Sabko pata tha vah maar dala jayega - 4 in Hindi Thriller by Suraj Prakash books and stories PDF | सबको पता था वह मार डाला जाएगा। - 4

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सबको पता था वह मार डाला जाएगा। - 4

सबको पता था वह मार डाला जाएगा।

सूरज प्रकाश

गैब्रियल गार्सिया मार्खेज़ के उपन्यास

का अनुवाद

chronicle of a death foretold

4

डॉक्‍टर दिओनिसिओ इगुआरां की अनुपस्थिति में फादर कारमैन एमाडोर को जिस कठिन शव परीक्षा के लिए खुद को प्रस्तुत कर देना पड़ा था, उसमें चाकुओं के गोदने से हुए जख्म तो शुरुआत भर थे,“यह ठीक वैसा ही था जैसे उसके मरने के बाद हमने फिर से उसकी हत्‍या कर दी हो।” बुजुर्ग पादरी ने कैलेफॉल में अपने रिटायरमेंट के दौरान मुझे बताया था,“लेकिन ये मेयर का आदेश था और उस जंगली के आदेश चाहे कितने भी ऊट पटांग हों, मानने ही थे।” यह बात पूरी तरह सच भी नहीं थी। उस मनहूस सोमवार की अफरा तफरी में कर्नल अपोंते ने प्रदेश के गवर्नर के साथ तार संदेश के जरिये तुरंत बात की थी और गवर्नर ने उसे शुरुआती कदम उठाने के लिए अधिकार दे दिये थे। इस बीच वह एक जांचकर्ता मजिस्ट्रेट को रवाना कर रहा था। मेयर एक भूतपूर्व ट्रुप कमांडर था और उसे कानूनी मसलों का जरा भी अनुभव नहीं था। इसके अलावा, वह इतना घमंडी था कि किसी से जा कर यह पूछने का सवाल ही नहीं था कि उसे कहां से शुरुआत करनी चाहिये।

सबसे पहले उसे शव परीक्षा की चिंता लगी। हालांकि क्रिस्‍तो बेदोया चिकित्सा विज्ञान का विद्यार्थी था, लेकिन उसने सैंतिएगो नासार के साथ अपनी अंतरंग दोस्ती का वास्ता दे कर अपना पल्ला छुड़वा लिया था। मेयर को लगा कि डॉक्‍टर दिओनिसिओ इगुआरां के वापिस लौटने तक शव को रेफ्रिजेरेटर में रखा जा सकता है लेकिन उसे मानव के आकार का कोई फ्रीजर ही नहीं मिला। जिस फ्रीजर से काम चल सकता था, वह खराब पड़ा था। शव कमरे के बीचों बीच आम जनता के दर्शनों के लिए लोहे की तंग सी खटिया पर रखा हुआ था और लोग बाग उसके लिए अमीरों जैसा ताबूत तैयार करने में जुटे हुए थे। सोने के कमरों में से और पड़ोसियों के घरों से पंखे ले आये गये थे लेकिन शव को देखने के लिए इतने ज्‍यादा लोग लालायित थे कि फर्नीचर को पीछे धकेलना पड़ा था और परिंदों के पिंजरे और पौधों के गमले उतार कर हटा देने पड़े थे। इसके बावजूद गरमी नाकाबिले बरदाश्त थी। इतना ही नहीं, मौत की गंध से कुत्‍ते बेचैन हो गये थे।

जब मैं वहां पहुंचा था और सैंतिएगो नासार रसोई घर में पड़ा तड़प रहा था, तब से कुत्‍ते लगातार किकिया रहे थे। मैंने देखा था कि दिविना फ्लोर खुद जोर जोर की हिचकियां लेते हुए रो रही थी और एक छड़ी की मदद से कुत्‍तों को परे धकेल रही थी।

“जरा मेरी मदद कीजिये,” वह मुझे देख कर चिल्लायी थी, “ये कुत्‍ते उसकी अंतड़ियां ही चबा डालना चाहते हैं।”

हमने कुत्‍तों को अस्तबल में ले जा कर बंद कर दिया था। लिनेरो प्‍लेसिडा ने बाद में हुक्‍म दिया था कि अंतिम संस्कार होने तक कुत्‍तों को कहीं दूर ले जाया जाये। लेकिन दोपहर होने तक पता नहीं कुत्‍ते उस जगह से छूट कर पागलों की तरह घर में घुस आये थे। उन्‍हें देखते ही लिनेरो प्‍लेसिडा अपना आपा खो बैठी थी, “ये जंगली खजैले कुत्‍ते,” वह चिल्लायी थी,“मार डालो इन्‍हें।”

