Shayra in Hindi Love Stories by S Choudhary books and stories PDF | शायरा

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शायरा

हाय अल्ला-अब्बू!
अब क्या होगा?
रोहित-कहाँ है?
शायरा-वो रहे सामने।
रोहित-तुम्हे देखा तो नही?
शायरा-पता नही।

रोहित-अपने मुँह को दुप्पट्टे से ढक लो अच्छे से।
शायरा(लगभग रोते हुए)-वो पहचान लेंगे,अब क्या होगा।

रोहित-कुछ नही होगा,तुम इधर चेहरा करलो।

(और उसके अब्बू किसी दूसरी सीट पर जा बैठे।)

शायरा-रोहित plzz चलो यहाँ से।
रोहित-तुम मेरी बगल में होकर चलना,दिखोगी नही।

वो चुपचाप तेज कदमो से बाहर निकल आये।

बाहर आकर थोड़ी चेन की सांस ली।

रोहित-सारी फ़िल्म का मजा खराब हो गया,कहीं दूसरी जगह चलें ?
शायरा-नही रोहित,प्लीज मुझे अब कॉलेज छोड़ दो।

रोहित उसके मन के डर को भांप गया था।
चलो कॉलेज ही चलते है।

बाइक से कॉलेज पहुंचे,
शायरा कॉलेज के बाहर ही उतर गई और पैदल अंदर गई।
रोहित थोड़ी देर बाद बाइक लेकर कॉलेज के अंदर आया।

क्लास में अभी टीचर नही थे,इसलिए स्टूडेंट इधर उधर ही घूम रहे थे।शायरा क्लास में ही बैठी थी।

रोहित शायरा की डेस्क के पास जाकर चुटकी लेते हुए बोला- वैसे तुम्हारे अब्बू के साथ तुम्हारी अम्मी थी या कोई और?

शायरा (चिढ़ते हुए)-तुम जाकर अपनी सीट पर बैठ जाओ,पागल सा।
शायरा(सोचते हुए)-लेकिन कह तो सही रहा है,अम्मी तो नही थी, कहीं गुलफ़सा खाला तो नही थी?

रोहित फिर उसकी डेस्क के पास आकर- सुनो! तुम्हारे यहाँ चिकन बने तो मेरे लिए भी ले आना ना ?
शायरा- तुमने कभी बताया नही कि तुम भी खाते हो,मैं तो कल ही ले आऊंगी।

रोहित-अरे हम तो सब खा लेते हैं और तुम तो जहर भी दोगी तो वो भी खा लेंगे।
शायरा-हर टाइम फालतू बकवास करवा लो बस तुमसे तो।
रोहित-सुनो! आज मैं छोड़ दूं तुम्हे घर तक ?
शायरा-पागल हो क्या,मरवाओगे मुझे और खुद भी मरोगे?

रोहित- लेकिन तुम तो कह रही थी कि हम शिया लोग सुन्नी की तरह झगड़ा नही करते ?
शायरा- हा वो तो ठीक है लेकिन ऐसे मामले में तो कोई भी नही छोड़ेगा।

रोहित को पीछे से राहुल ने आवाज लगाई-अबे आज ही निकाह की तारीख पक्की करेगा क्या?
आज मैच भी है चल जल्दी।

रोहित-सुनो!जा रहा हूँ मैं,फ्री होते ही फोन कर लेना।
शायरा(रूठते हुए)-कभी तो क्लास अटेंड कर लिया करो,तुमने बिल्कुल पढ़ना छोड़ दिया।

रोहित-अरे मेरी कट्टों रानी,हम तो रोज तेरे लिए आते है कॉलेज भी हमे कौनसा पढ़ाई का शोंक है।
शायरा-बाते बनवा लो बस तुमसे तो,जाओ नही तो तुम्हारा दोस्त इस बार मुझपे भी कमेंट करेगा नही तो।

वही हुआ।
राहुल-शायरा आपी!कल फिर भेज दूंगा इसे आज छुट्टी दे दो।

सब हँसने लगे और रोहित क्लास से बाहर निकल गया।

ऐसे ही हँसी खुशी सब चल रहा था।
रोहित और शायरा अपने लिए एक हसीन दुनिया का पूरा तानाबाना मन मे बुन चुके थे।इनके सपनो की इस दुनिया मे बस प्यार प्यार और सिर्फ प्यार था सब कुछ बिल्कुल स्मूथ।

