अरमान दुल्हन के-17
सरजू हैरान था अपनी मां की चालाकी से।
"मां आप,...... आप इस तरियां न्ही कर सकती। कविता की जगहां बेबे हर होती फेर(कविता की जगह मेरी कोई बहन होती तो) बी तैं न्युए (आप ऐसा ही) करदी।"
"ओये घणा ना बोलै, वा मेरी छोरियाँ की होड (बराबरी) करैगी!"
सरजू बिन बोले ही उठकर चला आया और अपने फूफा जी को सारी बात बताई। फूफा जी ने जाकर पार्वती को बहुत सुनाया तब जाकर वह वापस आई।
अब भी उसके दिमाग में प्लानिंग चल रही थी। कविता से मीठा मीठा बोलती और सरजू के साथ भी बढिया व्यवहार करने लगी थी।एक दिन कविता की भाभी की चिट्ठी आई।
"किसकी चिट्ठी आई सै बेटी?" पार्वती ने जानना चाहा था।
"मां मेरी भाभी की चिट्ठी सै।" कविता ने खुशी से झूमकर बताया।
"के लिख राख्या सै चिट्ठी मै मन्नै भी बतावैगी के ना?"
"ठीक सै मां ! ले भी तन्नै पढ़के ए सुणा दयूं।इसमै के लिख राख्या सै।
डियर कविता,
कैसी हो? तुम्हारी सासु मां को मेरा सादर प्रणाम। सबकी तरफ से मौसीजी को राम राम बांचना।तुम्हें सबकी तरफ से ढ़ेर सारा प्यार। हम सब यहां पर कुशल-पूर्वक हैं।आशा करते हैं तुम सब भी कुशलक्षेप होगें! बारिश हुई या नहीं लिखना। खेतीबाड़ी कैसी है? मौसी जी तुम्हें.........(कविता पढ़ते पढ़ते रुक जाती है। )तंग तो नहीं करती? के स्थान पर बोल देती है कि बहुत प्यार से रखती होगी ऐसी हमें उम्मीद करते हैं। तुम्हारा मन लगा कि नहीं सब बातें विस्तार से लिखना। परू अब चलने लगा है। बहुत से शब्द भी बोलने लगा है।और हां! बूआ भी कहने लगा है। चाचू को तातु बोलता है तो सब हंस पड़ते हैं।तुम यहां होती तो लोट- पोट हो जाती। मौसी जी जापे(बेबी डिलवरी) पर तुम्हें भेजेंगी या नहीं ये मां पूछ रही हैं।सभी बातों के जवाब जल्दी देना।मां की चिंता मत करना।तुम्हारे भैया तुम्हें बहुत याद करते हैं। उन्होंने चिट्ठी लिखी थी मिली कि नहीं। अगर मिल गई थी तो तुमने जवाब क्यों नहीं दिया।सरजू जी कैसे हैं।तुमसे बहुत प्यार करते हैं ना( पढ़कर कविता शरमा जाती है)परु लिखने नहीं दे रहा है इसलिए बस अभी बाय। तुम्हारी चिट्ठी का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा। बड़ों को सादर प्रणाम और छोटों को प्यार।पत्र के इंतज़ार में तुम्हारी भाभी।
आपकी अपनी
सरोज
कविता चिट्ठी एक सांस में ही पढ़ गई। अब उसे सास के जवाब का इंतज़ार था।
"देख बेटी, थारे गामा कानी ( तुम्हारे गाँव की तरफ) तो पहला जापा पीहर मै कराया करै।अर आड़ै ( यहाँ ) रिवाज सै सासरे मै (ससुराल में) ए रहण का (रहने का) । देख, मेरा तो जी ना करता भेजण का बाकी तेरी मर्जी सै। कविता खुश थी कि कम से कम सास में सुधार तो हुआ। वह भी चिट्ठी का जवाब लिखती है।
आदरणीय भाभीजी,
आप सबको मेरा प्यार भरा नमस्कार। यहां सब ठीक ठाक हैं आपकी चिट्ठी मिली पढ़कर अपार हर्ष हुआ। सासू मां को सबकी राम- राम बोल दी है मैंने। बारिश थोड़ी बहुत हुई है।फसल-बाड़ी अच्छी है। सासू मां अब ठीक रहती हैं ।मुझे बिलकुल तंग नहीं करती हैं। अब मेरा मन लग गया है। आप सबकी बहुत याद आती है। सासू मां जापे पर भेजने के लिए मना कर रही हैं। मां का ख्याल रखना। हां भाई की चिट्ठी मिली और जवाब देने में देरी हो गई।एक सप्ताह पहले ही डाली है। जल्दी ही मिल जायेगी । सरजू भी ठीक सै भाभी। सप्ताह में दो बार घर आ जाते हैं ।परू को मेरा ढ़ेर सारा प्यार देना। सबको राम राम बोलना। अपने वहां कितनी बारिश हुई।फसल कैसी है आपने लिखा ही नहीं । भाई को मिलने भेज देना।मां को बोलना मेरी फिक्र न करें। पत्र जल्दी जल्दी लिखते रहना।
आलू मटर की सब्जी बनाई सब्जी बनी स्वाद
नमक डालना भूल गई जब भाभी आई याद।
गर्म गर्म जलेबी से रस टपकता है
आप सबकी याद में आंसू टपकता है..
आपकी प्यारी ननद
कविता
क्रमशः
एमके कागदाना
फतेहाबाद हरियाणा