Patanga aur madmast jawani in Hindi Motivational Stories by Rajesh Kumar books and stories PDF | पतंगा और मदमस्त जवानी

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पतंगा और मदमस्त जवानी

रौशनी हुई कि वो उस ओर चल पड़ा...... शीत मौसम की कड़क सर्दी बीत चुकी थीं अब मौसम में थोड़ी गर्माहट भी आ गयी थी।मौसम के बदले मिजाज ने पतंगे को बाहर आने के लिए मजबूर कर दिया। सारा मौसम उस के अनुकूल हो चुका था मगर दिन की रौशनी में कोई पक्षी उसे अपना निबाला ना बना ले इस बात का डर अभी भी सता रहा था। फिर भी वो बड़ी ही सावधानी से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा था। शाम का समय हुआ चारों ओर फिर से अंधेरा छाने लगा तभी अचानक कुछ दूरी पर रोशनी जली फिर क्या था पतंगा मदमस्त होकर उसकी ओर चल दिया। जैसे मानो कोई सपेरा बीन की धुन पर साँप को नचाता है या अपनी ओर बुलाता है। वैसे ही पतंगा भी बिना किसी भय के रोशनी की ओर बढ़ता जा रहा था। अब उसे किसी पक्षी की या अन्य की चिंता ना थी कि कोई उसे अपना निबाला तो ना बना लेगा। पतंगा को भी कोई होश तक न था कि वो कर क्या रहा है इसका क्या परिणाम होगा वह तो रोशनी की तरफ़ बढ़ता ही जा रहा था। उसने देखा जहां से रोशनी आ रही थी वहां सैकड़ो पतंगे पहले से ही मौजूद थे सब उस रोशनी को अंगीकार कर उसे स्पर्श करने की चेष्टा कर रहे थे। आँखें देख रही थीं जो भी रौशनी को स्पर्श कर रहा है वह जल रहा है भस्म हो रहा है, कुछ बच भी जाते हैं लेकिन फिर उसे उसे छूने की जिद्द उसे उसी मुक़ाम पर पहुँचा रही है। जहां उसके इस जीवन की ये अंतिम यात्रा सिद्ध हो। लेकिन लालसा इतनी तीव्र की आँखों से देखने के बाद भी वो मदमस्त पतंगा इसे झुठला रहा है।
जो युवा नशे,झूठे इश्क़ की दल दाल में फंस जाते है वो उसी मदमस्त पतंगे की तरह है जो रौशनी की चाह में खुद का अंत कर लेता है।
ऐसे हजारों उदाहरण भरे पड़े है जिनमें युवाओं को समाप्त कर लिया। शुरुआत में जवानी की तीव्रता उन्हें सही गलत का भान नही होने देती और वो नशे,महोब्बत,की इतनी गहरी दलदल में फंस जाते हैं जहां से लौटने बड़ा मुश्किल हो जाता है और कुछ अपनी यात्रा का अंत कर लेते है।
वर्तमान समाज में ये सब आम बात हो चली है और ऐसी घटनाएं भी बहुत बढ़ रही हैं। इन सबके लिए जिम्मेदार है हमारा परिवेश। हमने आधुनिकता के नाम पर ऐसे परिवेश तैयार कर लिए है जो शांति कम अशांति ज्यादा परोस रहे है।
युवा पीढ़ी आज भटकाव की स्थिति में अधिक है जिसके लिए सब बराबर जिम्मेदार हैं।
अगर युवाओं को सही दिशा मिलेगी तो स्वर्णिम इतिहास बनेंगे, समाज को नए आयाम मिलेंगे। जीवन में खुशहाली आएगी।
जिस प्रकार हवा प्रवाह की दिशा में आगे बढ़ती है होता वैसे ही जवानी। युवाओं की जवानी का प्रवाह फरेब से भरे इश्क़, नशा, उद्देश्य रिक्त जीवन की ओर न हो जाए ये महत्वपूर्ण है।
वे सही दिशा में आगे बढ़ सकें कोई भी मदमस्त जवानी के आगोश में आकर खुद को समाप्त न कर ले इसका बोध उन्हें कराने के प्रयास करने होंगे न कि खुलेपन के नाम पर उन्हें जबरन उस दलदल में धकेल देना।