anchaha rishta - 5 in Hindi Love Stories by Veena books and stories PDF | अनचाहा रिश्ता (एक शाम ऐसी) - 5

The Author
Featured Books
Categories
Share

अनचाहा रिश्ता (एक शाम ऐसी) - 5

अब तक आपने पढ़ा किस तरह अपनी शादी तोड़ने के लिए स्वप्निल मीरा का इस्तेमाल करता है। बाद में पैर मूड जाने की वजह से वो उसे अस्पताल ले कर आता है अब आगे)
दोनों कार से कहीं जा रहे है।
मीरा : ऐसा कैसे कर सकते है ये लोग???
स्वप्निल: किस बारे में बात कर रही हो ?
मीरा : वहीं सिली मिस्टेक जो उन्होंने इस रिपोर्ट में की ??? Mrs. लाइक क्या साड़ी पहननेसे मेरी शादी हो जायेगी ??
स्वप्निल : उनकी गलती नहीं है । में फॉर्म फील कर रहा था....
मीरा : आप ने ये किया। आप मुझे सताने के नए नए तरीके कहा से सोच लेते है??? कहीं सुबह सुबह उठकर यही प्लांनिंग तो नहीं करते । आज ऐसे सताऊंगा मीरा को। आप...
स्वप्निल गाड़ी कॉर्नर में खड़ी कर देता है। उस की तरफ मुड़ कर तुरंत अपना हात उसके मुंह पर ढक लेता है।
स्वप्निल : कभी चुप रहोगी तो लोग अपनी बात तुम्हे कह सकेंगे। मै समझता हू तुम्हे बाते करना बोहोत पसंद है। पर सुनने में भी इंटरेस्ट लो। समझी???
मीरा अपने सर को हा में हिलाते हुए जवाब देती हैं।
स्वप्निल : अब ये क्या नया तरीका सोचा ? कम से कम हा तो बोल सकती हो ???
मीरा आंखो से उसके हात की तरफ इशारा करती हैं। स्वप्निल तुरंत अपना हात उसके मुंह से हटा लेटा है।
मीरा : ओके आई एम् सॉरी अब आप कहिए में सुनूंगी ? बताए
स्वप्निल : तुम्हारा फॉर्म फील करते वक़्त मुझे कॉल आ गया तो मैंने सिस्टर से फॉर्म फील करने की रिक्वेस्ट की । उस के लिए मैंने उसे विजिटिंग कार्ड दिया शायद गलती से मैंने उसे मेरा विजिटिंग कार्ड दे दिया n तुम्हारा नाम में पहले ही फील कर चुका था तो उसने कॉमन सेंस यूज करते हुए मेरा सरनेम ज्वॉइन कर दिया। सॉरी इस थिस ऑल राईट ????
मीरा : हा कोई बात नहीं में समझती हूं आपके कॉल इंपॉर्टेंट होते है। इट इज ओके। क्या हम पोहोच गए ?
स्वप्निल : नहीं तुम्हे चलती गाड़ी में समझाना मुश्किल था इसलिए मैंने गाड़ी रोकी अब चलते है।
मीरा : हा चलिए।
इतना कह मीरा सीट एडजस्ट करती है। तभी उसका पल्लू सीट में फस जाता है। मीरा उसे निकालने के लिए झटपताती है लेकिन वो नहीं निकलता।
स्वप्निल : रुको , हिलो मत क्या कर दिया तुमने ??? यू आर सो क्लम्सी ! अरे रुको ।
स्वप्निल अपनी सीट से मीरा की सीट की तरह मूड कर उसका पल्लू निकालने की कोशिश करता है।
"मीरा ये क्या हो रहा है तुम्हे? इनके पास आने से तकलीफ हो रही हैं ? या बैचैनी ??? ये कैसी झटपठात है जो में समझ नहीं पा रही हूं। या शायद आज ये कुछ ज्यादा ही अच्छे दिख रहे हैं? या फिर ये हमेशा ही अच्छे दिखते थे पर मैंने ही कभी नोटिस नहीं किया। ओह माय गॉड नहीं वापस बैचैनी नहीं चाहिए आप मुझसे दूर रहिए बॉस।।" तभी कार की खिड़की पर हुई दस्तक से मीरा होश में आ जाती है। स्वप्निल कार के विंडो डाउन करता हैं । सामने से एक हवलदार दोनो को कुछ अजीब नज़रों से घूरता है।
हवलदार : ए ये क्या चल रहा हैै इधर ? दूर से देखा मैंने दस मिनिट से गाड़ी खड़ी है पर कोई बाहर नहीं निकल रहा ? पब्लिक एरिया हैै ये जानते हो ना दोनो । बच्चे आते हैै छोटे छोटे बच्चे वो सारी चीजे करने की जगह नहीं है।
मीरा : वो ??? कौनसी चीजे होती हैं ???
हवलदार : अरे वो वहीं जो कर रहे थे। ए समझा ना इसको नहीं तो अभी रजिस्टर कर लूंगा हा केस??
स्वप्निल : वी आर रिएली सॉरी सर मेरी बीवी है बीमार है बस मना रहा था । मै गाड़ी निकाल रहा हूं।
मीरा उसके हाथ में पकड़ी फाइल स्वप्निल को मारती हैं।
मीरा : क्या कहा आपने ? फिर से शुरू..
स्वप्निल : मीरा रिलैक्स मै समझाता हू प्लीज़ वेट
हवलदार : क्या रे ? नई नई शादी दिख रही है ??? घर पे आराम से समझा जाकर ऐसे बीच सड़क में लफड़ा नहीं करने का। जाओ निकलो जल्दी मेरे साहब ड्यूटी पर आए तो मुश्किल हो जाएगी जाओ ।
स्वप्निल : थैंक्स यू हम निकलते है।
स्वप्निल गाड़ी लेकर वहा से निकल जाता है ।
मीरा : ऐसा क्यों किया आपने हम बात करते उसे समझाते ?
स्वप्निल : जस्ट शट अप । पहले खुद समझो सामने वाला क्या समझा रहा हैै। फिर बोलना अब बस हम होटल पोहोचने तक कुछ मत बोलना समझी।
मीरा कुछ भी ना केहते हुए चुप बैठ जाती है, " बोहोत बुरे बुरे है आप। शाम तक की हुए आपकी सारी तारीफ वापस लेती हूं में hmmmm"
गाड़ी एक बड़े से ढाबे के आगे आकर रुकती है।
स्वप्निल : तुमने आज जो मेरी मदत की ये उसकी ट्रीट है। ओर हा मुझे माफ़ कर दो अगर तुम्हे लगा हो मैंने तुम्हे यूज किया। क्या हुआ कुछ बोल क्यों नहीं रही???
मीरा की आंखो में एक अजीब सी चमक आ गई थी मानो जैसे किसी बच्चे को आप पहली बार सर्कस दिखाने लाए हो।
मीरा : क्या ये एक ढाबा है??? आप तो होटल के बारे में कह रहे थे ना?
स्वप्निल : हा मैने कहा था। फिर सोचा क्यों ना तुम्हे कुछ नया दिखाओ n ट्रस्ट मी यहां का खाना किसी भी होटल से ज्यादा बेहतरीन है। पर अगर तुम ना जाना चाहो तो जहा तुम कहो में तुम्हे वहा ले जाऊंगा चलो ।
वो वापस जाने मुड़ता है तभी मीरा उसका हात पकड़ लेती हैं।
मीरा : आप मजाक कर रहे हैं। मुझे हमेशा से ढाबे पे आना था। में पहली बार ढाबे पे खाना खावुंगी वाउ ! व्हाट ए फन।
स्वप्निल : क्या मजाक है? एक करोड़पति की बेटी और अब तक ढाबे पे खाना नहीं खाया??
मीरा : डैड कभी अलाउड नहीं करते । हमेशा बॉडीगार्ड साथ होने की वजह से कभी कॉलेज से भी भाग नहीं पाई। यहां तक आपकी कंपनी में भी अजय की वजह से आ पाई हू। चलिए अब जल्दी डैड का कॉल आए उस से पहले खाना खाते है।
स्वप्निल : चलो तुम्हे मुंबई का बेस्ट क्यूज़ीन खिलाता हू।
उसका हाथ पकड़ उसे अंदर ले जाता है।

