Hostel Girls (Hindi) - 5 in Hindi Women Focused by Kamal Patadiya books and stories PDF | Hostel Girls (Hindi) - 5

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Hostel Girls (Hindi) - 5

[प्रकरण : 2 - hostel diary]

सना fresh होकर अपने bio-data और सर्टिफिकेट का bag ढूंढने में लग जाती है। घर में उसे घुटन सी हो रही थी इसीलिए वह अपनी bag ढूंढकर बाहर निकलती जाती है और पास में स्थित एक गार्डन मे पहुंच जाती है। Sunday होने के कारण गार्डन में लोगों की चहल पहल रहती है। सना गार्डन की बेंच पर बैठकर अपने bag में से सर्टिफिकेट और resume की कॉपी निकालती हैं।

अचानक, उसकी नजर bag में रखी हुई हॉस्टल की डायरी और फोटोग्राफ्स पर पड़ती है। वह बड़ी कुतुहलता से और उत्सुकता से उसको निकालती है। फोटोग्राफ्स और डायरी को देखकर उसे अपने हॉस्टल की भूतकाल की सब यादें नजरों के सामने आ जाती है।

सना को जब मुंबई के कॉलेज में से education के लिए स्कॉलरशिप मिलती है तब उसके माता-पिता बहुत ही खुश होते हैं लेकिन मुंबई जैसे बड़े शहर में लड़की को अकेले भेजते हुए दोनों के मन में दुविधा हो रही थी। सना उसको समझाती है कि ऐसा मौका उसको बार-बार नहीं मिलेगा, वहा पे उसको सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहने को भी फ्री में मिलेगा। अपनी बेटी के उज्जवल भविष्य के लिए सना के माता-पिता उसको मुंबई जाने की अनुमति देते है।

जब वो मुंबई के कॉलेज में एडमिशन लेती है तब उसको सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में रहने को मिलता है। सरकारी गर्ल्स हॉस्टल में हर एक कमरे में 4-4 लड़कियां रहती है। उसके रूम में कोच्चि के गांव की रेचल, चंडीगढ़ के गांव की सिमरन और दिल्ली की प्रिया होती है। चारों के धर्म, भाषाएँ, culture, खान-पान, रहन-सहन सब अलग-अलग था इसलिए शरूआती दौर में सबको बड़ा अजीब सा लगता था।

जैसे जैसे समय बीतता जाता है वो चारो एक दूसरे के करीब आने लगते हैं। सिमरन और प्रिया दोनों मस्तीखोर, बिंदास्त और बहिर्मुखी होती है जबकि रेचल और सना शांत, समझदार और अंतर्मुखी हैं।

प्रिया टॉमबॉय जैसी थी। वह मुंबई की कॉलेज में कॉमर्स की पढ़ाई करती थी लेकिन वह कॉलेज में पढने से ज्यादा लड़कों के साथ फ्रेंडशिप के लिए मशहूर थी। वह लड़कों के साथ क्रिकेट, वॉलीबॉल और दूसरे खेल भी खेलती थी और उसके साथ घूमने भी जाती थी। वो लड़कों की सभी बातें अपने दोस्तों को भी बताती थी, वो इतनी बेफिक्र और बिंदास्त लडकी थी। वह पूरा दिन मटरगश्ती करने में ही busy रहती थी और ऐसी बातूनी थी कि रात बीत जाती थी लेकिन उसकी बातें खत्म होने का नाम ही नहीं लेती थी। कोई भी गंभीर माहौल को वह आसानी से अपनी मस्ती से हल्का-फुल्का बना देती थी।

रात को वह सफेद गाउन पहनकर हॉस्टल की छत की पाली के ऊपर चलती थी और सिक्योरिटी गार्डवालों को भूत बनकर डराती थी। उसकी ऐसी हरकत से कई सिक्योरिटी गार्डवाले होस्टेल छोड़कर भाग गए थे। वह पूरे ग्रुप की जान थी।

सिमरन भी प्रिया की तरह मस्ती करती थी लेकिन वह बिंदास्त नहीं थी। मुंबई की कॉलेज में वह hotel management और कुकिंग की पढ़ाई करती थी। उसको कुकिंग का बेहद शौक था। वह हॉस्टल में मोमबत्ती के ऊपर खाना पकाती थी। कभी maggi, तो कभी पास्ता,.कभी पॉपकॉर्न जैसी dishes बनाकर अपने दोस्तों को खिलाती थी। उसे जितना खाना बनाने का शौक था, उतना ही खाना खिलाने का भी शौक था।

