30 शेड्स ऑफ बेला
(30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास)
Day 21 by Priya Singh प्रिया सिंह
नींद के गांव में
जबसे आई है पद्मा, बस सोए जा रही है। बस घर आ कर उसने कहा था, मुझे ठंडा पानी पिला दो। समीर ने इशारे से बेला से कहा कि उसके लिए कुछ खाने को ले आए। पर बेला के आने से पहले वह सोफे पर लुढ़क चुकी थी। गहरी नींद में।
बेला ने उसका चेहरा देखा। इस वक्त कोई तनाव नहीं था। शांत लग रही थी।
समीर ने कहा, ‘बेला, इसे सोने दो। तुम भी अंदर कमरे में जा कर सो जाओ। सुबह बात कर लेना।’
बेला कैसे सोती? उसकी बहन उसके इतने पास है, वह आराम से सो कैसे सकती है? अगर आधी रात उसे किसी चीज की जरूरत पड़ी तो?
बेला वहीं आरामकुर्सी में जम गई। क्या पापा और मां को बताना चाहिए कि पद्मा उसके घर पर आई है? बेला ने सोचा वह सुबह फोन करेगी सबको। अभी तो पापा-मां दिल्ली में घर पहुंचे ही होंगे।
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कृष दुबई एयरपोर्ट से बाहर निकला। जग्गी उसका इंतजार कर रहा था। कृष इस समय अपने पुराने भेस में था। कुर्ता, पाजामा, लंबे बालों में वह बाल ब्रह्मचारी लग रहा था। जग्गी अपनी गाड़ी में उसे सीधे करामा स्थित गोविंदा रेस्तरां ले गया। कृष को दुबई में योग सिखाने की नौकरी मिल गई थी। गोविंदा में कृष्ण भक्तों के बीच उसे काफी दिनों बाद बहुत अच्छा लगा। मन उसका बहुत बेचैन था। आस्ट्रेलिया से मुंबई आने के बाद उसे काफी परेशानी झेलनी पड़ी। मुंबई में जिस काम के लिए आया था, वो काम भी नहीं हुआ।
आस्ट्रेलिया में वो और पद्मा योग की क्लास चलाते थे। पद्मा अच्छी हो रही थी। खुश रहती थी। कृश को लगता था, जो काम वो मारिया के लिए नहीं कर पाया, पद्मा के लिए कर रहा है।
याद नहीं, उसका जन्म कहां हुआ था। वह आस्ट्रेलिया में सिडनी में एक अनाथालय में पला-बढ़ा। वहां सब उसे क्रिस्टन बुलाते थे। वह दस साल का रहा होगा, फादर ने उससे कहा कि उसे संगीत सीखना चाहिए। संगीत स्कूल में दूसरे बच्चे मार्क विलियम्स का लोकप्रिय गाना शो नो मर्सी गाते और क्रिस्टन चुपचाप दूसरे कमरे में चला जाता, जहां हिंदुस्तानी बांसुरी वादक बाबुल सुरीली बांसुरी बजा रहा होता। ना जाने बाबुल में ऐसा क्या था कि क्रिस उससे बंधता चला गया। पहली बार जब वह उसके साथ कृष्ण के मंदिर गया, तो उसे अजीब लगा, सबकुछ जाना-पहचाना। उस दिन से वह कृष्ण भक्त हो गया। बांसुरी के साथ-साथ गिटार बजाना भी सीख गया। दूसरे बच्चे हर समय अनाथालय से बाहर निकलना चाहते, मौज-मस्ती करना चाहते, क्रिस अलग था। वह चाहता था उसकी जिंदगी बेकार ना जाए। वह हर वक्त दूसरों की मदद को तैयार रहता।
बाबुल जब हिंदुस्तान जाने लगे, तो उन्होंने अपने गले में पड़ा कृष्ण का बांसुरी वाला पेंडेट उसे देते हुए कहा, ‘मैंने तुम्हें पूरी गीता सुनाई है, अब तो तुम हिंदी भी काफी सीख गए हो। कृष्ण को जानने के लिए एक जन्म काफी नहीं है। कृष्ण भगवान नहीं है, आस्था है, हमारे जीवन जीने का अंदाज है, इसे याद रखोगे तो अपने को कभी अकेला नहीं पाओगे।’
क्रिस्टीन ने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करना शुरू कर दिया। उसे अपने प्रिय देश जाने के लिए पैसा जमा करना था। कभी वह किसी होटल में काम करता, तो कभी मैकेनिक बन कर गाडियां ठीक करता। छुट्टियों के दिन बीतते कृष्ण के साथ। सिडनी में कृष्ण प्रेमियों की संख्या काफी थी। सब हर शनिवार को मिल कर भजन गाते, नाचते, गीता का पाठ करते।
वहीं उसे मिली थी डायना। उससे उम्र में काफी बड़ी। क्रिस्टीन उससे कंप्यूटर सीख रहा था। हर सप्ताह तीन सौ डॉलर भारी पड़ने लगा। एक दिन वह डायना से यह कहने गया कि उसे उसकी क्लास छोड़नी पड़ेगी। वह इतने पैसे नहीं दे सकता। डायना ने कहा— तुम जितना दे सकते हो, उतना दो। बाद में देख लेंगे।
डायना अकेली रहती थी। थोड़ी बीमार रहती थी। क्रिस जब आता, तो खाना बनाने किचन चला जाता। डायना के पांवों में दर्द रहता, वो पांव दबा देता। उसके बालों में तेल लगाता। दोनों के लिए यह नया अनुभव था। डायना को पहली बार अटेंशन मिल रहा था और क्रिस को पहली बार किसी का साथ।
