Hostel Girls (Hindi) - 7 in Hindi Women Focused by Kamal Patadiya books and stories PDF | Hostel Girls (Hindi) - 7

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Hostel Girls (Hindi) - 7

[प्रकरण : 4 - पहचान के लिए संघर्ष]

फ्लैट पर वापस आने के बाद सबको पुराने विद्यार्थियों की सफलता की गाथाएं मन में गूंजती रहती है। सब सहेलियां इस topic पर बात करती है और अपने जीवन में भी ऐसा कुछ करना चाहिए इसके बारे में सोचती है। लेकिन शुरुआत कहां से करें? क्योंकि सबको अपने अपने परिवार को साथ लेकर चलना है और दूसरा क्या उन सबका परिवार भी क्या उनका साथ देगा? यह बहुत ही बड़ा प्रश्न था।

प्रिया सबसे कहती है कि हमें उस काम से शुरुआत करनी चाहिए जो हमें सबसे अच्छा लगता है, जो हमें सबसे ज्यादा पसंद है। तब सबको अपनी हॉस्टल की बातें याद आती है। रेचल को singing का शौक था, तो सना को writing का शौक था। सिमरन को cooking का शौक था, तो प्रिया को travelling का शौक था।

चारो सहेलियां अपने अपने शौक को लेकर आगे कैसे बढ़ाया जाए, इसके बारे में सोचती है। तब निखिल job करके घर पर वापस आता है। प्रिया निखिल से इस बारे में discuss करती है क्योंकि निखिल को मार्केटिंग का अनुभव होता है। निखिल सब की बातें सुनकर सब को आश्वस्त करता है कि वह इस बारे में जरूर सोचेगा और कोई ना कोई हल जरूर निकाल लेगा।

सर्वप्रथम निखिल सना का काम हाथ में लेता है। वह दोनों अलग-अलग पब्लिकेशन हाउस में जाते हैं और publishers से मिलते हैं। सना के लेखों, कविताओं और कहानियों को लेकर publishers से मीटिंग करते हैं, चर्चाए करते हैं लेकिन सब publishers उससे कहते है कि वह सब कुछ details में पढ़कर, जांच करके बाद में अपना निर्णय लेंगे लेकिन निखिल और सना हार नहीं मानते हैं। निखिल सना के कविताओं और लेखों को digitalize करवाता है और अपना अलग-अलग ऑनलाइन publications में publish करवाता है और सना को धीरज रखने के लिए कहता है।

इस तरह, वह रेचल की help करने के लिए शहर के अलग-अलग जगहों पर जहां पर singing के competition या reality show होते हैं, वहां पर रेचल को लेकर जाता है। वह रेचल को singing competition या reality show में कैसे participate कैसे करते हैं, उसके बारे में बताता है।

वह कई online singing application को रेचल के मोबाइल में डाउनलोड करवाता है और उस मे कैसे गाया जा सकता हैं, वो सीखाता है। online singing से रेचल confidence लेवल बढ़ता है लेकिन रेचल को उतनी कामयाबी नहीं मिलती है।

इस तरफ, सिमरन भी प्रिया के साथ अलग-अलग जगहों पर cooking competitions में भाग लेने के लिए जाती है। निखिल सिमरन को youtube पर खाने की अलग-अलग चैनलों को दिखाते हुए सिमरन से कहता है कि तुम ईन वीडियो से कुकिंग की नई नई dishes बनाना सीख लो। बाद में, सिमरन सबको हररोज नई नई dishes बनाकर सबको खिलाती है लेकिन अभीतक सिमरन को cooking competition मे उतनी सफलता नहीं मिलती है।

निखिल और प्रिया उन तीनों को समझाते हैं कि सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलती है, उसके लिए बहुत ही कठिन संघर्ष करना पड़ता है, हो सकता है, शुरुआत में निष्फलता का सामना भी करना पडे लेकिन अपने इरादे पर डटे रहने से ही 1 दिन सफलता जरूर मिलेगी।

