जीवन के संघर्ष भी धूप और छाँव की तरह है जब आपके जीवन में दुःख के बाद सुख आता है तो ऐसा लगता है जैसे कड़ी धूप मे चलते चलते अचानक मौसम बदल गया और छाँव आ गयी बहुत ही सुखद अनुभूति होती है...... ऐसा ही कुछ मेरे जीवन मैं भी हुआ ऐसा सोचता हुआ शरद चाय की चुस्कियाँ ले रहा था की अचानक इरा की आवाज़ उसके कानो मैं पड़ी और उसकी तन्द्रा टूटी..
आज का क्या प्रोग्राम है पहले ही decide हो तो प्लीज मुझे भी बता दो मुझे भी कुछ प्लानिंग करनी पड़ती है डिअर घर ऑफिस maid सबको देखना होता है आपका क्या आप तो रेडी हुए और कहते है - "डिअर आईं एम रेडी यू आर गेटिंग लेट जान।" कह कर हँसती हुई इरा किचन में नाश्ते की तैयारी के लिए चली जाती है।
इधर शरद सिगरेट को जलाता है और माचिस की तीली को ऐशट्रे में न डालकर साइड में फेंक देता है सिर्फ इस लिए की इरा देखें और उस पर गुस्सा करे क्योंकि इरा के झुंझलाने और गुस्सा होने पर शरद को इरा को छेड़ने का और चिढाने का मौका मिलता था। जब से शादी हुई है इरा और शरद की हमेशा से नोंक झोंक होती रहती थी वह भी ज़रा ज़रा सी बात को लेकर और कुछ mintue में वापस सब नार्मल हो जाता लेकिन बीते एक साल में ऐसा शायद एक दो बार या हद से हद चार बार हुआ होगा अब इन चीज़ों की शरद को आदत हो चुकी और मिस भी करता है । शरद इरा की शादी को दस साल बीत गए और दोनों की लव मैरिज है दोनों बचपन के दोस्त थे साथ रहे खेले पढ़े और फिर शादी ये जितना आसान पढ़ने में लग रहा है उतना है नहीं शरद को इरा के साथ शादी के लिए बहुत से पापड़ बेलने पड़े थे।
इरा एक जॉइंट फैमिली से थी और शरद न्यूक्लियर फैमिली से दोनों में अफेयर होने के बाद भी इरा ये बात अपनी पेरेंट्स को नहीं बता पायी थी और शरद ने बड़ी आसानी से अपने मॉम डैड को बता दिया था और उन्हें कोई ऐतराज़ भी नहीं था क्योंकि इरा उनके सामने ही तो बड़ी हुई है सब कुछ तो जानते थे उसके बारे में ऐसा शरद की मॉम डैड का सोचना था किसी नयी लड़की से शादी करना और उसके according अपने आपको एडजस्ट करना change करना थोडा मुश्किल होता है वही दूसरी तरफ इरा के पेरेंट्स को एक ऐसा लड़का चाहिए था जिससे इरा की जन्म पत्री मिले चाहे स्वभाव में कोई मेल न हो उनका मानना था समय के साथ सब मिल जाता है और इस बात के लिए वो अपना और इरा की माँ का उदाहरण देते है।
इरा शुरू से ही ये मानती थी कि जो उसके मम्मी पापा कहेंगे वही सही है उसकी अपनी कोई इच्छा नहीं होती थी क्या पहनना है क्या खाना कहाँ जाना है ये उसके पापा ही decide करते थे पर इन सब के बावजूद न जाने कब और कैसे इरा शरद से प्यार कर बैठी ।
इरा और शरद ने अपनी स्कूल की पढाई पूरी की और आगे फरदर स्टडीज के लिए दोनों शहर से बाहर चले गये। फिर भी दोनों एक दूसरे के टच में थे धीरे धीरे समय बीतता गया इधर उन दोनों की पढाई पूरी हुई और जॉब प्लेसमेंट हो गया। अब इरा की बारी थी अपने घरवालों से बात करने की पर लाख कोशिशों के बाद भी इरा हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी और शरद को भी बात नहीं करने दे रही थी।