क्रिस ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। उसकी तमन्ना थी वह हिंदुस्तान आ कर आध्यात्म की पढ़ाई करे। डायना उसे किसी भी तरह छोड़ना नहीं चाहती थी। एक दिन पता चला डायना को ब्लड कैंसर है। वो क्रिस के कंधे पर सिर रख कर खूब रोई। क्रिस भी रोने लगा। उसने कहा, ‘डायना, मैं टुम्हें इस टरह नहीं देख सकटा। मैं टुम्हारी हर इच्छा पूरी करना चाहटा हूं।’
डायना ने रोते-रोते कहा,‘ मैं हमेशा से चाहती थी शादी करना। मेरा कोई साथी हो, हमसफर हो। मैं अकेले नहीं मरना चाहती।’
क्रिस ने जवाब दिया, ‘मैं हमेशा टऊम्हारा साथ दूंगा डायना। मैं टऊम्हारा हमसफर बनूंगा।’
क्रिस से फादर से सीखा था सेवा करना। वह डायना के ही साथ रहने लगा। चौबीस घंटे। एक बच्ची की तरह उसकी देखभाल करता। डायना कीमोथैरिपी के बाद स्वस्थ होने लगी थी।
कृष ने बहुत पहले दिल्ली के एक संस्था में भारतीय दर्शन पर कोर्स करने के लिए एप्लीकेशन दिया था, उसे बुलावा आ गया। डायना का दिल बुझ गया। क्रिस क्या वापस आएगा? क्रिस ने वादा किया, वह जरूर आएगा। वह उसे कभी अकेला नहीं छोड़ेगा।
किसे पता था कि दिल्ली में उसकी जिंदगी बदलने जा रही थी। छह-सात साल पहले की बात है, लगता है कल ही वो मिला हो बेला से। बाबुल से मिला बांसुरी का पेंडेट उसने कभी बेला को दिया था। बेला से उसने दिल से मोहब्बत की है। जब भी बेला से मिलता है, लगता है उन दोनों के बीच कुछ कनेक्शन है। वह उसे कभी भूल नहीं पाया। पद्मा से शादी करते समय भी मन में बस यही था कि जो सेवा मैं डायना की नहीं कर पाया, पद्मा की करूंगा। कितनी आसानी से वह बेला कोस आइ लव यू कह देता है। दिल से। यह जानते हुए कि वह शादीशुदा है, एक बेटी है उसकी और वह शायद कभी उसकी नहीं हो सकती।
सोचते-सोचते उसका हाथ अपने पेंडेंट पर पड़ा। बेला का गुम सामान पद्मा से होते हुए उसके पास पहुंच गया। आज भी वो अपने गले में वो ही पेंडेट पहने हुए था।
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डायना की मौत से वह भी बुरी तरह टूट गया था। पर इस बात का संतोष था कि उसने तीन साल उसकी जी जान से सेवा की। कृष को पता था वह गॉड्स फेवरेट चाइल्ड है। इसलिए गॉड हर बार उसे नई चुनौतियां देता है। जैसे कभी वह डायना के लिए परेशान होता था, वैसे ही अब पद्मा के लिए होता है। जबसे मुंबई आए, वो पद्मा को कोई खुशी नहीं दे पाया। पद्मा को ड्रग्स की लत छुड़ाने में कृष ने बहुत साथ दिया। उसके शरीर के कई ऑर्गन कमजोर हो गए। खून चढ़ाना पड़ा। जब वह ठीक हो गई, तो उसने जिद पकड़ लिया कि उसे मां बनना है। कृष ने समझाया उसका शरीर यह झेल नहीं पाएगा। हम भी समीर और बेला की तरह एक बच्चा गोद ले लेते हैं।
इस बात से दोनों में झगड़ा होने लगा। कृष पद्मा को यह समझा कर हार गया कि उसका अब बेला से कोई रिश्ता नहीं है। पद्मा उसे बिना बताए घर से गायब रहने लगी थी। कृष को लग रहा था वह तनाव में आ कर फिर से नशे की लत ना पाल ले। कृष ने पद्मा से बहुत कहा, वह भी उसके साथ दुबई चले। वह नहीं मानी। झगड़े में कृष का फोन तोड़ दिया। पद्मा ने यहां तक कह दिया कि उसे उसकी जरूरत नहीं है। वह हमेशा अकेली जीती आई है, अब भी जी लेगी।
कृष जब दुबई आने के लिए अपना सामान बांध रहा था, उसे कमरे में टीवी के नीचे कुछ दवाइयां नजर आईं, उसने पैकेट खोल कर देखा, उसमें डॉक्टर की रिपोर्ट थी—पद्मा मां बनने वाली थी!
उसे समझ नहीं आया वो खुश हों या दुखी।
दुबई आने के बाद से उसने वह पद्मा को फोन लगाने की कोशिश कर रहा था। वो नहीं उठा रही थी।
रात के चार बज रहे थे दुबई में। यानी मुंबई में सुबह के साढ़े पांच बज रहे होंगे। पद्मा जल्दी जाग जाती थी। कृष ने फोन लगाया, कुछ देर घंटी जाने के बाद किसी ने फोन उठाया।
कृष ने जल्दी से कहा, ‘पद्मा, माई डियर वाइफ। कैसी हो?’
बेला कुछ चौंक कर बोली, ‘कृष, मैं पद्मा नहीं, बेला। वो हमारे घर में है। सो रही है।’
‘ओके। अच्छा हुआ, शी इज नॉट एलोन। बेला, मेरी वाइफ का ख्याल रखना। वो मां बनने वाली है।’