तुरंत ही हुक्‍म की तामील की गयी थी और घर एक बार फिर शांत हो गया था। तब तक शव की हालत को ले कर किसी को चिंता नहीं थी। चेहरा ठीक ठाक बचा रह गया था। चेहरे पर वैसे ही भाव थे जैसे गाते समय होते थे। क्रिस्‍तो बेदोया ने अंतड़ियां समेटी थीं और उन्‍हें उनके ठिकाने पर रख दिया था। उसने शव को एक कपड़े में लपेट दिया था। फिर भी दोपहर के आसपास घावों से सिरप के से रंग का एक द्रव बहने लगा था, जिससे मक्खियां भिनभिनाने लगी थीं। उसके ऊपरी होंठ पर एक गुलाबी सा धब्बा उभरा और हौले हौले पानी पर बादल की परछाईं की मानिंद उसके बालों तक फैलता चला गया। उसका चेहरा जो हमेशा खिला खिला और सहज रहा करता था, जैसे बैर भाव से भर गया था। उसकी मां ने उसका चेहरा ढक दिया। कर्नल अपोंते को अब यह बात समझ में आ गयी कि अब वे और अधिक इंतजार नहीं कर सकते। उन्‍होंने फादर एमाडोर को शव परीक्षा करने का आदेश दिया,“उसे एक हफ्ते बाद कब्र से खोदने से हालत और खराब हो जायेगी।” उन्‍होंने कहा था। पादरी ने चिकित्सा का अध्ययन सालामांका में किया था लेकिन स्नातक होने से पहले ही अपने गुरुकुल में प्रवेश ले लिया था। मेयर इस बात को जानते थे कि फादर द्वारा की गयी शव परीक्षा की कोई कानूनी हैसियत नहीं होगी। इसके बावजूद मेयर ने पादरी को शव परीक्षा करने के लिए कहा था।

यह शव परीक्षा एक कत्‍ल था जो पब्लिक में किया गया था। इसमें एक ड्रगिस्‍ट और फर्स्‍ट ईयर के एक मेडिकल छात्र की मदद ली गयी थी। छात्र छुट्टियों पर घर आया हुआ था। ड्रगिस्‍ट ने नोट्स लिये थे। उनके पास छोटी मोटी सर्जरी के काम आने वाले कुछेक उपकरण उपलब्ध थे। बाकी सामान कारीगरों के औजार वगैरह थे। फिर भी उन्‍होंने शव के साथ जो कुछ बरबादी की, उस सबके बावजूद फादर एमाडोर की रिपोर्ट ठीक ठाक थी और जांचकर्ता अधिकारी ने इसे एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में अपनी टिप्पणी में शामिल किया था।

किये गये कई घावों में से सात घाव घातक पाये गये थे। आगे की तरफ से जो गहरे घाव किये गये थे, उनसे जिगर लगभग दो टुकड़ों में कट गया था। उसके पेट में वार किये गये थे जिसमें से एक घाव इतना गहरा था कि बिल्‍कुल आर पार चला गया था और उससे अग्‍नाशय पूरी तरह कट फट गया था। उसकी बड़ी आंत में भी छ: घाव पाये गये थे और छोटी आंत में चाकुओं के वारों की कोई गिनती ही नहीं थी। उसकी पीठ की तरफ से सिर्फ एक ही बार चाकू घुसेड़ा गया था, तीसरी पसली के आसपास जिससे दाहिना गुर्दा छलनी हो गया था। उसके गुदा द्वार में खून के थक्‍के जमे हुए थे। उसके आमाशय के बीचों बीच वर्जिन ऑफ कारमेल का एक मैडल मिला था। इसे सैंतिएगो नासार ने चार बरस की उम्र में निगल लिया था। सीने की तरफ घावों के दो निशान नज़र आये थे। इनमें से एक घाव दायीं तरफ की दूसरी पसली में था और इससे फेफड़ा चिर गया था। दूसरा घाव बायीं कांख के बिलकुल पास था। उसके हाथों और बाजुओं पर भी घावों के निशान पाये गये थे। दो जख्म आड़े थे। एक जांघ पर और दूसरा उदर की मांसपेशियों पर। दायें हाथ में चाकू काफी गहराई तक घोंपा गया था। रिपोर्ट में बताया गया था: सब कुछ सूली पर चढ़ाये गये यीशु मसीह के क्षत विक्षत शव की तरह लग रहा था। उसका मस्तिष्क किसी सामान्य अंग्रेज की तुलना में साठ ग्राम अधिक पाया गया था और फादर एमाडोर ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि उसका जिगर बहुत बढ़ा हुआ था। इसकी वजह उसने यकृत शोथ का नीम हकीमी इलाज बतायी थी, “कहने का मतलब यह है,” उसने मुझे बताया था,“वैसे भी उसकी ज़िंदगी के गिने चुने दिन ही बचे थे।”