प्रिया और सिमरन हॉस्टल के पास आये टेलीफोन बूथ से coin डालकर अलग-अलग फोन नंबर मिलाकर सब को परेशान करती थी। कभी कभी पिज़्ज़ा बर्गर वाले को ऑर्डर लिखवाके उसे घुमाती रहती थी, ऐसी मस्तीया वो आए दिन करती रहती थी।

रेचल मुंबई की कॉलेज में इंटीरियर डिजाइनिंग का कोर्स करने आई थी लेकिन उसको पढ़ने से ज्यादा singing में interest था। वो हॉस्टल में पूरा दिन बॉलीवुड या साउथ इंडियन गाने पर गुनगुनाती रहती थी। प्रिया और सिमरन उसके गाने की नकल करके उसकी खिल्लीया उड़ाती थी और उसकी टांग खींचती रहती थी लेकिन रेचल को किसी की परवाह नहीं थी,.वह अपनी मस्ती में ही गाती रहती थी।

सना मुंबई की कॉलेज में इवेंट मैनेजमेंट का कोर्स करने आई थी। वह पढ़ाई में बहुत ही अच्छी थी साथ मे उसे novel, कविताए और लेख लिखने का भी शौक था। वह अपनी लिखी हुई कहानियों और कविताओं को उसकी सहेलियों को सुनाती थी, उसकी सहेलियां उसका मजाक उड़ाती थी लेकिन उससे उसको कोई फर्क नहीं पड़ता था।

हर Sunday को चारो सहेलियां मुंबई दर्शन करने को निकलती थी। कभी गेटवे ऑफ इंडिया तो कभी मरीन ड्राइव, कभी नरीमन प्वाइंट तो कभी नेशनल पार्क, कभी जूहू बीच तो कभी बांद्रा बैंडस्टैंड, कभी सिद्धिविनायक मंदिर तो कभी महालक्ष्मी मंदिर, कभी हाजी अली तो कभी एलिफेंटा की गुफाएं देखने को जाती थी।

मुंबई के सभी एरिया में वो घूम चुकी थी। सबको मुंबई शहर अपना सा लगता था। उसमें भी बारिश के मौसम में मुंबई की रौनक ओर बढ़ जाती है। बारिश के सीजन मे चारों को जैसे पंख लग जाते थे।

वो नरीमन पॉइंट पर घूमने निकल जाती थी। बारिश में हंसते, गाते, नाचते हुए सभी भीगते थे। नाचकर, गाते हुए वह दूसरे के ऊपर पानी उडाकर मस्तियां करती रहती थी।

अचानक, गार्डन में कोलाहल होने की वजह से सना का ध्यान भंग हो जाता है। उसके मन में अभी भी हॉस्टल की यादें घूम रही थी। अचानक वह कुछ सोचती है और अपना मोबाइल निकालकर कर friendbook एप्लीकेशन ओपन करती है। वह अपनी सहेलियों को उसमें ढूंढने की कोशिश करती है। सना को तीनों की profile मिलती है और वह तीनों को friend request भेजती है। Sunday का दिन था इसलिए सना को ये उम्मीद थी कि उसकी सहेलियां उसकी request को देखेगी और उसको reply जरूर करेगी।

इस तरफ, रेचल के घर पर sunday को सुबह सुबह रेचल और डेविड के बीच में किसी बात को लेकर झगड़ा शुरू हो जाता है। डेविड गुस्से में घर की सब चीजों को तोड़ फोडकर करके घर से बाहर निकल जाता है। रेचल upset होकर घर के किसी कोने में बैठकर रो रही होती है। तभी उसके मोबाइल की notification bell बजती है।

इस तरफ, सिमरन sunday को अपने पति और सास ससुर का चाय नाश्ता बनाने मे और घर के दूसरे कामों में busy हो जाती है। घर के सारे काम खत्म होने जाने के बाद वह अपने बच्चे को संभालती है। वह बच्चे के साथ खेल रही होती है, अचानक उसके मोबाइल की notification bell बज उठती है।

इस तरफ, प्रिया Sunday होने के कारण देर तक अपने बेडरूम में सो रही होती है। देर रात तक पार्टी करने की वजह से सुबह सुबह उसको hangover होता है। वह उठकर किचन में जाती है और lemon juice का ग्लास बनाकर अपने फ्लैट की balcony में झूला झूलती है तभी उसकी मोबाइल की notification बजती है।

