पहली माचिस की तीली
अध्याय 2
'चंदन तेल कारखाना' ऐसा एक बड़ा बोर्ड लिखा हुआ होने पर भी 'यह एक राजनीतिक संस्था' जैसे छोटी अक्षरों में बोर्ड लगा हुआ था, - वहां गेट पर बुजुर्ग वॉचमैन बैठा हुआ था।
30 साल के एक युवक ने बाइक को रोक कर वॉचमैन से पूछा।
"चेयरमैन अंदर है क्या?"
"है साहब।"
"उनसे मिलना है...."
"सर... आप...?"
"सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट...."
"अंदर जाइए साहब" वॉचमैन माथे पर हाथ रख कर सेल्यूट किया उस युवा को बाइक के साथ अंदर जाने दिया वह पोर्टिको में जाकर उतर कर अंदर पैदल गया।
चंदन के तेल की खुशबू हवा में तैर रही थी। उस शाम के समय शिफ्ट खत्म होकर काम करने वाले नहीं होने से वह ब्लॉक पूरा निशब्द था।
युवा चेयरमैन के कमरे के सामने खड़ा होते ही स्टूल पर बैठा चपरासी उठ कर खड़ा हुआ।
"आपको किससे मिलना है....?"
"चेयरमैन।"
"आप...?"
"उसने कार्ड को निकालकर दिया तो उसे लेकर वह चपरासी तुरंत अंदर जाकर वापस आया।
"साहब आपको अंदर बुला रहें है |"
युवा अंदर चला गया। वहां एयर कंडीशन ने एक पहाड़ी प्रदेश जैसे वातावरण उत्पन्न किया हुआ था।
"गुड इवनिंग सर... आई एम नवनीत फ्रॉम दिल्ली। सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट। स्क्रुटनाइजिंग ऑफिसर।"
युवा बोलते हुए चेयरमैन कृष्णकांत से हाथ मिलाया।
"बी... सीटेट... मिस्टर नवनीत..."
नवनीत बैठ गया।
कृष्णकांत ने पूछा। "आपके डिपार्टमेंट से कोई और लोग आते हैं तो पहले से ही हमें सूचना देने का नियम है। आज वह नियम बदल गया....?"
नवनीत मुस्कुराया। 'यू.... आर करेक्ट सर। बट मैं जहां पर काम करता हूं वह स्क्रुटनाइजिंग सेक्शन है। हम किसी को भी कोई इंफॉर्मेशन दिए बिना ही स्पॉट पर पहुंचना चाहिए....."
"ठीक...! आपके विजिट का क्या परपस है...?"
"मुझे मिला एक पत्र।"
"कौन सा पत्र...."
"देखिए..." कहकर नवनीत ने अपने हाथ में जो ब्रीफकेस था उसे खोल कर एक इनलैंड कवर को निकाल कर कृष्णकांत असमंजस में उसे लेकर खोला।
बॉल पॉइंट पेन से तमिल में टेढा-मेढा पत्र लिखा था।
प्यारे साहब !
नमस्कार। ‘चन्द्र मंगलम’ में चंदन के तेल के कारखाने में इन दिनों एक भ्रष्टाचार हो रहा है। उसके बारे में आप का ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं। इस कारखाने में रोज एक से, हजार लीटर तक तेल निकालते हैं। इसमें पहले स्तर का तेल 500 लीटर। रोजाना ऐसे अलग करने वाले तेल को कारखाने से एक किलोमीटर दूर एक गोडाउन में ले जाकर इकट्ठा करते हैं। कारखाने से गोडाउन जाने तक सब ठीक होता है। परंतु गोडाउन से ही खराबी शुरू हो जाती है। उसी के बारे में आपको बताना चाहता हूं।
खराबी नंबर: 1
चंदन के तेल जितना है उसे लेजर में नहीं लिखते।
खराबी नंबर: 2
गोडाउन से बढ़िया किस्म के तेल को गायब कर सेंट (एसेंस) मिले हुए तेल को बाहर से खरीद कर मिला देते हैं।
खराबी नंबर: 3
चेयरमैन कृष्णकांत कुछ देशों को बिना नाम के ही बढ़िया तरह के चंदन के तेल को बहुत कम दामों में भेज देते हैं।
खराबी नंबर: 4
गोडाउन से चोरी किए हुए चंदन के तेल को लोकल व्यापारियों को छोटे बोतल में बंद कर चेयरमैन कृष्णकांत का साला सप्लाई करके लाखों रुपया कमा रहा है।
इन सब भ्रष्टाचार के बारे में सरकार को बताना एक भारतीय नागरिक का कर्तव्य है इसलिए मैंने यह पत्र लिखा। मैंने अपने कर्तव्य को कर दिया। आपका इस कर्तव्य को करना ना करना आपकी इच्छा है।
भवदीय
सहन न कर सकने वाला एक आत्मा ।
चेयरमैन कृष्णकांत कुछ अंतर्देशीय पत्र को पढ़कर एक व्यंग्य मुस्कान के साथ नवनीत को देखा।
"कोई जलने वाले रास्कल ने लिखे हुए पत्र को आप दस्तावेज के समान आकर मुझे दिखाना मुझे न्याय संगत नहीं लग रहा हैं।"
"डिपार्टमेंट को आने वाले कोई भी पत्र को हम लापरवाही नहीं बरत सकते। पोस्टकार्ड में एक पत्र आए तो भी उसके सच और झूठ मालूम करने में हम उत्सुकता दिखाते हैं....."