अचानक एक दिन इरा शरद के पास आई और बोली शरद- will u marry me then let's go and talk to parents about our marriage ये सुन शरद अवाक् सा इरा का चेहरा एक टक देखता रहा अजीब से भाव थे आज इरा के चेहरे पर आज से पहले ये भाव इरा के चेहरे पर शरद ने कभी नहीं देखे थे उन भाव मैं गुस्सा था प्रेम था पर वो जो घर वालो के प्रति डर वाला भाव था आज वो पूरी तरह गायब था शरद ने इरा से पूछा इरा क्या हो गया आज ऐसे क्यों behave कर रही हो सब ठीक है न इरा एक मिनट के लिए ठिठक गयी फिर अपने को संभालतेे हुए बोली कुछ भी तो नहीं बस तुम ही तो कहते हो शादी करनी है इस लिए बोल रही हूँ शरद इरा को देख कर ये तो समझ ही गया था की इरा कुछ छुपा रही है फिर भी शरद ने कहा ठीक है कल मैं तुम्हारे घर आता हूँ evening में इसपर झट से इरा बोली कल क्यों आज क्यों नहीं ? शरद एक mintue के लिए रुका और बोला ठीक है आज ही आ जाता हूँ अब ठीक।
शाम को शरद इरा के घर पंहुचा सब से मिला शरद को सब पहले से जानते तो थे ही सब बैठ कर इधर उधर की बातें करने लगे बातों ही बातों में इरा के पापा ने बताया की इरा के लिए उनके कास्ट में एक अच्छा रिश्ता आया है और पत्रिका भी मिल गयी पूरे 36 गुण मिले है लड़का NRI है और वैसे भी तो इरा के job aspects भी बाहर ही है ।
शरद सब कुछ चुप चाप सुनता रहा अब तक वह इरा के दिन वाले चेहरे के भावो का मतलब समझ चुका था इरा के पापा की बात खत्म होते ही शरद ने धीरे से कहा कि इरा यही इंडिया में ही रहेगी तो ज्यादा खुश रहेगी । ये सुनकर सब चुप हो जाते है शरद अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए आगे कहता है अंकल actully मैं और इरा एक दूसरे से प्यार करते है और शादी करना चाहते है और हमें लगता है हम एक दूसरे के साथ खुश रहेंगे बस आपके आशीर्वाद की ज़रूरत है और हाँ अंकल एक बात और मेरी और इरा की पत्री मैंने एक बार मिलायी थी 7 गुण मिल रहे है हमारे लिए इतने ही बहुत है यह बातें सुन कर इरा के घर में एकदम सन्नाटा छा गया।एक तो इंटर कास्ट मैरिज उसके बाद पत्री भी नहीं मिल रही और लव मैरिज इन सभी चीज़ों के घोर विरोधी थे इरा के पापा।
शरद को इरा के पापा और इरा की पूरी फॅमिली को बहुत convenice करना पड़ा बहुत बार शरद उन लोगो से मिला चीज़ों को discuss किया पर इरा की फॅमिली कही भी मानने को नहीं तैयार थी। उनका मानना था की ये प्यार वग़ैरह सब समय के साथ खत्म हो जाता है और इरा के पापा का कहना था की अगर तुमने शरद से शादी कर ली तो सुखी नहीं रहोगी क्योंकि तुम दोनों की पत्रिका नहीं मिलती।
आखिर में शरद ने इरा से बोला या तो तुम मुझे भूल जाओ या घर वालो को भूल कर court marriage कर लो अब तुम्हारे पास दो option है इरा, और जो भी decide करना है अब तुम्हे करना है। अब इरा ने हिम्मत जुटा कर अपने घर पर पहली बार बोला पापा मैं शरद से ही शादी करुँगी और किसी से नहीं अबकी बार इरा के पापा को हार माननी पड़ी और इरा और शरद की बहुत ही सादगी से शादी हो गयी।
