Aadmi ka shikaar - 17 in Hindi Fiction Stories by Abha Yadav books and stories PDF | आदमी का शिकार - 17

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आदमी का शिकार - 17


"अंकल, लाश योका को दे दीजिए."नूपर ने रतन से कहा.
"योका, लाश उठा लो."जमीन पर रखी लाश की ओर रतन ने इशारा किया.
"योका भाई,तुम लाश लेकर चलो.मैं अंकल को सुरंग दिखा दूं."नूपर ने योका से कहा.
"ठीक है."योका लाश को उठाते हुए बोला.
"बस्ती वालों के आने से पहले लाश को देवता के आगे लगा देना."नूपर ने योका को हिदायत दी.
"तुम जल्दी आना."योका लाश कंधे पर लाद कर चल दिया.
"आइए, अंकल, मैं आपको सुरंग दिखा दूं, जिससे विदेशी लोग देवता भाई से मानव धड़ लेते हैं."नूप्पू इगे बढ़ते हुए बोली.
"चलो."रतन नूपर के साथ चल दिया. शम्भु भी रतन और नूपर के साथ हो लिया.
"यह लोग कब से मानव का शिकार कर रहे हैं."शम्भु ने नूपर के पास आते हुए पूँछा.
"सुना है, कई बर्ष हो गए."नूपर ने बताया.
"ओह!"शम्भु ने गहरी सांस ली.
"कल विदेशी युवक देवता भाई से मानव धड़ लेने आयेंगे."नूपर ने बताया.
"मुझे देवता भाई भी दिखा दो."रतन ने कहा.
"पहले आप सुरंग देख लें.उसके बाद बस्ती में चलकर देवता भाई और उसकी छाँव देख लें."नूपर बोली.
"सुरंग कितनी दूर है?"शम्भु ने पूँछा.
"वह रही सामने पीपल के पेड़ के पास ?"नूपर ने सुरंग की ओर इशारा किया.
नूपर सुरंग के पास जाकर रूक गई. उसने चारों तरफ देखा. फिर सुरंग के मुँह पर रखी झाडिय़ों को हटा दिया.
"सुरंग कितनी लम्बी है?"शम्भु ने पूँछा.
"यह देवता भाई की झोपड़ी तक गई है. झोपड़ी में ऊपर, नीचे दो कमरे हैं. सुरंग नीचे वाले कमरे में खुलती है. ऊपर वाले कमरे में जाने के लिए सीढ़ी लगी है."नूपर ने पूरी जानकारी दी.
रतन ने सुरंग की कई फोटो ली .फिर नूपर से बोला-"चलो देवता भाई और उसकी झोपड़ी को भी देख लें."
"चलिए."नूपर बस्ती की ओर चल दी.
बस्ती में अभी जायदा रोशनी नहीं थी.कहीं कहीं दीए जल रहे थे. नूपर, रतन और शम्भु सावधानी से आगे बढ़ रहे थे.
देवता भाई की झोपड़ी से कुछ दूर ही नूपर रूक गई. देवता भाई झोपड़ी के बाहर खड़ा था. अंदर दीया जल रहा था.
"यह झोपड़ी देवता भाई की है. बाहर देवता भाई खड़ा है."नूपर ने देवता भाई की ओर इशारा किया.
रतन और शम्भु ने देवता भाई को ध्यान से देखा फिर आसपास का जायजा लेने लगे.
"चलो,अब देवता की मूर्ति भी दिखा दूं.जहां आदमी का शिकार किया जाता है."नूपर वापस मुड़ते हुए बोली.
"चलो."रतन और शम्भु नूपर के साथ चल दिए.
जैसे-जैसे देवता भाई की मूर्ति पास आती जा रही थी. अंधेरा छटता जा रहा था. अब नूपर को छिपते हुए चलने में काफी कठिनाई हो रही थी. रतन और शम्भु भी छिपते हुए चल रहे थे.
जब देवता की मूर्ति आठ-दस मीटर दूर रह गई तो नूपर रूक गई. इससे आगे जाना सम्भव नहीं था. आगे मशालों की तेज रोशनी थी.नूपर एक घने पेड़ के पीछे खड़ी हो गई. रतन और शम्भु उसके बराबर खड़े थे.
"सामने देवता की मूर्ति है."नूपर ने मूर्ति की ओर इशारा किया.
रतन और शम्भु ने आँखों पर दूरबीन चढ़ा ली.
"मूर्ति के दायीं ओर सरदार है.उसके पीछे सरदार की पत्नी तन्वी."नूपर ने बताया.
"मूर्ति के आगे यह लड़की कौन है?"शम्भु ने पूँछा.
"यह देवता भाई की लड़की है. हमारे साथ है.आज इसकी शादी योका भाई से होगी."नूपर बोली.
"लो ,देवता भाई भी आ गया."शम्भु ने देवता भाई की ओर इशारा किया.
सारी स्थिति देखने के बाद रतन ने जेब से एक घड़ी निकाल कर नूपर की ओर बढ़ा दी.-"इसे पहन लो.इसमें ट्रांसमीटर लगा है.सूचना देती रहना."
"ठीक है."रतन के हाथ से नूपर ने घड़ी ले ली.
"नूपर, अब तुम जाकर जश्न में शामिल हो जाओ."शम्भु ने कहा .
"ठीक है."कहती हुए नूपर देवता की मूर्ति की ओर बढ़ गई.


क्रमशः