डॉक्टर दिओनिसियो इगुआरां, जिसने दरअसल, सैंतिएगो नासार का बारह बरस की उम्र में यकृत शोथ का इलाज किया था, शव परीक्षा को ले कर खासी नाक भौं सिकोड़ रहा था,“कोई पादरी ही इतना जड़ बुद्धि हो सकता है,” उसने मुझे बताया था,“यह बात उसके भेजे में बिठाने का कोई ज़रिया नहीं है कि नौसिखुए इस्‍पानियों की तुलना में हम उष्ण कटिबंध लोगों का जिगर बड़ा होता है।” रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि मृत्‍यु सात भीषण घावों में से किसी एक घाव में से अत्यधिक खून बह जाने के कारण हुई है।

उन्‍होंने हमें एक बिल्‍कुल दूसरा ही शरीर वापिस किया था। आधा कपाल तो चीरफाड़ से ही बरबाद कर दिया गया था और उसका वह मनमोहक चेहरा जो मौत के बाद भी बचा रह गया था, अब अपनी पहचान खो चुका था। इतना ही नहीं, पादरी ने कटी फटी अंतड़ियों को जड़ से ही खींच कर बाहर निकाल दिया था और आखिर में उसे समझ नहीं आया था कि उनका क्‍या करे। कुछ भी नहीं सूझा तो गुस्‍से में बड़बड़ाते हुए उसने उन्‍हें कूड़े के ढेर के हवाले कर दिया था। स्‍कूल की इमारत की खिड़कियों से जो बचे खुचे तमाशबीन ताका झांकी कर रहे थे, उनकी दिलचस्पी बिल्‍कुल खत्‍म हो गयी। पादरी का हैल्‍पर बेहोश हो गया और कर्नल लाजारो अपोंते, जिसने इससे कहीं अधिक वीभत्‍स कत्लेआम देखे और किये भी थे, हमेशा हमेशा के लिए शाकाहारी बन गया। उसका रुझान आध्‍यात्‍मवाद की ओर हो गया।

शरीर का खाली खाली ढांचा जिसमें कटे फटे अंग और चूना ठूंस दिये गये थे, और जिसे बड़ी बेदर्दी से मोटी सुतली और बोरे बंद करने वाली मोटी सुई से किसी तरह से सी दिया गया था, इतनी खस्ता हालत में जा पहुंचा था कि जब हम उसे रेशमी झालरों वाले नये ताबूत में रख रहे थे तो वह शव गिरा पड़ा जा रहा था,“मुझे लगा, इस तरह से इसे अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा।” फादर एमाडोर ने मुझे बताया था।

जो कुछ हुआ था, इसके ठीक विपरीत था। उसे हमें जल्दबाजी में सांझ ढले दफनाना पड़ा था। वह बेहद खराब हालत में था और उसे घर में रख पाना संभव नहीं रहा था।

