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दादा जी आप आज स्कूल क्यों जा रहे हो, रोजाना तो नहीं जाते और आज स्कूल में क्या है वहां लड्डू भी हैं आज मैं भी चलूँगी आपके साथ रोजाना तो अकेली ही जाती हूँ
चल बेटा आजा तू भी चल ले, दादा जी हम आजाद कैसे हुए
आजा बैठ तूझे मैं एक कहानी सुनाता हूँ, ये कहानी हमारे गाँव के वीर शहीद पुत्र की हैं
हमारे गाँव में पहले राजबहादुर नाम का एक वीर सिपाही था
जिसे देश भक्ति की किताबें पढ़ने का बचपन से ही शौक था और जब गाँव में 5th क्लास तक स्कूल थी तो वो वहां पढ़ा करता था
अपने पापा का इकलौता बेटा और पापा किसान थे उसके, अपनी पाँच बहनों में सबसे छोटा
उसके मन में देशप्रेम की भावना थी और वो हमेशा फ़ौज में भर्ती होने के लिए मेहनत करता
5th क्लास पास करने के बाद वो अकेला शहर पढ़ने पैदल जाता और आकर पापा की खेत में मदद भी करता
वो रोजाना 9 किलोमीटर पैदल जाता और आता साधन नहीं थे उस समय
समय के साथ उसने 10 वी क्लास पास कर ली और अब उसका मन था कि सेना में जाये
घर वाले उसे कहते कि बेटा आगे और पढ़ ले बड़ी नौकरी
मिल जाएगी, फिर तुम हमारे इकलौते बेटे भी तो हो सेना में तुझे हो जाएगा तो हमारी तो बुढ़ापे की लाठी ही टूट जाएगी लेकिन राजबहादुर हमेशा कहता कि अगर सब ऐसे ही सोचने लग जाएंगे तो देश के बोर्डर हमारी रक्षा कौन करेगा
वो हमेशा जल्दी उठकर दोड़ करता और उसके जुनून के सामने आर्मी दोड़ भी छोटी पड़ गई और उसने दोड़ पास कर ली
अब उसने ट्रेनिंग पास कर बोर्डर पर रक्षा करने का सपना पूरा किया और हमारे गाँव का पहला सैनिक बना
वो जब भी छुट्टियों में आता तो युवाओं को सेना के प्रति जागृत करता और कहता कि हमें आजादी दिलाने के लिए बहुत से वीर जवानों ने कुर्बानी दी हैं इसके लिए हमारा भी कर्तव्य है कि हम देश के कुछ करें, सेना में जाए
जब देश पाकिस्तान से युद्घ कर रहा था तब वो छूटी आया हुआ था तो उसे पता चला कि युद्ध शुरू हो गया है तो वो अपना फर्ज निभाने वापस चला गया और देश के दुश्मनों के सामना बड़ी वीरता से किया
जब वो युद्ध कर रहा था तो उसे गोली लगने से वो वीर शहीद हो गया,
भारत सरकार ने उन्हें वीर चक्र सम्मान से सम्मानित किया और जो गाँव में जो मूर्ति लगी है वो उसी वीर शहीद की हैं
बेटा हमें भी आजादी ऐसे ही वीर जवानों की वज़ह से मिली जिन्होंने गुलामी के वक्त आंदोलन किया और देश के लिए शाहिद हुए
जीने याद करने और हमारी आजादी का उत्सव मनाने हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं जैसे महात्मा गाँधी, वीर भगत सिंह, सुखदेव, चन्दर शेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, आदि ने बहुत आंदोलन किये जिससे हम आजाद हुए
दादा जी मैं भी बड़ी होकर सेना में जाऊँगी और एक एक दुश्मनों को मार दूंगी,
बेटा जरूर जाना, इसके लिए खूब पढ़ना पड़ता,
दादा जी मैं बहुत पढ़ूंगी और जरूर सेना में जाऊँगी
जाना बेटा जरूर जाना
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