मीरा के लिए ये पहला मौका था, जब वो किसी की सुरक्षा के बिना अपनी मर्जी के किसी शक्श के साथ बाहर थी। उसे मज़ा आ रहा था। स्वप्निल शायद पहली बार ना सही पर काफी सालों बाद किसी लड़की से खुल कर हसी मजाक ओर बाते कर रहा था। ऑफिस में जैसे अकेला अकेला ओर खडूस वो बनता है, आज यहां उसे उस रूप की जरूरत नहीं थी।

एक नई ओर बेहतरीन दोस्ती की शुरूवात हो चुकी थी। आज की शाम काफी सारे हादसों से भरी हुई थी। या फिर हम ये भी कह सकते हैं कि ये तो बस इन दोनों की उलझी हुई जिंदगी की शुरूवात थी। उलझी पर फिर भी एक दूसरे के साथ।


कई बार आप की जिंदगी में ऐसा कोई आता है, जो आप के लायक नहीं होता। फिर भी उस इंसान को अपनी जिंदगी में लाने की सज़ा आप हमेशा अपने आप को देते है। उस वक़्त आपको सिर्फ इतना समझने की जरूरत है, की कोई हैै जिसे सच में आपकी जरूरत है, जो आप का उसकी जिंदगी में दस्तक देने की राह तक रहा हैै। उसी इंसान के लिए आप को अपने आप को हर कदम संभालना होगा। इस जिंदगी में हर किसी के लिए कोई ना कोई बना हुआ है। बस राहे उलझ जाएं किस्मत खुद आपको उससे मिला देगी।