ऐसे देखते देखते 1 week निकल जाता है। सना को उसके मां-बाप का घर से phone आता है कि तुम्हें वहां पर job मिल गई? अगर नहीं मिली है तो तुम घर से वापस चले आओ।

तब सना अपने मां-बाप को समझाती है कि उसे थोड़े दिन में नौकरी मिल जाएगी, अगर उसको नौकरी नहीं मिलेगी तो वह वापस आ जाएगी। अपने मां-बाप को समझा कर वह फोन रखती है लेकिन उसके मन में एक गडमथल शुरू हो जाती कि वह यहां रहकर नौकरी ढूंढे या अपने घर वापस चली जाए।

इस तरफ, डेविड रेचल को फोन करके कहता है कि सब कुछ भुलाकर वह वापस घर पर आ जाए, वह भी सब कुछ भुलाने को ओर एक नई शुरुआत करने के लिए तैयार है। तब रेचल उससे सोचने के लिए थोड़ा समय मांगती है।

इस तरफ, सिमरन का पति गुरुचरण और उसके सास ससूर भी सिमरन को घर वापस आने के लिए फोन करते हैं।

तीनों के मन में असमंजस पैदा होती है कि अब क्या करें? एक तरफ परिवार है तो दूसरी तरफ उसकी खुशियां, एक तरफ तनावभरी जिंदगी है तो दूसरी तरफ अनजानी सी आशा, एक तरफ धूत्कार है तो एक तरफ बेगानो का प्यार। आज उसकी जिंदगी ऐसा मोड पर आकर ठहर गई थी जहाँ पर किसी एक का चुनाव उसे करना था। सब लोग अपने अपने घर पे चले जाए और वही पुरानी जिदंगी जीए या सब कुछ भुलाकर एक नया रास्ता चुने और उस रास्ते पर आगे बढ़े।

तीनों सहेलियों को लगता है कि जिंदगी ने उसे एक golden chance दिया है। ऐसा मौका शायद उसे जिंदगी में दोबारा नहीं मिलेगा तो क्यों न इस मौके का उपयोग करके अपनी जिंदगी सफल करें। जिससे उसको वो आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता वापस मिले, जिसको उसने लगभग गवा दिया था। वह सब पूरी मक्कमता और दृढ़ निश्चय करके आगे बढ़ने का निर्णय करती है। प्रिया और निखिल भी उनके निर्णय का सम्मान और समर्थन करते है।

रेचल डेविड को फोन करके अपना निर्णय स्पष्ट शब्दों में सुनाती हैं कि जब तक वो जिंदगी में कुछ बन न जाए तब तक वह घर पर वापस नहीं आएगी। तब डेविड उसको धमकीभरे स्वर में divorce के लिए तैयार रहने को कहता है और फोन काट देता है। रेचल की आंखों में divorce की बात सुनकर आंसू आ जाते हैं क्योंकि कहीं ना कहीं वह अब भी डेविड से प्यार करती है और अपने पति का support चाहती है। प्रिया और उसकी सहेलियां उसको आश्वासन देकर शांत करती है।

दूसरी तरफ, सिमरन भी अपने घर पर फोन करके गुरुचरण और अपने सास-ससुर को बताती है कि वह cooking मे मास्टर होना चाहती है इसलिए वह cooking course के लिए मुंबई 2-4 महिने रूकना चाहती है और रूकने के लिए गुरुचरण से परमिशन मांगती है। तब गुरुचरण गुस्से से आगबबूला हो जाता है और सिमरन को तुरंत ही अपने घर पर लौट आने के लिए कहता है। सिमरन भी मक्कम मन से कहती है कि जब तक वह cooking मे expert नहीं हो जाती तब तक वह मुंबई में ही रहेगी। फिर क्या था? गुरुचरण के गुस्से का ज्वालामुखी फटता है, वह सिमरन को खरी-खोटी सुनाते हुए धमकी देता है कि अगर तुम तुरंत ही वहां से लौटकर यहां पर वापस नहीं आई तो इसका परिणाम अच्छा नहीं होगा, ऐसा कहकर वो फोन काट देता है। सिमरन की आंखों से गंगा जमुना की धारा बहने लगती है तब प्रिया और उसकी सहेलियां उसे आश्वासन देती है कि समय रहते सब कुछ अच्छा हो जाएगा।

