do baalti paani - 32 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 32

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दो बाल्टी पानी - 32

ये कहकर जैसे ही बब्बन हलवाई ने बाल्टी उठाई तो उसका हांथ किसी ने पकडा, उसने नजर उठाकर देखा तो सामने सुर्ख लाल साडी मे एक औरत थी जिसका चेहरा साडी के पल्लु से पूरी तरह ढका था |

उस चोटी काट चुडैल को देखकर बब्बन की घिघ्घी बंध गई और वो कुछ बोल ना सका |

चुडैल ने बाल्टी उठाई और उसके तोंद पर रखकर बोली “ क्यूं रे....बडा मजा आ रहा है अब, अभी तो बडा बुला रहा था तो अब क्या सांप सूंघ गया तुझे, बोल ...बोल ना कुछ, आज तो तेरा तबला ये अबला बजायेगी” |

ये कहते हुये चुडैल ने कस कर बब्बन को पकडा और पूरे गांव मे बब्बन की चीख गूंज उठी |

जब बब्बन वापिस घर आया तो उसकी औरत गला फाड फाड कर रोने लगी “ हाय राम....मै तो विधवा हो गई, मै बरबाद हो गई रे, अरे काट लिया.....हाय चुडैल ने काट लिया, काहे हमने तुम्हे भेज दिया...हाय....रे..” |

शोर सुनकर आस पास के लोग इकठ्ठा हो गये जिन्हे देखकर बब्बन चिल्लाते हुये बोला “ अरे काहे हमे जीते जी मारे डाल रही हो, हम तो सामने खडे हैं, और सब कुछ सही सलामत है, ये धोती में खून तो चुडैल से लडते लडते लग गया” |

बब्बन की औरत ने उसके पास जाकर कहा “ हाय री अम्मा, तुम सही सलामत हो चलो फिर तो ठीक है, लेकिन उस चुडैल ने का किया तुम्हारे साथ?”

इस पर बब्बन ने कहा “ अब बस भी कर, बडी दरोग़ा बनी फिरती है, हम आ गये ना सही सलामत और वो भी चुडैल के साथ लड्के, ससुरी बडी जोर थी, अईसे लिपट गई जईसे नागिन, लेकिन हम भी डटे रहे पर का करें उसका मुंह नाही देख पाये, जाने कईसी होगी, नासमरी ने देखो कुछ नाही तो छाती और छाती के बाल ही नोच लिये” |

बब्बन के घाव देखकर हर कोई दंग रह गया और नल के पास जाने का विचार फिर बदल दिया | बब्बन भी गांव वालों को मिर्च मसाला लगाकर अपनी शेखी बघारता | इसी कारण उसकी मिठाई की दुकान में भीड और बढ गई |

उधर पिंकी की चोटी कटने से खुश स्वीटी ने मन ही मन सुनील से मिलने का मन बनाया और उसके घर की तरफ चल दी, जबकि वो जानती थी कि सरला के घर जाने का मतलब अपनी बेज्जती कराना है |

दरवाजे के पास जाकर स्वीटी ने अपना सिर दुपट्टे से ढक लिया और दरवाजा खुला देखकर अन्दर घुस गयी, शुक्र था कि सरला उस समय घर पर नही थी, स्वीटी पूरे घर में ताक झांक करने के बाद सुनील के कमरे मे घुस गई तो उसे देख भन्ना गई |

सुनील के दोनों हांथ एक मोटी रस्सी से बन्धे थे और उसने सर पे एक भी बाल नही था, एक पल के लिये तो स्वीटी उसे पहचान ही नही पाई | अपने आप को संभालते हुये वो बोली “ ये का हाल हो गया है तुम्हारा, हाय राम .....ये ..ये सब कौन किया, ई का हाल बना लिया तुमने काहे तुम अक्षय कुमार से अनुपम खेर हो गये भला”?