई और मुकुट पति ने हॉर्न बजाया।
गेट के अंदर से एक सर बाहर दिखा। उसने जल्दी से सिर को अंदर किया। गेट बिना तेल देने के कारण बड़ी तेज आवाज के साथ अंदर को खुला।
जीप अंदर जाकर एक पेड़ के नीचे खड़ी हुई। मुकुट पति नीचे कूदा।
"उतरिये सर..."
नवनीत उतर कर आसपास देखा। वहां कोई भी लोग नहीं थे। सिर्फ वॉचमैन गेट बंद कर रहा था।
"मिस्टर मुकुट पति,"
"सर...."
"गोडाउन में कुल कितने मजदूर काम करते हैं ?"
"सत्रह लोग सर...."
"कोई भी नहीं दिख रहा है....?"
"ड्यूटी का समय 5:30 बजे का है । अभी 6:30 बज रहे हैं |"
"सुपरवाइजर भी चले जाते हैं....?"
"वह नहीं जाते... हैं सर।
"फिर वह दिख नहीं रहे...?"
"आज छुट्टी पर हैं सर..."
"मुझे आश्चर्य हो रहा है मिस्टर मुकुट पति।"
"क्यों आश्चर्य हो रहा है सर...?"
"करोड़ों रुपए के बहुमूल्य चंदन का तेल स्टॉक रहने वाले जगह पर जितनी सुरक्षा होनी चाहिए वह नहीं है।"
"उसकी जरूरत नहीं है सर.... क्योंकि इस एरिया में चोरी का डर नहीं है। यहां की जनता सभी खेती-बाड़ी करने वाले परिवार से संबंधित हैं.... अपने अपने कामों से ही संबंध रखते हैं...."
"वह ठीक है.. चलिए गोडाउन के ऑफिस में जाते हैं।
दोनों गए।
उस बिल्डिंग के दाहिनी तरफ एक कोने में वह ऑफिस में 40 वोल्ट के बल्ब जल रहा था।
हाथ बांधकर खड़े वॉचमैन चाबी के गुच्छे को मुकुट पति को दिया।
"रूम को खोलो कालीमुथु.."
वह चाबी के गुच्छे को बिस्किट को लपकते कुत्ते जैसे लपक कर ले दरवाजे की तरफ गया।
नवनीत ने पूछा।
रजिस्टर अप टू डेट है...?
"अप टू डेट सर..."
ताले को खोल कर दरवाजा पूरा खोला गया। वॉचमैन ने ट्यूबलाइट जलाया।
मुकुट पति अंदर ले जाकर नवनीत को बैठा कर मेज के ड्रायर को खोल कर एक लेजर निकाला।
"यही है साहब... स्टॉक रजिस्टर।"
"दीजिए..."
नवनीत ने लेकर देखा।
अलग-अलग तारीखों में तेल के अंदर आने का विवरण और बाहर ट्रक से बाहर जाने का विवरण लिखा हुआ था। एक-एक पन्ना पलटते गया। "मुकुट पति..."
"सर..."
"एक पन्ना पलटने के लिए मेरे पास समय नहीं है। अब यहां कितना तेल है ?
"25,000 लीटर सर...."
"चेक करके देख ले....?"
"देख ले सर ! काली मुथु...."
"हां साहब...."
काली मुथु चाबी के गुच्छे के साथ आगे गया - नवनीत और मुकुट पति उसके पीछे पीछे जा रहे थे।
"सर..…?"
"क्या....?"
"एक बिना पते के पत्र पर विश्वास करके आपको दिल्ली से यहां तक आने की जरूरत नहीं थी....?"
नवनीत हंसा।
"बिना पते का पत्र हो... या पते वाला उसके बारे में हमें कोई फिक्र नहीं है। पत्र में बताया हुआ है वह सब सच है क्या इसे मालूम करना हमारे डिपार्टमेंट का कर्तव्य है...."
"आप चाहे तो चेक करिए सर। एक थोड़ा तेल भी कम नहीं होगा।"
"ऐसा हो तो मुझे खुशी होगी। 'फाउंड करेक्ट' लिखकर साइन कर दूंगा और मैं कोयंबतूर जाकर दिल्ली फ्लाइट से रवाना हो जाऊंगा...."
वे गोडाउन के नजदीक पहुंच गए।
शटर का दरवाजा ऊपर कर दिया।
लंबाई में गोडाउन था। पीले रंग के सिंथेटिक बैरल में तेल हिला।
"स्टॉक इतना बताया....."
"25 हजार लीटर...."
नवनीत अंदर जाकर लाइन से जमे हुए चंदन के तेल के बैरल को देखकर एक बैरल को दिखाकर बोला "इसे ओपन करो..."
मुकुट पति काली मुथु को देखा - काली मुथु दीवार के कोने में रखे हुए बैरल ओपनर को लेकर बैरल की तरफ इशारा किया।
"इसे ओपन करो।"
काली मुथु ने मुकुट पति को देखा - ओपनर से धीरे से खोला।
नवनीत मापक से तेल को निकाल कर सूंघ कर देखा। उसके बाद अपने साथ क्वालिटी फाइंडर जो लेकर गया था उसे लेकर एक बूंद उस पर डाला तो बीप-बीप की आवाज से उसमें छोटी लाल लाइट जलने लगी।
मुकुट पति का चेहरा बदल गया। नवनीत मुस्कुरा कर पूछा।
"इसके लिए आप क्या कह रहे हो मुकुट पति?"
"सर.... वह जो...."
"आप कुछ भी बोल कर बच नहीं सकते। क्योंकि मेरे हाथ में जो क्वालिटी फाइंडर है उसे सिर्फ सच बोलना आता है.... झूठ बोलना नहीं आता..."
मुकुट पति हाथ मलते हुए तड़पा शरीर को इधर-उधर करने लगा तो नवनीत बोला "मुझे तुरंत इसका सच पता चलना चाहिए। यहां जो 25 हजार लिटर चंदन के तेल में कितना लीटर नकली....?"
"वह हिसाब ही बता रहा हूं मिस्टर नवनीत..."
पीछे की तरफ से आवाज को सुनकर नवनीत घूम कर देखा।
चेयरमैन कृष्णकांत कोट के जेब से हाथों को निकाल कर हंसते हुए खड़े थे।
...............