Surkhiya in Hindi Short Stories by Deepak Bundela AryMoulik books and stories PDF | सुर्खियां...

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सुर्खियां...

सुर्खियां.. !

ब्रेकिंग न्यूज़..... ब्रेकिंग न्यूज़..... ब्रेकिंग न्यूज़....
टीवी की स्क्रीन पर ब्रेकिंग न्यूज़ के ट्रांजेक्शन तीन बार म्यूजिक स्ट्रोक के साथ आते है.. एकता होटल में बैठे लोगों का ध्यान टीबी के तरफ जाता है... एंकर ब्रेकिंग न्यूज़ को विस्तार से बताते हुए ख़बर पढ़ने लगता है.. भोपाल के स्लम बस्ती से एक बड़ी खबर आ रही है... आपको बता दें एक 35 साल के व्यक्ति ने ख़ुदकुशी कर ली है..ज्यादा जानकारी के लिए फोन लाइन पर हमारे रिपोर्टर अभिषेक गुप्ता जुड़ गए है.. हां तो अभिषेक.. इस आत्म हत्या की क्या वजह दिखाई दें रही है ...
अभिषेक - देखिए मयंक.. जहा तक मुझें जानकारी मिली है कि आत्महत्या करने की वजह आर्थिक तंगी है.. उसके पास से एक सुसाइट नोट मिला है जिसमें आत्म हत्या करने वाले का नाम सुरेश है... सुरेश ने सुसाइट नोट में साफ साफ लिखा है कि वो अपनी जिंदगी बेरोज़गारी के कारण खत्म कर रहा है.. सुसाइट नोट में ये भी लिखा है कि उसकी मौत का ज़िम्मेदार किसी को नहीं ठहराया जाए.. मौत के बाद किसी को परेशान नहीं किया जाए..
एंकर मयंक - अच्छा मयंक क्या मृत्तक सुरेश शादी शुदा था.
अभिषेक - हां मयंक उसकी पत्नी और एक 10 साल की बच्ची भी है..
मयंक - एक मिनट मयंक हमारे साथ फोन लाइन पर श्रम विभाग के मंत्री आलोक जोशी जुड़ चुके है.. आलोक जी.. आलोक जी आपको मेरी आवाज़ सुनाई दें रही है..
अलोक -हां कहिये...?
मयंक - अलोक जी अभी अभी जानकारी के अनुसार स्लम बस्ती में एक बेरोज़गार ने आत्म हत्त्या कर ली है इस बारे में आपका क्या कहना है...
अलोक - क्या कहेंगे भाई.. ये ज़रूरी तो नहीं कि सुसाइट का कारण बेरोजगारी ही हों कोई और भी वजह रही होंगी.
मयंक - लेकिन आलोक जी मृतक के पास से सुसाइट नोट भी मिला है जिसमें उसने लिखा है कि वो बेरोज़गारी के चलते अपनी जान दें रहा है.
आलोक - आप नहीं समझेंगे.. आप लोग मिडिया वाले है.. मेरे नज़रिये से उसकी हत्त्या हुई है बेरोगारी में सुसाइड तो बहाना है.. चलिए मैं आपकी बात मान लेता हूं.. आप ही बताईये क्या कोई शादी शुदा बीबी बच्चे वाला आदमी ऐसा करेगा क्या... उसे सुसाइट से पहले ये ख्याल नहीं आया उसकी बीबी और मासूम बच्ची का क्या हाल होगा.. क्या वो लोग अनाथ नहीं हुए..?
मयंक - लेकिन सर आप खुद ही देख रहें है हमारे प्रदेश में चोरी, जालसाजी, बलात्कार के मामले के साथ साथ आत्म हत्याओं के मामलो के आंकड़े दिन पर दिन बढ़ते ही जा रहें है... ऐसे में सरकार क्या कदम उठा रही है
अलोक - देखिये आप लोग हर मामले को बेरोज़गारी से जोड़ कर देखते है.. सरकार हर संभव प्रयास कर रही है हमारी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से सरकार ने 1/- रूपये में गरीबों को राशन मुहैया करा रही है गरीब के परिवार के प्रतेक आदमी को 500/- महीना भत्ता दें रही है.. गरीब के बच्चो को सरकार मुफ्त में पढ़ाई करवा रही है फिर भी लोग बेरोजगार है..
मयंक - लेकिन सर इसके अलवा और भी तो ज़रूरतें है आप तो जानते है महंगाई कितनी बढ़ गई है...
अलोक -देखिये पुलिस अभी जांच कर रही है.. जांच में सब पता चल जाएगा.. हत्या है कि आत्म हत्या...
मयंक - यानि आपके नज़रिये से हत्या का मामला है...
आलोक - क्यों नहीं आप दूसरे पहलू से भी तो देखो.. आपने तो एक ही पहलू पकड़ लिया है..
और मंत्री फोन काट देता है
मयंक - लगता है मंत्री जी हमारे सबलों के जवाब देना मुनासिब नहीं समझ रहें है.. आपको बता दें भोपाल के स्लम बस्ती में एक बेरोजगार युवक ने आत्म हत्या कर ली है... श्रम मंत्री का कहना है ये आत्म हत्या नहीं हत्या है... पुलिस ने लाश का पाचनमा बना कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है पुलिस की तफ्शीस जारी है.... आज की खबर में अभी तक इतना ही पल पल के अपडेट के लिए बने रहिये 24 न्यूज़ के साथ.. हम फिर हाजिर होंगे एक छोटे से ब्रेक के बाद...

