एक ग्रामीण आदमी एक शहरी के यहां मेहमान बना जिसके यहां बहुत सारी मुर्गियां थी , उस शहरी के घर वालों में, उसकी पत्नी ,दो लड़के और दो लड़कियां थी;
शहरी का कहना है कि मैंने अपनी बीवी से नाश्ते में मुर्गियां भूनने को कहा।
नाश्ते के वक्त हम सब घर वाले मेहमान समेत बैठ गए , भुनी हुई मुर्गी सामने रख दी गई और उस मेहमान से कहा कि इसेे बांट दो, बात तो थी मजाक की मगर उसने सचमुच मुर्गी का बंटवारा कर डाला, कहने लगा कि भाई बांटने का सही ढंग तो मुझे आता नहीं , हां यह है कि मैं जैसे भी बांट दूं आप सब उसको मान भी लेंगे ? हम सब ने कहा : जरूर मान लेंगे।
अब उसने मुर्गी को बांटना शुरू किया, तो पहले उसका सर अलग किया और मुझे देे कर कहा " रास " यानी सर " रईस " यानी घर के मालिक के लिए मुनासिब है ,
फिर उसके दोनों बाजूूू अलग कर के दोनों लड़कों को दिए,
फिर उसकी रानें काट कर लड़कियों केेे हिस्से मेंं लगााई,
फिर मुर्गी का पिछला हिस्सा काटकर मेरी पत्नी को दिया और कहा : " अजुज " ( पूंछ वाला हिस्सा ) " अजूज " ( बुढ़िया ) के लिए है।
बाकी पूरी मुर्गी अपने आगे सिरका कर बोला : " झूूर " ( सीने वाला हिस्सा ) " झाईर " ( मेहमान ) के लिए है ; इस तरह उस चालाक ग्रामीण ने सारी मुर्गी हड़प कर ली और बे फायदा चीजें हमाारे हिस्से में लगा दी ।
अगलेेेे दिन मैंने पत्नी को सलाह दी के आज पांच मुर्गियां भूनना , जब सुबह नाश्ते में बैठे और मुर्गियां सामने लाऐं तो मैंने मेहमान से फिर मुर्गियां बांटने को कहा।
उसनेे कहा : ऐसा लगता है के आप लोगोंं को मेरा कलवाला बंटवारा पसंद नहींं आया, हमने कहा : ऐसी कोई बात नहीं , आप बेझिझक बांट दें! तो कहने लगा एकी संख्या में बांटूं या बेकी में ?
हमने कहा ऐकी में बांटों तो अच्छाा है ;
तो उस ने एकी संख्या में बांटना शुरू कर दिया और बोला , अच्छा तो तुम और तुम्हारी बीवी और यह तीसरी मुर्गी इस तरह तुम तीन हो गए , लो यह एक मुर्गी पकड़ो !
फिर बोला : तुम्हारे दो बेटे और यह एक मुर्गी कुल मिलकर तीन हो गए , यह दूसरी मुर्गी उनकी है, लो खाओ।
उसके बाद कहने लगा : तुम्हारी दो लड़कियां और एक मुर्गी यह कुल तीन हो गए, लो यह उसको खाएं।
फिर बोला मैं और दो मुर्गियां तीन हो गए, यह कहकर दो मुर्गीयां अपने सामने रख ली।
हमने जो ललचाइ नजर से उसे देखा कि यह तो अकेला दो मुर्गियां लेकर बैठ गया है , तो कहने लगा: शायद आप लोगों को मेरा बांटना पसंद नहीं आया जो ऐकी संख्या के हिसाब से बिल्कुल दुरुस्त है ।
तो हमने कहा : अब बेकी के हिसाब से बांट दो।
तो कहने लगा अच्छा अब मैं बेकी के हिसाब से बांटता हूं ; फिर उसने पांचों मुर्गियां इकट्ठे करके अपने सामने रख ली और बोला:
आप और आपके दो लड़के और यह एक मुर्गी यह चार हो गए , लो अब एक मुर्गी तुम्हारी ; एक मुर्गी हमारी तरफ फेंक दी।
फिर बोला बुढ़िया और उसकी दो लड़कियां और एक मुर्गी चार हो गए , तो एक मुर्गी उनकी हो गई, लो यह एक मुर्गी।
फिर कहने लगा मैं और तीन मुर्गियां यह चार हो गए , यह कहकर तीनों मुर्गियां अपने सामने रख ली और चट कर गया।
फिर आसमान की तरफ मुंह करके बोला : अल्लाह तेरा बड़ा ही करम है कि तूने मुझे इस बंटवारे की समझ दी।
# अरबी से अनुवाद