चारो सहेलियां मिलकर सोचती है कि अब आगे क्या करना है? तब निखिल उसको guide करता है कि वह सबसे पहले अपने खर्च निकालने के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू करे, बाद में वह अपने अपने रास्ते पर आगे बढ़ सकती है। चारो को निखिल की बात बराबर लगती है।

निखिल सब को बताता है कि सिमरन बहुत ही अच्छा खाना बनाती है और नई नई dishes बनाना सीख चुकी है तो क्यों ना कोई अच्छी जगह पर छोटा ढाबा या होटल खोला जाए? आजकल ऐसी होटलों में खाने की बहुत ही डिमांड होती है जहां पर पार्सल की सुविधाएं उपलब्ध होती है। infect मेरे एक फ्रेंड का बहुत ही अच्छे से एरिया मे होटेल है, जो काफी दिनों से बंद पड़ा है इसलिए वह कम rent में भी हमें होटल भाडे पर दे देगा। उसकी जगह छोटी सी है पर पार्सल सुविधा के लिए एकदम ठीक है।

सिमरन निखिल को कहती है वो सब तो ठीक है लेकिन होटल के rent के लिए, उसके फर्नीचर के लिए और होटल के माल सामान के लिए पैसे कहां से आएंगे? तब प्रिया उस problem का solution बताते हुए कहती है कि आजकल सरकार स्टार्टअप बिजनेस करनेवालों के लिए बहुत ही कम interest पर लोन provide करती है इसलिए बैंक में से लोन दिलाने की जवाबदारी उसकी।

रेचल कहती है कि वह shop का इंटीरियर डिजाइन कर सकती है, साथ ही साथ वह shop का कैश काउंटर भी संभाल सकती है। हिसाब किताब रखने की जिम्मेदारी उसकी।

सना सबको बताती है कि उसने बहुत सारे events कीए है इसलिए events के स्टाफ को, होटल के स्टाफ को और बाहर के आर्डर पर वो ध्यान दे सकती है और सबकूछ संभाल सकती है। यह सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है।

बाद में निखिल सबको उसके फ्रेंड की होटल जो बंद पड़ी हुई थी वहा पर ले जाता है। होटल के लिए shop बहुत ही छोटी थी लेकिन फूड पार्सल के लिए वह बहुत ही अच्छी जगह थी। आसपास का एरिया भी बहुत अच्छा होता है, आसपास में नौकरी पेशा और फैमिली वाले लोग रहेते है।

प्रिया चारों सहेलियों के documents लोन के लिए बैंक में सबमिट कर देती है और लोन के लिए apply कर देती है। थोडे दिनों में बैंक में से start up के लिए लोन पास हो जाता है और सब लोग अपने अपने काम पर लग जाते हैं। सिमरन ओर प्रिया होटल के लिए सब जरूरी सामान की खरीदारी करते है। रेचल shop का interior इस तरह डिजाइन करती है जीससे कम से कम जगह में भी अच्छी से अच्छी फूड पार्सल की सुविधा उपलब्ध करा सके।

सना और निखिल साथ मिलकर निखिल के friend circle से मिलने जाते है और अपने रेस्टोरेंट का promotion करते हैं। साथी साथ व आसपास के एरिया में जीतने की wedding service वाले हैं, उनके साथ मीटिंग करते हैं और अपने restaurant के बारे में बताते हैं और कुछ लोगों के साथ tie up भी करते हैं, जिससे मुताबिक उनके हर functions के लिए फूड supply करने की जिम्मेदारी सना ओर निखिल की। साथ में वह दोनों रेस्टोरेंट के लिए स्टाफ की भी व्यवस्था करते है।