होटल में बैठे लोग एक दूसरे की शक्ल देखने लगते है
उमंग - ये तो अपनी ही बस्ती की बात है..
तभी होटल वाला कहता है
कादिर -याह अल्ला रहम कर.... अरे भाई जान मैं जानता हूं ये वही इंजिनियर सुरेश है.. अभी दो दिन पहले ही आया था किसी कम्पनी में इंटरव्यू देकर आ रहा था पता है इंजिनियरी की पढ़ाई कर के धक्के बेचारा धक्के खा रहा था..
संजू -ये वो सुरेश तो नहीं जो रेलवे लाइन की तरफ को रहता है.. लंबा लंबा..
कादिर -हां वही.. इटारसी का रहने वाला था वो..
संजू - हे भगवान.. !
उमंग - क्या तुम जानते थे उसे
संजू - हां भाई बहुत अच्छे से कल ही शाम को मिला था मुझें..कह रहा था अच्छी खबर दूंगा
पंकज - अब आ गई अच्छी खबर..
संजू - मुझें लगता है करीम भाई आप बिलकुल सही कह रहें हों परसों उसका इंटरव्यू था.. कहीं उसकी आत्महत्या की वजह इंटरव्यू तो नहीं.
उमंग - अब इसमें कौनसी बड़ी बात है.. देश में हजारों ऐसे नौजवान हे जो आधी उम्र तक डिग्रियों के लिए भगते हे और ओवर एज होने के बाद मौत को गले लगा लेते है... क्या हम लोगों ने इस जिल्त की जिंदगी नहीं देखी कितने इंटरव्यू दिये इंटरव्यू देते देते ओवर ऐज हों गए... भाई हम सामान्य वालों को तो नौकरी के चक्कर में पढना ही नहीं चाहिए.. साला घर से भी जाओ नौकरी से भी जाओ... और बची खुची ज़िन्दगी से भी जाओ.. चलो उठो अब
पंकज - क्यों..?
उमंग - अरे थोड़ी सी तो गैरत रखो एक डिग्री वाला इस दुनियां से बिदा हुआ है यार इस दुनियां से रुख्सत हुआ है.. क्या ऐसे समय में हम जिन्दा बेरोजगार का इतना भी फ़र्ज नहीं बनता... के हम उसे कंधा दें.
और तीनो उठ कर खड़े होते है तभी कादिर बोलता है..
कादिर - ठहरो भाई.. मैं भी तो डिग्री वाला हूं.. चलो आज एक डिग्री वाले का दहन कर आते है पता नहीं हमारी मौत पर हमें कौन सुपुर्देखाक करेगा..
उमंग- क्यों टेंसन लेते हो कादिर भाई एक बेरोजगार मरेगा तो हज़ारों बेरोजगार जनम लेंगे इसकी फिकर तुम क्यों करते हो.. चलो अब...

और चारों एक सुर में गुनगुनाते हुए चले जाते है

उम्र भर दौड़ता रहा कागज़ो की डिग्रियां लेकर
ये ज़िन्दगी का सफऱ भी तेरे किस काम आया... !

ढूंढता रहा तूं भी क्या मंज़िलें उन डिग्रियों के वास्ते
देख चंद लकड़ियां और आग का पैगाम आया.. !

हुनर जो पला होता तो तूं यूं ना रुख़सत होता
इन पढ़े लिखो की ज़िन्दगी में क्या सैलाब आया..!

सुर्खियां जो बन गई ज़िन्दगी-ए-जीने का कहर
उजालों को देख चीरकर अंधेरा-ए-आफताब आया