30 Shades of Bela - 20 in Hindi Moral Stories by Jayanti Ranganathan books and stories PDF | 30 शेड्स ऑफ बेला - 20

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30 शेड्स ऑफ बेला - 20

30 शेड्स ऑफ बेला

(30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास)

Day 20 by Sonali Mishra सोनाली मिश्रा

चांद भी अकेला है

अबूझ पहेली बनती जा रही है पद्मा। अचानक बेला का बहुत मन करने लगा था पद्मा से मिलने का। अपने बचपन के दिनों में दादी से कितना लड़ा करती थी कि उसकी दूसरी सहेलियों की तरह उसके भाई-बहन क्यों नहीं है? उसकी सबसे अच्छी दोस्त सकीना की छोटी बहन थी नूरी। बेला को बहुत प्यारी लगती थी, हमेशा अपनी दीदी सकीना से चिपट कर चलती थी। एक दिन नूरी का हाथ पकड़ कर घर ले आई और दादी से बोली, ‘दादी, मुझे बिलकुल ऐसी एक छोटी बहन चाहिए। अभी। इसी वक्त।’

दादी उसकी बात पर हंस पड़ी थी या रो पड़ी थी, उसे याद नहीं। पर आज उसकी आंखें भर आई हैं, नूरा जितनी ही तो रही होगी पद्मा भी। पता नहीं किन परिस्थितियों में ड्रग्स लेने लगी होगी। घर से भाग कर शादी, अपनी जिंदगी को सफल बनाने का संघर्ष, पति की बीमारी, उनकी मृत्यु, इतने सालों बाद यह जानना कि उसका पिता कोई और है, वह एक अवैध संतान है... उफ ना जाने कैसे झेला होगा उसने सबकुछ। कृष ने अच्छा किया जो उसका हाथ थाम लिया, उस भले आदमी की हमेशा से हसरत थी किसी का साथ निभाने, उसकी सेवा करने की। अपनी आस्ट्रेलिया की दोस्त डायना को भी उसने अपने प्यार और अनुराग से तीन साल जिंदा रखा।

बेला बात करना चाहती है पद्मा से, मिलना चाहती है उससे। एक बार वह आई थी उसके पास, तब उसने झटक दिया, बिना मिले चली आई। अब उसे पहल करनी होगी। बहुत सोच-समझ कर उसने कृष को फोन लगाया, कृष का फोन बंद था।

कहां चला गया कृष? पद्मा कहां होगी? घर आते-आते सवालों से घिरती चली गई बेला। बेला के पास सवाल थे, और वह इन सवालों के जबाव के लिए बनारस, दिल्ली और मुम्बई तक सफर कर आई थी। अब उसका यह सफर अंतहीन लग रहा था। वह अंतहीन सवालों के मकड़जाल में उलझ गयी थी।

--

पापा ने अचानक तय कर लिया कि वे दिल्ली जाएंगे। वहां बहुत सा काम रुका है। अब उनकी तबीयत ठीक है।

समीर भांप गया, बेला को कोई बात खल रही है अंदर ही अंदर। रात के खाने के बाद कमरे में आने के बाद उसने टोक ही दिया। “तुम अब इतना क्यों सोचती हो?” समीर ने उसके कंधे पर हाथ रखकर पूछा। बेला पिघलने लगी। बेला अब समीर की आंखों में वही प्यार देखने लगी है जो वह कभी देखना चाहती थी। अब तो वह रिया और उसका भी ख्याल रखने लगा है। वह कभी कभी सोचती है कि रिश्ते के तंतुओं को बहुत ज्यादा खींचना नहीं चाहिए, टूट जाएं या ज्यादा खिंच जाएं तो परेशानी हो जाती है। झिर्री में से ज्यादा हवा आने लगे तो सारा का सारा तानाबाना बिखर जाता है। अब बेला को अपने रिश्तों को संवादहीनता की झिर्री से आने वाली उसी हवा से बचाना था।

“लेमन टी पियोगी?” समीर ने पूछा!

बेला ने हां में सिर हिला दिया। आज दिनभर की उधेड़बुन से बेहद थका दिया था। ऊपर से पापा का यह निर्णय। उसे लगता है कि शारीरिक थकान से तो पार पाना सरल है, मगर क्या कभी वह उस मानसिक थकान से बाहर आ पाएगी?

“तुम सबसे जीत सकती हो और तुम चाहो तो बड़े से बड़ा समन्दर अपने आप पार कर सकती हो!” समीर ने जैसे उसके मन की बात पढ़ते हुए कहा

“तुम अब मेरे मन की बात काफी समझने लगे हो!” बेला ने उसके हाथों से चाय का कप लेते हुए कहा।

“तुम्हारा गुलाम हूं मैडम, अब तुम ट्रंप का इक्का समझो या इक्के में जुता हुआ घोड़ा, लगाम तुम्हारे ही हाथों में है।”

बेला के होंठों पर हंसी तिर गयी। कितना सहज हो जाता है रिश्तों को जीना, जब सवालों को पीछे छोड़ दिया जाए।

‘अब बताओ तुम क्यों परेशान हो?’

‘कुछ नहीं। पापा चाहते हैं कि उनके जाने से पहले उनकी पूरी फैमिली एक साथ मिले। कल शाम को क्या हम कृष और पद्मा को घर बुला सकते हैं?’