इस तरफ, सिमरन को एक प्रकार की बेचैनी सी लगी रहती है। वह सोचती रहती हैं कि गुरुचरण का अगला कदम क्या होगा और उसका यह सोचना सही साबित होता है। गुरुचरण सिमरन और अपने बेटे को लेने के लिए मुंबई मे प्रिया के घर पर पहुंच जाता है। सब लोग मिलकर गुरुचरण को समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन गुरुचरण किसी की बात सुनने को तैयार नहीं है। वह सबको अपने पर्सनल मामलों में दखलंदाजी नहीं करने की सलाह देता है।

सिमरन उसको रेस्टोरेंट के बारे में बताती है जो उसका वर्षों पुराना सपना है और यह समजाती है कि ये लोग उसकी मदद कर रहे है। वो गुरुचरण को बताती है कि अगर 6 महीने के अंदर उसका रेस्टोरेंट नहीं चला तो वह खुद ही अपने गांव वापस चली आएगी लेकिन गुरुचरण के मन में एक ही धुन सवार होती है कि सिमरन ओर उसका बेटा वापस घर लौट आए।

इस तरफ सिमरन भी मक्कम होके गुरुचरण को अपना निर्णय सुनाती है कि जब तक वह जिंदगी में कुछ बन नही जाती, तब तक वह वापस घर पर नहीं आएगी। तब गुरुचरण गुस्से से लाल पीला हो जाता है और वह सिमरन के ऊपर हाथ उठाने को जाता है तब निखिल उसका हाथ रोक लेता है और उसको अपने घर से निकल जाने के लिए कहता है। तब गुरुचरण सबके साथ गाली गलौच, झगड़ा और तमाशा करता है। जब उसकी हरकतों का सिमरन पर कुछ असर नहीं होता है तब वह जबरदस्ती अपने बेटे को सिमरन से छीन कर वहां से जाने के लिए निकलता है।

सिमरन और सब लोगों ने उसके आगे हाथ पैर जोड़कर समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन गुरुचरण सब को देख लेने की धमकी देकर और अपने बेटे को लेकर वहां से चला जाता है।

अपने बेटे से बिछड़कर सिमरन का रो रो कर बुरा हाल हो जाता है। उसका बेटा उसके बगैर कैसे रहेगा? यह सोचकर वो पागल जैसी हो जाती है। तब निखिल और उसकी सहेलियां उसे शांत करती है और उसे रेस्टोरेंट का आईडिया cancel करके अपने घर पर लौट जाने के लिए कहते हैं। सब के आश्वासन से सिमरन स्वस्थ होती है और उसको सोचने के लिए एक रात का समय मांगती है। सब लोग उसको हिम्मत और आश्वासन देते हुए कहते हैं कि उसका जो भी निर्णय होगा वह सबको मान्य होगा।

सुबह होते हि सिमरन भारी मन से अपना निर्णय सुनाते हुए कहती है कि सब लोगों ने रेस्टोरेंट लिए बड़ी मेहनत की है, अपना कीमती समय दिया है और अपना सब कुछ दाव पर लगाया है, ऐसे मौके पर मैं अपने कदम पीछे नहीं हटा सकती। मेरा बेटा, मेरे सास ससुर के पास रह लेगा, वैसे भी उन्हीं के साथ वह पला बड़ा है। हम लोगों को शायद ऐसा मौका दोबारा नहीं मिलेगा इसलिए हम सब लोग मिलकर यह रेस्टोरेंट खोलकर ही रहेंगे, चाहे इसके लिए हमें कितने भी इम्तिहान से क्यों न गुजरना पडे। सब लोग सिमरन के जोश और जज्बे का तालियां बजाकर स्वागत करते हैं।

10-15 दिनों के बाद सिमरन का रेस्टोरेंट "सिमरन दा ढाबा" तैयार हो जाता है। एक अच्छा सा मुहूर्त देखकर रेस्टोरेंट का उद्घाटन होता है और सब लोग अपने अपने काम पर लग जाते हैं।