बादलों भरा दिन शुरू हो चुका था। यह मंगलवार था। उस भीषण वक्‍त के बाद मैं सो पाने की हिम्‍मत नहीं जुटा पा रहा था। मैं सीधे ही मारिया एलेक्‍जंद्रीना सर्वांतीस के घर के दरवाजे पर जा पहुंचा था। शायद उसने अब तक बार बंद न किया हो। पेड़ों से लटकते कद्दू के आकार के लैम्‍प अभी भी जल रहे थे और नाचने गाने वाले आंगन में कई जगह आग जल रही थी। उन पर बड़े बड़े भगौनों में पानी खौल रहा था। मुलैट्टो लड़कियां अपनी पार्टी वाली पोशाकों को मातमी रंग में रंगने का तामझाम करने में लगी हुई थीं। उस प्रभात वेला में मैंने मारिया एलेक्‍जंद्रीना सर्वांतीस को हमेशा की तरह जगा हुआ पाया। वह हमेशा की तरह बिल्‍कुल नंगी थी। जब कोई बाहरी आदमी नहीं होता था तो वह ऐसे ही रहा करती थी। वह अपने राजसी पलंग पर किसी तुर्की परी की मानिंद चौकड़ी भरे बैठी थी। चारों ओर खाने पीने की पचासों चीजें बिखरी हुई थीं। गोमांस के कटलेट्स, उबला हुआ चिकन, सूअर के पेट के हिस्‍से का मांस। इनके अलावा केलों और सब्जियों का इतना बड़ा ढेर कि पाँच आदमी आराम से पेट भर सकते थे। मातम से उबरने का उसके पास एक ही तरीका होता कि भूख से ज्‍यादा खाओ। लेकिन इस तरह सोग मनाते मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था। मैं कपड़े उतारे बगैर उसकी बगल में जा कर लेट गया। एक भी शब्‍द बोले बिना। अपने तरीके से सोग मनाते हुए। मैं सैंतिएगो नासार की किस्‍मत की भीषणता के बारे में सोच रहा था, जिसने न केवल उसकी मौत से बल्‍कि उसके शरीर के क्षत विक्षत किये जाने से और काट पीट कर बिलकुल ही खत्‍म कर दिये जाने से उसके जीवन के बीस बरस की खुशियों को समेट लिया था।

मैंने एक ख्वाब देखा कि एक औरत अपनी बाहों में एक नन्ही सी बच्ची को लिये चली जा रही है और बच्ची सांस लेने के लिए रुके बिना चबर चबर चबाये जा रही है। और भुट्टे के अधखाये दाने औरत की ब्रेजरी में गिरे जा रहे हैं। उस औरत ने मुझसे कहा,“ ये लिजलिजे कठफोड़वे की तरह चबाती चुभलाती है।” अचानक मैंने महसूस किया कि बेचैन उंगलियां मेरी कमीज के बटन से खेल रही थी। मैंने प्रेम की उस हिंसक पुजारिन की खतरनाक गंध को महसूस किया। वह मेरी बगल में लेटी हुई थी। मैंने खुद को कोमलता के रेतीले सागर में धंसते महसूस किया। अचानक ही उसके हाथ थम गये। वह छिटक कर मुझसे दूर हो गयी और मेरे जीवन से बाहर हो गयी,“नहीं, मैं नहीं कर सकती,” उसने कहा था, तुममें उसकी गंध आ रही है।”

सिर्फ मैं ही नहीं था जिससे सैंतिएगो नासार की गंध आती थी। उस रोज़ हर आदमी से सैंतिएगो नासार की गंध आती रही थी। विकारियो बंधु उस जेल में उसकी गंध महसूस करते रहे, जहां मेयर ने उन्‍हें तब तक के लिए सलाखों के पीछे बंद कर रखा था, जब तक वह उनके बारे में कोई फैसला लेने के बारे में सोच सके। “मैंने खुद को साबुन और पुराने कपड़े से रगड़ रगड़ कर धोया, पोंछा, लेकिन मैं उस गंध से मुक्त नहीं हो पाया था।” पैड्रो विकारियो ने मुझे बताया था।

उन्‍होंने तीन रातें बिना नींद के गुज़ारी थीं लेकिन उन्‍हें ज़रा सा भी आराम नहीं मिला था। इसका कारण यह था कि जैसे ही वे नींद में जाने को होते, उन्‍हें लगता, वे बार बार उसी अपराध को दोहरा रहे हैं।

अब, पाब्‍लो विकारियो, जो कमोबेश बूढ़ा हो चला था, बिना प्रयास के उस अंतहीन दिन के बारे में बताने की कोशिश कर रहा था,“यह सब कुछ दोबारा फिर से जागने की तरह था।” इस वाक्यांश ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जेल में उनके लिए सबसे असहनीय बात उनकी शांति, सहजता रही होगी।

जेल का कमरा दस फुट लम्बा और दस फुट चौड़ा था। उसकी छत ऊंची थी जिसमें से ऊपर की रौशनी आती थी। छत में लोहे की कड़ियां लगी हुई थीं। कमरे में एक पोर्टेबल पाखाना था और हाथ धोने के लिए एक वाशबेसिन था। साथ ही, सुराही, भूसे की चटाई वाले दो कामचलाऊ बिस्‍तर उसमें लगे थे। कर्नल अपोंते, जिसके आदेश पर यह कमरा बनाया गया था, ने बताया था कि उस इलाके में इससे बेहतर कोई होटल नहीं था जिसमें इन सब मानवीय सुविधाओं का ख्याल रखा गया हो। मेरा भाई लुई एनरिक इससे सहमत था क्‍योंकि एक रात संगीतकारों के बीच झगड़ा फसाद करने के चक्‍कर में उन्‍होंने उसे एक रात के लिए अंदर कर दिया था। मेयर ने उस पर इतनी मेहरबानी ज़रूर की थी कि उसे एक मुलैट्टो लड़की अपने साथ रखने की अनुमति दे दी थी।

