pain in love - 9 in Hindi Love Stories by Heena katariya books and stories PDF | दर्द ए इश्क - 9

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दर्द ए इश्क - 9

विकी जल्दी से रेड्डी होकर अपने घर से निकल जाता है । वह बस किसी भी तरह तान्या को दिमाग में से निकालना चाहता है। तान्या के बारे में सोचते सोचते मानो जैसे वह स्तुति के बारे में तो भूल ही गया था । वह बस थोडी देर में ही सूझी के घर पहुंच ही गया था । जिस तरह सूझी दरवाजे पे तैयार खड़ी थी उससे तो विकी के चहेरे पे शैतानी मुस्कुराहट आ जाती हैं। करीब दो या तीन घंटे बाद विकी जब अपनी घड़ी की ओर देखता है तो उसे पता चलता है कि पार्टी में उसे सबसे पहले पहुंचना है । वह अपना शर्ट पहनते हुए जल्दी से जा रहा होता है। तभी सूझी उसे कहती हैं की वह इतनी जल्दी क्यों जा रहा है। विकी उससे कहता है कि अभी कुछ काम है । विकी जल्दी से अपने घर में पहुंचता है । तभी विकी की मोम रेडी होकर बाहर आ ही रही थी । विकी मन में सोचता है "मर गए" वह चुपचाप अपने रूम की ओर बिना आवाज किए जा रहा होता है। विकी की मोम उसे आवाज देती हैं।

