naya safar - nai sharuaat in Hindi Motivational Stories by Rajesh Kumar books and stories PDF | नया सफर - नई शुरुआत

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नया सफर - नई शुरुआत

अरे भगवान! आखिर मेरे हिस्से में ही इतनी तन्हाई,रूखापन क्यों दिया तुमने राज बड़ी ही वेदना के साथ भगवान से शिकायत कर रहा है। क्या मुझसे कोई खता हुई जो मुझे इसका दंड मिल रहा है। लेकिन ये बात वो खुद के सिवाय भगवान से ही कह सकता है बाकी किसी से भी नही।
साम का वक्त ढलता सूरज और आसमान पर धरती के क्षितिज से उभरता चाँद, इस सुंदर सी पहाड़ी पर खिलते फूलों की महक, बहती शीतल हवा और नीचे बसे घरों की कतार और पेड़-पौधों की हरियाली बड़ा ही सुंदर नज़ारा और वक्त का रोमांटिकपन राज को सोचने पर मजबूर कर रहे थे। हवा के मंद झोंके राज को स्पर्श कर उसकी पिछली यादों को ताज़ा करने को आतुर है। राज का हृदय इन उभरते अहसासों के साथ ही तो जी रहा है, रोज की तरह नए ख्बाव इस सुहाने से वक्त में उसके पवित्र प्रेम को चरम तक पहुँचा रहे है।
कितना मार्मिक रहा वो वक्त जब उसे देखने भर से सकूँ हो जाता था और न देख पाए तो जमाने भर की बैचेनी खुद के पल्ले पड़ जाना। वक्त को कौन थाम सका है, बड़े भाग्य वाले होते है वो लोग जो इश्क के मुकाम को हांसिल कर लेते है। एक ये राज है जो अपने इश्क की कहानी को बेवजह ये जानते हुए भी बढ़ाये जा रहा है कि उसके जीवन में समा जाने वाली महोब्बत अब उससे मिलों दूर जा चुकी है या कहूँ कि इतनी दूर जहां से लौटना नामुमकिन है। फिर भी वह अपने ख़्वावों में उसे ढूंढने की कोशिश करता है, हर वक्त उसे लगता है उसकी महोब्बत उसके साथ है, वो उसे देखती है। हो भी क्यों न राज ने अपने जीवन के हर हिस्से में उसे बसा जो लिया है।
राज उस छोटी सुंदर मनोहरम पहाड़ी पर ख़्वावों की पगडंडियों पर बिना शरीर लिए चल रहा है। एकाएक उसे एक अहसास हुआ कि आखिर वो ये कर क्या रहा है। ये सब क्यों?? मेरा अपना कोई बजूद है कि नही क्या अब मेरा अपना अस्तित्व ही नही रहा। मैं भी तो एक इकाई हूँ, ये जो भी हुआ है हजारों होंगे दुनिया में जो इन घटनाओं को झेलकर जी रहे होंगे। राज को लगा कि अस्तित्व उसे पुकार रहा है, जीवन की नई शुरुआत उसकी प्रतीक्षा कर रही। शायद अब राज इस द्वंद्ध से छुटकारा पाए।
उसके अंदर एक नई ऊर्जा संचारित होने लगी जो नज़ारा, जो हवा, फूलों की सुगंध उसे बीते समय में ले जा रहे थे अब इन सब की तासीर ही बदल गयी। मानों ढलती शाम कह रही हो देखो बिता वक्त ढल रहा है अब नई सुबह होगी नई ऊर्जा के साथ तो तुम भी नई ऊर्जा के साथ फिर से आगे बढ़ने को तैयार हो जाओ, हवा भी कह रही है मेरे जैसे किसी बंधन की परवाह किए बग़ैर स्वछन्द बहो, और फूल जीवन में नई ताज़गी और सादगी को आत्मसात करने का संदेश दे लगे।
राज भी अब खुद को सँभालने के लिए तैयार था, वो वही पड़े पत्थर पर आँखें बंद कर खुद को समझने के लिए बैठ गया। उसने अंदर उठने वाले सभी संवेदनाओं को बारीकी से समझा, जीवन के भूतकाल को फिर से देखा और खुद की भूमिका का विश्लेषण किया।
जो प्रेम किसी एक के लिए चरम पर था वह सर्वत्र फैलने लगा अब राज को जीवन की महत्ता समझ में आ गयी। "प्रेम करिए पर अपने अस्तित्व को प्रत्यक्ष रख कर" जीवन का आधार प्रेम है लेकिन अपना जीवन उलझ जाए वो प्रेम नही प्रेम शांति देता है उलझने नही। राज समझ चुके थे जो बीत गया वो मोह था।
राज को नई सुबह पहले से अधिक सुंदर,शांति देने वाली व जीवन के उद्देश्य को साकार करने वाली महसूस हो रही थी। वह अपने ये सफर पर निकल चुका है।
"जो युवा प्रेमी के न मिलने पर खुद को मिटाने पर आतुर है जांचिए वो मोह में है। प्रेम विनाश नही सुख देता है।"
©️राजेश कुमार