do baalti paani - 31 in Hindi Comedy stories by Sarvesh Saxena books and stories PDF | दो बाल्टी पानी - 31

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दो बाल्टी पानी - 31

डेढ से दो घंटा हो गया पर बिजली वाले बाबू जी ने वर्मा जी और मिश्रा जी की कोई सुध ना ली और थक हारकर इस बार वर्मा जी उस बाबू के पास आकर बोले “ अरे भाई साहब जरा देख कर बता दीजिये, वो का है कि वापिस घर भी जाना है और पांच बजने को हैं” |

बाबू जी ने फिए डस्ट्बिन मे पिचकारी मारी और कहा “ अरे का है, तुम लोग तो राम कसम दिमाग चाट लेते हो , चलो गांव का नाम बताओ” |

वर्मा जी बोले “ साहब गांव का नाम खुसफुस पुर” |

ये सुनते ही बिजली बाबू हंसते हुये अपने पास बैठे एक कर्मचारी से बोले “ अरे आसाराम लो....जिनकी बातें हो रही थीं वही लोग आ गये” |

ये सुनकर आसाराम बोला “ अरे बाबू जी इनसे जरा संभल के रहियेगा कहीं नाराज हो गये तो चुडैल चोटी काट लेगी ...हा...हा...हा...हा...” |

दोनों बाबुओं की हंसी जब सुनी सुनी नही गई तो मिश्रा जी बोले “ अरे काहे हंस रहे हो बाबू जी, ठीक ही तो कह रहें है वो साहब, हमारे गांव में सडक के उस पार वाले नल पर एक चुडैल ने कब्जा कर लिये है और ना जाने कितनी औरतों की उसने चोटी काट दी, सरकार... अब हम लोग नल पर जाने से भी घबराते हैं और पानी के लिये तरस रहे हैं, बिजली आये तो पानी की परेसानी भी कुछ कम हो |

ये सुनकर बाबू जी ने मिश्रा जी से धीरे से कहा “ काहे परेसान हो मिश्रा जी अरे कुछ ले दे के चुडैल को दफा करो और निपटारा करो, जहां से आई है वहां चली जायेगी और हमारा भी पिंड छूटे” |

ये सुनकर वर्मा जी ने मिश्रा जी से कहा “ अरे चलो यहां से, यहां तो सब चुडैल से भी जादा भूखे नंगे बैठे हैं” ये कहकर वो दोनों चल दिये तो आसाराम ने उन्हें रोकते हुये कहा “ अईसे कईसे चल दिये भईया, इत्ती देर साहब का टाईम खराब किये हो तो कुछ चाय पानी तो करा के जाओ, तुम्हारी परेसानी भी अरे मेरा मतलब फाइल भी आगे बढ जायेगी” |

ये सुनकर वर्मा और मिश्रा जी का खून उबाल मारने लगा पर वो उसी उसी उबलते खून में ठंडा पानी मिलाकर बोले “ हमारे पास देने के लिये कुछ होता तो हम यहां काहे आते,जा रहे हैं हम राम ,....राम” |

गांव मे बिजली आने की उम्मीद भी अब ना के बराबर हो गई थी और अब पानी की परेशानी ने लोगों को सडक के उस पार वाले नल पर जाने के लिए मजबूर कर दिया था |

इसी बीच बब्बन हलवाई अपने तोंद को लटकाते हुये बडी झिक झिक के बाद नल पर पानी भरने के लिये चल दिये, दोपहर का समय था, सारे गांव में गर्म तेज लू चल रही थी और दूर दूर तक कानी चिडिया तक नही दिख रही थी |

बब्बन हल्वाई ने बाल्टी को नल के नीचे लगाया और नल चलाया तो नल से पानी की मोटी धार निकल पडी जिसे देखकर वो बोला “ गजब हो गया, गजब हो गया....इसका मतलब चुडैल रानी हमसे नाराज नही है, अरे हम तो पहिले ही जानत हते कि चुडैल रानी खाली जनानी से रिसाई हुई हैं और तबही सबकी चोटी काट लेती हैं, जै हो ...जै...हो ....अरे हमारी दुकान पे अगर समय मिले तो आओ कभी चुडैल रानी जी, अच्छा तो अब हम जा रहे हैं” |