mismatch - the charging point - 1 in Hindi Fiction Stories by saurabh dixit manas books and stories PDF | मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट - भाग 1

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मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट - भाग 1

#मिसमैच_द_चार्जिंग_प्वाइंट #भाग_1
एक्सक्यूज मी! आपके पास फोन का चार्जर होगा क्या?“ अहमदाबाद एअरपोर्ट के वेटिंग रूम में चारजिग प्वाइंट के पास,आँखों पर काला चश्मा लगाए प्रख्यात मोबाइल पर गाना सुन रहा था तभी एक लड़की की आवाज सुनाई पड़ी जिसे सुनकर उसने आँखें खोली तो सामने एक बेहद खूबसूरत और स्मार्ट सी लड़की को देखकर कानसे इयर फोन निकालते हुए बोला-

"जी! आपने मुझसे कुछ कहा?” लगातार पानी बहने से प्रख्यात की नाक लाल टमाटर सी हो गई थी जिसे ढकने के लिए उसने मुँह पर रुमाल बांध रखा था।

“जी, आपके पास चार्जर होगा क्या?” लड़की नेदुबारा पूछा।
“है तो?” प्रख्यात ने थोड़े रूखे लहजे में जवाब दिया।
“थोड़ी देर के लिए मुझे मिल सकता है?”
“फोन लेकर चलती हैं तो चार्जर भी लेकर चलना चाहिए ना।” प्रख्यात उसी लहजे में बोला।
“ओ हैलो मिस्टर एक्स वाई जेड! आप से सलाह नहीं मांग रही, समझे ना आप? चार्जर लेकर ही चलती हूँ, वो होटल में छूट गया था इसलिए..”
“ओह! मेकअप में ही ध्यान रहा होगा, मैंडम लोगकी सबसे बड़ी प्रॉब्लम भी तो ये मेकअप ही है....." प्रख्यात धीरे से बुदबुदाया जिसे लड़की ने सुन लिया।
“बड़े बत्तमीज हैं आप, एअरपोर्ट पर बैठें हैं तो सोचा शरीफ होंगे पर आप तो......वैसे मुझे आपका हुलिया देखकर ही समझ जाना चाहिए था कि जितने डाकू आप दिख रहे हो उससे कहीं बड़े वाले हैं।” लड़की गुस्से से नाक फुलाती हुई बोली।
"ओह! कान की तो बड़ी तेज है..’ सोचते हुए प्रख्यात ने उसकी ओर चार्जर बढाया-
“ये लीजिए।”
“नहीं चाहिए, रखिए अपना चार्जर और घर जा कर तेल मसाले मिलाकर अचार डाल लीजिएगा।” कहकर वो लड़की पैर पटकते हुए चली गयी।
"अरे मैडम आप तो बुरा मान....." पर लड़की आगे निकल गई थी।प्रख्यात उसे दूर जाता हुआ देखता रहा तभी एनाउंसमेंट हुआ-

“अहमदाबाद से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट ए-703, किसी टैक्निकल इश्यू के कारण कैंसल कर दी गई है। दिल्ली के लिए अगली फ्लाइट रात दस बजे प्रस्थान करेगी। आपकी असुविधा के लिए हमें खेद है।”
‘उफ्फ! ये भी अभी होना था, एक तो तबियत ठीकनहीं लग रही ऊपर से फ्लाइट कैंसिल। सोचा था घर पहुँचकर आराम करूँगा पर मुझसे पहले फ्लाइट मैडम को ही बुखार हो गया। अब पूरा दिन क्या किया जाए...चलो निकलते हैं बाहर फिर देखते हैं।’ सोचते हुए प्रख्यात एयरपोर्ट से बाहर निकला और एक टैक्सी को इशारा करके बुलाया।

“फ्लाइट भी आज ही कैन्सल होनी थी, कुहू तो जान ले लेगी मेरी...” भुनभुनाती हुई वही लड़की प्रख्यात के बगल में आकर खड़ी हो गई। टैक्सी सामने आकर रूकी तो प्रख्यात आगे बढ़ा--

“ओ डाकू महाशय! टैक्सी मैंने बुलायी है, आप अपना रास्ता देखो।” कहकर वो झट से टैक्सी में बैठ गयी और टैक्सी आगे बढ़ गई जिसे प्रख्यात खड़ा देखता ही रह गया। जब उसने अपने हुलिए पर गौर किया तो देखा कि उसके मुँह पर रुमाल और आँखों पर काला चश्मा अभी तक वैसे ही था।वो धीरे से मुस्कुराता हुआ दूसरी टैक्सी की ओर बढ़ गया। कुछ दूर आगे जाते ही उसे याद आया कि कहीं पर पेंटिंग एग्जीविशन के बोर्ड लगे थे।
“तुम्हें पता है ये पेंटिंग एग्जीविशन कहाँ लगी है...?” उसने टैक्सी ड्राइवर से पूछा तो उसने 'हाँ' में सिर हिलाया।

“चलो वहीं ले चलो! बहुत दिनों बाद आज मौका मिला है दिल और दिमाग को टॉनिक देने का।” प्रख्यात ने बाहर देखते हुए कहा।
“टॉनिक???" ड्राइवर ने हँसते हुए पूछा।
“हाँ भाई! जिंदगी की भाग-दौड़ में कुछ ऐसे शौक पीछे छूट जाते हैं जिन्हें जीकर दिल को सुकून मिलता है और सुकून से बड़ा टॉनिक और क्या हो सकता है भला?” एक गहरी साँस लेते हुए प्रख्यात ने कहा तभी सामने एग्जीविशन हॉल का बोर्ड दिख गया।