"ठीक.... अब मुझे क्या करने को बोल रहे हो...."
"इस अंतर्देशीय पत्र के कंप्लेंट का आपके पास क्या जवाब है....?"
"बकवास..."
"ऐसा है तो .... लेटर में बताई हुई बातों में सच्चाई नहीं है आप कह रहे हो....?"
"बिल्कुल नहीं...."
"उसे मैं कंफर्म कर लूं?"
"कैसे....?"
"चंदन के तेल गोडाउन में जाकर एक राउंड चेकिंग कर लेते है....?"
कृष्णकांत माथे को पकड़े हुए नवनीत को देखा।
"क्या सर ऐसे देख रहे हो....?
"चेकिंग को कल सुबह 10:00 बजे रख लें...?"
"सॉरी....! अभी...."
कृष्णकांत सोच कर इंटरकॉम रिसीवर को निकाल एक बटन को दबाया।
"कौन मुकुट पति..."
"...."
"मेरे कमरे में आ जाओ.... कोई भी काम हो उसे वैसे ही छोड़ कर आ जाओ...."
रिसीवर को रखकर कृष्णकात ने नवनीत को देखा।
"मिस्टर नवनीत....! मैं इस चंदन तेल कारखाने में चेयरमैन बन कर आए 11 साल हो गए। मेरे ऊपर अभी तक एक भी एंक्वायरी नहीं आई। इस मामले में मुझे मिस्टर क्लीन का नाम मिला हुआ है...."
"मुझे वह पता है सर। फिर भी आपके बारे में हमारे स्क्रुटनाइजिंग डिपार्टमेंट में आई कंप्लेंट सच है या झूठ क्लियर करना हमारा कर्तव्य है सर.…."
"इट्स... ओ.के....! कुछ खाएंगे आप?"
"नो थैंक्स।"
नवनीत के मना करते समय ही - वह मुकुट पति अंदर आए। दुबला पतला। सफेद बाल। चश्मा पहने हुए 40 साल में भव्य दिख रहे थे।
कृष्णकांत उन्हें नवनीत को दिखाकर बोले।
"ये मिस्टर नवनीत हैं । सेंट्रल एक्साइज स्क्रूट्रेनिंग डिपार्टमेंट से आए हैं। अपने गोडाउन में जो सैंडल आयल है उसे चेक करना है ।"
"स्टाक पोजीशन सर..."
"हां....! आप इनको अपने गोडाउन में जीप में ले जाकर दिखाकर ले आइएगा...."
"यस.... सर...."
"मिस्टर नवनीत जो भी डिटेल मांगे कुछ मना ना करके उनकी हेल्प कीजिएगा...."
"यस... यस...."
"स्टाक पोजीशन एक बार से दो बार अच्छी तरह वेरीफाई करके बता देना..."
"यस.... सर।"
"मिस्टर नवनीत ! आप इनके साथ जाइए। आपको जो डिटेल चाहिए सब कुछ देखने में आपकी हेल्प करेंगे...."
नवनीत उठ गए।
"थैंक यू वेरी मच सर.... फॉर युवर काइंड कोऑपरेशन...." रवाना हुए।
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