शायद सवेरे आठ बजे विकारियो बंधुओं ने भी इसी तरह की बात के बारे में सोचा होगा। उस वक्‍त वे खुद को अरब लोगों से सुरक्षित महसूस कर रहे थे। तब उन्‍हें यह अहसास सुकून दे रहा था कि उन्‍होंने अपनी ड्यूटी पूरी कर ली है। उन्‍हें सिर्फ एक ही चीज़ लगातार परेशान कर रही थी। वह थी गंध की मौजूदगी। उन्‍होंने ढेर सारा लॉंड्री वाला साबुन, पुराने चीथड़े वगैरह मंगवाये। उन्‍होंने अपनी बाहों और चेहरे से रगड़ रगड़ कर खून के दाग़ पोंछे। उन्‍होंने मल मल कर अपनी रक्‍त सनी कमीजें धोयीं, लेकिन उन्‍हें चैन नहीं आया। पैड्रो विकारियो ने पेशाब लाने वाली अपनी दवाइयां और जीवाणुरहित पट्टियां भी मंगवायीं ताकि वह अपनी पट्टियां बदल सके। वह सवेरे के वक्‍त दो बार ढेर सारा पेशाब करने में सफल रहा। इसके बावजूद, उसके लिए ज़िंदगी इतनी बदतर होती चली जा रही थी कि जैसे जैसे दिन ढलता गया, बदबू दूसरे स्थान पर आ गयी। दोपहर दो बजे के करीब, जब गरमी इतनी अधिक थी कि उन्‍हें पिघला डालती, पैड्रो विकारियो के लिए बिस्‍तर पर लेटे रहना दूभर हो गया और यही बेचैनी उसे खड़ा भी नहीं रहने दे रही थी। दर्द उसके पेढू़ से चढ़ते चढ़ते गले तक आ पहुंचा था। उसका पेशाब रुक गया था और इसे इस भय ने, इतनी मजबूती से, पक्‍के तौर पर जकड़ लिया था कि वह दोबारा पूरी ज़िंदगी कभी सो नहीं पायेगा। “मैं ग्‍यारह महीने तक जागता रहा था,” उसने मुझे बताया था। मैं उसे इतनी अच्‍छी तरह से तो जानता था कि मान सकूं – वह झूठ नहीं बोल रहा था। वह कुछ भी खा नहीं सका था। दूसरी ओर, पाब्‍लो विकारियो ने, जो कुछ भी उसके सामने लाया गया, उसमें से थोड़ा बहुत चख भर लिया। उसे खाना खाये पन्द्रह मिनट भी नहीं बीते थे कि वह घातक हैजे का शिकार हो गया। शाम को छ: बजे, जब वे लोग सैंतिएगो नासार के शव की चीरा फाड़ी में लगे हुए थे, मेयर को बुलावा भेजा गया। पैड्रो विकारियो को पक्‍का यकीन हो चला था कि उसके भाई को ज़हर दिया गया है। “वह मेरी नज़रों के सामने जैसे पानी में बदलता चला जा रहा था।” पैड्रो विकारियो ने मुझे बताया था। “और हम इस ख्याल से मुक्त ही नहीं हो पा रहे थे कि इसके पीछे तुर्कों की कोई चाल हो सकती है।” उस समय तक वह दो बार पोर्टेबल लैट्रिन को पूरी तरह भर चुका था। इतना ही नहीं, जो गार्ड उनकी निगरानी कर रहा था, छः बार उसे टाउन हाल के पाखाने तक ले कर गया था। वहां उसे कर्नल अपोंते ने देखा था। बिना दरवाजे के पाखाने में बैठे हुए उस पाखाने के बाहर गार्ड पहरा दे रहा था। पाब्लो विकारियो के दस्त इतने पतले और पानीदार थे कि उनके लिए भी ज़हर दिये जाने के बारे में सोचना बहुत गलत नहीं लगा था। लेकिन जैसे ही उन्हें पता चला कि पाब्लो ने सिर्फ पानी पीया था और पुरा विकारियो द्वारा भिजवाया गया खाना ही खाया था तो उन्होंने ज़हर दिये जाने की बात मन से निकाल दी थी। इसके बावजूद, मेयर इतना अधिक प्रभावित हो गया था कि उन्हें एक विशेष गार्ड की निगरानी में अपने घर लिवा ले गया था और जब जांचकर्ता जज आया तभी उन्हें रियोहाचा की गोलाकार जेल में भिजवाया गया था।