निखिल अपने marketing skill से "सिमरन दा ढाबा"" रेस्टोरेंट का प्रमोशन करता है। शुरुआती दिनों में रेस्टोरेंट को चलाने के लिए सबको बड़ा संघर्ष करना पड़ता है लेकिन सब लोग निराश हुए बिना दिन रात मेहनत करने में लग जाते हैं।

लगभग 6 महिने के बाद उसकी मेहनत रंग लाती है। उसके एरिया में "सिमरन दा ढाबा" food parcel का नाम होने लगता है। सिमरन इतना अच्छा खाना बनाती है कि लोग खाने के साथ-साथ प्लेट भी चबा जाए। उतना ही अच्छा काम निखिल और उसकी सहेलियां करती है| उनको wedding functions ऑफ दूसरे functions के ऑर्डर भी मिलने लगते हैं। सबको लगता है कि उन्होंने सही रास्ता चुना हैं।

अचानक एक दिन गुरुचरण बिन बादल बरसात की तरह उसके दोस्तों एवं हथियारों के साथ रेस्टोरेंट में दाखिल होता है। वो और उसके दोस्त रेस्टोरेंट में तोड़फोड़ शुरू करने लगते हैं और सब सामान बाहर फेकने लगते हैं। जब सिगरन, रेचल ओर रेस्टोरेंट के कर्मचारी उसको रोकने की कोशिश करते है तब गुरुचरण और उसके साथी उनके साथ मारपीट करते हैं। वो लोग पूरा रेस्टोरेंट तबाह कर देते हैं और जाते जाते गुरुचरण सिमरन को धमकी देता है कि अगर वह वापस अपने घर पर नहीं आई तो उसका ओर उसके दोस्तों का इससे भी बड़ा बुरा हाल होगा।

आसपास के दुकान वाले सब पुलिस को खबर कर देते हैं। पुलिस आके गुरुचरण ओर उसके दोस्तों को पकड़कर पुलिस स्टेशन ले जाती है। पुलिस स्टेशन में पुलिस वाले गुरुचरण ओर उसके दोस्तों को मार मार कर उनका बुरा हाल कर देते है और उन सबको सबक सिखाते हैं।

सिमरन ओर उसकी सहेलियां पुलिस स्टेशन पहूचते हैं। पुलिस सिमरन को शिकायत दर्ज करने को कहती है तब सिमरन को अपने सास-ससुर ओर अपने बेटे की याद आती है और वह शिकायत दर्ज करने से इनकार करती हैं और सब लोगों को छोड़ने के लिए कहती है। तब पुलिस भी आश्चर्यचकित हो जाती है तब सिमरन कहती है कि गुरुचरण उसके पति है, वह चाहे उसके साथ कितना भी बुरा बर्ताव कर ले पर वो उसके साथ कोई बुरा बर्ताव नहीं होने देगी। सिमरन की बातें सुनकर गुरुचरण ओर उसके दोस्तों को अपनी गलती का एहसास होता है। उसके सर शर्म से झुक जाते हैं और वो सब वहां से चुपचाप निकल जाते हैं।

सिमरन फ्लैट पर वापस आकर अपने पति की हरकत से बहुत दुखी और निराश हो जाती है। उसकी आंखों से आसूओ की धाराए बहने लगती है और वह फूट-फूट कर रोने लगती है, तब निखिल और उसकी सहेलियां उसको हिम्मत और भरोसा दिलाते हैं कि हम सब लोग मिलकर फिर से अपनी मेहनत से रेस्टोरेंट को खड़ा कर लेंगे और उसको सफलता की ऊंचाइयों तक लेकर ही जाएंगे।

सब लोग पुरानी बातें भूल कर फिर से अपने सपने पूरे करने में लग जाते हैं। जब-जब बिजनेस बढ़ाने के लिए पैसे की जरूरत पड़ती है तब-तब प्रिया अपने बैंक से उनको लोन दिलवा देती है। लगभग 1 साल के बाद "सिमरन दा ढाबा" का पूरे शहर में नाम हो जाता है। बड़े-बड़े events, functions, birthday parties और corporate parties मे खाने के लिए एक ही नाम आता है "Simran da dhaba".

क्रमशः