अचानक शरद की पीठ पर इरा ने हाथ रखा, जैसे शरद कोई सपना देख रहा हो चौक उठा इरा बोली कहा ध्यान है- ciggrette खत्म हो गयी बुझाओ ऊँगली जल जायेगी तब शरद ashtray में ciggrette को बुझाता है और मुस्कुराने लगता है और इरा से पूछता है are you happy with me or not? इरा कहती है ऐसा क्यों पूछ रहे हो offcourse i am happy with you शरद हँसते हुए कहता है इस लिए पूछा क्योंकि हमारे तो 7 ही गुण मिले थे जन्म पत्रिका में और ये कहते हुए बाथरूम मैं नहाने चला जाता है।
इधर शरद की बातों को सुनकर इरा सोचती है मैं और शरद खुश तो है पर एक कमी है शादी के इतने साल बाद भी हमारे कोई बच्चा नही हुआ इतना ट्रीटमेंट करा चुके पर अब तक कहीं से कोई रिजल्ट पोसिटिव नही मिले क्या ये हमारे जन्म पत्री में गुण न मिलने की वजह से तो प्रॉब्लम्स नही आ रही है? दूसरी तरफ उसे अपने पापा की कही बात याद आ रही थी... इरा गहरी सोच में डूब जाती है उधर शरद नहा कर निकल आता है और इरा को आवाज़ लगाता है पर इरा नही सुन पाती। शरद तैयार होकर बाहर निकलता है तो इरा को गहरी सोच में डूबा हुआ पाता है पास आकर इरा के चेहरे के सामने चुटकी बजा कर पूछता है मैडम मेरे सामने होते हुए भी किसके ख्यालों में खोई है इरा अचानक से हड़बड़ा जाती है कही तो नही तुम रेडी हो गए मुझे बोला भी नही। मुझे 10 मिनट दो में अभी तैयार हो कर आई। ये कहकर इरा तैयार होने चली जाती है और यहां शरद अपने और इरा के लिए चाय बनाने किचन मे जाता है।
अब तक इरा भी तैयार हो कर आ गयी और शरद की चाय भी बन चुकी थी दोनो बैठकर चाय पीते है तभी शरद का मूड देखते हुए इरा कहती है - क्यों न हम अपनी पत्रियाँ किसी पंडितजी को दिखाए। शरद का जवाब - क्या करना है क्यों दिखानी है अब तो शादी हो ही गयी। इरा कहती है प्लीज हर समय मज़ाक नही में सोच रही थी क्यों न हम किसी पंडितजी के पास चले क्योंकि हमारी शादी को दस साल हो चुके और अभी तक हमारे बच्चे नही हुए इतना ट्रीटमेंट भी करवा कर देख चुके एक बार पत्री भी दिखवा लें कोई उपाय हो तो उसे भी कर लें। शरद ने इरा से बोला में इन सब चीज़ों को नही मानता और न ही इन चीज़ों को मानने कि तुमको राय दूंगा। फिर भी तुम चाहती हो तो करो मैं तुम्हे मना नही करूंगा। आजतक किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया है। पर इरा तुम पढ़ी लिखी हो समझदार हो क्या फिर भी तुम्हे ऐसा लगता है इन सब बेकार की बातों पर विश्वास करना चाहिए और वैसे भी नेक्स्ट वीक हम पुणे के एक स्पेशलिस्ट एम्ब्रायोलॉजिस्ट से मिल रहे है न-" लेटस सी वह क्या बताते है। सब ठीक होगा ट्रस्ट इन गॉड एंड ऑन मी प्लीज। और वैसे भी इरा हमें कोई चीज़ बिना मेहनत के तो मिलती नही अपनी शादी याद है कितने पापड़ बेले थे तो हमारे बच्चे इतनी आसानी से कैसे हो सकते है तुम परेशान न हो सब ठीक ही जायेगा। तभी इरा के मोबाइल की घंटी बजी देखा तो आफिस से कॉल थी वह बात करते हुए बालकनी में निकल गयी और शरद वही अपना लैपटॉप लेकर बैठ गया। ऑफिस की कुछ इम्पोर्टेन्ट मेल करनी थी उसमें बिजी हो गया।