प्रेमा: विकी... मुझे पता है तुम घर पर नहीं थे। तो ये चुपचाप जाने का कोई फायदा नही है।
विकी: पीछे मुड़ते हुए.... मॉम्म्म.... वो कुछ काम था तो इसलिए में बहार गया था ।
प्रेमा: ( विकी को देखते हुए ) ये क्या हाल बना रखा है ? अपनी हालत तो देखो बाल बिखरे हुए हैं। शर्ट के बटन उल्टे सीधे बंद किए हैं। " विकी कहा गए थे तुम?"
तभी धर्मानंद भी कमरे मै से आता है और प्रेमा के पास खड़े होते हुए कहता है।
धर्मानंद: क्या हुआ भाई!!
प्रेमा: ( धर्मानंद की ओर गुस्से से देखती है ) विकी मैंने कुछ पूछा है तुमसे ? जवाब दो!!
धर्मानंद: प्रेमा क्यों परेशान कर रही हो बेचारे को अभी अभी तो आया है वह घर पे चैन कि सांस तो लेने दो उसे ।
प्रेमा: ( गुस्से में विकी ओर धर्मानंद की ओर देखती है ) शर्ट पे लिपस्टिक के दाग है । बाल बिखरे हुए हैं । शर्ट के बटन उल्टे सीधे है । और मै सवाल भी ना करू क्या बात है आपकी तो वाह !!!
धर्मानंद: प्रेमा मैंने कितनी बार कहा है तुम विकी को परेशान मत करो!! वह अभी बच्चा है उसके खेलने कूदने की उम्र है । तो बार बार यूं उसे परेशान ना करो।
प्रेमा: धर्मानंद की ओर गुस्से से देखती है ।
धर्मानंद: विकी जल्दी जाओ और तैयार हो जाए पार्टी बस अब शुरू ही होने वाली है ।
विकी: जी डेड .... ( प्रेमा के गाल पर किस करते हुए धीरे से सोरी कहता है ) ।
प्रेमा: गुस्से से दूसरी और जा रही थी तभी धर्मानंद उसे कहता है ।
धर्मानंद: अरे!! श्री मतीजी सुनिए तो हमारा कहना का वो मतलब नहीं था । आप खाम खा हमसे नाराज़ हो रही है ।
प्रेमा: मै होती कौन हूं नाराज़ होने वाली ? करो जो करना है तुम बाप बेटे कुछ भी करो मेरा उससे क्या लेना देना।
धर्मानंद: प्रेमा!!! अच्छा ठीक है सॉरी...
प्रेमा: अरे!! आप क्यों सॉरी बोल रहे हैं । गलती तो मेरी ही है । जो मै पागलों के जैसी परवाह करती हूं । मै तो कहती हूं आप भी उसके जैसे बं जाए कोई बड़ी बात नहीं होगी । बेटा तो बिगड़ ही गया है बाप भी बिगड़ जाए तो उसमें क्या होगा!!
धर्मानंद: ( प्रेमा का हाथ पकड़ते हुए ) क्या बोल रही हो पता भी है प्रेमा!!!! तुम्हे सच में फर्क नहीं पड़ता अगर में किसी लड़की को देखूं या उसके साथ बात करूं तो??
प्रेमा: ( हाथ छुड़ाते हुए ) मुझे क्यों फर्क पड़ेगा !! एक क्या दस लड़कियों से बाते करे .... उन्हें देखे!! मै हूं कौन आखिर जो मुझे फर्क पड़ेगा ।
धर्मानंद: ( चिल्लाते हुए ) प्रेमा!!!! बात को कहा से कहा ले जा रही हो । तुम्हे पता ही है कि तुम्हारे अलावा किसी और से बात तो दूर देखना भी मेरे लिए व्यर्थ है। क्योंकि ना कोई तुम्हारी जगह ले सकता है और ना कोई भी तुम्हारी जगह लेगा । तो ये बात दिमाग में बिठा लो । और तुम पत्नी हो मेरी शायद तुम भूल गई हो की मै तुम्हारा पति हूं पर मै नहीं भुला की तुम मेरी पत्नी हो।
प्रेमा: ( धर्मानंद की ओर देख रही थी । वह जानती थी कि उसने कुछ ज्यादा ही बोल दिया है । ) .....
धर्मानंद: अब तुम्हारा गुस्सा ठंडा हुआ हो तो चले ... महेमान आते ही होंगे।
प्रेमा: ( कुछ बोल नहीं पाती ओर सिर्फ सिर हिलाते हुए हां में जवाब देती हैं । )
विकी: ( सिटी मारते हुए ) ( चिल्लाते हुए) वाह!!! डेड क्या बात है आज पहली बार मोम को चुप देखा है मैंने।
धर्मानंद: ( दूर से मुस्कुराते हुए विकी को चिल्लाते हुए कहते है) क्योंकि आज इतने साल में पहली बार उसने गलती कि है। और वह गलती अब उसे खाए जा रही है। और तुम जाओ अब जल्दी से रेड्डी हो जाओ ।
विकी: या बाय डेड... ( चिल्लाते हुए ) मोम... डोंट वरी यू डीड इट राईट !! ही डीसर्व इट। ( वह अपने रूम की ओर चला जाता है ।)
धर्मानंद: ( जोर जोर से हंसते हुए ) हाहाहाहाहा!!! बिगड़ गया है यह लड़का । ( प्रेमा का हाथ पकड़ते हुए) ज्यादा मत सोचो मैंने किसी भी बात को दिल पर नहीं लिया । मै तुम्हारी तरह मोम का दिल नहीं रखता प्रेमा । और वैसे यह साड़ी जच रही है तुम पर । याद है जब तुम्हे देखा था कॉलेज में ... बिल्कुल वैसे ही लग रही हो ।
प्रेमा: ( कॉलेज के समय को याद करते हुए । ) शुक्रिया!!
धर्मानंद: बस!! सिर्फ शुक्रिया??
प्रेमा: तो और क्या??
धर्मानंद: एक किस!!! गाल पे कॉलेज में दी थी वैसे ( मुस्कुराते हुए ) ।
प्रेमा: खांसते हुए ... पागल हो गए हो? और मैंने कॉलेज में तुम्हे किस दिया नहीं था । वो गलती से हम दोनों गिर गए थे और उस वजह से तुम्हारे गाल पे निशान लग गया था ।
धर्मानंद: हाहाहाहाहा!!! जो भी कहो लेकिन था तो किस ही।
प्रेमा: यू विश!!
धर्मानंद: हाहाहाहाहा!! मेरी विश तो तुम तब ही बन गई थी जब मुझे एक खीच के चाटा मारा था । क्योंकि जानता ही था किसी में इतनी हिम्मत कहा जो मुझे संभाल सके तुम्हारे सिवा ।
प्रेमा: हाहाहाहाहा!!! उस वक्त पर तुम्हारे चहेरे का रंग देखने लायक था । मानो जैसे जो भी आएगा उसे मार डालोगे।
धर्मानंद: हां!! तो तुम्हारी ही गलती थी । मुझे किसी भी लड़की ने थप्पड़ नहीं मारा था । लड़की तो छोड़ो किसी भी इंसान ने मुझे हाथ तक नहीं लगाया था । तो गुस्सा आना जायज था ।
प्रेमा: घमंडी थे तुम इसलिए....
धर्मानंद: हाहाहाहाहा... कमोन प्रेमा तुम भी जानती हो और में भी हेंडसम हूं इसलिए।...
प्रेमा: ( मुंह बिगाड़ते हुए ) .....

वह दोनों यूंही बाते करते करते होल में पहुंच जाते है । तभी प्रेमा धर्मानंद की ओर देखती है । अरमानी शूट में वह आज भी बिल्कुल कॉलेज के समय की तरह लग रहा था । इतने सालो बाद भी वह हेंडसम दिख रहा है। तभी धर्मानंद उसे कहता है देख लो देख लो !! कोई नहीं रोक रहा है । यह सुनकर प्रेमा कुछ कहती नहीं है । ओर वह सारी तैयारी में ध्यान देने लगती है ।