एक दिन शायरा के घर पर कुछ जिक्र हुआ जिसे सुनकर शायरा धक्क से जड़ रह गई।

अब्बू-सुनो,गुलफ़सा कह रही थी कि क्यों ना उसके बेटे अरहम और शायरा का निकाह कर दिया जाये?
अम्मी-गुलफ़सा मेरी बहन है उसने मुझे तो कुछ नही कहा आपको ही कहती है वो सबकुछ?
अब्बू-फालतू की बकवास तो करो मत,जितना बताया है उसकी बात करो।
अम्मी-अरहम अच्छा लड़का है लेकिन शायरा तो अभी पढ़ रही है, कुछ भी करना है तो शायरा को पूछ लो।
अब्बू-शायरा तो बच्ची है उसको क्या पता कुछ,मैं बात आगे बढ़ाता हूँ।

ये सुनकर शायरा के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई,सब सपने टूटकर बिखरते हुए दिख रहे थे।
रोहित से बिछड़ने के ख्याल ने भी रूह तक कँपा दिया।
आंखों से आँशु तो बह रहे थे,लेकिन जुबान को जैसे लकवा मार गया।

फोन की वाइब्रेशन से जैसे कुछ होश आया।
रोहित का ही फोन था,लेकिन इसे अब क्या बताऊंगी सोचकर उठाने की हिम्मत नही हुई।

कई बार आया तो उठाकर हैलो बोला।
सामने से आवाज आई-क्या यार इतनी देर में फोन उठाती हो।
मैंने ये पूछने को फोन किया था कि आज सनम तेरी कसम रिलीज हुई है,कल चलते है ना देखने?
शायरा रुंधे गले से बस इतना बोल पाई-रोहित मुझे कही ले जाओ।

रोहित-क्या हुआ शायरा,किसी ने कुछ कहा तुम्हे?
(उधर से बस सिसकियों की आवाज ही आ रही थी)
देखो शायरा मुझे बताओ कि क्या हुआ तुम्हारे साथ,मुझसे सहन नही हो रहा।
(फिर कोई जवाब नही आया)
मैं आ रहा हूँ अभी तुम्हारे घर ?

शायरा-आजाओ रोहित,मुझे कुछ समझ नही आ रहा कि क्या करूँ।

रोहित ने बाइक स्टार्ट की और राहुल के घर पहुंचा।
रोहित-राहुल यार शायरा फोन पर बहुत रो रही थी,कुछ बोल भी नही पाई। अभी उसके घर चलना है।

राहुल-अरे उसे पूछ तो की क्या हुआ।
रोहित-यार वो कुछ भी नही बोल रही,जरूर कुछ बुरा हुआ हैं।
राहुल-तो उसे कल कॉलेज बुला ना,वहाँ करेंगे बात।
रोहित-तुझे नही जाना तो कोई नही,मैं अकेला चला जाऊंगा।
राहुल-बावला हो गया तू उसके चक्कर मे,रुक अभी आया 2 मिनट में।

राहुल घर के अंदर से 5 मिनट में आया,आते ही रोहित ने उसे डांटा-यार इतना टाइम लगाता है तू भी,अब क्या करने चला गया था।

राहुल (अपनी शर्ट ऊपर उठाकर दिखाते हुए)-ये लेने गया था।
रोहित-अबे इसे रखके आ,तमंचे का क्या करेगा वहाँ, हम कोई लड़ने थोड़े जा रहे है।
राहुल-अबे चल तू, साले मुसलमान है वो, काट देंगे वही।इसके सहारे कम से कम एक आध को तो मैं भी खुदा से मिलवा दूंगा।
रोहित-अरे वे ऐसे नही है,शिया है वें।
राहुल -है तो मुसलमान ही ना,शिया तो ज्यादा खतरनाक है,ये तो खुद को भी काट पीट डालते है।

आधे घण्टे तक बाइक चली और गांव से शहर में पहुंच गई।
रोहित ने कॉल किया-कहाँ मिलोगी तुम ?
शायरा-गवर्मेंट कॉलेज के फील्ड में आ जाओ,मैं वही आती हूँ।

(राहुल-चलो ,घर नही जाना मतलब मार काट तो नही होगी )

रोहित और राहुल ग्राउंड में पहुंच गये, थोड़ी देर में शायरा भी आ गई।

रोहित-क्या हुआ शायरा क्यों रो रही थी तुम।
शायरा(रोते हुए) -रोहित मेरे घरवाले मेरी शादी मेरी खाला के लड़के से पक्की कर रहे हैं।

रोहित से पहले राहुल बोल पडा-हां तो तुम्हारे यहाँ तो हो जाती है भाई को छोड़कर सबसे।

रोहित-तू बकवास बंद करेगा अपनी?
शायरा-रोहित मैं जी नही पाउंगी तुम्हारे बिना,मुझे कहीं दूर ले जाओ।

रोहित- तो तुम मना करदो ना अपने घर की मुझे नही करनी शादी।
शायरा-वो नही मानेगे रोहित। समझो तुम।
रोहित-बताओ फिर अब क्या करें?
शायरा- तुम मुझे भगाकर ले जाओ कहीं।
रोहित-शायरा ऐसे मत घबराओ,कोई ना कोई रास्ता निकल जायेगा।
शायरा-तुम मुझे ले जाओगे। हां या ना ?
रोहित-अरे तुम इतनी परेशान क्यों हो,हम निकालेंगे न कोई रास्ता।

