Blank Paper in Hindi Motivational Stories by Ashish books and stories PDF | Blank Paper

The Author
Featured Books
  • ખજાનો - 86

    " હા, તેને જોઈ શકાય છે. સામાન્ય રીતે રેડ કોલંબસ મંકી માનવ જા...

  • ફરે તે ફરફરે - 41

      "આજ ફિર જીનેકી તમન્ના હૈ ,આજ ફિર મરનેકા ઇરાદા હૈ "ખબર...

  • ભાગવત રહસ્ય - 119

    ભાગવત રહસ્ય-૧૧૯   વીરભદ્ર દક્ષના યજ્ઞ સ્થાને આવ્યો છે. મોટો...

  • પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 21

    સગાઈ"મમ્મી હું મારા મિત્રો સાથે મોલમાં જાવ છું. તારે કંઈ લાવ...

  • ખજાનો - 85

    પોતાના ભાણેજ ઇબતિહાજના ખભે હાથ મૂકી તેને પ્રકૃતિ અને માનવ વચ...

Categories
Share

Blank Paper

.
*✍बहुत ही सुंदर कथा 👉कोरा कागज👈*


*ज्ञान सदैव झुककर* *प्राप्त किया जा सकता।*
*एक शिष्य गुरू के पास आया। गुरु से भी अधिक शिष्य प्रसिद्ध था व पंडित भी! गुरू से भी अधिक सारे शास्त्र उसे कंठस्थ थे। समस्या यह थी कि सभी शास्त्र कंठस्थ: होने के बाद भी वह सत्य की खोज नहीं: कर सका था। ऐसे में जीवन के अंतिम क्षणों में उसने गुरू की तलाश आरंभ की। संयोग से गुरू मिल गए। वह उनकी शरण में पहुंचा*।

*गुरू ने पंडित की ओर देखा और कहा, 'तुम लिख लाओ कि तुम क्या-क्या जानते हो? तुम जो जानते हो, फिर उसकी क्या बात करनी है? तुम जो नहीं जानते हो, वह तुम्हें बता दूंगा*।'

*शिष्य को वापस आने में वर्षभर लग गया क्योंकि उसे तो बहुत शास्त्र स्मरण थे। वह सब लिखता ही रहा*, *लिखता ही रहा*। *कई हजार पृष्ठ भर गए। पोथी लेकर आया*।

*गुरू ने फिर कहा*, 'यह *बहुत अधिक है। मैं बूढ़ा हो गया हूं। मेरी मृत्यु निकट है। इतना न पढ़ सकूंगा। तुम इसे संक्षिप्त कर लाओ, सार लिख लाओ*।

*पंडित फिर चला गया। तीन महीने लग गए। अब केवल सौ पृष्ठ थे*।
*गुरू ने कहा, 'यह भी अधिक है। इसे और संक्षिप्त कर लाओ।'*
*कुछ समय पश्चात् शिष्य लौटा। एक ही पन्ने पर सार सूत्र लिख लाया था लेकिन गुरू* *बिल्कुल मरने के करीब थे। गुरू ने कहा, 'तुम्हारे लिए ही रूका हूं। तुम्हें समझ कब आएगी*? *और* *संक्षिप्त कर लाओ!' शिष्य को होश आया। भागा! दूसरे कमरे से एक कोरा कागज ले आया। गुरू के हाथ में कोरा कागज दिया।*

*गुरू ने कहा, 'अब तुम शिष्य हुए । मुझसे* *तुम्हारा संबंध बना रहेगा*।'
*कोरा कागज लाने का अर्थ हुआ, मुझे कुछ भी ज्ञात नहीं, मैं अज्ञानी हूं! जो ऐसे भाव रख सके गुरू के पास वही शिष्य है।*
*निष्कर्ष*
*गुरू तो ज्ञान-प्राप्ति का प्रमुख स्त्रोत है उसे अज्ञानी बनकर ही प्राप्त किया जा सकता है। पंडित बनने से गुरू नहीं मिलते।*

यूरोप का एक देश है नार्वे ....

वहां कभी जाईयेगा तो यह सीन आम तौर पर पाईयेगा..
एक रेस्तरां है ..
उसके कैश काउंटर पर एक महिला आती है और कहती है -"5 Coffee, 1 Suspension"..फिर वह पांच कॉफी के पैसे देती है और चार कप कॉफी ले जाती है ...
थोड़ी देर बाद ....
एक और आदमी आता है ,कहता है- "4 Lnch , 2 Suspension" ! वह चार Lunch का भुगतान करता है
और दो Lunch packets ले जाता है...
फिर एक और आता है ...आर्डर देता है - "10 Coffee , 6 Suspension" !! वह दस के लिए भुगतान करता है,
चार कॉफी ले जाता है...

थोड़ी देर बाद....
एक बूढ़ा आदमी जर्जर कपड़ों में काउंटर पर आकर पूछता है-
"Any Suspended Coffee ??"

काउंटर-गर्ल मौजूद कहती है- "Yes !!"और एक कप गर्म कॉफी उसको दे देती है ...
कुछ देर बाद वैसे ही एक और दाढ़ी वाला आदमी अंदर आता है,पूछता है-
"Any Suspended Lunch ??"
तो काउंटर पर मौजूद व्यक्ति गर्म खाने का एक पार्सल और
पानी की एक बोतल उसको दे देता है ...
और यह क्रम ...एक ग्रुप द्वारा अधिक पेमेंट करने का और
दूसरे ग्रुप द्वारा बिना पेमेंट खान-पान ले जाने का दिन भर चलता रहता है ....

यानि ...अपनी "पहचान" न कराते हुए और किसी के चेहरे को "जाने बिना" भी अज्ञात गरीब जरूरतमंद की मदद करना...
यह है नार्वे नागरिकों की परंपरा !!!

...और एक अपना देश है जहाँ 'एक दर्जन' लोग किसी मरीज को 'एक केला' देते हुए बड़ी बेशर्मी से ऐसे फ़ोटो खिंचवाते हैं, जैसे दुनिया के सबसे बड़े दानवीर वही हैं

जीवन में सदैव सकारात्मक बने रहने के लिए आपका इस ग्रुप में स्वागत है

Ashish Shah
Prism Knowledge Inc.