समीर के चेहरे पर असहजता के भाव आए। बेला ने पढ़ने की कोशिश की। फिर धीरे से बोली, ‘मैं तुमसे अब कुछ छिपाना नहीं चाहती समीर। आज मैं कृष को फोन लगा रही थी, उसका फोन बंद आ रहा था...मैं पद्मा से बात करना चाहती थी, मिलना चाहती थी।’

समीर की आवाज शायद कुछ तल्ख थी, ‘पद्मा यहां नहीं है।’

‘ओह, कहां चली गई?’

‘कृष से पूछ लेना...’ समीर अब वाकई तल्ख हो गया।

बेला चुप रही। चाय का घूंट लिया और अपने आपको संभाल कर बोली, ‘समीर, क्या तुम्हें लगता है कृष से आज भी मेरा कोई संबंध है?’

समीर ने धीरे से कहा, ‘बेला, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं अपने रिश्ते को बचाने की। प्लीज… अब मेरे सामने कृष का नाम मत लो।’

बेला ने अपना चेहरा घुमा लिया। समीर उसके पास आ गया, एक हाथ से उसका चेहरा अपनी तरफ घुमाता हुआ ओला ‘बेला, सॉरी। मुझे समझने की कोशिश करो। मैं मिलवाऊंगा तुम्हें पद्मा से। उसे थोड़ा वक्त दो।’

‘क्या हुआ है उसे?’ बेला ने पूछा।

समीर ने बेला का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा,

‘पद्मा की जिंदगी आसान नहीं थी बेला। वह शायद पंद्रह साल की थी जब उसे पता चला था कि वह माइक की बेटी नहीं है। आशा बताना नहीं चाहती थीं… पद्मा ने बगावत कर दी। वह बिना बताए नेपाल आ गई, अपने कुछ नशेड़ी दोस्तों के साथ। उन दिनों मैं नेपाल में रिपोर्टिंग के सिलसिले में गया था। एक रात पशुपतिनाथ मंदिर के सामने मैंने कुछ लड़कों के साथ उसे झगड़ते देखा। उसे चोट लगी थी। मैं उसे अस्पताल ले गया। वह मुझे भाई कहने लगी। अजीब सी प्यारी सी बच्ची थी वो। मुझे पता था वो ड्रग्स लेती है। मैंने बहुत समझा कर उसे घर वापस भेजा। वह मुझे शुरू में हर बात बताती थी। वह डांस सीख रही थी, शायद बैले…’

‘फिर?’ बेला आगे जानने को बेचैन हो गई।

‘उसने मुझे मेल करना, फोन करना बंद कर दिया। कई सालों बाद मैं उससे बनारस में मिला, जब मैं वहां के पंडों पर एक रिपोर्ट तैयार कर रहा था। वह बहुत बुरे हाल में थी। उसका पहला पति बीमार था। वह ड्रग माफिया के चंगुल में बुरी तरह फंस गई थी। मैंने कहा था उसे, इतनी जल्दी कृष से शादी ना करे, पर वो… ’

बेला ने लंबी सांस ली। समीर का उसकी छोटी बहन से रिश्ता कितना गहरा है। शायद उसके बाद की कहानी वह थोड़ा-बहुत जानती है।

समीर का हाथ थामे वह यूं ही खड़ी रही। रात बहुत देर बाद उसे नींद आई।

--

पापा और मां को एयरपोर्ट छोड़ने सब गए। रास्ते में आशा खामोश थी। कार में पीछे की सीट पर बैठे थे आशा और बेला। सामने पापा की गोद में रिया। समीर गाड़ी चला रहे थे।

आशा सुबह से आश्चर्यजनक रूप से खामोश थी। बेला को पता था वो अपनी दोनों बेटियों को ले कर परेशान हैं। एयरपोर्ट पहुंचने से पहले आशा ने अपने हैंडबेग से एक पैकेट निकाला और बेला को देते हुए कहा, ‘जब भी पद्मा से मिलो, उसे ये दे देना।’

बेला ने धीरे से हां में सिर हिलाया। आशा अपनी रौ में बोलने लगीं, ‘पद्मा मुझसे बात नहीं करतीं। वो शायद नफरत करती है मुझसे। उस दिन भी समीर के कहने पर घर आई थी। मुझे उसकी बहुत चिंता है बेला। भटकी हुई अभिशप्त लड़की है। तुम उससे मिलोगी ना?’

बेला ने धीरे से आशा का हाथ दबाया।

मां-पापा को छोड़ कर घर आते समय दिल भारी था।

बिल्डिंग के सामने गाड़ी ने जैसे ही एंट्री ली, सामने झाड़ियों के बीच एक साया उन्हें देखते ही छिप गया। समीर उन दोनों को उतार कर गाड़ी पार्क करने चले गए। रिया जिद करने लगी कि वह झूला झूलेगी। बेला उसे झूले तक ले गई कि सामने उसे वही साया फिर से नजर आया।

पद्मा… पीछे से समीर उसे लगभग खींचते हुए उसके पास ला रहा था।

बेला का जैसे अपने पर काबू ना रहा। वह खंभे का सहारा ले कर खड़ी रही।

दोनों बहने आमने-सामने थीं। कितना कुछ था कहने-सुनने को। बेला अपनी बहन का हाथ थामने आगे बढ़ी। पद्मा तो जैसे दूसरी ही दुनिया में थी, ‘भाई, मैंने उसे छोड़ दिया है। अब मैं यहीं रहूंगी, तुम्हारे पास!’