Chaar log aur unki kahi baate in Hindi Moral Stories by JYOTI MEENA books and stories PDF | चार लोग और उनकी कहीं बातें।

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चार लोग और उनकी कहीं बातें।

हम रोज़ की तरह अपनी बालकनी में बैठे काॅफी का लुफ्त उठा रहे थे, तभी हमारे कानों में साइड वाली बालकनी हो रही लडा़ई की आवाजे़ पडी़ और फिर क्या था। हम भी बाकियों से कुछ कम तो ना थे, हम भी उनकी बातें सुने लगे तो पता चलता है कि- वह जो स्त्री हैं वो अपनी बेटी पर चिल्ला रही हैं और उसका पति उसे समझा रहा है कि तुम शान्त हो जाओ पर वो है की मानती नहीं और -और जो़रों से चिल्लाने लगती हैं।
फिर थोडा़ और सुनने से पता चलता हैं कि- उस लड़की को एयरहोस्टेस्ट बनना चाहती हैं, पर उसकी माँ को यह डर है कि चार लोग सुनेंगें की इनकी बेटी एयरहोस्टेस्ट तो क्या कहेंगें? कि तुम्हारी बेटी कैसे काम करती हैं, समाज में इस काम को अच्छी नज़रो से नहीं देखा जाता कहते हैं कि जो लड़कियाँ वो काम करती हैं वो बिगडी़ हुई होती हैं या फिर बिगड़ जाती हैं, वह उनसे बूरे काम करवाते हैं।
वही लड़की के पिता अपनी पत्नी को रोकते हुए कहते है कि- अरे भगयवान तुम भी कौन-सी सदियों की बात कर रही हो, ऐसा कुछ नहीं होता बल्कि यह तो अच्छा काम हैं। ऐरोप्लेन से एक देश से दूसरे में जाना और तुम ही सोचो वो वह जाकर कितना कुछ सीखेगी, कितना कुछ जानेगी , नए लोगों से मिलेगी, नया देश देखेगी कितना कुछ उसे वह जानने को मिलेगा तुम यह सोचो। उसे इतना पढा़या है अब उसकी इच्छा है एयरहोस्टेस्ट बने दो , और लोगों का क्या हैं आज कुछ कहेंगें कल कुछ बन जाएगी तब कुछ ओर।
तुम्हें हमारी बेटी की खुशियों से ज्यादा लोगों की परवाह कब से होने लगी है, फिर माँ वही कहती है एक दिन ब्याह करके दूसरे घर भी भेजना है लोग क्या सोचेंगें, की माँ- बाप ने ऐसे काम करने के लिए कैसे हाँ कर दी, कौन ब्याह करेगा ऐसी लड़की से। फिर क्या था पत्नी की ऐसी बातों के आगे पति मौन हो गया और फिर कुछ ना बोल पाया।
फिर क्या था वही हुआ उसकी माँ ने उसके अरमानों की चित्ता जला दी, यह सब सुनकर हम अपनी काॅफी खत्म कर कर हम अपने कमरे में आकर सोच में पड़ गए कि ऐसे चार लोग जिन्हें न हमने कभी देखा, न कभी उनसे बात की, न उन्होंनें कभी हमें जाना ना हीं हमनें कभी उन्हें तो फिर उनकी कहीं हुई बातें हमारे भविष्य पर कैसे उनके बिना पर हमारे भविष्य के अरमानों की चित्ता जला सकते हैं।
यही चार लोग बिना किसी से मिले उनका भविष्य अपने हिसाब से बदल सकते हैं, हमारे मन में यह सवाल था कि- क्या सच में यह लोग इतने शक्तिशाली है, कि किसी इंसान के सपनों को केवल अपनी सोच और बातों से खत्म कर सकते हैं? ना जाने कब यह चार लोग लोगों की जि़न्दगियों से खिलवाड़ करना बन्द करेंगें।
हमारे परिवार वालो के लिए हमसे ज्यादा लोगों की बातों का असर हमारी खुशियों से ज्यादा कैसे हो सकते हैं ?और लोगों को किसी और की जि़न्दगी पर सवाल करने का हक़ कौन देता हैं।