रेचल, सिमरन और प्रिया अपने अपने मोबाइल में नोटिफिकेशन को चेक करती है। नोटिफिकेशन देखकर तीनों की आंखें फटी की फटी रह जाती है और उसके चेहरो पर खुशी की लहर सी दौड़ जाती है क्योंकि friendbook में अपनी सबसे best friend सना कि friend request आई हुई थी। तीनों जल्दी से friend request accept करके सना से chat करती है। तीनों को यह पता नहीं होता कि सना उन तीनों से एक साथ chatting कर रही होती है। दरअसल सना उन तीनों को surprise देना चाहती थी।

chatting करते-करते सना उन तीनों से अपना अपना मोबाइल नंबर ले लेती है। बाद में सना अपने मोबाइल से तीनों को conference call करती है। आज पूरे 5 सालों के बाद चारों एक दूसरे की आवाजें सुनती है। एक दूसरे की आवाज को सुन कर सबका मन भर आता है और सबकी आंखों से आसू बहने लगते है। वो कुछ बोलने जाती है पर उसके गले से आवाज हि नहीं निकल पाती है।

तभी प्रिया सब का मूड ठीक करने के लिए अपने मजाकिया अंदाज में सबको हंसाती है और सभी के चेहरों पे मुस्कान लाती है। जैसे, आज बिरान रण में किसी ने बारिश कर दी हो वैसे ही तीनों के चेहरे पर smile आ जाती है।

सभी सहेलियां हॉस्टल की यादों को ताजा करती है। फिर एक-एक करके सब अपने बारे में बताती है कि उसके जीवन में क्या हो रहा है।

पहले प्रिया बताती है कि वो एक प्राइवेट बैंक में जॉब कर रही है और अपने पुराने दिनों की तरह ही बॉयफ्रेंड के साथ घूमती रहती है। बाद में सना, रेचल और सिमरन भी अपनी जिंदगी के बारे में बताते हैं कि उसके life में क्या चल रहा है? लेकिन तीनों अपनी बात करते-करते बार-बार रोने लगती है जैसे आज किसीने उसके आंसुओं का बांध खोल दिया हो।

बाद में, प्रिया सबको सांत्वना देती है और कहती है कि आज रोने का दिन नहीं हंसने का और हसाने का दिन है। भगवान ने हम सबको फिर से मिला दिया है इसलिए आज का दिन हम सब के लिए यादगार दिन है। अब सब कुछ अच्छा हो जायेगा, तुम लोग चिंता मत करो। लेकिन प्रिया को अंदर से लगता है कि तीनो सहेलियां अपने जीवन से खुश नहीं है, इसलिए उन तीनों को अपने जीवन में थोड़ा change लाना चाहिए।

प्रिया अपनी सहेलियो को कहती है "क्यों ना हम सब लोग एक दिन साथ में मिले और वही पुरानी जिंदगी थोड़े दिनों के लिए जीए। प्रिया की बात सुनकर तीनों सहेलियो के चेहरे पर रोनक आ जाती है। पर प्रश्न ये उठता है कि वह कहां पर मिले और कैसे मिले ? तब प्रिया उन तीनों को कहती है कि क्यों ना मुंबई मेरे घर पर सब लोग मिले? अगर मुंबई मे हम लोग मिलेंगे तो अपने हॉस्टल की, अपने कॉलेज की और मुंबई की यादों को ताजा कर सकेंगे।

हम सब मिलकर फिर से वही धमाल मस्ती करेंगे। प्रिया की बात तो सब लोग agree तो हो जाते हैं लेकिन तीनों सहेलियां अपने अपने घर की समस्याओं को बताती है और वो सब छोड़कर वो कैसे आ सकेगी? तब प्रिया उन सबको आश्वासन देती है कि वह कुछ ना कुछ जुगाड़ कर लेगी।

दूसरे दिन प्रिया रेचल, सिमरन और सना को conference call करके बताती है कि हमारे कॉलेज का रजत जयंती महोत्सव इस week में आने वाला है तो क्यों ना हम सब इस महोत्सव के बहाने मिले। बाद में तुम लोग मेरे घर पर एक week के लिये रुकना और हम लोग सब लोग मुंबई घूमकर अपनी यादें ताजा करेंगे।

तब सना कहती है कि उसके घर की माली हालत ठीक नहीं है। इस परिस्थिति में वो महोत्सव मे भाग लेने के लिए नहीं आ सकती। सबसे पहले उसको एक अच्छी जॉब की तलाश है क्योंकि उसके परिवार का पूरा भार उसके ऊपर है। तब प्रिया सना को कहती है कि तुम मुंबई में भी तो job तलाश कर सकती हो। यहां पर तुम्हें वहां से ज्यादा opportunity मिलेगी और salary भी वहां से अच्छी मिलेगी।

तब सना को प्रिया की बात सही लगती है और उसके मन में थोड़ी सी आशा जगती है। वह प्रिया को कहती है कि वह इस बारे में अपने माता-पिता से बात करेगी।

जब सना उसके माता-पिता से मुंबई मे job के बारे में बात करती है, तब उसके माता-पिता को थोड़ा संकोच होता है और अपनी बेटी की चिंता भी होती है कि मुंबई में वो अकेले कैसे रहेगी?