इरा की बात शरद के दिमाग में घूम रही थी और वह इरा के मन में उठी इच्छा को समझ भी रहा था पर वह इन सब चीज़ों से दूर ही रहना चाहता थाऔर इरा को भी दूर ही रखना चाहता था। शरद के समझाने के बाद भी इरा का मन नही माना और ऑनलाइन एक एस्ट्रोलॉजर को अपनी और शरद की पत्रियाँ मेल की इधर इरा ने एस्ट्रोलॉजर के एकाउंट में फीस ट्रांसफर की उधर उनका रिप्लाई आया जिसमें साफ था इरा ओर शरद के भाग्य में संतान सुख नही है।
आज स्पेशलिस्ट से अपॉइंटमेंट वाला दिन भी आ गया दोनों आज शाम 4 बजे उनसे मिलने वाले थे तभी इरा और शरद के एक कॉमन फ्रेंड जो कॉलेज में साथ पढ़ता था उसका फ़ोन शरद के पास आया-" हेलो शरद में अर्पित पहचाना" शरद ने दिमाग पर जोर डाला तब तक उधर से आवाज़ आयी यार तुम्हारे और इरा के साथ था तभी शरद को याद आया हाँ याद आ गया अरे इतने दिनों बाद कैसे याद आयी और कहाँ हो आजकल ? अर्पित ने बताया वो गुड़गांव में है और एक NGO चला रहा है फिर अर्पित ने शरद को अपने NGO के बारे में बताया की वह विधवा तलाकशुदा घर से भगायी गयी मानसिक रूप से बीमार औरतों को शेल्टर देता है उसका NGO साथ ही ये भी बताया कि उसके NGO में जो औरतें रहती है उनके बच्चों को अडॉप्ट भी करवाते है उन माँओ की इच्छा से। तभी शरद ने अर्पित से पूछा क्या तुम्हारे NGO में अभी कोई बच्चा है एडॉप्शन के लिए अर्पित ने कहा हाँ अभी ट्विन्स बेबी हैं उनकी माँ की डिलीवरी के समय डेथ हो गयी तीन हफ्ते के बच्चे है किसे लेने है शरद बोला मुझे ओर इरा को । अर्पित कुछ सेकंड के लिए चुप हो जाता है तो शरद पूछता है क्या कोई प्रॉब्लम है अर्पित बोला नही कोई नही तुम दोनों गुड़गांव आ जाओ फॉर्मेलिटी पूरी करो और बच्चे ले जाओ। शरद बोलता है ठीक है हम जितनी जल्दी होता है मिलते है कह कर फ़ोन काट देता है तभी इरा सारी फाइल्स ले कर आती है जिसमे उसकी ओर शरद की रिपोर्ट्स है और शरद के सामने टेबल पर रखते हुए कहती है एक बार चेक कर लो कोई रिपोर्ट्स या कागज़ छुटे तो नही तभी शरद इरा से कहता है इन सब की कोई ज़रूरत नही आओ तुम मेरे पास बैठो एक बात करनी है इरा बैठती है और शरद इरा को अर्पित की कॉल और उसका NGO और उस NGO में जो ट्विन्स है उनके बारे में बताता है और साथ ही एडॉप्शन प्रक्रिया भी बताता है और इरा के सामने उन बच्चों को अडॉप्ट करने की बात रखता है जिसे सुनकर एक बार को इरा अवाक रह जाती है पर कुछ ही सेकंड में अपने को संभालती है और शरद से बोलती है कब चलना है गुड़गांव आज या..... तब तक शरद बोलता है अभी दोनो गुड़गांव के लिए रवाना होते है। रास्ते में जाते समय इरा मन ही मन शरद के मन में आये एडॉप्शन की सोच के बारे में बहुत खुश और गर्व महसूस कर रही थी। साथ ही उसका मन खुशी से भरा हुआ था क्योंकि आज उसकी फैमिली पूरी होने जा रही थी और इसलिए वह खुश भी थी क्योंकि एस्ट्रोलॉजर की बताई हुई भविष्यवाणी गलत साबित हो चुकी थी।