शायरा-ठीक है, समझ गई।तुम्हें नही रहना मेरे साथ।
रोहित-पागलो जैसी बात मत करो,तुम्हारे साथ ही रहना है जिंदगी भर।

शायरा-तो बताओ कब ले जा रहे हो मुझे।
रोहित-मैं जल्दी ही करता हूँ कुछ इंतजाम।
शायरा-जल्दी कुछ सोचकर बताओ, कुछ पैसे मैं भी ले लुंगी घर से।

इसके बाद सब अपने घर को लौट आये।
इधर रोहित ने राहुल को रोक लिया।

रोहित-भाई अब क्या करूँ?
राहुल-तूने क्या सोचा है?
रोहित-भाई, उसके बिना तो नही रह सकता।
राहुल-फिर भगा ले।
रोहित- लेकिन लेकर कहा जाऊं?
राहुल-ये तो सोचना पड़ेगा। सुन तू एक काम कर ना-अपने घर पर बात करके देख।
रोहित-पागल है क्या? वहाँ कौन सुनेगा।
राहुल-करके तो देख,चल पहले आंटी को जिक्र कर।

रोहित अपने घर आया।

खाने के वक्त माँ को बोला-मम्मी,मुझे एक लड़की पसन्द है।
माँ-क्या बकवास कर रहा है,शर्म नही आई मुझसे ये बात करने में ?
रोहित-मम्मी एक तुम ही तो हो जिसे मैं कुछ कह सकता हूँ,मम्मी मैं उसके बिना मर जाऊंगा।
माँ-तेरा दिमाग खराब हो गया,आने दे तेरे बाप को बताती हूँ उसे तेरी करतूत।
रोहित -मम्मी ,मैं सच मे मर जाऊंगा।

माँ(सोचते हुए)-कौन है? अपनी बिरादरी की है ना ?

रोहित-नही माँ ,मुसलमान है।
माँ(हैरानी और गुस्से से)-तेरा दिमाग खराब हो गया है,क्या कह रहा है तू। ऐसा कभी नही होगा।

रोहित(उठकर जाते हुए)-नही हुआ तो फिर मैं मरूँगा ही।

रात को पिताजी घर आये तो एकांत मिलते ही माँ ने जिक्र छेड़ा- रोहित की हरकत देख रहे हो आजकल,कही कुछ चक्कर है उसका।

पिताजी-क्या बकवास कर रही है,जवान लड़के लेते है फालतू की टेंशन।
माँ ने इसके बाद सारा किस्सा सुनाया।
पिताजी(फुल गुस्से में)-कहाँ है ये बहन***

माँ-रात को क्या जुलूस निकलवाओगे अब,सुबह बात करना।

इस रात सब बेचेंन थे कोई नही सोया,
ना रोहित,ना उसके माँ-बाप और ना ही शायरा।

अगले दिन सुबह,
पिताजी-क्या कह रहा था बे अपनी माँ को,मुझे बता।

रोहित-मुझे शायरा पसन्द है और उसके साथ शादी करनी है।

पिताजी-तेरी माँ को****
और जूतमपत्री चालू हो गई।
बहुत मारा रोहित को।
लेकिन कोई असर नही हुआ।
मन मे वही धुन-शायरा,शायरा।।

बहुत जगह हाथ पैर मारे लेकिन कही कुछ समाधान नही निकला।
इधर शायरा की सगाई की तारीख भी तय होगई।

दोनो बस घण्टो रोते थे फोन पर,
उधर से शायरा की बस यही रट की मुझे ले जाओ कहीं।
इधर रोहित का दिमाग सुन्न हुआ जाता।

रोहित राहुल के पास गया।
रोहित-राहुल कुछ कर ना भाई, मैं मरा जा रहा हूँ।
राहुल-तो भगा ले ना यार, कुछ वो लायेगी घर से,कुछ तुम ले आना,कुछ का मैं देखूंगा।

रोहित-यार लेकिन कितने दिन चलेगा वो सब,रहेंगे कहाँ?
क्या करेंगे? किसी को पता चल गया तो?