जुड़वा भाइयों का डर गली मुहल्लों के मूड की प्रतिक्रिया की वजह से था। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता था कि अरब बदला लेंगे, लेकिन ज़हर दिये जाने की बात विकारियो बंधुओं के अलावा और किसी के भी दिमाग में नहीं आयी थी। इसके बजाये, यह माना जा रहा था कि वे शायद रात होने का इंतज़ार करें और पैट्रोल छिड़क कर कैदियों को जेल के भीतर ही जला कर मार डालने की तरकीब भिड़ायें। अरब लोगों का समुदाय शांतिप्रिय आप्रवासियों का समुदाय माना जाता था। वे लोग शताब्दी के शुरू शुरू में कैरिबियाई शहरों में, गरीब और दूर दराज के इलाकों में आ कर बस गये थे। वे हमेशा रंगीन कपड़ा और बाजारू खिलौने, गहने वगैरह बेचने के धंधे से ही जुड़े रहे थे। वे फिरका परस्त, मेहनतकश और धर्म भीरु कैथोलिक लोग थे। वे आपस में ही शादी-ब्याह रचा लेते थे, अपनी गेहूँ का निर्यात करते थे, अपने दालानों में भेड़ बकरियां पालते थे और ओर्गेनो तथा बैंगन के पौधे उगाते थे। ताश की बाजियां लगाना ही उनका प्रिय शगल था। बूढ़े बुर्जुग अरब अपने वतन से साथ लायी गवारूं अरबी भाषा ही बोलते आये थे और अपनी भाषा को उन्होंने अपने घर-परिवारों में दूसरी पीढ़ी तक ज्यों का त्यों बचाये रखा था। लेकिन तीसरी पीढ़ी के अरब, सैंतिएगो नासार के अपवाद के साथ, अपने माता-पिता से अरबी भाषा सुनते थे और उन्हें इस्‍पानी भाषा में जवाब देते थे। इसलिए इस बात को मानने का कोई आधार नहीं था कि वे अचानक ही अपनी देहाती भावनाएं बदल देंगे और एक ऐसी मौत का बदला लेंगे, जिसके लिए हम सबको दोषी ठहराया जा सकता था।

दूसरी तरफ, किसी को भी प्लेसिडा लिनेरो के परिवार की तरफ से बदला लिए जाने का ख्याल नहीं आया था। उनके परिवार में किस्मत के दगा दे जाने से पहले दो पेशेवर कातिल हुए थे, जिन पर परिवार की प्रसिद्धि के कारण कभी किसी ने उंगली नहीं उठायी थी।

अफवाहों की वजह से चिंतातुर हो आये कर्नल अपोंते ने अरबों के एक-एक घर जाकर हाजिरी बजायी और कम से कम, उस वक्त सही निष्कर्ष निकाला। कर्नल ने उन्हें हैरान-परेशान और उदास पाया। उनकी बलि वेदी पर मातम के चिह्न थे। उनमें से कुछेक जमीन पर बैठे स्‍यापा कर रहे थे। किसी के भी मन में बदले जैसी भावना नहीं थी। उस सुबह अपराध की गरमी से जो प्रतिक्रिया उपजी थी, उसके बारे में लीडरों का मानना था कि किसी भी हालत में यह मार-पीट से आगे नहीं जा सकती थी। इसके अलावा सौ बरस की वृद्धा मुखिया सुसान अब्दाला ने कृष्ण कमल और चिरायते का आसव पिला कर पैब्लो विकारियो का मामूली हैजा और उसके भाई का मूत्र रोग ठीक कर दिया था।

इसके बाद, पैड्रो विकारियो अनिद्रा रोगी वाली ऊँघ में उतरता चला गया था और उसका भाई, चंगा हो कर बिना किसी संताप के अपनी पहली नींद ले सका था। मंगलवार की सुबह जब मेयर पुरीसीमा विकारियो को उनके पास अलविदा कहने के लिए लेकर आया था तो उसने उन्हें इसी हालत में देखा था।

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