kalyugi sita - 3 in Hindi Women Focused by Saroj Verma books and stories PDF | कलयुगी सीता--भाग(३)

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कलयुगी सीता--भाग(३)

यूं तो मैं नोएडा में रहता हूं, और मेरा आफिस दिल्ली स्थित मयूर बिहार में है,रोज का वहीं तनाव भरा जीवन, ऐसा लगता है समाज से सारी शुद्ध चीजों का नाश हो गया है,चारों तरफ बनावटी पन, वो चाहे खाना हो या रिश्ते, अब तो नारी में ना वो शालीनता नजर आती है और ना नजाकत,बस रंगी-पुती गुड़ियों जैसी, कितना अंतर आ गया है, कहां हमारी मां और काकी,बुआ,मौसी एक मार्यादित जीवन जिया करती थी और आज नारी___
खैर, मैं अब रहता हूं, बड़े शहर में, लेकिन मैं भी उत्तर प्रदेश स्थित बुंदेलखंड के एक छोटे से कस्बे महोबा, जो पान की खेती और आल्हा ऊदल के लिए प्रसिद्ध है, वहां से पांच-छह किलोमीटर मेंरा गांव है, जहां मैं पैदा हुआ, कैसे भूल जाऊं,उस गांव और उसकी यादों को____
और उस दिन का वाक्या मैं अपने जीवन में कभी भी नहीं भूल सकता,उस समय तो नहीं लेकिन कुछ समय बाद उस घटना का मतलब समझ में आया, वो कितनी डरी हुई थी, कितना वीभत्स था वो सब उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और वो कांप रही थीं, उसने जल्दी से अपना पल्लू ठीक किया और मुझे गले से लगा लिया, मैंने पूछा भी कि काकी क्या हुआ, तुम रो काहे रही हो, और वो मुझे लेकर मेंरे घर आ रही थीं कि ताऊजी कमरे से बाहर आए।
हुआ कुछ इस तरह था,चैत का महीना चल रहा था, खेतों की कटाई के दिन थे,सब बड़े बच्चों को छोड़कर खेतों में चले जाते थे कटाई के लिए ,उस दिन काकी नहीं पहुंचीं तो ताऊ जी पूछने के लिए आये होगे ।
ताऊ जी की दोनो बेटियां, अपने भाई के साथ मेरे घर खेलने आ गई, मैं थोड़ी देर तक तो खेलता रहा, लेकिन मेरी सीटी काकी के पास रह गई थीं, तो मुझे उसकी ध्यान आ गई तो मैं काकी के घर आ गया,देखा तो सब खुला था, और अंदर वाले कमरे के दरवाजे अंदर से बंद थे, मैं जाने लगा तो मुझे कुछ आवाजें आई तो मैंने दरवाजे को जोर-जोर से पीटना शुरू कर दिया कि काकी खोलो, सीटी चाहिए-सीटी चाहिए।
तब काकी बाहर आई और उनकी ऐसी दशा थी।
उस हादसे के बाद, ताऊजी डर गये या उन्हें अपनी गलती पर पछतावा था, वो कुछ परेशान रहने लगे थे।
फिर कुछ ऐसा हुआ, जी शायद कभी किसी नहीं सोचा होगा ,गेहूं कटकर खलिहानों में आ गया था, तो ताऊजी थ्रेसर से गेहूं काट रहे थे, उनका ध्यान ना जाने कहां था तो उनका एक हाथ कट गया, और कुछ दिनों बाद उनके हाथ में सड़न लग गई, और इन्फेक्शन की वजह से उनकी मौत हो गई,लेकिन ताऊ जी के अन्तिम समय में वो ही उनका ख्याल रखती रही।
अब काकी ने खेतों का काम भी सम्भाल लिया और बच्चों की देखभाल भी करती, चाहती तो सब छोड़ कर चली जाती, वहां था ही क्या उनका, लेकिन करती गई और कभी मायके वाले लेने आए तो मना कर दिया कि अगर किस्मत में सुख होता तो इसी घर में मिलता, और अगर होगा तो मिल जाएगा।
कृमश:____