राहुल-हट bc फट्टू। तेरे खुद तो बसका कुछ है नही वो लड़की तैयार है जब भी ऐसे कर रहा है तू।
रोहित-यार फट्टू नही हूँ मैं,बस उसकी चिंता है,उसको कोई तकलीफ नही देना चाहता।
तू ही कुछ कर ना भाई।

राहुल(सोचते हुए)- एक आदमी कर सकता है हेल्प इस मामले में।
रोहित-कौन?
राहुल-एक भाईसाहब है हमारे,लव जिहाद पर बहुत भाषण करते है।एकदम कट्टर हिन्दू।

रोहित-वो क्या करेंगे इसमें?
राहुल-अरे वो इतने भाषण देते है लव जिहाद पे तो मुस्लिम लड़की से शादी करवाने में भी कुछ तो हेल्प करेगे ना।

भाईसाब से बात हुई तो उन्होने अलगे दिन आने को कहा।
अगले दिन भाईसाहब से मिलने का कार्यक्रम रखा गया

रोहित और राहुल तय समय पर भाईसाहब से मिलने पहुंच गये।

राहुल ने भाईसाहब को रोहित का सारा किस्सा सुनाया।
भाईसाहब के चेहरे पर चमक आई और बोले-वाह लड़के!ऐसे लड़को की जरूरत है हमारे धर्म को।उनके लड़के हमारी लड़कियों को भगा ले जाते है और हमारे कुछ भी नही करते।

रोहित-तो भाईसाहब आप क्या मदद कर सकते हो इस सबमे हमारी?

भाईसाहब-अरे पूरी मदद करेंगे,कल हमे फोन कर लेना तब तक हम पूरी योजना बना लेंगे।

तभी कोई और भी आकर भाईसाहब के पास बैठ गया।
भाईसाहब ने रोहित से नॉर्मल सी दो बाते और कि,फिर कहा-कल हमे फोन लगाओ तुम,हम बताते है पूरी योजना।

राहुल और रोहित दोनो नमस्ते करके निकलने लगे।
बाहर निकल ही रहे थे कि अंदर से आवाज आई,
आये हुए सज्जन ने पूछा-क्या कह रहे थे लड़के।
भाईसाहब-अरे कुछ नही ,साले आशिकी करते घूमते है दम है नही भीतर।हमसे कह रहे कि ब्याह करवा दो।हम साले ब्याह करवाने बैठे है यहाँ।

रोहित और राहुल दोनो को गुस्सा आया लेकिन चुपचाप निकल गये।
बाहर जाकर राहुल बड़बड़ाया-साले ऐसे भाषण पैलेगें लव जिहाद और कट्टर हिन्दू लेकिन भीतर से मादा ही है।
उनके मदरसे और मस्जिद वाले सारे इंतजाम कर देते इतने में तो।

रोहित-अब क्या करे भाई?
राहुल-अगर दम है तो भगा ले और कुछ नही हो सकता।

रोहित-लेकिन भाई..........
राहुल-तुझसे नही होता तो कुछ नही हो सकता फिर,कितने लोग भागते है ऐसे तुझमे ही हिम्मत नही।

तभी शायरा का फोन आया-रोहित कुछ सोचा है क्या,परसो सगाई है।
रोहित-उसी इंतजाम में लगा हूँ।

पीछे से राहुल बोला-बोल दे ना उसको की तू करले शादी,मैं खत्म आदमी हूँ।

शायरा-ये क्या कह रहा है?
रोहित-कुछ नही ऐसे ही बोलता रहता है ये तो,तुम चिंता मत करो मैं कर रहा हूँ कुछ।
शायरा-जो भी करना है जल्दी करो।।

राहुल और रोहित वापस घर लौट आये।

शायरा की सगाई हो गई,शादी का दिन तय हो गया।
वो हर रोज रोहित को कहती रही कि जैसे तुम रखोगे रह लूंगी लेकिन ले तो जाओ।

रोहित कहता रहा कि कुछ कर रहा हूँ कर रहा हूँ।
उधर शायरा की शादी का दिन आ गया।

वो वहाँ रोते रोते बड़ी मुश्किल से कबूल है बोल पाई।

यहाँ रोहित रॉयल स्टैग का अद्धा रखके,हल्दीराम की भुजिया लेकर,गोल्डफ्लेक में दम मार रहा था।

आज अल्लाह के फजल से शायरा के दो मासूम बच्चे हैं, एक अभी शायद पेट मे है।

रोहित दिल्ली में 15 हजार रुपये महीने की सेल्स एक्सक्यूटिव की नोकरी कर रहा है।

हफ्ते में 3 दिन अकेला या किसी दोस्त के साथ पव्वा खींच लेता है।

कुछ दिन पहले अपने शहर गया तो टकरा गया था शायरा से।

बुर्के में लिपटी, हाथ मे छोटे बच्चे की उंगली थामे अचानक से सामने आ गई और ये हाथ मे गोल्ड फ्लेक थामे।

ये उसकी आँखों से आंखे मिलाना तो दूर,बरबस छलके उसके आंसुओं को देखने की भी हिम्मत नही कर सका।।

उसने इसे देखकर बस इतना बोला-काश तुम शायरा होते।
और ये नजर नीची करके चुपचाप निकल गया।

© Sumit