“लीजिए सर! आपका टॉनिक और आपका सुकूनसामने खड़ा आपको न्योता दे रहा।” डॉईवर ने टैक्सी रोकते हुए कहा।

“भई! तुम भी बड़े मजेदार हो।” कहते हुए प्रख्यात ने उसे किराया दिया और हॉल की तरफ बढ़ गया।

“अभी तो फ्लाइट में चार घण्टे का टाइम है।” मन में सोचते हुए वो अन्दर पहुँचा। अंदर कदम रखते ही मानो वो बाहरी दुनिया से बेखबर एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया। एक-एक पेंटिंग को निहारता, उसमें डूबता और आगे बढ़ता जाता।

“अरे! ये लड़की यहाँ भी...” खुद से कहता हुआ वो उस लड़की के पीछे जाकर खड़ा हो गया।

“ये क्या बनाया है पेंटिंग में?” लड़की धीरे से बुदबुदाई।

“दुनिया की कशमकश में घिरा मासूम बचपन है मैडम! ..... उफ्फ! कैसे-कैसे लोग आ जाते हैं यहाँ भीड़ बढ़ाने?” प्रख्यात ने उसके के बगल से निकलते हुए कहा।

“ओह! तो आप बहुत जानकार हो, हम भी सुनें जरा।“ कहते हुए जब तक वो पीछे मुड़ी तब तक प्रख्यात गेट से बाहर निकल चुका था। हॉल से बाहर निकलकर प्रख्यात ने घड़ी पर नजर डाली--"

अरे! नौ बजे गये? यहाँ तो टाइम का पता ही नहीं चला।" सोचते हुए वो टैक्सी की ओर बढ़ गया।

फ्लाइट का टाइम हो रहा था, एअरपोर्ट के बाहर एटीएम से पैसे निकालने के लिए लगी लम्बी लाइन के बीच प्रख्यात भी खड़ा था तभी आँखों में काला चश्मा, बायें कन्धे पर छोटा बैग और दाहिने हाथ से ट्राली बैग खींचते हुए वही लड़की सबसे आगे जाकर खड़ी हो गई।

“ओ हैलो मैडम! हम लोग भी लाइन में लगे हैं।” प्रख्यात ने अपने बैग को सम्भालते हुए कहा।

“प्लीज! मुझे थोड़ा जल्दी है, फ्लाइट पकड़नी है।” उस लड़की ने सबसे आगे खड़े व्यक्ति से कहा।

“सही है मैडम! हम लोग तो एअरपोर्ट पर बस पकड़ने के लिए आये हैं!” प्रख्यात ने मुँह सिकोड़ते हुए अपने बगल वाले व्यक्ति से बोला। इससे पहले कि लड़की प्रख्यात को देख पाती लाइन में सबसे आगे खड़े व्यक्ति ने कहा-

“ठीक है मैम! पहले आप ही पैसे निकाल लीजिए।”

“थैंक्स!“ कहकर लड़की ने लाइन को घूरा फिर एटीएम से पैसे निकालकर चली गयी। प्रख्यात भी पैसे निकालकर एअरपोर्ट के भीतर चेकइन करने के लिए रिसेप्शन पर पहुँचा तभी फिर से वही लड़की हड़बड़ाई सी आई और उसने अपना टिकट प्रख्यात से पहले ही काउंटर पर रख दिया।

“चेकइन प्लीज!” कहकर वो अपने हैंडबैग में कुछ ढूँढ़ने लगी।

“ओ हैलो मैडम! कभी को लाइन देख लिया करो।भगवान ने अगर आँखें दी हैं तो उनका इस्तेमाल भी कर लिया करो.....” बात पूरी करने से पहले ही प्रख्यात का फ़ोन बजा। वो फ़ोन रिसीव करते हुए दूसरी ओर मुड़ गया।

"हेलो! .....हाँ अनु बस चेकइन ही कर रहा....ओह! अंशु को बोल दो सुबह उसके बगल में सोया मिलूँगा, ओके, बाई।"

“कैसे-कैसे बत्तमीज लोग यहाँ भी मिल जाते हैं। दिसक्स्टिंग....” वो लड़की इन्ट्री पास उठाते हुए बुदबुदाई।

“आप लोग काउंटर पर झगड़ा न करें प्लीज!” रिसेप्शनिस्ट ने कहा जिसे सुनकर वो ‘हुन्न्हहह....’ कहकर मुँह सिकोड़ते हुए एंट्री की तरफ बढ़ गई।प्रख्यात ने भी अपना चेकइन कराया और जब पलटा तो वो लड़की भीतर जा चुकी थी।फ्लाइट में अपने सीट पर बैठते ही उसकी नजर आगे की सीट पर पड़ी।

‘उफ्फ! मैडम यहाँ भी हाजिर है, आज सुबह से ये लड़की मुझसे टकरा रही है, पता नहीं किसका मुँह देखकर उठा था। मैडम! अब सबसे पहले उड़ भी लो, बैठी काहे हो।"........#क्रमशः
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