सीमा पार के कैदी5
बाल उपन्यास
राजनारायण बोहरे
दतिया (म0प्र0)
5
तीनों अपने रास्ते बढ़े।
आधी रात को इन्हें वह ढाणी दिखी।
बौने आकार की छोटी-छोटी झोपड़ियों वाली उस ढाणी में मुश्किल से बीस-पच्चीस झोपड़ी थी। पटैल को बुलाकर पत्र दिखाया तो उसने बड़ी आव भगत की और रात को ही खाना बनवाकर खिलाया।
दूसरे दिन यह लोग अपने पथ पर बढ़ चले।
इसी प्रकार ढाणियों के बाद कस्बा, फिर शहर और अन्त में प्रांतीय राजधानी पहुँचकर उन्होंने विश्राम किया।
प्रान्तीय खुफिया विभाग का प्रान्तीय कार्यालय इसी शहर मे था। घूमते हुये अजय ने उस तरफ चक्कर लगाया। देखा विशाल बिल्डिंग में सैकड़ों कर्मचारी काम कर रहे थे। बड़ा पहरा था अन्दर पहुँचने का कोई सूत्र न पाकर वह लौट आया। ये लोग इन दिनों एक सराय में रूके हुये थे।
अभय भी हिम्मत हार कर लौटा।
अन्त में स्वयं विक्रांत तैयार हुआ। अटैची लेकर बाथरूम में गया ओर बड़ी देर बार बाहर निकला।
चूड़ीदार पैजामा और अचकन के साथ सिर पर सुरेदार टोपी लगाकर विक्रांत वहाँ पहुँचा जहाँ वह कार्यालय था। गेट पर एक पठान पहरा दे रहा था। एक पल सोचकर विक्रांत भड़भड़ाता हुआ अन्दर प्रविष्ट हुआ।
दरबान ने टोका.....’’ये....ये.....मियाँ कहाँ जाते हो ....... ?’’
- ’ठहर जा भइये बताता हूँ। ’’ कहते हुये विक्रांत ने अपनी अचकन की कुछ बटनें खोली और अचकन की कालर का एक कोना थोड़ा सा एक ओर उठाते हुये दरबान को सीना दिखाया। दरबान चौंका अचकन के नीचे पूरी मिलिट्री बर्दी पहनी दिख रही थी। वह समझ गया कि यह सेना का कोइ्र अफसर है जो सिविल ड्रेस में भीतर जा रहा है। दरबान पर रौब पड़ा और उसने अन्दर जाने का रास्ता दे दिया।
विक्रांत अच्छी तरह से समझता था कि मिलिट्री शासन वाले देश में मिलिट्री का आफीसर ऐसा होता है जैसे प्रजातंत्र में नेता। कहीं भी धंस जाये कोई नही टोकेगा उसे। अतः वह पहले से ही वर्दी पहन कर तैयार होकर आया था। वह भीतर पहुंचा तो सामने ने एक वोर्ड पर बिल्डिंग का नक्शा बना दिखा , जिसे अच्छी तरह से देखकर वह सीधा बढ़ता हुआ रिकोर्ड रूम में पहुँचा।
रिकोर्ड रूम (जिसमें पुराने कागजात रखे जाते हैं) के सामने पहुँचकर और इधर-उधर देखकर अन्दर प्रविष्ट हुआ।
वहाँ बैठा क्लर्क कुछ पूंछे इसके पूर्व ही विक्रांत ने अपनी वर्दी की एक झलक उसे दिखायी। वह आश्चर्यचकित हो रहा था कि विक्रांत बोला- ‘’सोलहवें रायफल बटालियन के कर्नल ने उन आदमियों की सूची मंगाई है जिन्हें भारतीय सीमा पर गिरफ्तार किया गया।’’
- ’’लेकिन सर....यह फेहरिश्त तो हेड आँफिस चली गई है। ’’ क्लर्क कुछ घबरा गया था।
- ’’कोई बात नहीं हम वहाँ से मंगवा लेंगे। ’’ क्लर्क की पीठ थपथपाते हुये विक्रांत बोला और बाहर निकल आया।
सराय छोड़कर तीनों हेड ऑफिस यानि राजधानी को रवाना हुये।
अब वे एक तेज गति वाली रेल की यात्रा कर रहे थे।
राजधानी पहुंचकर होटल अली बाबा में उन लोगों ने एक मंहगा कमरा लिया । तीनों आराम करने लगे।