तब सना उसे समझाती है कि पहले भी वह मुंबई 3 साल तक अकेले रह चुकी है। पहले वह अकेली थी लेकिन अब उसकी सहेली प्रिया उसके साथ है, वह उसी के घर पर रहेगी फिर सना अपने मां-बाप की प्रिया से फोन पर बात करवाती है। प्रिया सना के मां-बाप को भरोसा दिलाती है कि वह सना का अच्छी तरह ख्याल रखेगी और मुंबई में वह अच्छी जगह पर सना को job दिलवा देगी।

प्रिया की बातें सुनकर सना के माता-पिता को थोड़ी राहत मिलती है और वह अपनी बेटी की खुशी और अपने घर की परिस्थितियों को देखते हुए सना को मुंबई जाने की इजाजत दे देते हैं। सना की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है और वह मुंबई जाने की तैयारी में लग जाती है।

इस तरफ, प्रिया सिमरन के घर पर फोन करके उसके पति गुरुचरण से बात करती है। वह अपना परिचय देते हुए कहती है कि वह सिमरन की best friend है। वो ओर सिमरन दोनों साथ में हॉस्टल में रहते थे, उसका कॉलेज भी एक ही था और वह कॉलेज के रजत जयंती समारोह के बारे में बताती है और सिमरन को इस फंक्शन में भेजने के लिए request करती है। तब गुरुचरण अपने परिवार ओर बच्चे का बहाना देकर, सिमरन कॉलेज के फंक्शन में नहीं आ सकती है ऐसा बताकर प्रिया की बात को टाल देता है और फोन रख देता है।

सिमरन अपने सास-ससुर से इस बारे में बात करती है और उसको कॉलेज में फंक्शन में जाने देने के लिए request करती है, तब सिमरन के सास-ससुर गुरुचरण को समझाते हैं कि 1 week कि तो ही बात है। 1 week तो हम किसी तरह adjust कर सकते हैं, उसको अगर इतनी इच्छा हो रही है तो उसको मुंबई जाने की अनुमति दे दे।

गुरुचरण को सिमरन को मुंबई भेजने की बिल्कुल भी इच्छा नहीं होती है लेकिन वह अपने मां-बाप के कहने पर सिमरन को मुंबई जाने की अनुमति दे देता है। यह बात सूनकर सिमरन बहुत ही खुश हो जाती है और वो यह खुशखबरी प्रिया को फोन करके बताती है और वह अपने बेटे के साथ मुंबई जाने की तैयारी में जुट जाती है।

इस तरह, रेचल डेविड को बताती है कि उसका कॉलेज का रजत जयंती समारोह मुंबई में हो रहा है इसलिए उसको 1 week के लिए मुंबई जाना है, तब डेविड रेचल से rudely बात करता है और कहता है कि तुम्हारा कॉलेज छूटे हुए 5 साल हो गए है, अब तुम्हारा उस कॉलेज से कोई लेना देना नहीं है, तुम वहां पर नहीं जा सकती। तब रेचल को डेविड के ऊपर बहुत गुस्सा आता है और वो डेविड को स्पष्ट शब्दों में कहती है कि वह फंक्शन में जाकर ही रहेगी।

दोनों पति-पत्नी के बीच में इस बात को लेकर उग्र बहस होती है, तब डेविड रेचल को गुस्से में कहता हैं कि अगर तुमने इस घर के बाहर कदम रखा तो फिर इस घर में वापस मत आना लेकिन रेचल ने अपने मन में ठान लिया था कि वह किसी भी कीमत पर मुंबई जाकर ही रहेगी।

वह अपना सामान लेकर डेविड के घर से निकल जाती है और अपने माता-पिता के घर पर चली जाती है। रेचल अपने माता-पिता को सब बाते बताती है, तब रेचल के माता-पिता उसको समझाने की कोशिश करते हैं लेकिन रेचल उसकी कोई बात नहीं सुनती है और मुंबई जाने की तैयारी में जुट जाती है।

क्रमशः