Dayan - 1 in Hindi Horror Stories by Kaamini books and stories PDF | डायन - 1

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डायन - 1

नमस्ते दोस्तो। आपके ढेर सारे प्यार के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद करती हूँ। आपने मेरी लेखनी को सराहा उसका शुक्रिया शब्दो मे करना कम ही होगा। आपके इस प्यार को बरकरार रखते हुए में अपनी एक ओर नई स्टोरी... सस्पेंस, थ्रिलर और डर से भरी हुई हॉरर स्टोरी लेके आई हूँ। आशा है आप इसे भी इतना प्यार देंगे।


"चां....द.....नी..... चां....द.....नी.... सुनो, में कबसे इस जंगल मे चिल्ला रहा हूँ। कहाँ छुपी हो यार, अब बाहर आजाओ प्लीज़। मुझे तुमारी अब फिक्र हो रही है। बस भी करो चांदनी...मजाक बहुत हुआ।"
चिंतातुर राहुल अब मजाक के मूड में नही था, उसने चांदनी जहां कहीं भी छिपी थी, उसको बाहर आने को कहने लगा।
"चां...द...नी... बस कर अब तू...मेरे हाथ मे आई तो बहुत पिटेगी, बाहर आज अब। रात होने वाली है कहाँ है यार मुझे बेहद डर लग रहा है...?!"
(डरते-घबराते हुए मुस्कान चिल्लाई। चांदनी के साथ जंगल मे केम्पेन करने गए उसके अलावा तीन ओर दोस्त...मुस्कान, राहुल और सौरव। चारो दोस्तो को घूमने का चस्का लगा होने के कारण आये दिन नई नई जगहों पर टहलने को निकल पड़ते है। चारो जाने मानो, सेर सपाटा करने का लुफ्त लेना ही बस जिंदगी है।? इसी बात को मानते और जीते आये। दोस्ती, पैसा, जवानी, मौजमस्ती बस यही उनकी दुनिया...पर उनका यह शोख उन्हें जिंदगी के सबसे खतरनाक मोड़ की ओर लेजाने वाला था....यह उनमे से किसीको भी पता नही था।)
राहुल....एक पेड़ पे अपना बेल्ट निकल कर बांध देता है, उसे निशानी बताते हुए, अपने बाकी दोस्तो को चांदनी को जंगल मे चारो ओर ढूंढने के लिए कहता है और जब फिर सबको इसी जगह दोबारा लौटने का कहता है। सब अलग अलग दिशा में चांदनी के नाम की पुकार करते हुए तफ़सीस में लग गए। शाम हो चुकी थी, पर चांदनी का कोई अता पता नही था।
सौरव मुस्कान और राहुल चांदनी को पुकारते हुए आगे बढ़ चुके होते है के तभी....
किसी लड़की की चीखने की आवाज़ आती है।
सब लोग उस दिशा की ओर दौड़ पड़ते है, आगे देखते है तो चांदनी जमीन पर बेहोश पड़ी थी । सौरव ओर राहुल दोनो चांदनी को उठा के अपनी केम्पेन वाली जगह पे ले जाते है।
उसे होश में लाने की कोशिश करते है, तब उन्हें ध्यान आता है कि मुस्कान अभी तक नही लोटी। दोनो को अब उसकी फिक्र होती है तब गुस्से में राहुल : "हद है इन लड़कियों ने तो नाक में दम कर दिया है। एक को ढूंढा तो अब दूसरी गायब है? आज के बाद में इन दोनों को साथ मे नही ले जाने वाला अबसे...!! "
(यह सुन के सौरव वह से खड़ा होकर मुस्कान को आवाज़ लगाने लगता है, तब एक झाड़ियों के बीच से सरसराहट की आवाज़ आती है और दोनों दोस्त घभरा जाते है के कही कोई जानवर तो नही आ गया?? लेकिन तभी वहां से मुस्कान को अपनी ओर आते हुए देख के दोनों की जान में जान आती है।)
"मुस्कान...कहाँ चली गई थी यार तुम? यहाँ चांदनी मिली वहां तुम गायब? अजीब हो तुम दोनो लड़कियां भी।" इतना कहते हुए सौरव ने अपने बैग से पानी की बोतल निकल कर चांदनी के मुँह पर छींटे मारे।
(चांदनी होश में आ रही थी, उसके बाल सारे बिखरे हुए थे, शॉर्ट्स ओर टी शर्ट भी मैली हो गई थी। सिर पर और हाथ पैर पर हल्की हल्की चोट के निशान थे।)
- "रा...हु...ल...." आँखे खुलते ही उसने अपने पास राहुल को बैठा देखा। उसका सिर राहुल की गोद मे था। उसके बिखरे बालों को ठीक करते हुए राहुल ने उसको पूछा : "आर यू ओके चांदनी? कहाँ चली गई थी तुम? क्या हुआ था?"

(क्रमशः)