Kirdaar - 7 in Hindi Fiction Stories by Priya Saini books and stories PDF | किरदार - 7

Featured Books
  • શ્રાપિત પ્રેમ - 18

    વિભા એ એક બાળકને જન્મ આપ્યો છે અને તેનો જન્મ ઓપરેશનથી થયો છે...

  • ખજાનો - 84

    જોનીની હિંમત અને બહાદુરીની દાદ આપતા સૌ કોઈ તેને થંબ બતાવી વે...

  • લવ યુ યાર - ભાગ 69

    સાંવરીએ મનોમન નક્કી કરી લીધું કે, હું મારા મીતને એકલો નહીં પ...

  • નિતુ - પ્રકરણ 51

    નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું...

  • હું અને મારા અહસાસ - 108

    બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્...

Categories
Share

किरदार - 7

समीर: चलो अंजुम, नहीं तो फिर आ जाएगी वो परेशान करने।

अंजुम: ठीक है पर वो परेशान नहीं कर रही थी। बहुत प्यारी है।

समीर: चलो शुक्र है उसने कुछ काम तो अच्छा किया। उसकी वजह से ही सही तुम इतना बोली तो।

समीर: अंजुम, सुनो।

अंजुम: हाँ।

समीर: तुम हँसते हुए बहुत अच्छी लगती हो, हस्ती रहा करो।

(अंजुम अपना सिर हिला कर छोटी सी हामी भर देती है फिर समीर और अंजुम अपने कमरे से खाने के लिए चले जाते हैं।)

बिंदिया: आओ भाभी, आप मेरे साथ खाना खाओ।

समीर की माँ: अरे तू पागल है क्या! अब तो अंजुम, समीर के साथ खायेगी। दोनों के लिए एक ही प्लेट में लगा दे।

(अभी तक अंजुम, समीर से बात करने में भी झिझक रही है और साथ में खाना!! ये सुनकर अंजुम असहज महसूस करती है पर बोलने से कतराती है। नया घर है, जाने सब लोग क्या सोचएंगे उसके बारे में पर उसकी झिझक को समीर उसके बिन बोले ही समझ जाता है।)

समीर: माँ, रहने दो न। देखो न अंजुम कितना शर्मा रही है। फिर वो ठीक से खाना नहीं खाएगी और भूख होगी तो बोलेगी भी नहीं। ये सब रहने दो। हमें अलग-अलग ही दे दो।

समीर की माँ: ठीक है, जैसा तुम बच्चों को सही लगे।

(अंजुम, समीर की इस बात से खुश हो जाती है और मन में सोचती है समीर अच्छे इंसान हैं।
सब लोग खाना खाते है फिर सब अपने-अपने कमरे में चले जाते हैं।)

समीर: अंजुम थोड़ी देर सो जाओ, अभी तुम्हारी थकान दूर नहीं हुई होगी।

अंजुम: थैंक्यू।

समीर: थैंक्यू, पर किसलिए??

अंजुम: आपने खाना खाने को लेकर मुझे समझा।

समीर: ये तो मेरा फ़र्ज़ है। तुम जानती हो पति-पत्नी का काम ही होता है एक दूसरे को समझना, तभी तो हम साथ रहकर एक दूसरे का साथ निभा पाएंगे। अगर ऐसा नहीं होगा तो कुछ दिन तो आराम से कट जाएंगे पर उसके बाद रिश्ते में घुटन होना शुरू हो जायेगी। किसी एक के भी घुटने से रिश्ता दोनों का ही खराब होगा और तुम्हें कोई भी समस्या हो तो तुम मुझे बेझिझक बता सकती हो।

समीर की ये सोच अंजुम के दिल को छू जाती है पर अंजुम सिवाए "ठीक है" के कुछ और न कह पाती है।

दोनों बिस्तर पर लेट जाते हैं। थोड़ी देर में समीर तो खर्राटे भरने लगता है किंतु अंजुम कुछ सोचती ही रहती है। सोचते हुए कब 2 घंटे बीत गए अंजुम को पता ही नहीं चला, तभी समीर की आँख खुल जाती है।

समीर: अरे, तुम सोई नहीं या उठ गई हो??

अंजुम: नहीं बस नींद नहीं आई।

समीर: क्या हुआ कोई बात है क्या? घर की याद आ रही है?

अंजुम: नहीं, शायद नई जगह है इसीलिए।


समीर: अच्छा ठीक है, पर तुम चाहो तो बात करलो घर पर। घर पर भी सबको तुम्हारी फिक्र हो रही होगी।

अंजुम बाद में बात करने की कह देती है।

समीर: और हाँ, कभी कोई भी परेशानी हो या कोई भी बात हो तो मुझे उठा दिया करो।
पता नहीं कितनी नींद आती है मुझे, खुद से कभी समय से उठ ही नहीं पाता।

अंजुम: ठीक है।